Book Title: Adhyatma Ratnamala
Author(s): Korshibhai Vijpal Jain
Publisher: Korshibhai Vijpal Jain
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(43) प्रभाजितनुताऽमलं परमचापलारोहिणी,
सुधावसुरभीमनामयिसभा क्षमाले हितम. श्रीअनन्तनाथजिनेन्द्र-स्तुति. (१४)
(द्रुतविलम्बित-वृत्तम् ) संकलधौतसहासनमेरव
स्तव दिशन्त्वभिषेकजलप्लवा; मतमनन्तजितः स्नपितोल्लसत्
सकलधौतसहासनमेरवः मम रतामरसेवित ते क्षण
प्रद निहन्तु जिनेन्द्रकदम्बक !; वरद पादयुगं गतमज्ञता
ममरतामरसे विततेक्षण. परमतापदमानसजन्मनः
प्रियपदं भवतो भवतोऽवतात; जिनपतेर्मतमस्तजगत्रयी
परमतापदमानसजन्मना रसितमुच्चतुरङ्गमनायक,
दिशतु काञ्चनकान्तिरिताऽच्युताः धृतधनुःफलकासिशरा करे
रसितमुच्चतुरं गमनाय कमः
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