Book Title: Adhyatma Ratnamala
Author(s): Korshibhai Vijpal Jain
Publisher: Korshibhai Vijpal Jain
View full book text
________________
(५४०) याऽत्र विचित्रवर्णविनतात्मजपृष्ठमधिष्ठिता डुतात्___समतनुभागविकृतधीरसमदवैरिव धामहारिभिः । तडिदिव भाति सान्ध्यघनमूर्धनि चक्रधराऽस्तु सा मुदेऽसमतनुभा गवि कृतधीरसमदवैरिवधा महारिभिः ४ श्रीमल्लिनाथजिनेन्द्र-स्तुतिः। (१९)
( रुचिरा-वृत्तम् ) नुदंस्तनुं प्रवितर मल्लिनाथ मे _ पियङ्गरोचिररुचिरोचितां वरम् । विडम्बयन् वररुचिमण्डलोज्ज्वला,
प्रियं गुरोऽचिररुचिरोचिताम्बरम् जवाद्गतं जगदवतो वपुर्व्यथा___ कदम्बकैरवशतपत्रसं पदम् । जिनोत्तमान् स्तुत दधतः स्रज स्फुरत्___ कदम्बकैरवशतपत्रसंपदम् स संपदं दिशतु जिनोत्तमागमः ___ शमावहन्नतनुतमोहरोऽदिते । स चित्तभूः क्षत इह येन यस्तपः
शमावहन्नतनुत मोहरोदिते द्विपं गतो हृदि रमतां दमश्रिया,
प्रभाति मे चकितहरिदिपं नगे,

Page Navigation
1 ... 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598