Book Title: Adhidwipna Nakshani Hakikat
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 20
________________ अढीछीपना नकशानी हकीगत.. 256 पृष्ट करमी उंगण पञ्चास दिवस अपत्य पालना करे, तूवर प्रमाणे कप वृदनो थाहार, अहमनक्त एटले चोथे दिवसे श्राहार करे ए युगलीयानां पुण्य प्रनावे दस जा तना कल्पवृक्ष थाहारादिक सर्व वंबित पूरण करे. ए वृदमां एवो स्वनावजले पण देवता पूरता नथी. ए सर्वे युगल नजिक स्वन्नाव वाला ने एमांक्रोध नथी मात्र ींक बगासी उध्रस करतां एनुं मरण थाय. ए रीते जंबृद्धीपमां युगलीयाना व क्षेत्र तेथी बमणा बार क्षेत्र धातकी खंडमांडे तथा बार पुष्कराईमां, ते सर्वना सरखा जावडे सरखी रीत मर्याद सरवाले अढीहीपमा त्रीश युगलीयानां क्षेत्र. ___36 बत्रीशमे बोले उपन्न अंतरछीपनो विवरो कहेजेः-जंबूछीपमां आपणी तरफ हिम वंत पर्वत अने ऐरवतनी तरफ शिखरी पर्वत ए बे पर्वतें जंबूहीपनां कोट उपरथी पर्वत दी चार चार दाढा नीकली ते विदिसी तरफ वली लवण समुज्नां पाणी थी जंची देखायडे अढी योजन ऊंची तथा आठ हजार चारसे योजन लांबी जे ए आ वे दाढा अधर चाली गश्वे ते एकेकी दाढा उपर सात सात अंतरछोपडे तेवारे आठ दाढानां उपन्न अंतर छीप थया, ए उपर युगलीया मनुष्य वसे तेनुं आठसे धनुष श रीर बे एक पस्योपमनो असंख्यातमो नाग आयुबे. ए युगलीया मरणपामीने जवन पत्यादिक देवोमां जश् उपजे. ए बपन्न अंतरछीपमां त्रीजा आराना बेडा सरखा जा व एटले जेवो नानिराजानो पिता बहो कुलकर हतो ते वखत जे नाव वर्तता हता ते प्रमाणेना नाव सर्वकाले तिहां वर्ते ते नाव फरे नही. . 37 शामत्रीशमे बोले महाविदेह क्षेत्रमा चोथो थारो वर्तेले. पांचसे धनुष शरीर मा न.पूर्वकोटी वर्ष आयु, नित्य आहार तथा जंबूहीपना विदेहमां चार तीर्थंकर, तेमां पूर्व विदेहना वनमुख समीप आठमी पुष्कनवती विजयमां घुमरि किणी नयरी तिहां सीमंधरनामे विहरमान तथा पश्चिम विदेहना वन पासे पच्चीसमी वप्राविजय थ ने विजया नगरी तिहां श्रीयुगमंधर बीजा विहरमान बे, तथा पूर्व विदेहना वनमुख समीप नवमी वनविजय अने सूसीमा नयरी तिहां बाहुस्वामी श्रीजा विहरमान डे तथा पबिमविदेहना वनमुख समीप चोवीसमी नलोना वती विजय ने अयोध्यान गरी तिहां चोथा सुबाहु नामे विहेरमान तीर्थंकरडे, ए रीते जंठोपमा चार तीर्थक रखे तथा धातकी खंममा बे मेरु अने बे महा विदेह तेमां चार तीर्थंकर पूर्व महावि देहमां अने चार तीर्थंकर पश्चिम महाविदेहमां एरीते आठ तीर्थकर ले तथा पुष्करा ईमां पण बे मेरु अने बे महाविदेहले माटे तिहां पण पूर्व विदेहमा चार तीर्थकर भने पश्चिम विदेहमा चार तीर्थकर मली श्राप . सरवाले श्रढीवीपमां वीश विहर मान तीर्थकर जे. जेवीरीते जंबूछीपमा बाग्मी, पच्चीशमी, नवमी अने चोवीशमी विज

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