Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 06 Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas VoraPage 13
________________ P-01 -01 समर्पण . - . . . रवि-प्रभा सम है मुखश्री, चन्द्र सम अति प्रशान्त । तिमिर में भटके जनके, दीप उज्जवल कान्त ॥ १ ॥ लघुता में प्रभुता भरी, विश्व-पूज्य मुनीन्द्र । करुणा सागर आप थे, यति के बने यतीन्द्र ॥ २ ॥ लोक-मंगली थे कमल, योगीश्वर गुरुराज । सुमन-माल सुन्दर सजी, करे समर्पण आज ॥ ३ ॥ अभिधान राजेन्द्र कोष, रचना रची ललाम । नित चरणों में आपके, विधियुत् करें प्रणाम ॥ ४ ॥ काव्य-शिल्प समझें नहीं, फिर भी किया प्रयास । गुरु-कृपा से यह बने, जन-मन का विश्वास ॥ ५ ॥ प्रियदर्शना की दर्शना, सुदर्शना भी साथ । राज रहे राजेन्द्र का, चरण झुकाते माथ ॥ ६ ॥ . -. . - श्री राजेन्द्रगुणगीतवेणु - श्री राजेन्द्रपदपद्मरेणु साध्वी प्रियदर्शनाश्री साध्वी सुदर्शनाश्रीPage Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 ... 312