Book Title: Abhaykumar Chopai
Author(s): Dharmkirtivijay
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 1
________________ २६ अनुसन्धान ४७ श्रीकीर्तिसुन्दरगणिकृत अभयकुमार चौपाई सं. मुनि धर्मकीर्तिविजय खरतरगच्छीय श्रीजिनभद्रसूरिजीनी शाखामां आवता, कान्हजीना उपनामथी प्रसिद्ध एवा श्रीकीर्तिसुन्दरगणिए संवत १७५९मां जयतारणिपुर नामना गाममां श्रीजिनचन्द्रसूरिजीनी निश्रामां आ चौपाईनी रचना करी छे. आ चौपाई अद्यावधि अप्रकाशित' छे. खरतरगच्छमां आजे जे साहित्य उपलब्ध छे, तेना कर्ताओमां महाकवि जिनहर्षगणि, समयसुन्दर उपाध्याय, गुणविनय उपाध्याय, धर्मवर्द्धन उपाध्याय- आ नामो मुख्य छे. तेमांना धर्मवर्द्धन उपाध्यायजीना शिष्य कीर्तिसुन्दरगणिए आ रचना करी छे, आ ग्रन्थना कर्ता जिनभद्रसूरिजीनी परम्परामां आवता विमलकीर्तिगणि - विजयहर्षगणि - धर्मवर्द्धन उपाध्यायजीना शिष्य छे. तेओ द्वारा रचित साहित्यनी ढूंकी नोंध खरतरगच्छ साहित्यकोशना आधारे आ प्रमाणे छ : विमलकीर्तिगणि-दशवैकालिकसूत्र स्तबक, उपदेशमाला स्तबक, कल्पसूत्र टीका सामाचारी, चन्द्रदूत (मेघदूतनी पादपूर्ति), जय तिहुअण स्तोत्र बालावबोध, पदव्यवस्था बालावबोध, बारव्रत रास, यशोधर रास, श्रेणिक चौपाई, इत्यादि. विजयहर्षगणि- अढी द्वीप स्तवन, गोडी लोद्रवा पार्श्वजिन स्तवन. धर्मवर्द्धन उपाध्याय- अमरकोश टीका, जिनस्तवन चोवीशी, अमरसेन वयरसेन चौपाई, भिन्न भिन्न स्तोत्र, दृष्टान्त छत्रीसी, विशेष छत्रीसी, दम्भ क्रिया चौपाई, दशार्णभद्र चौपाई, प्रश्नमय काव्य, व्याकरणसंज्ञा स्तोत्र, समस्यामय स्तोत्र, अनेक पार्श्वनाथ स्तोत्र - इत्यादि. ___कीर्तिसुन्दर गणि- अवन्ती सुकुमाल चौढालिया, कल्पसूत्र टीका - कल्प सुबोधिका, मांकडरास, ज्ञानछत्रीसी, कौतुक पच्चीसी, वाग्विलासकथा संग्रह, फलोधी पार्श्वनाथस्तवन - इत्यादि. १. महो० विनयसागरजी सम्पादित - खरतरगच्छ साहित्यकोश. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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