Book Title: Aagam Manjusha N 01 Aayaro Nijjutti
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

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Page 3
________________ अ श्रीआचाराङ्गनिर्यक्तिः - वंदित्तु सबसिदे जिणे अ अणुओगदायए सत्वे । आयारस्स भगवओ निज्जुत्तिं कित्तइस्सामि ॥१॥ आयार अंग सुयसंध बंभ चरणे तहेव सत्ये या परिणाए संणाए निक्खेवो तह दिसाणं च ॥२॥ चरणदिसावजाणं निक्खेषों चउकओ य नायबो। चरणमि छविहो खलु सत्तविहो होइ उ दिसाणं ॥३॥ जत्थ य ज जाणिजा निक्खेवं निक्खिये निख. सेस । जत्वविय न जाणिजा चउकर्य निक्खिये तस्थ ॥४॥ आयारे अंगमि य पुबुदिट्टो चउकनिक्खेवो । नवरं पुण नाणत्तं भावायामि तं वोच्छ ॥ ५॥ तस्सेगट्ठ पत्त्तण पदमंग गणी तहेब परिमाणे । समयारे सारो य सत्तहि दारेहि नाणत्तं ॥६॥ आयारो आचालये आगालो आगरो य आसासो। आयरिसो अंगति य आइण्णाऽऽजाइ आमोक्खा 10 सबेसि आयारो तित्थस्स पवतणे पढमयाए। सेसाई अंगाई इकारस आणुपुधीए ॥८॥ आयारो अंगाणं पढम अंग दुवालसव्हपि। इत्य य मोक्खोवाओ एस य सारो पवयणस्स ॥९॥आयारम्मि अहीए जंनाओ होइ समण. धम्मो उतम्हा आयारधरो भण्णइ (प० बुबह) पदमं गणिडाणं ॥१०॥णवचंभचेरमइआ अट्ठारसपयसहस्सिओवेओ।हवइ य सपंचचूलो बहुबहुतरओ पयग्गेणं ॥११॥ आयरम्माणऽत्यो बंभचेरेस सो समोयरइ। सोऽविय सस्थपरिषणाएँ पिंडिअत्यो समोयरइ॥१२॥ सस्थपरिणाअत्यो छस्सुवि काएसुसो समोयरइ। छजीवणियाअत्यो पंचमुवि वएमु ओयरइ ॥१३॥ पंच य महावयाई समो. यरंते य सबदवेसुं। सवेसि पजवाणं अर्णतभागम्मि ओयरइ ॥१४॥ छज्जीवणिया पढमे बीए चरिमे य सत्रवाई । सेसा महत्वया खलु तदेकदेसेण दवाणं ॥१६॥ अंगाणं किं सारो? आयारो. तम्म हबइ कि सारो ?। अणुओगऽत्यो सारो, तस्सऽवि य परूवणा सारो ॥१६॥ सारो परूवणाए चरणं तस्सवि य होइ निवाण । निधाणस्स उ सारो अवाबाई जिणा चिंति ॥१७॥ मम्मी य चउकं ठवणाए होइ भणपत्नी। सत्तण्डं वण्णाणं नवण्ह वणंतराणं च ॥१८॥ एका मणुस्सजाई रज्जुप्पत्तीइ दो कया उसमे। तिषणेव सिप्पवणिए सावगधम्मम्मि चत्तारि॥१९॥ संजोगे सोलसर्ग सत्त य वण्णा उनव य अंतरिणो। एए दोवि विगप्पा ठवणाचंभस्स णायचा ॥२०॥ पगई चउक्कगाणंतरे य ते हंति सत्त वण्णा उ। आणतरेसु चरमो वण्णो खलु होइ णायचो ॥२१॥ अंबगनिसाया अजोगवं मागदा य सूया य । खत्ता य विदेहाविय चंडाला नवमगा हुंति ॥२२॥ एगंतरिए इणमो अंबडो चेव होइ उम्गो य । पिइयंतरिम निसाओ परासरं तेच पण वेगे शा पडिल्यमे सुदाई अजोगवं मागहो य सूओ य। एगंतरिए खत्ता वेदेहा चेव नायचा ॥२४॥ वितियंतरे उ नियमा चण्डालो सोऽवि होइ णायचो। अणुलोमे पडिलोमे एवं एए भवे भेया ॥२५॥ उम्गणं खत्ताए सोवागो वेणवो विदेहेणं । अंबढी सुद्दीए य बुक्कसो जो निसाएणं ॥२६॥ सुदेण निसाईए कुकरओ सोऽपि होइ णायचो । एसो बिइओ भेओ चउविहो होइ णाययो ॥२७॥ दई । सरीर भविओ अन्नाणीवस्थिसंजमो चेव । भावे उ पत्थिसंजम णायवो संजमो चेव ॥२८॥ चरणमि होइ छकं गइमाहारो गुणो व चरणं च । खित्तमि जंमि खित्ते काले कालो जहिं जाओ (प्रजो उ)॥२९॥ भावे गइमाहारो गुणो गणवओ पसस्थमपसत्था । गुणचरण पसत्येण बंभचेरा नव हवंति ॥३०॥ सत्थपरिणा१ लोगविजओ२ य सीओसणिज३ सम्मत्तंटातह लोगसारनाम५ ध्यं६ तह महपरिषणा ७ य ॥३१॥ अट्ठमए य विमोक्खोट उबदाणसुयं९ च नवमर्ग भणियं । इच्चेसो आयारो आयारग्गाणि सेसाणि ॥३२॥ जिअसंजमो१ अ लोगो जह बज्झइ जह यतं पजहियवंश सुहदक्सतितिक्याविय३ सम्मत्तं४ लोगसारो५ य॥३३॥ निस्संगया६ य छढे मोहसमुस्था परीसहुवसग्गा ७।निजाणं८ अट्ठमए नवमे य जिणेण एवं (प० यं) ति९॥३४॥ जीवो कायपावणा य तेसिं वहे यबंधोति। विरईए अहिगारो सत्यपरिणाएं णायचो ॥३५॥ दवं सत्थग्गिविसनेइंचिलखारलोणमाईयं । भावो य दुष्पउत्तो वाया काओ अविरई या ॥३६॥ दर्ष जाणण पचक्खाणे दविए सरीर उवमरणे। भावपरिण्णा जाणण पचक्खाणं च भावेणं ॥३७॥ सूत्रं ॥ दबे सञ्चित्ताई भावेऽणुभवणजाणणा सण्णा । मति होइ जाणणा पुण अणुभवणा कम्मसंजुत्ता ॥३८॥ आहार भय परिग्गह मेहुण सुख दुक्ख मोह पितिगिच्छा । कोह माण (मय) माय लोहे सोगे लोगे य धम्मोहे ॥३९॥ नाम ठवणा दविए खित्ते तावे य पण्णवग भावे। एस दिसानिक्खेचो सत्तविहो होइ णाययो॥४०॥ तेरसपएसियं खलु तावइएसुं भवे पएसेसुं । ज द ओगाढं जद्दण्णयं तं दसदिसागं ॥४१॥ अट्ठपएसो स्यगो तिरिय लोयस्स मज्झयारंमि। एस पभवो दिसाणं एसेव भवे अणुदिसाणं ॥४२॥ इदग्गेई जम्मा य नेस्ती वारुणी य वायचा। सोमा ईसाणावि य विमला य तमा य बोद्धब्बा ॥४३॥ दुपएसाइ दुरुत्तर एगपएसा अणुत्तरा चेव। चउरो चउरो य दिसा चउराइ अणुत्तरा दुण्णि ॥४४ा अंतो साईआओ चाहिरपासे अपज्जवसिआओ। सव्वाऽणंतपएसा सव्वा य भवंति कढजुम्मा ॥४५॥ सगडदिसंठिआओ मदादिसाओ वंति चत्तारि। मुत्तावली य चउरो दो चेव हवंति स्यगनिभा ॥४६॥ जस्स जओ आइचो उदेइ सा तस्स होइ पुवादिसा । जत्तो अ अत्यमेइ उ अवरदिसा सा उ णायचा ॥४७॥ दाहिणपासंमि अ दाहिणा दिसा उत्तरा उ वामेणं। एया चत्तारि दिसा तावखित्ते उ अक्खाया ॥४८॥ जे मंदरस्स पुत्रेण मणुस्सा दाहिणेण अवरेण । जे आवि उत्तरेणं सन्वेसिं उत्तरो मेरू ॥४९॥ सवेसिं उत्तरेणं मेरू लवणो य होइ दाहिणओ। पुश्वेणं उद्वेई अवरेणं अस्थमइ गरो ॥५०॥ जत्थ य जो पण्णवओ कस्सवि साहइ दिसामु य णिमित्तं । जत्तोमुहो य ठाई सा पुरा पच्छओ अवरा ॥५१॥ दाहिणपासंमि | उ दाहिणा दिसा उत्तरा उ वामेणं । एयासिमन्तरेणं अण्णा चत्तारि विदिसाओ ॥५२॥ एयासिं चेव अट्टण्हमंतरा अट्ट हुंति अण्णाओ। सोलस सरीरउस्सयबाहाला सबतिरियदिसा ॥५३॥ हेट्ठा १३३९ श्री आचारांगं नियुक्ति मुनि दीपरत्नसागर १३३८

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