Book Title: Aagam Manjusha N 01 Aayaro Nijjutti
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

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Page 10
________________ (अ. 11-12,20-21) छकं पर इकिकं त१ दन२ माएस३ कम४ बहु५ पहाणे६।(अ.१३,२२) अन्ने छक्कं तु पुण तदन्नमाएसओ चेव // 346 // जयमाणस्स परोजं करेइ जयणाएं तत्थ अहिगारो। निप्पडिकम्मरस उ अनमनकरणं अजुनं तु॥३४७॥ (अ.१४,२३) दवं गंधंग तिलाइएसु सीउण्हविसहणाईसु।भावमि होइ दुविहा पसत्य तह अप्पसत्या य॥३४८॥ पाणिवहमुसावाए अदत्तमेहुणपरिम्गहे वेव। कोहे माणे माया लोभे यहवंति अपसस्था॥ ३४९॥दसणनाणचरित्ते तक्वेरग्गे यहोइ उपसत्था। जाय जहा ता य तहा लक्खण वुच्छ सलक्खणओ॥३५०॥तित्थगराण भगवओ पवयणपावयणिअइसइद्रीणं। अभिगमणनमणदरिसणकित्तणसंपूअणाथुणणा॥३५१॥ जम्माभिसेयनिक्खमणचरणनाणुप्पया या निशाणे। दियलोअभवणमंदरनंदीसरभोमनगरेसुं॥३५२॥ अट्ठावयमुजिते गयग्गपयए ये धम्मचके यापासरहावत्तनगं चमरुप्पायं च वंदामि॥३५३शागणियं निमित्त जुत्ती संदिट्ठीअवितहं इमं नाणं / इय एगंतमुरगया गुणपचाइया इमे अत्था // 354 // गुणमाहप्पं इसिनामकित्तणं सुरनरिंदपूया या पोराणचेहयाणि य इय एसा दसणे होइ॥३५५॥ तत्तं जीवाजीवा नायबा जाणणा इहं विट्ठी। इह कजकरणकारगसिद्धी इह बंधमुक्खो य॥३५६॥ बोय बंधहेऊ बंधणबंधफलं सुकहियं तु / संसारपवंचोऽविय इहये कहिओ जिणवरेहिं // 357aa नाणं भविस्सई एवमाइया वायणाइयाओ य / सज्झाए आउत्तो गुरुकुलवासो य इय नाणे // 358 // साहुमहिंसाधम्मो सयमदत्तविरई य यंभं च / साहु परिम्महविरई साहु तवो बारसंगो य॥३५९॥ वेरग्गमप्पमाओ एगत्ता (ग्गे) भावणा य परिसंग। इय चरणमणुगयाओ भणिया इत्तो तवो वुच्छं // 360 // किह मे हविजऽचंझो दिवसो किंवा परतवं काउं? को इह दवे जोगो खित्ते काले समयभावे?॥३६१॥ उच्छाहपालणाए इति (एव) तवे संजमे य संघयणे। वेरम्गेऽणिचाई होइ चरिते इहं पगयं // 362 // (अ.१५.२४) अणिचे पवए रुप्पे भुयगस्स तहा (या)महासमुद्दे या एए खलु अहिगारा अज्झयणंमी विमुत्तीए॥३६३॥ जो चेव होइ मुक्खो सा उ विमुत्ति पगयं तु भावेणं। देस. विमुक्का साहू सञ्चविमुका भवे सिद्धा // 364 // (अ.१६,२५) आयारस्स भगवओ चउत्यचूलाइ एस निजुत्ती। पंचमचूलनिसीह तस्स य उवरि भणीहामि // 365 // सत्तहिं कहिं चउचउहि य पंचहि अट्ठचउहि नायबा। उदेसएहि पढमे सुयखंघे नव व अजायणा // 366 // इकारस ति ति दो दो दो दो उद्देसएहिं नायचा। सत्तय अव य नवमा इफसरा हुँति अजमायणा // 367 // समाता श्रीश्रुतकेवलिभगवद्भद्रबाहुस्वामिविरचिता निम्रन्थगच्छकमायातश्रीमत्तपोगच्छाधिपभूपेन्द्रबोधकसिदान्तवाचकाऽऽगमोद्धारकश्रीमतसागरानंदसरिपुरंदरसंशोधिता भगवदाचाराणसूत्रनियुक्तिः //

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