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_ नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य आनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरूभ्यो नमः
On Line - आगममंजूषा
आयारो-निज्जुत्ति
* संकलन एवं प्रस्तुतकर्ता * मुनि दीपरत्नसागर M.Com., M.Ed., Ph.D.]
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|| किंचित् प्रास्ताविकम् ||
ये आगम-मंजूषा का संपादन आजसे ७० वर्ष पूर्व अर्थात् वीर संवत २४६८, विक्रम संवत १९९८, ई. स. 1942 के दौरान हुआ था, जिनका संपादन पूज्य आगमोद्धारक आचार्यश्री आनंदसागररिजी म.सा. ने किया था| आज तक उन्ही के प्रस्थापित मार्ग की रोशनी में सब अपनी-अपनी दिशाएँ ढूंढते आगे बढ़ रहे हैं।
हम ७० साल के बाद आज ई.स. 2012, विक्रम संवत २०६८, वीर संवत -२५३८ में वो ही आगम- मंजूषा को कुछ उपयोगी परिवर्तनों के साथ इंटरनेट के माध्यम से सर्वथा सर्वप्रथम “ OnLine-आगममंजूषा " नाम से प्रस्तुत कर रहे हैं। मूल आगम- मंजूषा के संपादन की किंचित् भिन्नता का स्वीकार *
*
है।
[१]आवश्यक सूत्र-(आगम-४० ) में केवल मूल सूत्र नहीं है, मूल सूत्रों के साथ निर्युक्ति भी सामिल की गई है| [२]जीतकल्प सूत्र-(आगम - ३८ ) में भी केवल मूल सूत्र नहीं है, मूलसूत्रों के साथ भाष्य भी सामिल किया है | [३]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) का वैकल्पिक सूत्र जो “पंचकल्प” है, उनके भाष्य को यहाँ सामिल किया गया
[४] “ओघनिर्युक्ति”-(आगम-४१ ) के वैकल्पिक आगम “पिंडनिर्युक्ति” को यहाँ समाविष्ट तो किया है, लेकिन उनका मुद्रण-स्थान बदल गया है।
[५] “कल्प(बारसा)सूत्र” को भी मूल आगममंजूषा में सामिल किया गया है|
Online-आगममंजूषा
: Address:
Mnui Deepratnasagar,
MangalDeep society, Opp. DholeshwarMandir, POST :- THANGADH Dist.surendranagar. Mobile:-9825967397 jainmunideepratnasagar@gmail.com
मुनि दीपरत्नसागर
-मुनि दीपरत्नसागर
Date:-12/11/2012
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श्रीआचाराङ्गनिर्यक्तिः - वंदित्तु सबसिदे जिणे अ अणुओगदायए सत्वे । आयारस्स भगवओ निज्जुत्तिं कित्तइस्सामि ॥१॥ आयार अंग सुयसंध बंभ चरणे तहेव सत्ये या परिणाए संणाए निक्खेवो तह दिसाणं च ॥२॥ चरणदिसावजाणं निक्खेषों चउकओ य नायबो। चरणमि छविहो खलु सत्तविहो होइ उ दिसाणं ॥३॥ जत्थ य ज जाणिजा निक्खेवं निक्खिये निख. सेस । जत्वविय न जाणिजा चउकर्य निक्खिये तस्थ ॥४॥ आयारे अंगमि य पुबुदिट्टो चउकनिक्खेवो । नवरं पुण नाणत्तं भावायामि तं वोच्छ ॥ ५॥ तस्सेगट्ठ पत्त्तण पदमंग गणी तहेब परिमाणे । समयारे सारो य सत्तहि दारेहि नाणत्तं ॥६॥ आयारो आचालये आगालो आगरो य आसासो। आयरिसो अंगति य आइण्णाऽऽजाइ आमोक्खा 10 सबेसि आयारो तित्थस्स पवतणे पढमयाए। सेसाई अंगाई इकारस आणुपुधीए ॥८॥ आयारो अंगाणं पढम अंग दुवालसव्हपि। इत्य य मोक्खोवाओ एस य सारो पवयणस्स ॥९॥आयारम्मि अहीए जंनाओ होइ समण. धम्मो उतम्हा आयारधरो भण्णइ (प० बुबह) पदमं गणिडाणं ॥१०॥णवचंभचेरमइआ अट्ठारसपयसहस्सिओवेओ।हवइ य सपंचचूलो बहुबहुतरओ पयग्गेणं ॥११॥ आयरम्माणऽत्यो बंभचेरेस सो समोयरइ। सोऽविय सस्थपरिषणाएँ पिंडिअत्यो समोयरइ॥१२॥ सस्थपरिणाअत्यो छस्सुवि काएसुसो समोयरइ। छजीवणियाअत्यो पंचमुवि वएमु ओयरइ ॥१३॥ पंच य महावयाई समो. यरंते य सबदवेसुं। सवेसि पजवाणं अर्णतभागम्मि ओयरइ ॥१४॥ छज्जीवणिया पढमे बीए चरिमे य सत्रवाई । सेसा महत्वया खलु तदेकदेसेण दवाणं ॥१६॥ अंगाणं किं सारो? आयारो. तम्म हबइ कि सारो ?। अणुओगऽत्यो सारो, तस्सऽवि य परूवणा सारो ॥१६॥ सारो परूवणाए चरणं तस्सवि य होइ निवाण । निधाणस्स उ सारो अवाबाई जिणा चिंति ॥१७॥ मम्मी य चउकं ठवणाए होइ भणपत्नी। सत्तण्डं वण्णाणं नवण्ह वणंतराणं च ॥१८॥ एका मणुस्सजाई रज्जुप्पत्तीइ दो कया उसमे। तिषणेव सिप्पवणिए सावगधम्मम्मि चत्तारि॥१९॥ संजोगे सोलसर्ग सत्त य वण्णा उनव य अंतरिणो। एए दोवि विगप्पा ठवणाचंभस्स णायचा ॥२०॥ पगई चउक्कगाणंतरे य ते हंति सत्त वण्णा उ। आणतरेसु चरमो वण्णो खलु होइ णायचो ॥२१॥ अंबगनिसाया अजोगवं मागदा य सूया य । खत्ता य विदेहाविय चंडाला नवमगा हुंति ॥२२॥ एगंतरिए इणमो अंबडो चेव होइ उम्गो य । पिइयंतरिम निसाओ परासरं तेच पण वेगे शा पडिल्यमे सुदाई अजोगवं मागहो य सूओ य। एगंतरिए खत्ता वेदेहा चेव नायचा ॥२४॥ वितियंतरे उ नियमा चण्डालो सोऽवि होइ णायचो। अणुलोमे पडिलोमे एवं एए भवे भेया ॥२५॥ उम्गणं खत्ताए सोवागो वेणवो विदेहेणं । अंबढी सुद्दीए य बुक्कसो जो निसाएणं ॥२६॥ सुदेण निसाईए कुकरओ सोऽपि होइ णायचो । एसो बिइओ भेओ चउविहो होइ णाययो ॥२७॥ दई । सरीर भविओ अन्नाणीवस्थिसंजमो चेव । भावे उ पत्थिसंजम णायवो संजमो चेव ॥२८॥ चरणमि होइ छकं गइमाहारो गुणो व चरणं च । खित्तमि जंमि खित्ते काले कालो जहिं जाओ (प्रजो उ)॥२९॥ भावे गइमाहारो गुणो गणवओ पसस्थमपसत्था । गुणचरण पसत्येण बंभचेरा नव हवंति ॥३०॥ सत्थपरिणा१ लोगविजओ२ य सीओसणिज३ सम्मत्तंटातह लोगसारनाम५ ध्यं६ तह महपरिषणा ७ य ॥३१॥ अट्ठमए य विमोक्खोट उबदाणसुयं९ च नवमर्ग भणियं । इच्चेसो आयारो आयारग्गाणि सेसाणि ॥३२॥ जिअसंजमो१ अ लोगो जह बज्झइ जह यतं पजहियवंश सुहदक्सतितिक्याविय३ सम्मत्तं४ लोगसारो५ य॥३३॥ निस्संगया६ य छढे मोहसमुस्था परीसहुवसग्गा ७।निजाणं८ अट्ठमए नवमे य जिणेण एवं (प० यं) ति९॥३४॥ जीवो
कायपावणा य तेसिं वहे यबंधोति। विरईए अहिगारो सत्यपरिणाएं णायचो ॥३५॥ दवं सत्थग्गिविसनेइंचिलखारलोणमाईयं । भावो य दुष्पउत्तो वाया काओ अविरई या ॥३६॥ दर्ष जाणण पचक्खाणे दविए सरीर उवमरणे। भावपरिण्णा जाणण पचक्खाणं च भावेणं ॥३७॥ सूत्रं ॥ दबे सञ्चित्ताई भावेऽणुभवणजाणणा सण्णा । मति होइ जाणणा पुण अणुभवणा कम्मसंजुत्ता ॥३८॥ आहार भय परिग्गह मेहुण सुख दुक्ख मोह पितिगिच्छा । कोह माण (मय) माय लोहे सोगे लोगे य धम्मोहे ॥३९॥ नाम ठवणा दविए खित्ते तावे य पण्णवग भावे। एस दिसानिक्खेचो सत्तविहो होइ णाययो॥४०॥ तेरसपएसियं खलु तावइएसुं भवे पएसेसुं । ज द ओगाढं जद्दण्णयं तं दसदिसागं ॥४१॥ अट्ठपएसो स्यगो तिरिय लोयस्स मज्झयारंमि। एस पभवो दिसाणं एसेव भवे अणुदिसाणं ॥४२॥ इदग्गेई जम्मा य नेस्ती वारुणी य वायचा। सोमा ईसाणावि य विमला य तमा य बोद्धब्बा ॥४३॥ दुपएसाइ दुरुत्तर एगपएसा अणुत्तरा चेव। चउरो चउरो य दिसा चउराइ अणुत्तरा दुण्णि ॥४४ा अंतो साईआओ चाहिरपासे अपज्जवसिआओ। सव्वाऽणंतपएसा सव्वा य भवंति कढजुम्मा ॥४५॥ सगडदिसंठिआओ मदादिसाओ वंति चत्तारि। मुत्तावली य चउरो दो चेव हवंति स्यगनिभा ॥४६॥ जस्स जओ आइचो उदेइ सा तस्स होइ पुवादिसा । जत्तो अ अत्यमेइ उ अवरदिसा सा उ णायचा ॥४७॥ दाहिणपासंमि अ दाहिणा दिसा उत्तरा उ वामेणं। एया चत्तारि दिसा तावखित्ते उ अक्खाया ॥४८॥ जे मंदरस्स पुत्रेण मणुस्सा दाहिणेण अवरेण । जे आवि उत्तरेणं सन्वेसिं उत्तरो मेरू ॥४९॥ सवेसिं उत्तरेणं मेरू लवणो य होइ दाहिणओ। पुश्वेणं उद्वेई अवरेणं अस्थमइ गरो ॥५०॥ जत्थ य जो पण्णवओ कस्सवि साहइ दिसामु य णिमित्तं । जत्तोमुहो य ठाई सा पुरा पच्छओ अवरा ॥५१॥ दाहिणपासंमि | उ दाहिणा दिसा उत्तरा उ वामेणं । एयासिमन्तरेणं अण्णा चत्तारि विदिसाओ ॥५२॥ एयासिं चेव अट्टण्हमंतरा अट्ट हुंति अण्णाओ। सोलस सरीरउस्सयबाहाला सबतिरियदिसा ॥५३॥ हेट्ठा १३३९ श्री आचारांगं नियुक्ति
मुनि दीपरत्नसागर
१३३८
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पायतलाणं अहो दिसा सीसउवरिमा उडा। एया अट्ठारसवी पण्णवगदिसा मुणेयवा ॥५४॥ एवं पकप्पिआणं दसण्ह अट्ठण्ह चेव य दिसाणं । नामाई बुच्छामि जहकम आणुपुत्वीए ॥५५॥ पुवाय पुचदक्षिण दक्षिण तह दक्षिणावरा चेव । अवरा य अवरउत्तर उत्तर पुवुत्तरा चेव ॥५६॥ सामुत्थाणी कविला खेलिजा खलु तहेव अहिधम्मा। परियाधम्मा य तहा सावत्ती पण्णवित्तीय ॥५७॥ हेहा नेरइयाणं अहो दिसा उवरिमा उ देवाणं । एयाई नामाई पण्णवगस्सा दिसाणं तु ॥५८॥ सोलस तिरियदिसाओ सगडुडीसंठिया मुणेयवा। दो मल्लगमूलाओ उड़े अअहेवि य दिसाओ ॥५९॥ मणुया तिरिया काया तहऽग्गवीया चउक्कगा चउरो । देवा नेरइया वा अट्ठारस होति भावदिसा ॥६०॥ पण्णवगदिसाऽद्वारस भावदिसाओऽवि तत्तिया चेव । इक्विकं विधेजा इति
अट्ठारसऽद्वारा ॥६१॥ पण्णवगदिसाए पुण अहिगारो अत्य होइ णायबो। जीवाण पुग्गलाण य एयासु गयागई अत्थि ॥ ६२॥ केसिंचि नाणसण्णा अस्थि केसिंचि नस्थि जीवाणं । कोऽई A परंम लोए आसी? कयरा दिसाओ वा ? ॥ ६३ ॥ जाणइ सयंमईए अन्नेसिं वावि अन्तिए सोचा । जाणगजणपण्णविओ जीवं तह जीवकाए वा ॥ ६४ ॥ इत्थ य सहसंमइअत्ति जं पर्य
तत्थ जाणणा होई । ओहीमणपजवनाणकेवले जाइसरणे य॥६५॥ परवाइवागरणं पुण जिणवागरणं जिणा परं नस्थि । अण्णेसिं सोचत्तिय जिणेहिं सबो परो अण्णो ॥ ६६ ॥ तत्थ अकारि | करिस्संति बंधचिंता कया पुणो होइ। सहसम्मइया जाणइ कोई पुण हेतुजुत्तीए॥६७॥ अ०१ उ१॥ पुढवीए निक्खेवो परूवणा लक्षणं परीमाणं । उवभोगो सत्थं वेयणा य बहणा निवित्तीय ॥ ६८ ॥ नामंठवणापुढवी दवपुढवी य भावपुढवी य । एसो खलु पुढवीए निक्खेवो चउविहो होइ ॥ ६९ ॥ दवं सरीर भविओ भावेण य होइ पुढविजीवो उ । जो पुढविनामगोयं कम वेएइ सो जीवो ॥ ७० ॥ दुविहा य पुढविजीवा सुहुमा तह वायरा य लोगम्मि । सुहुमा य सबलोए दो चेव य चायरविहाणा ॥ ७१॥ दुविहा वायरपुढवी समासओ सोहपुढवि खरपुढवी। सण्हा य पंचवण्णा खरा य छत्तीसइविहाणा ॥ ७२ ॥ पुढवी य१ सक्करा२ वालुगा३ य उवले४ सिला५ य लोणू६ से७ । अय८ तंब९ तउअ१० सीसग११ रुप्प१२ सुवण्णे१३ य वइरे१४ य॥७३॥ हरियाले१५ हिंगुलए१६ मणोसिला१७ सासगं१८ जण१९ पवाले२० । अभपडल२१म्भवालुअ२२ बायरकाए मणिविहाणा ॥ ७४॥ गोमे२३जए य२४ रुयगे२५ अंके२६ फलिहे२७ य लोहियक्खे२८ य । मरगय२९ मसारगल्ले३० भुयमोयग३१ इंदनीले३२ य ॥७५॥ चंदप्पह ३३ वेरुलिए३४ जलकंते३५ चेव सूरकन्ते३६ य। एए खरपुढबीए नार्म छत्तीसई होई ॥७६॥ वण्णरसगंधफासे जोणिप्पमुहा भवंति संखेजा । गाई सहस्साई हुंति विहाणमि इकिके ॥७॥ वण्णमि य इकिक गंधमि रसंमि तह य फासंमि। नाणती कायचा विहाणए होइ इकिके॥७८॥ जे बायरे विहाणा पजना तत्तिआ अपजत्ता। मुहुमावि हुँति दुविहा पजत्ता चेव अपजत्ता ॥७९॥ रुक्खाणं गुच्छाणं गुम्माण लयाण वञ्जिवलयाणं । जह दीसइ नाणत्तं पुढवीकाए तहा जाण ॥८०॥ ओसहि तण सेवाले पणगविहाणे य कंद मूले य । जह दीसइ नाणत्तं पुढवीकाए वहा जाण ॥८१॥ इक्कस्स दुण्ह तिण्ह व संखिजाण वन पासिउं सका । दीसति सरीराइं पुढविजियाणं असंखाणं ॥८२॥ एएहिं सरीरेहि पञ्चक्खं ते परूविया हुंति। सेसा आणागिज्झा चक्खुप्फासंन जं(ते) इंति ॥८३॥ उवओग जोग अज्झवसाणे महसुय अचक्खुदंसे य। अट्ठविहोदयलेसा सन्नुस्सासे कसाया य ॥८४॥ अट्ठी जहा सरीरंमि अणुगयं चेयणं खरं दिटुं। एवं जीवाणुगयं पुढविसरीरं खरं होई ॥८५॥जे बायरपजत्ता पयरस्स असंखभागमित्ता ते । सेसा तिन्निवि रासी वीसुं लोया
मिणिज्ज सबधनाई। एवं मविजमाणा वंति लोया असंखिज्जा ॥८७॥ लोगागासपएसे इक्किकं निक्खिवे पुढविजीवं। एवं मविज्जमाणा हवंति लोआ असंखिज्जा ॥ ८८॥ निउणो उ होइ कालो तत्तो निउणयरयं हबह खित्तं । अंगुलसेढीमित्ते ओसप्पिणिओ असंखिज्जा ॥ ८९॥ अणुसमयं च पवेसो निक्खमणं२ चेव पुढविजीवाणं। काए३ कायट्टिइया४ चउरो लोया असंखिजा ॥९०॥ बायरपुढविकाइयपज्जत्तो अन्नमन्नमोगाढो। सेसा ओगाहंते सुहुमा पुण सबलोगंमि ॥९१॥ चंकमणे यट्ठाणे निसीयण तुयट्टणे य कयकरणे। उच्चारे पासवणे उवगरणाणं च निक्खिवणे ॥५२॥ आलेवण पहरण भूसणे य कयविक्कए किसीए या भंडाणंपि य करणे उवभोगविही मणुस्साणं ॥९३॥ एएहिं कारणेहि हिंसंती पुढविकाइए जीवे। सायं गवेसमाणा परस्स दुक्खं उदीरंति ॥९४॥ हलकुलियविसकुद्दालालित्तयमिगसिंगकट्ठमम्गी य। उच्चारे पासवणे एयं तु समासओ सत्यं ॥९५॥ किंची सकायसत्थं किंची परकाय तदुभयं किंची। एयं तु दवसत्थं भावे अ असंजमो सत्थं ॥९६॥ पायच्छेयण भेयण जंघोरु तहेव अंगुवंगेसुं । जह हुंति नरा दुहिया पुढविक्काए तहा जाण ॥ ९७॥ नत्थि य सि अंगुवंगा नयाणुरूवा य वेयणा तेसिं। केसिंचि उदीरंती केसिंचऽतिवायए पाणे ॥९८॥ पवयंति य अणगारा ण य तेहिं गुणेहिं जेहिं अणगारा। पुढविं विहिंसमाणा न हु ते वायाहिं अणगारा॥९९॥ अणगारवाइणो पुढविहिंसगा निग्गुणा अगारिसमा । निदोसत्ति य मइला विरइदुगुंछाइ मइलतरा ॥१०॥ केई सयं यहंती केई अन्नेहिं उ वहार्विती । केई अणुमत्रंती पुढविकायं वहेमाणा ॥१०१॥ जो पुढवि समारंभइ अमेऽवि य सो समारभइ काए । अनियाए अनियाए दिस्से य तहा अदिस्से य ॥१०२॥ पुढविं समारभंता हणंति तनिस्सिए य बहुजीवे । सुहुमे य बायरे य पजत्ते या अपजत्ते ॥१०३॥ एवं वियाणिऊणं पुढवीए निक्खिवंति जे दंडं । तिविहेण सबकालं मणेण वायाएं काएणं ॥ १०४ ॥ गुत्ता गुत्तीहिं सबाहिं, समिया समिईहिं संजया। ३४-श्री आचारांगं नियुक्ति
मुनि दीपरत्नसागर
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जयमाणगा सुविहिया, एरिसया हुँति अणगारा॥१०५॥ अ०१उ०२। आउस्सयि दाराई ताई जाई हवंति पुढवीए। नाणत्ती उ विहाणे परिमाणुवभोगसत्थे य॥१०६॥ दुविहा उ आउजीवा सुहुमा तह बायरा य लोगंमि । सुटुमा य सबलोए पंचेव य बायरविहाणा ॥१०७॥ सुद्धोदए१ य उस्सा२ हिमे य३ महिया४ य हरतणू५ चेव। बायराउविहाणा पंचविहा वणिया एए॥१०८॥ जे बायरपजत्ता पयरस्स असंखभागमित्ता ते । सेसा तिजिवि रासी वीसुं लोगा असंखिज्जा ॥१०९॥ जह हस्थिस्स सरीरं कललावत्यस्स ऽहुणोववनस्स। होइ उदगंडगस्स य एसवमा सब(आउ) जीवाणं ॥११०॥ण्हाणे पिअणे तह धोअणे य भत्तकरणे य सेए अ। आउस्स उ परिभोगो गमणागमणे य जीवाणं ॥१११॥ एएहिं कारणेहिं हिंसंती आउकाइए जीये। सायं गवेसमाणा
परस्स दुक्खं उदीरति ॥११२॥ उस्सिचणगालणधोवणे य उवगरणमत्तभंडे या बायरआउकाए एवं तु समासओ सत्यं ॥११३॥ किंची सकायसत्यं किंची परकाय तदुभयं किंची। एवं तु दासत्थं | भाये य असंजमो सत्यं ॥११४॥ सेसाई दाराई ताई जाई हवंति पुढवीए। एवं आउद्देसे निज्जुत्ती कित्तिया एसा (होइ)॥११५॥अ०१उ०३ तेउस्सवि दाराई ताई जाई हवंति पुढवीए। नाणत्ती उविहाणे परिमाणुवभोगसत्थे य॥११६॥ दुविहा य तेउजीवा सुहुमा तद बायरा य लोगंमि। सुहुमा य सबलोए पंचेव य बायरविहाणा ॥११॥ इंगाल१ अगणि२ अची३ तह जाला४ मुम्सुरे५ य बोधे। बायरतेउविहाणा पंचविहा वण्णिआ एए॥११८॥ जह देहप्परिणामो रत्ति खजोयगस्स सा उवमा। जरियस्स य जह उम्हा तओवमा तेउजीवाणं ॥११९॥ जे वायरपजत्ता पलिअस्स असंखभागमित्ता उ । सेसा तिष्णिवि रासी वीसुं लोगा असंखिज्जा ॥१२०॥ दहणे पयावण पगासणे य सेए य भत्तकरणे य। वायरउक्काए उक्भोगगुणा मणुस्साणं ॥१२१॥ एएहिं कारणेहिं हिसंती तेउकाइए जाये। सायं गवेसमाणा परस्स दुक्खं उदीरंती ॥१२२॥ पुढवी आउक्काए उल्ला य वणस्सई तसा पाणा । बायरतेउक्काए एवं तु समासओ सत्यं ॥१२३॥ किंची सकायसत्वं किंची परकाय तदुभयं किंची। एयं तु दवसत्यं भावे य असंजमो सत्यं ॥१२४॥ सेसाई दाराई ताई जाई हवंति पुढवीए। एवं तेउद्देसे निज्जुत्ती कित्तिया एसा॥१२५॥अ.१ उ.४॥ पुढवीए जे दारा वणसइकाएऽवि हुँति ते चेवा नाणत्ती उ विहाणे परिमाणुवभोगसत्थे य॥१२६॥ दुविह वणस्सइजीवा सुहुमा तह वायरा य लोगमि। सुहुमा य सबलोए दो चेव य बायरविहाणा ॥१२७॥ पत्तेया साहारण बायरजीवा समासओ दुविहा । बारसविहऽणेगविहा समासओ छविहा हुंति ॥१२८॥ रुक्खा१ गुच्छा२ गुम्मा३ लया४ य वाल्ली५ य पञ्चगा ६ चेव। तण१ वलयर हरिय३ ओसहि४ जलमह५ कुहणा६ य बोदल्या ॥१२९॥ अग्गबिया मूलबीया खंधबिया चेव पोखीया या बीयरुहा समुच्छिम समासओं वणस्सईजीवा ॥१३०॥ जह सगलसरिसवाणं सिलेसमिस्साण वत्तिया बट्टी। पत्तेयसरीराणं तह हुँति सरीरसंघाया ॥१३१॥ जह वा तिलसक्कुलिया बहुएहिं तिलेहिं मेलिया संती। पत्तेयसरीराणं तह हुंति सरीरसंघाया ॥१३२॥ नाणाविहसंठाणा दीसंती एगजीविया पत्ता। खंधावि एगजीवा तालसरलनालिएरीणं ॥१३३॥ पत्तेया पजत्ता सेढीएँ असंखभागमित्ना ते। लोगासंखप्पज्जत्तगाण साहारणाऽणंता॥१३४॥ एएहिं सरीरेहिं पञ्चक्खं ते परूविया जीवा । सेसा आणागिज्झा चक्खुणा जं न दीसंति॥१३५॥ साहारणमाहारो साहारण आणपाणगणं च । साहारणजीवाणं साहारणलक्खणं एयं॥१३६॥ एगस्स उजं गहणं बहूण साहारणाण तं चेवाजं बहुयाणं गहणं समासओ तपि एगस्स ॥१३७॥ जोणिभूए बीए जीवो वकमइ सो व अन्नो वा। जोऽवि य मूले जीवो सो चिय पत्ते पढमयाए॥१३८॥ जो पुण मूले जीवो सो निवत्तेइ जा पटमपत्तं । कंदाइ जाव बीयं सेसं अन्ने पकुवंति। (अव्याख्या)।चकागं भजमाणस्स, गंठी चुण्णघणो भवे। पुढवीसरिसभेएणं, अणंतजीवं वियाणेहि ॥१३९॥ गूढसिरागं पत्तं सच्छीरं जंच होइ निच्छी। जं पुण पणट्ठसंधिय अर्थतजीवं वियाणाहि ॥१४०॥ सेवालकच्छभाणि य अवए पणए य किंनए यहढे। एए अणतजीवा भणिया अन्ने अणेगविहा॥१४१॥ एगस्स दुष्ह तिण्ह व संखिजाण व तहा असंखाणं । पत्तेयसरीराणं दीसंति सरीरसंघाया ॥१४२॥ इकस्स दुण्ह तिषह व संखिजाण व न पासिउं सका। दीसंति सरीराई निओयजीवाणऽणताणं ॥ १४३॥ पत्येण व कुडवेण वजह कोइ मिणिज समधन्नाई। एवं मक्जिमाणा हवंति सोया अणता उ॥१४४॥ जे बायरफजत्ता पयरस असंखभागमित्ता ते। सेसा असंखलोया तित्रिवि सादारणाऽणंता ॥१४५॥ आहारे उवगरणे सयणासण जाण जुम्गकरणे य। आवरणपहरणेसु अ सत्यविहाणेसु अ बहूसु ॥१४६॥ आउज कट्ठकम्मे गंधगे वत्य मत जोए य । झावणवियावणेसु अ तिउविहाणे अ उज्जोए ॥१४॥ एएहिं कारणेहिं हिंसंति वणस्सई बहू जीये। सायं गवेसमाणा परस्स दुक्खं उदीरति ॥१४८॥ कप्पणिकुहाणिअसियगदत्तियकुदलवासिपरसू अ। सत्थं यणस्सईए हत्था पाया महं अग्गी ॥१४९॥ किंची सकायसत्यं किंची परकाय तदुभयं किंची। एयं तु दबसत्यं भावे अ असंजमो सत्यं ॥१५०॥ सेसाई दाराई ताई जाई हवंति पुढवीए। एवं वणस्सईए निजुत्ती कित्तिया एसा ॥१५१॥ अ.१ उ.५। तसकाए दाराई ताई जाई हवंति पुढबीए। नाणत्तीउ विहाणे परिमाणुवभोगसत्थे अ॥१५२॥ दुविहा खलु तसजीवा लदितसा चेव गहतसा चेव । लद्वीय तेउवाऊ तेणऽहिगारो इहं नस्थि ॥१५३॥ नेरइयतिरियमणुया सुरा य गइओ चउबिहा चेव । पजत्ताऽपज्जत्ता नेरइयाई अनायथा ॥१५४॥ तिविहा तिविहा जोणी अंडयपोभअजराउआ चेवा बेइंबिय
तेइंदिय चउरो पंचिंदिया चेय ॥ १५५॥ दारं ॥ दसणनाणचरित्ते चरियाचरिए अ दाणलाभे अ। उवभोगभोगयीरिय इंदियक्सिए य लदी य ॥१५६॥ उचओगजोगअजावसाणे वीसुं च १३००१२४१श्री आचारांगं नियुक्ति
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| लडिओदइया (णं उदया) । अवविहोदय लेसा सन्नूसासे कसाए अ॥१५७॥ लक्षणमेर्व चेव उ पयरस्स असंखभागमित्ता उ । निक्खमणे य पवेसे एगाईयावि एमेव ।।१५८॥ निक्खमपवेसकालो समयाई इत्य आवलीभागो। अंतोमहत्तऽपिरहो उदहिसहस्साहिए दोषि ॥१५९॥दारी। मंसाई परिभोगो सत्वं सत्थाइयं अणेगविहं। सारीरमाणसा वेयणा य दविहा बहविहा य ॥१६०॥ दारं । मंसस्स केइ अट्ठा केई चम्मस्स केइ रोमाणं । पिच्छाणं पुच्छाणं ताणऽट्टा वहिज्जति ॥१६१॥ केई वहति अट्ठा केइ अणट्ठा पसंगदोसेणं । कम्मपसंगपसत्ता बंधति वहति मारंति
॥१६२॥ सेसाई दाराई ताई जाइं हवंति पुढवीए। एवं तसकार्यमी निजुत्ती कित्तिया एसा ॥१६३शा अ.१उ. ६॥ वाउस्सऽवि दाराई ताई जाई वंति पुढवीए। नाणत्ती उ बिहाणे परिमाणुवNIभोगसत्थे य॥१६४|| दुबिहा उ बाउजीवा सहमा तह वायरा उ लोगंमि। सुहुमा उ सबलोए पंचेव य बायरविहाणा ॥१६५॥ उकलिया १ मंडलिया २ गंजा ३ घणवाय४ सदबाया ५य।
बायरवाउबिहाणा पंचविहा बण्णिया एए॥१६६॥ जद्द देवस्स सरीरं अंतद्धाणं व अंजणाईसु। एओवम आएसो वाएऽसंतेऽवि रूबंमि ॥१६७॥जे बायरपजत्ता पयरस्स असंखभागमित्ता ते। सेसा तिनिवि रासी वीसुं लोगा असंखिज्जा ॥१६८॥ दारं ॥ वियणधमणाभिधारण उस्सिचणफुमणआणुपाणू अ । बायरखाउक्काए उवभोगगुणा मणुस्साणं ॥१६॥ विअणे अतालियंटे सुप्प सियपत्त चेलकण्णे या अभिधारणा य बाहि गंधग्गी बाउसत्थाई ॥१७०॥ किंची सकाय०॥(अव्याख्या)। सेसाई दाराई ताई जाई हवंति पुढवीए। एवं वाउहेसे निजुत्ती कित्तिया एसा ॥१७॥ उ.७ अ.१॥ सयणे य अदढत्त बीयगंमि माणो अ अत्थसारो । भोगेसू लोगनिस्साइ लोगे अममिज्जया चेव ॥१७२॥ लोगस्सय विजयस्स य गुणस्स मूलस्स तह् य ठाणस्स। निक्खेवो कायको जंमुलागं च संसारो॥१७३॥ लोगत्ति य विजअत्तिय अज्झयणे लक्खणं तु निफण्णं । गुणमूलं ठाणंति य सुत्तालावे य निष्फण्णं ॥१७४॥ लोगस्स य निक्खेवो अट्ठविहो छत्रिहो उ विजयस्स । भावे कमायलोगो अहिगारो तस्स विजएणं ॥१७५॥ लोगो भणिओ दवं खित्तं कालो अभावविजओ अ। भवलोग भावविजओ पगयं जह बज्झई लोगो॥१७६॥ विजिओ कसायलोगो सेयं खु तओ नियत्ति होइ। कामनियत्तमई खलु संसारा मुच्चई खिप्पं ॥१७७॥ दवे खित्ते काले फल पज्जव गणण करण अभासे । गुणअगुणे अगुणगुणे भव सीलगणे य भावगणे ॥१७८॥ दवगुणो दवं चिय गुणाण जं तंमि संभवो होइ। सचित्ते अचित्ते मीसंमि य होइ दबंमि ॥१७९॥ संकुचिय बियसियत्तं एसो जीवस्स होइ जीवगुणो। पूरेड हंदि लोगं बहुप्पएसत्तणगुणेण ॥१८॥ देवकुरु सुसममुसमा सिद्धी निभय दुगादिया चेव । कल भोअणुजु वंके जीवमजीवे य भावमि ॥१८१॥ मूले छकं दवे ओदइ उवएस आइमुलं च । खिने काले मूलं भावे मूलं भवे विविहं ॥१८२॥ ओदइयं उबदिट्ठा आइ विगं मूलभाव ओदइअं। आयरिओ उवदिट्ठा विणयकसायादिओ आई ॥१८३॥णामंठवणादविए खिनऽद्धा उडू उमरई वसही। संजम पग्गह जोहे अयल गणण संधणा भावे ॥१८४॥ पंचसु कामगुणेसु य सहप्फरिसरसरूवगंधसुं। जस्स कसाया बटुंति मूलढाणं तु संसारे ॥१८५॥ जह सबपायवाणं भूमीएं पइट्ठियाई मूलाई। इय कम्मपायवाणं संसारपइट्टिया मूला ॥१८६॥ अविकम्मरक्खा सो ते मोहणिजमूलागा। कामगुणमूलगं वा तम्मूलागं च संसारो॥१८७॥ दुविहो अहोइ मोहो दसणमोहो चरित्तमोहो अ। कामा चरित्तमोहो तेणऽहिगारो इह सुत्ते ॥१८८॥ संसारस्स उ मूलं कम्मं तस्सवि हुंति य कसाया। ते सयणपेसअस्थाइएसु अज्झत्थओ अ ठिआ॥१८॥ णामंठवणादविए उष्पत्ती पञ्चए य आएसो । रसभावकसाए या तेण य कोहाइया चउरो॥१९०॥ दो खित्ते काले भवसंसारे य भावसंसारे। पंचविहो संसारो जन्थेते संसरंति जिआ॥१९॥ दवे खित्ते काले भवसंसारे य भावसंसारे। कम्मेण य संसारो तेणऽहिगारो इहं सुत्ते॥(अव्याख्या)॥णामंठवणाकम्मं दबकम्मं पओगकम्मं च। समुदाणिरियावहियं आहाकम्मं तवोकम्मं ॥१९॥ किइकम्म भावकम्मं दसबिहकर्म समासओ होई। अट्टविहेण उ कम्मेण एत्य होई अहीगारो॥१९३॥ संसारं छत्तुमणो कम्म उम्मूलए तदट्ठाए। उम्मूलिन कसाया तम्हा उ चइज्ज मयणाई ॥१९४ामाया मेत्ति पिया मे भगिणी भाया य पुत्त दारा मे।अत्थंमि चेव गिहा जम्मणमरणाणि पावंति॥१९५॥अ०३उ०१॥बिइउद्देसे अदढो उ संजमे कोइ हुज अरईए। अनाणकम्मलोभाइएहि अज्झत्थदोसेहिं ॥१९६॥ अ०२॥ पढमे सुत्ता अस्संजयत्ति१ विइए दुहं अणुवंतिशतइएन हुदुक्खेणं अकरणयाए वसमणुत्ति३॥१९७॥ उद्देसंमि चउत्ये अहिगारो उबमणं कसायाणं। पावविरईओं निउणो उ संजमो इत्थ मुक्युत्ति॥१९८॥ नाम ठवणा सीयं दश्वे भाये य होइ नायचं । एमेव य उपहस्सवि चउचिहो होइ निक्खेवो ॥१९९॥ दो सीयलदर्य दवुहं चेव उण्हदव्वं तु । भावे उ पगलगणो जीवस्स गणो अणेगविहो॥२००॥सीय परीसहपमायुवसमविरई सुहं च उण्हं त। परिसहतवजमकसायसोगाहियेयारई दुक्खं ॥२०१॥ दारं ॥ इत्थी सकारपरीसहो य दो भावसीयला एए। सेसा वीसं उण्हा परीसहा हुँति नायचा ॥२०२॥ जे तिवप्परिणामा परीसहा ते भवंति उल्हा उजे मंदप्परिणामा परीसहा ते भये सीया ॥२०३॥ दारं ॥ धर्ममि जो पमायइ अन्थे वा सीअनुत्ति तं चिंति । उजुत्तं पुण अन्नं तत्तो उहंति णं विति ॥२०४॥ सीईभूओ परिनिछुओ य संतो तहेव पण्हाणो (ण्हाओ)। होउवसंतकसाओ तेणुवसंतो भवे जीवो ॥२०५॥ अभयकरो जीवाणं सीयघरो संजमो भवइ सीओ। अस्संजमो य उल्हो एसो अन्नोऽवि पजाओ ॥२०६॥ निशाणसुहं सीयं सीईभूयं पयं अणापाहै । इहमवि जं किंचि सुहं तं सीयं दुक्खमवि परेशर श्री आचारांग नियुक्ति
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उण्हं ॥२०॥डाइ तिबकसाओ सोगभिभूओ उद्दण्णवे ओ या उल्हयरो होइ तवो कसायमाईवि ज डहइ ॥२०८॥ सीउल्हफाससुहदुहपरीसहकसायवेयसोयसहो। हुज समणो सया उजुओय तवसंजमोवसमे॥२०९॥ सीयाणि य उण्हाणि य भिक्खूर्ण हुँति विसहियवाई।कामान सेवियवा सीओसणिजस्स निजुत्ती ॥२१०॥अ०३॥ सुत्ता अमुणिओ सया मुणिओ सुत्तावि जागरा हुँति। धम्मं पडुन एवं निदामुत्तेण भइयर्व ॥२११॥ जह सुत्तमत्तमुच्छिय असहीणो पावए बहुं दुक्ख। तिवं अप्पडियारंमि वट्टमाणो तहा लोगो ॥२१२॥ एसेव य उवएसो पदित्त पयलाय
।अणुहवइ जह सचेओ मुहाई समणोऽवि तह चेव ॥२१३॥ अ०३॥ पढमे सम्मावाओ बीए धम्मप्पवाइयपरिक्खा।तइए अणक्जतवानहुचालतवेण मुक्खुत्ति॥२१४॥ उद्देसंमिचउ घा समासवयणेण णियमणं भणिय। तम्हा य नाणदसणतवचरणे होह जइयचं ॥२१५॥ नामंठवणासम्म दवसम्मं च भावसम्म च। एसो खल सम्मस्सा निक्सेपो परपिहो होह॥२१६॥ अह
दवसम्म इच्छाणुलोमियं तेसु तेसु दोसुं। कयसंखयसंजुत्तो पउत्त जढ भिण्ण छिणं वा ॥२१७॥ तिविहं तु भावसम्म दंसण नाणे तहा चरिते य । दंसणचरणे तिविहं नाणे दुविहं तु नायवं ॥२१८॥ कुणमाणोऽविय किरियं परिचयंतोऽपि सयणधणभोए। देतोऽपि दुहस्स उन जिणइ अंधो पराणीयं ॥२१९॥ कुणमाणोऽपि निविर्ति परिचयंतोऽपि सयणधणभोए। दितोऽवि दुहस्स उरं मिच्छट्टिी न सिज्झइ उ॥२२०॥ तम्हा कम्माणीयं जेउमणो दंसणंमि पयइज्जा । दसणवओ हि सफलाणि हुंति तवनाणचरणाई ॥२२१॥ सम्मत्तुपत्ती सावए य विरए अर्णतकम्मंसे। दसणमोहक्खवए उवसामन्ते य उपसंते ॥२२२ ॥खवए थ खीणमोहे जिणे अ सेढी भवे असंखिजा। तचिवरीओ कालो संखिजगुणाइ सेढीए ॥२२॥ आहारउवहिपूआइडीसु य गारबेसु कइ. तवियं । एमेव बारसविहे तवंमि न हु कइतवे समणो ॥२२४॥सू. जे जिणवरा अईया जे संपइ जे अणागए काले। सोऽवि ते अहिंसं वदिति वदिदिति विवदिति॥२२५॥ छप्पिय जीवनिकाए णोऽवि हणे णोऽवि अहणाविजा। नोऽविअ अणुमनिज्जा सम्मत्तस्सेस निजुत्ती ॥२२६॥ अ४उ०१। खुङग पायसमासं धम्मकहंपि य अजंपमाणेणं। छोण अनलिंगी परिच्छिया रोगुत्तेण ॥२२७॥ भिक्खं पवितुण मएज्ज्ज दिलु, पमयासुहं कमलविसालनेत्तं । वक्खित्तचित्तेण न सुटु नायं, सकुंडलं वा वयणं नवत्ति ॥२२८॥ फलोदएणं मि गिहं पविट्ठो, तत्थासणत्था पमया मि दिहा। बक्खित्तचित्तेण न सुट्ट नायं, सकुंडलं वा वयणं नवित्ति ॥२२९॥ मालाविहारंमि मएऽज दिहा, उवासिया कंचणभूसियंगी। वक्खित्तचित्तेण न सुट्ट नायं. सकुंडलं वा वयणं नवत्ति ॥२३०॥ खंतस्स दंतस्स जिइंदियस्स, अज्झप्पजोगे गयमाणसस्स । किं मज्झ एएण विचिंतिएणं ?, सकुंडलं वा क्यणं नवत्ति ।।२३१॥ उलो सुको य दो छूदा, गोलया मट्टियामया । दोचि आवटिया को, जो उहलो तरथ (सोऽत्थ) लग्गइ ॥२३२॥ एवं लग्गति दुम्मेद्दा, जे नरा कामलालसा। विरत्ता उन लग्गति, जहा से सुकगोलए॥२३३॥ १४ उशजह खलु झसिर कहूँ सुचिरं मुकं लहुंडहइ अम्गी। तह खलु खवंति कम्मं सम्मंचरणे ठिया साहू ॥२३४॥अ०४॥ हिंसग क्सियारंभग एगचरुत्तिन मुणी पढमगंमि। विरओ सुणित्ति चिइए अविरगवाई परिग्गहिओ ॥२३५॥ तइए एसो अपरिग्गहो य निबिनकामभोगो य । अबत्तस्सेगचरस्स पचवाया चउत्थंमि ॥ २३६ ॥ हरओवम तवसंयमगुत्ती निस्संगया य पंचमए । उम्मग्गवजणा छट्टगंमि तह रागदोसे य ॥२३७॥ आयाणपएणावंति गोण्णनामेण लोगसारुत्ति। लोगस्स य सारस्स य चउकओ होइ निक्खेवो ॥२३८॥ सबस्स धूल गुरुए महो देसम्पहाण सरिराई। धण एरंडे करे खइरं च जिणादुगलाई ॥२३९॥ भावे फलसाहणया फलओ सिद्धी सुहुत्तमवरिट्ठा। साहणय नाणदसणसंजम तवसा तहिं पगयं ॥२४०॥ लोगंमि कुसमएसु य कामपरिग्गडकुमग्गलम्गेसु । सारो हु नाणदंसणतवचरणगुणा हियट्ठाए ॥२४१॥ चाइऊणं संकपयं सारपयमिणं दढेण पित्तथं। अस्थि जिओ परमपयं जयणा जा रागदोसेहिं ॥२४२॥ लोगस्स उ को सारो ? तस्स य सारस्स को हवइ १२४३ श्री आचारांग नियुक्ति
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सारो?। तस्स य सारो सारं जह जाणसि पुछिओ साह ॥२४३॥ लोगस्स सार धरमो धम्मंपिय नाणसारियं विति। नाणं संजमसारं संजमसारं च निव्याणं ॥२४४॥ चारो चरिया चरणं एगटुं वंजणं तहिं छकं । दशं तु दारूसंकमजलथलचाराइयं बहुद्दा ॥२४५॥ खित्तं तु जंमि खित्ते कालो काले जहिं भवे चारो। भावंमि नाणदंसण चरणं तु पसस्थमपसत्यं ॥२४६॥ लोगे चठविहंमी समणरस चउबिहो कहं चारो? होइ थिई अहिगारो बिसेसओ खित्तकालेसुं ॥२४ा पावोवरए अपरिग्गहे अ गुरुकुलनिसेवए जुत्ते। उम्मग्गवजए रागदोसविरए य से विहरे॥२४८॥ अ०५। पढमे नियगविहुणणा कम्माणं वितियए तइयगंमि । उवगरणसरीराणं चउत्थए गारवतिगस्स ॥२४९॥ उवसम्गा सम्माणय विहूअणा पत्रमंमि उद्देसे । दवधुयं वत्याई भावधयं कम्ममट्टविहं ॥२५०॥ अहियासित्तुवसग्गे दिव्ये माणुस्सए तिरिच्छे य। जो विहुणइ कम्माई भावधुयं तं वियाणाहि ॥२५॥अ०६। गाहावइसंजोगो कुसीलसेवा तहेवय सपकखे । परिणाए य विवेगो पढमुद्देसम्मि अहिगारो॥२५२॥ बीए मम्गविजद्दणा देहविभूसा य मेहुणासेवा। गम्भस्स य आदाणं परिसाडण पोसणा चेव ॥२५३॥ तइए खलुकभावो आमिसपुच्छाविजहणा वसणे। पासवणुचाराणं किरिया धुवणं च वत्थस्स ॥२५४॥ विधुवणवेहाणसहत्थकम्मा इत्थीण विप्पजणा य। देहस्स य परिकम्मं तिसमुट्ठाणंति जहियवं ॥ २५५ ॥ चउथमि य धुवणविही परिहरणविही यहोइ वत्थस्स । तस्सेव वण्णकरणमणुनवणावग्गहस्सेव ।। २५६ ॥ कडगासणपरिभोगो सिज्जायरपिंडवजणं चेव । सपरिग्गहपरिमाणं विवज्जणा सन्निहिस्सेव ॥ २५७॥ पंचमए अट्टपदे अजणधम्ममि तह समुट्टाणं । थावरकायाण दया अकोसवहाहियासणया ॥२५८ ॥ तसकायसमारंमो गिहमत्तविक्जणं नवित्थीणं। जे याविय अविदिण्णा ठाणा तेसिंच सवेसि ॥२५९ ॥ छठे परिवाओ संजमाउ धुवर्णमि जो अ अहिगारो । आसेवणया य भवे सिणाणपरिभोगवजणया ॥२६० ॥ सम्मत्ते निचलया सीयपरीसहहियासणं धुवणं । सूईमाईयाणं च सण्णिही अट्ठपडिकाते ॥२६१॥ आसंदीयअकरणं उवएसाणानिकायणा चेव । संलेहणियाणेया भत्तपरिणंतकिरिया य ॥२६२॥ पाहणे महसदो परिमाणे चेव होइ नायब्वो। पाहण्णे परिमाणे य छविहो होड निक्खेवो ॥२६३॥ दवे खित्ते काले भावमि य होति या पहाणा उ। तेसि महासहो खल पाहणेणं तु निष्फो ॥२६४॥ दवे खित्ते काले भावंमि य जे भये महंता उ। तेस महासदो खल पमाणओ होति निष्फनो ॥२६५॥ दवे खित्ते काले भावपरिण्णा य होइ बोद्धवा । जाणणओ व वक्खाणओ य दुविहा पुणेकेका ॥२६६॥ भावपरिण्णा दुबिहा मूलगुणे चेव उत्तरगुणे य। मूलगुणे पंचविहा दुविहा पुण उत्तरगुणेसु ॥२६॥ पाहणणेण उपमयं भावपरिणाए य तहय दुविहाए। परिणाणेसु पहाणे महापरिण्णा तओ होइ॥२६८॥ देवीणं मणुईणं तिरि
खजोणीगणाण इत्थीणं । तिविहेण परिचाओ महापरिणाएँ निजुत्ती॥२६९॥अ०७: असमणुनस्स विमुक्खो पढमे बिइए अकप्पियविमुक्खो। पडिसेहणा य रुट्ठस्स चेव सम्भावकहणाय ॥२७०॥(२५२) तइयंमि अंगचिट्ठाभासिय आसंकिए य कहणा य।सेसेसु अहीगारो उवगरणसरीरमुक्खेसु ॥२७१॥ उद्देसंमि चउत्थे चेहाणसगिद्धपिट्ठमरणं चापंचमए गेलनं भत्तपरिना य बोदवा ॥२७२॥ छटुंमि उ एगत्तं इंगिणिमरणं च होइ बोदवं। सत्तमए पडिमाओ पायवगमणं च नायवं ॥२७३॥ अणुपुत्रिविहारीणं मत्तपरिना य इंगिणीमरणं । पायवगमणं च तहा अहिगारो होइ अट्ठमए ॥२७४॥ नामंठवणविमुक्खो दवे खित्ते य काल भावे य। एसो उ विमुक्खस्सा निक्खेवो छविहो होइ ॥२७५॥ दवविमुक्खो नियलाइएमु खित्तमि चारयाईमुं। काले चेइयमहिमाइएसु अणघायमाईओ॥२७६॥ दुविहो भावविमुक्खो देसविमुक्खो यसवमुक्खो य । देसविमुक्खा साहू सबविमुक्खा भवे सिद्धा ॥२७७॥ कम्मयदधेहि समं संजोगो होइ जोउ जीवस्स। सो बंधो नायवो तस्स वियोगो भवे मुक्खो ॥२७८॥ जीवस्स अक्तजणिएहि चेव कम्मेहिं पुच्चपदस्स। सञ्चविवेगो जो तेण तस्स अह इत्तिओ मुक्खो ॥२७९॥ भत्तपरिचा इंगिणि पायवगमणं च होड नायकं । जो मरइ चरिममरणं भावविमुक्खं वियाणाहि ॥ २८० ॥ सपरकमे य अपरकमे य वाघाय आणुपुत्रीए । सुत्तत्थजाणएणं समाहिमरणं तु काययं ॥ २८१॥ सपरक्कममाएसो जह मरणं होइ अजवइराणं। पायवगमणं च तहा एवं अपरकम मरणं ॥२८२॥ अपरकममाएसो जह मरणं होइ उदहिनामाणं । पाओवगमेऽपि यतहा एयं अपरकम मरणं ॥२८३॥ वाघाइयमाएसो अवरदो हुज अनतरएणं । तोसलि महिसीइ हओ एयं वाघाइयं मरणं ॥२८४॥ अणुपुश्विगमाएसो पञ्चजासुत्तअत्थकहणं चावीसजिओ (उ) निन्तो मुको तिवि. हस्स नीयस्स ॥२८५॥ पडिचोइओ य कुविओ रण्णो जह तिक्ख सीयला आणा। तंबोले य विवेगो घट्टणया जा पसाओ य ॥२८६॥ निष्फाइया य सीसा सउणी जह अंडगं पयत्तेणं। बारससंवच्छरियं सो सलेहं अह करेंड ॥२८॥चत्तारि विचित्ताई विगईनिजहियाई चत्तारि । संवच्छरे य दुनि उ एगंतरियं तु आयाम ॥२८८॥ नाइविगिट्ठो उ तवो छम्मासे परिमियं तु आया. मं।अनेऽविय छम्मासे होइ विगिटुंतवोकम्म॥२८॥ वासं (प्र. बारस) कोडीसहियं आयामकाउ आणुपुच्चीए। गिरिकंदरंमि गंतुं पायवगमणं अद्द करेइ ॥२९॥ कह नाम सो तबोकम्मपंडिओ जो न निचुजुत्तप्पा। लहुविशी परिक्खेवं वच्चइ जेमंतओ चेव ? ॥२९॥आहारेण विरहिओ अप्पाहारो य संवरनिमित्ताहासंतोहासंतो एवाहारं निरूमिज्जा॥२९॥ अ०८ाजो जइया तित्थयरो
सो तइया अप्पणो य तित्वम्मि । वपणेह तवोकम्म ओहाणसयंमि अज्झयणे ॥२९३॥ सबेसि तवोकम्मं निरुवसम्गं तु वणिय जिणाणं । नवरं तु बदमाणस्स सोवसरगं मणेयकं ॥ २९४॥ । १२- श्री आचारांग नियुक्ति
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तित्वयरो चउनाणी सुरमहिओ सिज्झियवय धुवम्मि । अणिगृहियबलविरिओ तवोवहाणंमि उज्जमइ ॥२९५॥ किं पुण अवसेसेहिं दुक्सक्खयकारणा सुविहिएहिं। होइ न उज्जमियत्रं सपञ्चवायंमि माणुस्से ? ॥२९६॥ चरिया १ सिजार य परीसहा३ य आयंकिया (ए) चिगिच्छाट य । तवचरणेणऽहिगारो चउसुहेसेसु नायवो ॥२९७॥ नामंठवणुवहाणं दवे भावे य होइ नायव । एमेव य सुत्तस्सवि निक्खेवो चउविहो होइ ॥२९८॥ दनुवहाणं सयणे भावुवहाणं तवो चरित्तस्स । तम्हा उ नाणदसणतवचरणेहिं इहाहिगयं ॥२९९।। जद्द खलु मइलं वत्थं सुज्झइ उदगाइएहिं दवेहिं । एवं भावुवहाणेण सुज्झाई कम्ममढविहं ॥३०॥ओधुणण धुणण नासण विणासणं झवण खवण सोहिकरं । छेयण मेयण फेडण डहणं धुवणं च कम्माणं ॥३०१॥ एवं तु समणुचिन वीरवरेणं महाणुभावेणं । जं अणुचरितु धीरा सिवमचलं जन्ति निवाणं॥३०२॥(२८४)अ०९,श्रुत.शदवोगाहण आएस काल कम गणण संचए भावे। अग्गं भावे उ पहाणबहुयउवयारओ तिविह ॥३०३॥ उवयारेण उपगयं आयारस्सेव उवरिमाइंतु।रुक्खस्स पवयस्स यजह अम्गाइं तहेयाई ॥३०४॥ थेरेहिऽणुग्गहट्टा सीसहि होउ पागडल्यं च । आयाराओ अत्थो आयारंगसु पविभत्तो ॥३०५॥ बिइअस्स यपंचमए अट्ठमगस्स विइयंमि उदेसे। भणिओ पिंडो सिजा वत्थं पाउरगहो चेव ॥३०६॥ पंचमगस्स चउत्थे इरिया वणिजई समासेणं। छट्ठस्स य पंचमए भासजाय वियामाहि ॥३०७॥ सत्तिकगाणि सत्तबि निजूढाई महापरिचाओ। सत्यपरिना भावण निजूढाओ धुयविमुत्ती ॥३०८॥ आयारपकप्पो पुण पञ्चक्खाणस्स तइयवत्यूओ। आयारनामधिज्जा वीसइमा पाहुडच्छेया ॥३०९॥ अबोगडो उ भणिओ सत्यपरिभाय दंडनिक्खेवो। सो पुण विमजमाणो वहा तहा होइ नायत्रो॥३१०॥ एगविहो पुण सो संजमुत्ति अज्झत्थ वाहिरो य दुहा। मणवयणकाय तिविहो चउविहो चाउजामो उ॥३११॥ पंच य महत्वयाई तु पंचहा राइभोअणे छदा । सीलंगसहस्साणि य आयारस्सप्पवीभागा ॥३१२॥ आइक्खि विभइउं विनाउं चेव सुहतर होइ । एएण कारणेणं महत्वया पंच पञ्चत्ता॥३१३ ॥ तेसिं च रक्खणट्ठा भावणा पंच पंच इकिकाता सत्यपरिवाए एसो अभितरो होई॥३१४ ॥ जावोग्गहपडिमाओ पढमा सत्तिकमा विइअचला।भावण विमत्तिआयारपकप्पा तिमि इअपंच॥३१५॥ (अ०१,१०)पिंडेसणाएँ जाणिजुत्तीसाचेव होइ सेजाए। वत्येसण पाएसण उग्गहपडिमाएं सच्चेव ॥३१६॥ सवाक्यणविसोही णिजत्ती जा य वकसुदीए । सचेव णिरवसेसा भासज्जाएवि णायबा ॥३१७॥ सेजाइरिया तह उग्गहं य तिण
जायजा तहिं पगयं। केरिसिया सिना खल संजयजोगत्ति नायचा?॥३१९॥तिविहा य दवसिज्जा सञ्चित्ताऽचित्त मीसगा चेव । खित्तंमि जंमि खित्ते काले जा जंमि कालंमि ॥३२०॥ उकलकलिंग गोअम वग्गुमई चेव होइ नायबा। एयं तु उदाहरणं नायवं दवसिज्जाए ॥३२१॥ दुविहा य भावसिज्जा कायगए छविहे य भावंमि । भावे जो जत्थ जया सुहदुहगम्भाइसिज्जासु ॥३२२॥ सोऽवि य सिजविसोहिकारगा तहवि अस्थि उ क्सेिसो । उद्देसे उद्देसे वुच्छामि समासओ किंचि ॥३२३॥ उग्गमदोसा पढमिडयंमि संसत्त पचवाया यशवीयंमि सोअवाई बहुविहसिजाविवेगोर य॥३२४ा तइए जयंतछलणा सज्झायस्सऽणुवरोहि जइया । समविसमाईएसुयसमणेणं निजरद्वाए३॥३२५॥(अ०२,११) नामं१ ठवणाइरियार दवे३ खित्ते४ य काल५ भावे६ य। एसो खलु इरियाए निक्खेवो छविहो होइ ॥३२६॥ दवाइरिया उ तिविहा सञ्चित्ताचित्तमीसगा चेव । खित्तमि जंमि खित्ते काले कालो जहिं होइ ॥३२॥ भावइरिया उ दुविहा चरणिरिया चेव संजमिरिया य । समणस्स कहं गमणं निदोसं होइ परिसुदं? ॥३२८॥ आलंबणे य काले मग्गे जयणाइ चेव परिसुदं। भंगेहि सोलसचिहं जं परिसुद्धं पसत्थं तु ॥३२९।। चउकारणपरिसुद्ध अहवावि (हु) होज कारणजाए। आलंबणजयणाए काले मग्गे य जइयचं ॥३३०॥ सवेऽवि ईरियविसोहिकारगा तहवि अस्थि उ विसेसो । उद्देसे उद्देसे चुच्छामि जहक्कम किंचि ॥ ३३१॥ पढमे उवागमण निग्गमो य अद्धाण नावजयणा य । विइए आरुद्धछलणं जंघासंतार पुच्छा य ॥३३२॥ तइयंमि अदायणया अप्पडिबंधो य होइ उवहिमि। बजेयत्वं च सया संसारियरायगिहगमणं ॥३३३॥(अ०३,१२)जह वकं तह भासा जाए छकंच होइ नायचं । उप्पत्तीए१ तह पज्जवर तरे३ जायगहणे४ य॥३३४॥ सोऽवि य वयणविसोहिकारगा तहवि अस्थि उविसेसो।वयणविभत्ती पढमे उप्पत्ती जणा बीए॥३३५॥ (अ०४.१३)पढमे गहणं बीए धरणं पगयं तु वश्वत्येणं। एमेव होइ पायं भावे पायं तु गुणधारी॥३३६॥ (अ०५.६,१४-१५)दो खित्ते काले भावेऽवि य उम्गहोचउदाउादेविंदरायउम्गह२ मिहव३ सागरिय साहम्मी५॥३३७॥ दाम्गहो उतिविहो सचित्ताचित्तमीसगो चेव । खित्तुग्गहोऽवि निविहो दुविहो कालुग्गहो होइ॥३३८॥ मइउग्गहोय गहणुग्गहोय भावुम्गहो दुहा होइ। इंदियनोइंदियअत्यवंजणे उम्गहो दसहा॥३३९॥ गहणुमाहम्मि अपरिगहस्स समणस्स गहणपरिणामो।
कह पाडिहारियाऽपाडिहारिए हो जायचं?॥३४०॥(अ.७,१६) सत्तिकगाणि इकस्सराणि पुष भणियं तहिं ठाणं। उबवाणे पगयं निसीहियाए तहिं छकं ॥३४१॥ (अ०८-९.१७-१८) उच्चवह | सरीराओ उच्चारो पसवइत्ति पासवणं । तं कह आयरमाणस्स होइ सोहीन अइयारो॥३४२॥ मुणिणा छकायदयावरेण सुत्तभणियंमि ओगासे। उच्चारविउस्सगो कायशो अप्पमत्तेणं॥३४३॥(अ.१०, | ११ दर्ष संठाणाई भावो वनकसिणं सभावो यादवं सहपरिणयं भावो उगुणा य कित्तीय॥३४४ाद संठाणाई भावो वन कसिणं सभावोया[दवं सहपरिणयं भावो उगुणा य कित्तीय] ॥३४५॥ |१३ श्री आचारांग नियुक्ति
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________________ (अ. 11-12,20-21) छकं पर इकिकं त१ दन२ माएस३ कम४ बहु५ पहाणे६।(अ.१३,२२) अन्ने छक्कं तु पुण तदन्नमाएसओ चेव // 346 // जयमाणस्स परोजं करेइ जयणाएं तत्थ अहिगारो। निप्पडिकम्मरस उ अनमनकरणं अजुनं तु॥३४७॥ (अ.१४,२३) दवं गंधंग तिलाइएसु सीउण्हविसहणाईसु।भावमि होइ दुविहा पसत्य तह अप्पसत्या य॥३४८॥ पाणिवहमुसावाए अदत्तमेहुणपरिम्गहे वेव। कोहे माणे माया लोभे यहवंति अपसस्था॥ ३४९॥दसणनाणचरित्ते तक्वेरग्गे यहोइ उपसत्था। जाय जहा ता य तहा लक्खण वुच्छ सलक्खणओ॥३५०॥तित्थगराण भगवओ पवयणपावयणिअइसइद्रीणं। अभिगमणनमणदरिसणकित्तणसंपूअणाथुणणा॥३५१॥ जम्माभिसेयनिक्खमणचरणनाणुप्पया या निशाणे। दियलोअभवणमंदरनंदीसरभोमनगरेसुं॥३५२॥ अट्ठावयमुजिते गयग्गपयए ये धम्मचके यापासरहावत्तनगं चमरुप्पायं च वंदामि॥३५३शागणियं निमित्त जुत्ती संदिट्ठीअवितहं इमं नाणं / इय एगंतमुरगया गुणपचाइया इमे अत्था // 354 // गुणमाहप्पं इसिनामकित्तणं सुरनरिंदपूया या पोराणचेहयाणि य इय एसा दसणे होइ॥३५५॥ तत्तं जीवाजीवा नायबा जाणणा इहं विट्ठी। इह कजकरणकारगसिद्धी इह बंधमुक्खो य॥३५६॥ बोय बंधहेऊ बंधणबंधफलं सुकहियं तु / संसारपवंचोऽविय इहये कहिओ जिणवरेहिं // 357aa नाणं भविस्सई एवमाइया वायणाइयाओ य / सज्झाए आउत्तो गुरुकुलवासो य इय नाणे // 358 // साहुमहिंसाधम्मो सयमदत्तविरई य यंभं च / साहु परिम्महविरई साहु तवो बारसंगो य॥३५९॥ वेरग्गमप्पमाओ एगत्ता (ग्गे) भावणा य परिसंग। इय चरणमणुगयाओ भणिया इत्तो तवो वुच्छं // 360 // किह मे हविजऽचंझो दिवसो किंवा परतवं काउं? को इह दवे जोगो खित्ते काले समयभावे?॥३६१॥ उच्छाहपालणाए इति (एव) तवे संजमे य संघयणे। वेरम्गेऽणिचाई होइ चरिते इहं पगयं // 362 // (अ.१५.२४) अणिचे पवए रुप्पे भुयगस्स तहा (या)महासमुद्दे या एए खलु अहिगारा अज्झयणंमी विमुत्तीए॥३६३॥ जो चेव होइ मुक्खो सा उ विमुत्ति पगयं तु भावेणं। देस. विमुक्का साहू सञ्चविमुका भवे सिद्धा // 364 // (अ.१६,२५) आयारस्स भगवओ चउत्यचूलाइ एस निजुत्ती। पंचमचूलनिसीह तस्स य उवरि भणीहामि // 365 // सत्तहिं कहिं चउचउहि य पंचहि अट्ठचउहि नायबा। उदेसएहि पढमे सुयखंघे नव व अजायणा // 366 // इकारस ति ति दो दो दो दो उद्देसएहिं नायचा। सत्तय अव य नवमा इफसरा हुँति अजमायणा // 367 // समाता श्रीश्रुतकेवलिभगवद्भद्रबाहुस्वामिविरचिता निम्रन्थगच्छकमायातश्रीमत्तपोगच्छाधिपभूपेन्द्रबोधकसिदान्तवाचकाऽऽगमोद्धारकश्रीमतसागरानंदसरिपुरंदरसंशोधिता भगवदाचाराणसूत्रनियुक्तिः //