Book Title: Aagam Manjusha 45 Chulikasuttam Mool 02 Anuogdaaram
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

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Page 15
________________ सइयं सम्मत्तं पारिणामिए जीचे, एस णं से नामे उदइएलइएपारिणामियनिष्फणे, कयरे से जामे उदइएसओक्समिएपारिणामियनिष्फरणे ?, उदइएति माणुस्से सोचसमियाई इंदियाई पारिणामिए जीवे, एस ण से णामे उदइएखओक्समिएपारिणामियनिष्फण्णे, कयरे से णामे उपसमिएखइएखोवसमनिष्फण्णे', उपसता कसाया खइयं सम्मनं खोवसमियाई दियाई, एस णं से णामे उपसमि एखइएखओवसमनिष्फण्णे, कयरे से णामे उपसमिएखइएपारिणामियनिष्फण्णे ?. उपसंता कसाया खइयं सम्मनं पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उपसमिएखइएपारिणामियनिष्फण्णे, कयरे से णामे उपसमिएखओक्समिएपारिणामियनिष्फण्णे?, उवसंता कसाया खओवसमियाई इंदियाई पारिणामिए जीवे, एस गं से गामे उपसमिएलओचसमिएपारिणामियनिष्कपणे, कयरे से णामे खइएखोवस. मिएपारिणामियनिष्फण्णे ?, सइयं सम्मत्तं खओवसमियाई इंदियाई पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे खइएखोचसमिएपारिणामियनिष्फण्णे १०, नत्थ गंजे ने पंच पटकसंजोगा ने णं इमे-अस्थि णामे उदइएउपसमिएखइएखओवसमनिष्फण्णे अस्थि णामे उदइएउवसमिएखइएपारिणामिय: अस्थि णामे उदइएउपसमिएखओवसमिएपारिणामिय, अस्थि णामे उदइएखइएखओवसमिएपारिणामि. अस्थि णामे उपसमिएखइएखओवमिएपारिणामियनिष्फणे, कयरे से णामे उदइएउपसमिएखइएखओवसमनिष्फण्णे ?, उदइएत्ति माणुस्से उपसंता कसाया खइयं सम्मन खओवसमिआई इंदिआई, एस णं से णामे उदइएउपसमिएखइएखओक्समनिष्फण्णे, कयरे से नामे उदइएउक्समिएखइएपारिणामिअनिष्फण्णे ?, उदइएत्ति माणुस्से उवसंता कसाया खाइ सम्मनं पारिणामिए जीवे, एसणं से णामेश उदइएउपसमिएखइएपारिणामिअनिष्फण्णे, कयरे से णामे उदइएउपसमिएखओक्समिएपारिणामिअनिष्फण्णे ?. उदइएनि माणुस्से उबसंता कसाया खओयसमिआई ईदिआई पारिणामिए जीचे, एस णं से णामे उदइएउवसमिएखओचसमिएपारिणामियणिफणे, कयरे से णामं उदइएखइएलओक्समिएपारिणामिअणिष्फण्णे ?, उदइएति माणुस्से खदअंसम्मत्तं खओक्समिआई इंदिआई पारिणामिए जीवे, एस IS णं से नामे उदइएखइएखओवसमिएपारिणामिअनिष्फने, कयरे से नामे उपसमिएलइएखओक्समिएपारिणामिअनिष्फले ?. उवसंता कसायासइसम्म खोचसमिआई इंदियाई पारिणामिए जीवे, एस णं सेनामे उपसमिएखइएखओवसमिएपारिणामिअनिष्फरणे, तत्थणं जे से एके पंचगसंजोए से ण इमे-अस्थि नामे उदइएउवसमिएखओक्समिएखइएपारिणामिअनिष्फण्णे, कयरे से नामे उदइएउपसमिएख. इएसओवसमिएपारिणामिअनिष्फण्णे ?. उडएति माणस्से उवसंता कसाया खहर्ष सम्मतं खओवसमिआदिआई तं छण्णामे । १२६ । से किं तं सत्तनामे १,२ सत्तसरा पं० त०'सज्जे रिसहे गंधारे, मज्झिमे पंचमे सरे। घे(२)वए चेव नेसाए, सरा सत्त वियाहिआ॥२५॥ एएसि णं सत्तहं सराणं सत्त सरढाणा पं० त०'सर्ज च अग्गजीहाए, उरेण रिसहं सरे। कंठुग्गएण गंधारं, मज्मजीहाएं मज्झिमं ॥६॥ नासाए पंचमं चूआ, दंलोटेण य रेवतं। भमुहकखेवण णेसाह, सरहाणा वियाहिता ॥७॥ सत्त सरा जीवणिस्सिया पं० २०. 'सजं वइ मऊरो, कुकुडो रिसभ सरं। हंसो खइ गंधार, मज्झिमं च गवेलमा ॥८॥ अह कुसुमसंभवे काले, कोइला पंचमं सरं। छटुं च सारसा कुंचा, नेसायं सत्तमं गओ ॥९॥ सत्त सरा अजीबनिस्सिया पं० त० सज खइ मुअंगो, गोमुही रिसह सरं। संखो वह गंधार, मज्झिम पुण साजरी ॥३०॥ चाउसरणपइट्ठाणा, गोहिया पंचमं सरं। आईबरो रेवइयं, महामेरी य सत्तमं ॥१॥ एएसि णं सत्तण्हं सराणं सत्त सरलक्खणा पं० त०'सजेण लहई वित्ति, कर्य च न विणस्सइ । गावो पुत्ता य मित्ता य, नारीर्ण होइ बाउहो ॥२॥ रिसहेण उ एसज (पेसज), सेणार्थ घणाणि य। वत्थगंधमलंकारं, इत्यिओ सयगाणि य ॥३॥ गंधारे गीतजुत्तिणया, कजवित्ती कलाहिया। हवंति कइणो पण्णा, जे अण्णे सत्यपारगा ॥४॥ मज्झिमसरमंता उ, हवंति सुहजीविणो। खायई पियई देई, मज्झिमस्सरमस्सिओ॥५॥ पंचमसरमंता उ, हवंति पुहवीवई। सूरा संगहकत्तारो, अणेगगणनायगा ॥६॥ रेवयसरमंता उ, हवंति दुहजीविणो। कुचेला य कुवित्ती य, चोरा चंडाल मुट्ठिया (साउणिया वाउरिया, सोयरिया मच्छबंधा य पा०)॥ ७॥णिसायसरमंता उ, होति कलहकारगा। जंघाचरा लेहवाहा, हिंडगा भाखाहगा ॥८॥ एएसिणं सत्तण्हं सराणं तओ गामा ५० त०-सज्जगामे मज्झिमगामे गंधारगामे, सज्जगामस्स णं सत्त रिया, रयणी य सारकताय। छट्ठी य सारसी नाम, सुसज्जा य सत्तमा ॥९॥ मज्झिमगामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पं००-'उत्तरमंदा रयणी, उत्तरा उत्तरासमा। समोकंता य सोवीरा, अभिरूवा होइ सत्तमा ॥४०॥ गंधारगामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पं० त०-'नंदी य खुड्डिया पूरिमा य चउत्थीय मुद्धगंधारा । उत्तरगंधाराविय सा पंचमिया हवह मुच्छा ॥१॥ सुदृढ़तरमायामा सा छट्ठी सञ्चओ य णायबा। अह उत्तरायया कोडिमा य सा सत्तमा मुच्छा ॥२॥ सत्त सरा कोहवंति ? गीयस्स का हवइ जोणी?। कइसमया ओसासा?, कई बागीयस्स आगारा? ॥३॥ सत्त सरा नाभीओ हवंति गीयं च रुइयजोणी उ। पायसमा ऊसासा तिणि य गीयस्स आगारा ॥४॥ आइ मउ आरमंता समुब्वहन्ता य मज्झयारंमि। अवसाणे उज्झता तिमिवि गीयस्स आगारा ॥५॥ alउदोसे अट्टगुणे तिणि य वित्ताई दो य मणिईओ। जो नाही सो गाहिइ. सुसिक्खिओ रंगमसंमि ॥६॥ भीर्य दुर्य उप्पिच्छं उत्तालं च कमसो मुणेअव्यं । कागस्सरमणुणासं उदोसा होति गेयस्स ॥७॥ पुष्णं रत्तं च अलंकियं य पत्तं च तहेवमविपुढे । महुरं समं सुललियं अट्ठ गुणा हॉति गेयस्स ॥८॥ उस्कंठसिरविसुदं च गिजंते मउअरिभिअपवना । समतालपतुस्खेवं सत्तस्सरसीमर गीयं ॥९॥ (३३०) 21 १३२० अनुयोगद्वारसूत्रं - मुनि दीपरतसागरा

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