Book Title: Aagam Manjusha 45 Chulikasuttam Mool 02 Anuogdaaram
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य आनंद-क्षमा-ललित-सुशील सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः On Line – आगममंजूषा [४५] अनुओगदारं * संकलन एवं प्रस्तुतकर्ता * मुनि दीपरत्नसागर pt.com. M.Ed, Ph.D. Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ || किंचित् प्रास्ताविकम् || ये आगम-मंजूषा का संपादन आजसे ७० वर्ष पूर्व अर्थात् वीर संवत २४६८, विक्रम संवत-१९९८, ई.स.1942 के दौरान हुआ था, जिनका संपादन पूज्य आगमोद्धारक आचार्यश्री आनंदसागरसरिजी म.सा.ने किया था| आज तक उन्ही के प्रस्थापित-मार्ग की रोशनी में सब अपनी-अपनी दिशाएँ ढूंढते आगे बढ़ रहे हैं। हम ७० साल के बाद आज ई.स.-2012,विक्रम संवत-२०६८,वीर संवत-२५३८ में वो ही आगम-मंजूषा को कुछ उपयोगी परिवर्तनों के साथ इंटरनेट के माध्यम से सर्वथा सर्वप्रथम “ OnLine-आगममंजूषा ” नाम से प्रस्तुत कर रहे हैं। * मूल आगम-मंजूषा के संपादन की किंचित् भिन्नता का स्वीकार * [१]आवश्यक सूत्र-(आगम-४०) में केवल मूल सूत्र नहीं है, मूल सूत्रों के साथ नियुक्ति भी सामिल की गई है। [२]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) में भी केवल मूल सूत्र नहीं है, मूलसूत्रों के साथ भाष्य भी सामिल किया है। [३]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) का वैकल्पिक सूत्र जो “पंचकल्प” है, उनके भाष्य को यहाँ सामिल किया गया tic [४] “ओघनियुक्ति”-(आगम-४१) के वैकल्पिक आगम “पिंडनियुक्ति” को यहाँ समाविष्ट तो किया है, लेकिन उनका मुद्रण-स्थान बदल गया है। [५] “कल्प(बारसा)सूत्र” को भी मूल आगममंजूषा में सामिल किया गया है। -मुनि दीपरत्नसागर मुनि दीपरतसागर : Address: Mnui Deepratnasagar, MangalDeep society, Opp.DholeshwarMandir, POST:- THANGADH Dist.surendranagar. Mobile:-9825967397 jainmunideepratnasagar@gmail.com Online-आगममंजूषा Date:-12/11/2012 Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नाणं पंचविहं पणतं, तंजहा-आमिणिचोहियनाणं सुयनाणं ओहिनाणं मणपजवनाणं केवलनाणं । १। तत्थ चत्तारि नाणाई ठप्पाई ठवणिजाई जाजतुषागारपूनमणो उहिसं(दिसिजतिणो समुदिसं(सिज)ति णो अणुष्णविनंति, सुयनाणस्स उद्देसो समुदसो अणुण्णा अणुओगो य पवत्तइ।२।जसुयनाणस्स उदेसी समुद्देसो अणुण्णा अणुओगो य पवत्तद किं अंगपविट्ठस्स उहेसो समुदेसो अणुण्णा अणुओगो य पवत्तइ ?, किं अंगवाहिरस्स उदेसो समुद्देसो अणुण्णा अणुओगो य पवत्तइ ?, अंगपविट्ठस्सवि उद्देसो जाव पवत्तइ, अणंगपविगुस्सवि उसो जाव पवत्तइ , इमं पुण पट्ठवणं पडुच अणंगपविट्ठस्स अणुओगो०।३। जइ अणंगपविट्ठस्स अणुओगो किं कालियस्स अणु ओगो ? उकालियस्स अणुओगो ?, कालियस्सवि अणुओगो उकालियस्सवि अणुयोगो, इमं पुण पट्ठवणं पडुच उकालियस्स अणुओगो।४। जइ उक्कालिअस्स अणुओगो कि आप स्सगस्स अणुजोगो? आवस्सगवतिरित्तस्स अणुओगो ?, आवस्सगस्सवि अणुओगो आवस्सगवतिरित्तस्सवि अणुओगो, इमं पुण पट्टवणं पडुच आवस्सगस्स अणुओगे।५। जह आवस्सगस्स अणुओगो कि अंग अंगाई सुअसंघो सुअखंधा अज्झयण अज्झयणाई उद्देसो उद्देसा?, आवस्सयं णं नो अंग नो अंगाई सुअखंधो नो सुअखंधा नो अज्झयणं अज्झय. गाई नो उद्देसो नो उदेसा । ६। तम्हा आवस्सयं निक्सिविस्सामि सुर्य निक्सिविस्सामि खंघ निक्सिविस्सामि अज्झयणं निक्सिविस्सामि । ७। 'जत्य य ज जाणेजा निक्सेवं नि. क्खिवे निरवसेसं । जत्थविय न जाणेजा चउकगं निक्खिवे तत्थ ॥१॥ से किं तं आवस्सयं?,२ चउविहं पं० तं० नामावस्सर्य ठवणावस्सयं दव्वावस्सयं भावावस्सयं । ८ासे किंत नामावस्सय?, जस्स णं जीवस्स वा अजीवस्स वा जीवाण वा अजीवाण वा तदुभयस्स वा तदुभयाण वा आवस्सएत्ति नाम कलइ, सेतं नामावस्सयं ।९। से किं तं ठवणावस्सयं ?, २ जणं कट्ठकम्मे वा पोस्थकम्मे वा चित्तकम्मे पा सेप्पकम्मे वा गंधिमे वा वेदिमे वा पूरिमे वा संघाइमे वा अक्खे वा वराडए वा एगो वा अणेगो सम्भावठवणाए वा असम्भावठयणाए वा आवस्सएत्ति ठवणा ठविजइ, से तं ठवणावस्सयं ।१०। नामट्ठवणाणं को पइविसेसो ?, णाम आवकहियं, ठवणा इत्तरिया वा होज्जा आवकहिया वा । ११ । से किं तं दशावस्सय १,२ दुविहं पं० त०- आगमओ य नोआगमओ य।१२स से किं तं आगमओ दवावस्सय?,२ जस्स णं आवस्सएत्ति पदं सिक्खितं ठितं जितं मितं परिजितं नामसमं घोससमं अहीणक्खरं अणचक्खरं अबाइक्खरं अक्सलियं अमिलियं अवच्चामेलियं पडिपुणं पडिपुण्णघोसं कंठोड(दोस)विप्पमुकं गुरुवायणोवगर्य, से णं तत्थ वायणाए पुच्छणाए परियहगाए धम्मकहाए, नो अणुपेहाए, कम्हा?, 'अणुवओगो दच 'मितिकटु ।१३। नेगमस्स एगो अणुक्उत्तो आगमओ एग दवावस्सयं दोण्णि अणुक्उत्ता आगमओ दोण्णि दबावस्सयाई तिण्णि अणुवउत्ता आगमओ तिष्णि दशावस्सयाई एवं जावइया अणुवउत्ता आगमओ तावइयाई दवावस्सयाई, एवमेव ववहारस्सवि, संगहस्स णं एगो वा अणेगा वा अणु. उत्तो वा अणुक्उत्ता वा आगमओ दवावस्सयं वा दशावस्सयाणि वा से एगे दवावस्सए, उजुसुयस्स एगो अणुवउत्तो आगमतो एग दवावस्सयं, पुहुत्तं नेच्छइ, तिहं (३२७) १३०८ अनुयोगद्वारसूत्रं - मुनि दीपरत्नसागर II Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सदनयाणं जाणए अणुवडते अवस्थु, कम्हा ?, जइ जाणए अणुवउत्ते न भवति जइ अणुवउत्ते जाणए ण भवति, तम्हा णत्थि आगमओ दवावस्सयं से तं आगमओ दवावस्सयं । १४ । से किं तं नोआगमओ दवावस्वयं १ २ तिविहं पं० तं० जाणयसरीरदशावस्सयं भवियसरीरदब्यावस्तयं जाणयसरीरभवियसरीरवतिरितं दव्वावस्सयं । १५। से किं तं जाणयसरीरदव्या वस्मयं ?, २ आवस्सएति पयत्थाहिगारजाणयस्स जं सरीरयं ववगयचुतचावितचत्तदेहं जीवविप्पजढं सिजागयं वा संधारमयं वा निसीहिआगयं वा सिद्धसिलातलगयं वा पासित्ताणं कोई मज्जा अहो! णं इमेणं सरीरसमुस्सएणं जिणविद्वेणं भावेणं आवस्सएत्तिपयं आघवियं पण्णवियं परूवियं दंसियं निदंसियं उवदंसियं, जहा को दितो ?, अयं महुकुंभे आसी अयं घयकुंभे आसी, सेतं जाणयसरीरदव्वावस्सयं । १६ से किं तं भविअसरीरदशावस्सयं १, २ जे जीवे जोणिजम्मणनिक्खते इमेणं चेव आत्तएणं सरीरसमुस्सएणं जिणोवदिद्वेणं भावे वस्सएतिपय सेयकाले सिक्सिस्सइ न ताव सिक्खड़, जहा को दिहंतो ?, अयं महुकुंभे भविस्सइ अयं घयकुंभे भविस्सइ सेतं भवियसरीरदशावस्सयं । १७। से किं तं जाण यसरीरभवि असरीरवतिरित्तं दवावस्वयं १, २ तिविहं पं० तं०- लोइयं कुप्पावयणियं लोउत्तरियं । १८ से किं तं लोइयं दशावस्सयं १, २ जे इमे राईसरतलवरमाडंबियकोविअदभसे डिसेणा वइसत्यवाप्यभितिओ क पाउप्पभाषाए स्वणीए सुविमलाए कुडुप्पलकमलको मलुम्मीलिअंमि अहापंडुरे पभाए रत्तासोगपगासकिंसुअसुअमुहगुंजदरागसरिसे कमलागरनलिणिसंडबोहए उद्वियंमि सूरे सहस्सरस्सिमि दिणयरे तेयसा जलते मुहधोयणदंतपक्खालणते फणिसिद्धत्थयरियालिय अद्दागधूवपुप्फम गंधतंबोलवत्थाइयाई दबावस्सयाई करेति ततो पच्छा रायकुलं वा देवकुलं वा आरामं वा उज्जाणं वा सभं वा पर्व वा गच्छति, सेतं लोइयं दशावस्सयं । १९। से किं तं कुप्पावयणियं दवावस्सय १, २ जे इमे चरगचीरिंगचम्मखंडियभिक्खोंड पंडुरंग गोयमगोष्वतियगिहिधम्मधम्मचिंतगअविरुद्धविरुद्धबुड्ढसावगप्पभितओ पाखंडत्या कले पाउप्पभायाए रयणीए जाब तेयसा जलते इंदस्स वा दस्स वा रुदस्स वा सिवस्स वा वेसमणस्स वा देवस्स वा नागस्स वा जक्वस्स वा भूअस्स वा मुगुंदस्स वा अज्जाए वा दुग्गाए वा कोट्टकिरियाए वा उवलेवणसंमज्जण आवरिसधूवपुप्फगंधमालाइ आई दव्वावस्सयाई करेंति से तं कुप्पावयणियं दव्वावस्सयं । २०1 से किं तं लोगुत्तरियं दव्वावस्सयं १, २ जे इमे समणगुणमुक्कजोगी छकायनिरणुकंपा या इव. उद्दामा गया इव निरंकुसा घट्टा मट्ठा तुप्पोट्ठा पंडुरपडपाउरणा जिणाणमणाणाए सच्छंदं विहरिऊर्ण उभओकालं आवस्सयस्स उबद्वंति से तं लोगुत्तरियं दब्वावस्सयं से तं जाणय सरीरभविअसरीरवइरितं दव्वावस्सयं से तं नो आगमतो दव्वावस्सयं से तं दव्वावस्सयं । २१ से किं तं भावावस्सयं १, २ दुविहं पं० तं०-आगमतो य नोआगमतो य। २२ । से किं तं आगमतो भावावस्सर्य१, २ जाणए उबउत्ते से तं आगमतो भावावस्सयं । २३ से किं तं नोआगमतो भावावस्सयं १, २ तिविहं पण्णत्तं तंजहा लोइयं कुप्पावयणियं लोगुत्तरियं | २४ । से किं तं लोइयं भावावस्सर्य १ २ पुण्यण्डे भारहं अवरण्हे रामायणं, से तं लोइयं भावावस्सयं । २५ से किं तं कुप्पावयणियं भावावस्सयं १, २ जे इमे चरगचीरिगजायपासंडस्था इर्जजलिहोमजपोन्दुरुक्कनमोकारमाइआई भावावस्सयाई करेंति से तं कुप्पावयणियं भावावस्सयं । २६ से किं तं लोगुत्तरियं भावावस्सयं १, २ जणं इमे समणे वा समणी वा सावओ वा साविआ वा तच्चित्ते तम्मणे तोसे तदज्झबसिए तत्तििवज्झवसाणे तदट्ठोवउत्ते तदप्पिकरणे तब्भावणाभाविए अण्णत्थ कत्थई मर्ण अकरेमाणे उभओकालं आवस्सयं करेंति से तं लोगुत्तरियं भावावस्सयं से तं नोआगमतो भावावस्सयं से तं भावावस्सयं । २७। तस्स णं इमे एगट्टिया णाणाघोसा णाणावंजणा णामधेजा भवंति, तंजहा 'आवस्सय अवस्संकरणिजं धुवनिग्गहो विसोही य अज्झयणलकवग्गो नाओ आराहणामग्गो ॥ २ ॥ समणेणं सावरण य अवस्सकायश्यं हवइ जम्हा अंतो अहोनिसस्स य तम्हा आवस्सयं नाम ॥ ३ ॥ से तं आवस्यं । २८ से किं तं सुतं १, २ चउहिं पं० तं० नामसुयं ठवणासुर्य दशसुर्य भावसुयं । २९। से किं तं नामसुयं १, २ जस्स णं जीवस्स वा जाव सुएति नामं कजइ, से तं नामसुर्य ३० से किं तं ठवणासुयं १, जं णं कटुकम्मे वा जाव ठवणा ठविजइ, से तं ठवणासुयं, नामठवणाणं को पइविसेसो ? नाम आवकहियं ठवणा इत्तरिया वा होज्जा आवकहिया वा । ३१ । से किं तं दवसुर्य १ २ दुविहं पं० तं० आगमतो य नोआगमतो य। ३२ । से किं तं आगमतो दवसुयं १, २ जस्स णं सुएति पयं सिक्खियं ठियं जियं जावणी अणुप्पेहाए, कम्हा?, अणुवओगो दव्वमितिकट्टु नेगमस्स णं एगो अणुवडतो आगमतो एगं दव्वसुर्य जाव कम्हा ?, जइ जाणए अणुवडते न भवइ०, से तं आगमतो दव्वसुर्य । ३३ । से किं तं नोआगमतो दव्वसुयं १, २ तिविहं पं० तं० जाणयसरीरदव्यसुयं भवियसरीरव्वसुयं जाणयसरीरभवियसरीरवइरितं दव्वसुयं । ३४ । से किं तं जाणयसरी - रदव्वसुयं १, २ सुयत्तिपयत्याहिगारजाणयस्स जं सरीरयं ववगयचुअचावियचत्तदेहं तं चैव पुब्वभणियं भाणियव्वं जाब से तं जाणयसरीरव्ययं । ३५ । से किं तं भवियसरीरदव्यसूयं १, १३०९ अनुयोगद्वारसूत्रं मुनि दीपरत्नसागर Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २ जे जीवे जोणीजम्मणनिक्खते जहा दव्वावस्सए तहा भाणियव्वं जाव से तं भवियसरीरदव्वसुयं । ३६ । से किं तं जाणयसरीरभवियसरीरखइरित्तं दव्वसुयं ? पत्तयपोत्थयलिहियं, अहवा जाणयसरीरभवियसरीरवइरितं दव्वसुयं पंचविहं पं० तं० अंडयं बोंडयं कीडयं वालयं वागयं, अंडयं हंसगम्भादि, बोंडयं कप्पासमाइ, कीडयं पंचविहं पं० [सं० पट्टे मलए अंसुए चीसुए किमिरागे, वालयं पंचविहं पं० तं० उण्णिए उट्टिए मियलोमिए कोतवे किट्टिसे, वागयं सणमाइ, से तं जाणयसरीरभवियसरीरवइरितं दव्ययं से तं नोआगमतो दव्वसुर्य, सेतं दव्वसुयं । ३७। से किं तं भावसुर्य १ २ दुविहं पं० तं०-आगमतो य नोआगमतो य। ३८। से किं तं आगमतो भावसुर्य १ २ जाणए उवउत्ते से तं आगमतो भावसुयं । ३९ । से किं तं नोआगमतो भावसुर्य १ २ दुविहं पं० तं०- लोइयं लोगुत्तरियं च । ४० । से किं तं लोइयं नोआगमतो भावसुर्य १ २ जं इमं अण्णाणिएहिं मिच्छादिट्ठीहिं सच्छंदबुद्धिमइविगप्पियं तं० भारहं रामायण भीमासुरुकं कोडिलयं घोडयमुहं सगढ़मदिआउ कप्पासियं णागसुडुमं कणगसत्तरी वेसियं वइसेसियं बुद्धसासणं काविलं लोगायतं सद्वियंतं मादरपुराणवागरणनाडगाइ अहवा बावन्तरि कलाओ चत्तारि वेया संगोवंगा से तं लोइयं नोआगमतो भावसुयं । ४१ । से किं तं लोउत्तरियं नोआगमतो भावसूयं १, २ जं इमं अरिहंतेहिं भगवंतेहिं उप्पण्णणाणदंसणधरेहिं तीयपचुप्पण्णमणागयजाणएहिं सङ्घष्णूहिं सङ्घदरिसीहिं तिलुकवहियमहितपूइएहिं अप्पडिहयवरणाणदंसणधरेहिं पणीयं दुबालसंगं गणिपिडगं, तं०आयारो सूअगडो ठाणं समवाओ विवाहपण्णत्ती नायाधम्मकहाओ उवासगदसाओ अंतगडदसाओ अणुत्तरोववाइयदसाओ पण्हावागरणाई विवागसूयं दिडीवाओ य से तं लोउत्तरियं नोआगमतो भावसुर्य से तं नोआगमतो भावसुयं से तं भावसुयं । ४२ । तस्स णं इमे एगडिया णाणाघोसा णाणावंजणा नामधेजा भवति, तं० सुअ सुत्त गंथ सिद्धंत सासणे आण वयण उवएसे पद्मवण आगमेऽविय एगट्ठा पजवा सुत्ते ॥ ४ ॥ से तं सुयं । ४३ । से किं तं खंधे १, २ चउबिहे पं० [सं० नामखंधे ठवणाखंधे दवखंधे भावखंधे। ४४ नामहवणाओ पुत्रभणिआणुकमेण भाणिजाओ ( गयाओ ) । ४५ । से किं तं दशखंधे १, २ दुविहे पं० तं० आगमतो य नोजागमतो य से किं तं आगमओ दवखंधे १, २ जस्स णं खंधेति पयं सिक्खियं से जहा दवावस्सए वहा भाणिअयं, नवर वधाभिलावो जाव से किं तं जाणयसरीरभविअतरीरखइरित्ते दव्वखंधे १, २ तिविहे पं० तं० सचित्ते अचित्ते मीसए। ४६ । से किं तं सचित्ते दव्वसंधे१, २ अणेगविहे पं० तं०- हृयबंधे गय० किन्नरः किंपुरिस० महोरग० गंधव्य० उसभखंधे से तं सचित्ते दव्वधे । ४७ से किं तं अचित्ते दव्वखंधे १, अणेगविहे पं० [सं० दुपएसिए जाव दसपएसिए संखिज्जपएसिए असंखिजपएसिए अनंतपएसिए से तं अचित्ते दव्वखंधे । ४८। से किं तं मीसए दव्वखंधे १, २ अणेगविहे पं० तं० सेणाए अग्गिमे खंधे सेणाए मज्झिमे खंधे सेणाए पच्छिमे खंधे से तं मीसए दव्यस्वधे । ४९ अहवा जाणयसरीरभविअसरीरवइरिने दव्यरखंधे तिविहे पं० तं० कसिणखंधे अकसिणसंधे अणेगदवियखंधे। ५० । से किं तं कसिणखंधे १, २ से चैव यखंधे गयखंधे जाव उसभखंधे से तं कसिणखंधे। ५१ से किं तं अकसिणसंधे १, २ से चैव दुपए सियाइखंधे जाव अणंतपएसिए खंधे से तं अकसिणखंधे। ५२ से किं तं अणेगदवियखंधे १, २ तस्स चैव देते अवचिए तस्स चेव देसे उबचिए. से तं अणेगदवियखंधे से तं जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्ते दवखंधे से तं नोआगमओ दवखंधे से तं दवखंधे। ५३। से किं तं भावखंधे १, २ दुविहे पं० तं० आगमओ य नोआगमओ य । ५४। से किं तं आगमओ भावखंचे? २ जाणए उवडते, सेतं आगमओ भावखंधे। ५५। से किं तं नोआगमओ भावखंधे १, २ एएसिं चेव सामाइयमाइयाणं उन्हं अज्झयणाणं समुदयसमिइसमागमेणं आवस्सयसुयखंधे भावखंधेति लम्भइ से तं नोआगमओ भावखंधे से तं भावसंधे। ५६। तस्स णं इमे एगडिया णाणाघोसा णाणावंजणा नामभेजा भवति, तं० गण काए य निकाए संधे वग्गे तहेब रासी य पुंजे पिंडे निगरे संघाए आउल समूहे ॥ ५ ॥ से तं खंधे। ५७| आवस्सगस्स णं इमे अत्याहिगारा भवति, तं० साक्जजोगविरई उक्कित्तण गुणवओ य पडिवत्ती। खलियस्स निंदणा वणतिगिच्छ गुणधारणा चैव ॥ ६ ॥ ५८। आवस्सयस्स एसो पिंडत्यो वण्णिओ समासेणं एतो एकेकं पुण अज्झयणं कित्तइस्सामि ॥ ७ ॥ तं० सामाइयं चउवीसत्थओ बंदणयं पडिकमणं काउस्सग्गो पचक्खाणं तत्थ पढमं अज्झयणं सामाइयं, तस्स णं इमे चत्तारि अणुओगदारा भवति, तं० उबकमे निक्रखेवे अणुगमे नए। ५९। से किं तं उक्कमे १ २छविहे पं० [सं० णामोवकमे ठवणो दडो खेत्तो० कालो० भावोवकमे, नामठवणाओ गयाओ से किं तं दब्बोवकमे १ २ दुविहे पं० तं० आगमओ य नोआगमओ व जाव जाण गसरीरभवियसरीरवइरित्ते दव्वोवकमे तिविहे पं० सं० सचित्ते अचित्ते मीसए। ६० । से किं ते सचित्ते दब्बोवकमे १, २ तिविहे पं० तं०-दुपयाणं चउप्पयाणं अपयाणं, एकिके पुण दुविहे पं० [सं० परिकम्मे य वत्युविणासे य । ६१ । से किं तं दुपाए उबकमे ?, दुपयाणं नडाणं नाणं जाणं महाणं मुट्ठियाणं वेलंबगाणं कहगाणं पवगाणं लासगाणं आइक्खगाणं मुनि दीपरत्नसागर १३१० अनुयोगद्वारसूत्रं ० Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ न IS| लखाण मंखाणं तृणाडाणं तुंबवीणियाण काबोयाणं मागहाणं, से तं दुपए उवक्कमे ।६२। से किं तं चउप्पए उक्कमे ?, चउप्पयाणं आसाणं हत्थीणं इबाइ, से तं चउपए उक्कमे ६३॥ से कितं अपए उबकमे १,२ अपयाणं अंबाणं अंबाडगाणं इबाइ, सेतं अपओवक्कमे, से तं सचित्तदबोक्कमे । ६४॥से कि त अचित्तदब्बोक्कमे?. खंडाईणं गुडाईणं मच्छं ढीणं, से तं अचित्तदव्योवकमे । ६५। से कितं मीसए दब्बोक्कमे?, से चेव थासगआयंसगाइमंढिए आसाई, से तं मीसए दब्बोक्कमे, से तं जाणयसरीरभविअसरीरवारिसे दब्बो. प्रवक्कमे, (तत्थ दुपयाणं गयाइणा पण्णाइकरणं तहा कण्णखंधवद्धणं प चउप्पयाणं सिक्खागुणविसेसकरणं एवं अपयाणं रक्खा वदणं च अंचाइफलाणं च कोदवपलालाइसु सुपयाणं वत्थुविणासे पुरिसादीणं खग्गादीहिं विणासकरणं अचित्ताणं गुडादीणं जलणसंजोएण महुरतरगुडविसेसकरणं विणासो य खरादीहि, मीसदव्याणं ठासगाइविभूसिआणं आसादीणं सिक्खागुणपिसेसकरणं पा०) से तं नोआगमओ दब्बोवक्कमे, से तं दव्योषकमे । ६६। से किं तं खेत्तोवकमे?, जणं हलकुलिआईहिं खेत्ताई उवकमिजति (खेत्तस्स हलकुलिआदीहिं जोमायाकरणं विणासकरणं गयबंधणादीहिं पा०) से तं खेत्तोवकमे।६७असे कितं कालोवकमे, जंणं नालिआईहिं कालस्सोक्कमणं (कालपरिमणोवलक्षणं पा०) कीरह से तं का. लोक्कमे । ६८ासे किं तं भावोक्कमे १,२ दुविहे पं० तं०-आगमओय नोआगमओय, आगमओ जाणए उवउत्ते, नोआगमओ दुविहे पं० तं०-पसत्थे य अपसत्ये य, तत्थ अपसत्थे डोडिणिगणियाअमच्चाईणं, पसत्ये गुरुमाईणं, से तं नोआगमओ भावोवकमे, से तं भावोवकमे, से तं उक्कमे । ६९। अहवा उक्कमे छबिहे पं००-आणुपव्वी नामं पमाणं वत्तव्बया पच्ची:.२दसविहा ५००-नामाणपृथ्वी ठवणा० दव्वा. खेत्ता.काला उकित्तणा गणणा संठाणा सामायारी. भावाणपब्बी ७१ नामठवणाओ गयाओ, से किं तं दव्वा ?, दुविहा पं० त०-आगमओ य नोआगमञो य, से किं तं आगमओ दब्वा०,२ जस्स णं आणुपुब्वित्ति पयं सिक्खियं ठियं जिय मियं परिजियं जाव नो अणुप्पेहाए, कम्हा?, अणुवओगो दव्वमितिकटु, णेगमस्सगं एगो अणुवउत्तो आगमओ एगा दव्वा० जाव कम्हा? जइ जाणए अणुक्उत्ते न भवइ०, से तं आगमओ दब्वा०, से किं तं नोआगमओ दव्या०?,२ तिविहा पं० त०-जाणयसरीरदब्वाणुपुव्वी भवियसरीरदब्वाणुपुच्वी जाणयसरीरमवियसरीखइरित्ता दव्या०, से किं तं जाणयस रीरदव्याणुपुब्बी ?,२ पयत्थाहिगारजाणयस्स जं सरीरयं ववगयचुयचावियचत्तदेहं सेसं जहा दव्वावस्सए तहा भाणिय जाब से तं जाणयसरीरदवाणुपुत्री, से किं तं भवियसरीरदवाशणुपुत्री ?,२ जे जीवे जोणीजम्मणनिक्वंते सेसं जहा दवावस्सए जाव से तं भवियसरीरदवाणुपुत्री, से किं तं जाणयसरीरभवियसरीखइरित्ता दवा०,२ दुबिहा पं० त०- उवणि. हिया य अणोवणिहिया य, तत्थ णं जा सा उवणिहिया सा ठप्पा, तत्व णं जा सा अणोवणिहिया सा दुविहा पं० २०- नेगमववहाराणं संगहस्स या७२। से किं तं नेगमववहाराणं अणोवणिहिया दवाणुपुत्री ?,२ पंचविहा पं० सं०-अट्ठपयपरूवणया भंगसमुकित्तणया भगोवदसणया समोयारे अणुगमे । ७३ से किं तं नेगमववहाराणं अट्ठपयपरूवणया?,२ तिपएसिए आणुपुच्ची चउप्पएसिए आणुपुथ्वी जाव दसपएसिए आणुपुच्ची संखेजपएसिए आणुपुवी असंखिजपएसिए आणुपुब्बी अणंतपएसिए आणुपुब्बी, परमाणुपोग्गले अणाणुपुथ्वी, दुपएसिए अवत्तव्दए, तिपएसिया आणुपुवीओ जाव अणंतपएसिया आणुपुचीओ, परमाणुपोग्गला अणाणुपुवीओ, दुपएसियाई अवत्तव्वयाई. से तंणेगमववहाराणं अट्ठपयपरूवणया। ७४। एयाए णं नेगमववहाराणं अट्ठपरूवणयाए किं पओयणं, एयाए णं नेगमववहाराणं अट्ठपयपरूवणयाए भंगसमुकित्तणया कजइ।७५। से किं तं नेगमववहाराणं भंगसमुकित्तणया,२ अस्थि आणपब्बी अस्थि अणाणपुग्बी अस्थि अवत्तबए अस्थि आणपुथ्वीओ अस्थि अणाणपव्वीओ अस्थि अवत्तब्बयाई, अहवा अस्थि आणपश्वी य अणाणुपुत्री य अहवा अस्थि आणुपुधी य अणाणुपुच्चीओ य अहवा अस्थि आणुपुत्वीओ य अणाणुपुत्री य अहवा अत्थि आणुपुरीओ य अणाणुपुषीओ य अहवा अत्यि आणुपुची य अश्वत्तथए य अहवा अस्थि आणुपुत्री य अवत्तवयाई च अहवा अस्थि आणुपुधीओ य अवत्तवए य अहवा अस्थि आणुपुत्रीओ य अबत्तवयाई च अहवा अस्थि अणाणुपुष्यी य अवत्त. व्वए य अहवा अस्थि अणाणुपुब्वी य अवत्तवयाईच अहवा अस्थि अणाणुपुवीओ य अवत्तवए य अहवा अस्थि अणाणुपुवीओ य अवत्तत्रयाई च, अहवा अस्थि आणुपुष्वी य अणा पत्री य अवत्तबए य अहवा अस्थि आणुपव्वी य अणाणुपुब्बी य अवत्तव्बयाईच अहवा अस्थि आणुपुष्वी य अणाणपब्बीओ य अवत्तव्चए य अहवा अस्थि आणुपुब्बी य अणा. गुपव्वीओ य अवत्तव्वयाई च अहवा अस्थि आणुपुब्बीओ य अणाणुपुष्वी य अवत्तब्वए य अहवा अस्थि आणुपुब्बीओ य अणाणुपुच्ची य अवत्तब्वयाई च अहवा अस्थि आणुपुथ्वीओ य अणाणुपुव्वीओ य अवत्तव्यए य अहवा अस्थि आणुपुचीओ व अणाणुपुत्रीओ य अक्त्तवयाई च, एए अड मंगा, एवं सोऽपि छबीस मंगा। से तं नेगमक्वहारार्ण भंगसमु-- १३११ अनुयोगद्वारसूत्र - मुनि दीपरनसागर Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कित्तणया । ७६ । एआए णं नेगमववहाराणं भंगसमुक्कित्तणयाए किं पओयणं १, एआए णं नेगमववहाराणं भंगसमुक्कित्तणयाए भंगोवदंसणया कीरइ। ७७ । से किं तं नेगमववहाराणं भंगोवदंसणया १, २ तिपएसिए आणुपुत्री परमाणुपोग्गले अणाणुपुत्री दुपए सिए अवत्तब्बए, अहवा तिपएसिया आणुपुब्बीओ परमाणुपोम्गला अणाणुपुब्बीओ दुपएसिया अवत्तब्वयाई, अहवा तिपएसिए य परमाणुपुग्गले य आणुपुव्वी य अणाणुपुब्बी य० चडभंगो, अहवा तिपएसिए व दुपएसिए य आणुपुथ्वी य अवतव्वए य० चउभंगो. अहवा पर माणुपोम्माले यदुपए लिए य अणाणुपुब्बी य अवत्तव्वए य० चडभंगो, अहवा तिपएसिए य परमाणुपोग्गले य दुपए सिए य आणुपुथ्वी य अणाणुपुथ्वी य अवत्तब्वए य अहवा तिपएसिए य परमाणुपोम्गले य दुपएसिआ य आणुपुथ्वी य अणाणुपुथ्वी य अवत्तब्वयाई च अहवा तिपएसिए य परमाणुपुग्गला व दुपएसिए य आणुपुथ्वी य अणाणुपुब्बीओ य अवतव्वए य अहवा तिपएसिए य परमाणुपोग्गला य दुपएसिया य आणुपुथ्वी य अणाणुपुथ्वीओ य अवत्तहयाई च अहवा तिपएसिया य परमाणुपोग्गले य दुपए सिए य आणुपुडीओ य अणाणुपुत्री य अवत्तए य अहवा तिपएसिया य परमाणुपोम्मले य दुपएसिया य आणुपुडीओ व अणाणुपुत्री य अवत्तश्याई च अहवा तिपएसिया य परमाणुपोग्गला यदुपएसिए य आणुपुडीओ य अणाणुपुडीओ य अवत्तश्ए य अहवा तिपएसिया य परमाणुपोग्गला व दुपएसिया य आणुपुडीओ य अणाणुपुडीओ य अवत्तश्याई च से तं नेगमववहाराणं भंगोवदंसणया । ७८ । से किं तं समोयारे १, नेगमववहाराणं आणुपुब्बीदब्वाई कहिं समोअरंति किं आणुपुथ्वीदब्वेहिं समोअरंति अणाणुपुथ्वीदब्वेहिं समोअरंति अवत्तब्वयदव्वेहिं समोअरंति ?, नेगमववहाराणं आणुपुब्बीदव्बाई आणुपुब्बीदव्वेहिं समोअरंति नो अणाणुपुत्रीदवेहिं समोअरंति नो अवत्तशयदद्वेहिं समोअरंति, नेगमववहाराणं अणाणुपुथ्वीदब्वाई कहिं समोअरंति किं आणुपुच्चीदव्वेहिं समोअरंति अणाणुपुब्बीदब्वेहिं समोअरंति अवत्तब्वयदब्वेहिं समोअरंति ? नो आणुपुच्चीदव्वेहिं समोअरंति अणाणुपुच्चीदव्वेहिं समो अरंति नो अवत्तनयदद्वेहिं समोअरंति, नेगमववहाराणं अवत्तश्यदवाई कहिं समोअरंति किं आणुपुत्रीदवेहिं समोअरंति अणाणुपुत्रीदवेहिं समोअरंति अवत्तव्ययदव्वेहिं समोअरंति ?, नो आणुपुथ्वीदहिं समोअरंति नो अणाणुपुत्रीदतेहिं समोयरंति अवत्तव्वयदव्वेहिं समोअरंति से तं समोआरे । ७९ । से किं तं अणुगमे १, नवविहे पं० तं० संतपयपरूवणया दव्वपमाणं च खित्त फुसणा य कालो य अंतरं भाग भाव अप्पाबहु चैव ॥ ८ ॥ ८०। नेगमबवहाराणं आणुपुथ्वीदब्वाई कि अत्थि नत्थि ?, णियमा अस्थि, नेगमववहाराणं अणाणुपुडीदवाई किं अस्थि णत्थि ?, णियमा अस्थि, नेगमववहाराणं अवत्तब्बगदवाई किं अस्थि णत्थि ? नियमा अस्थि । ८१ । नेगमववहाराणं आणुपुथ्वीदब्बाई किं संखिजाई असंखिजाई ताई? नो संखिजाई नो असंखिजाई अनंताई एवं अणाणुपुब्बीदब्वाई अवतव्यगदम्बाई च अनंताई भाणियवाई। ८२ । नेगमववहाराणं आणुपुच्चीदच्चाई लोगस्स किं संखिजइभागे होजा असंखिजइभागे होजा संखेजेसु भागेसु होजा असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा सबलोए होजा ? एगं दक्षं पहुच संखेज्जइभागे वा होजा असंखेजइभागे वा होज्जा संखेज्जेसु भागेसु वा होजा असंखिजेसु भागेसु वा होजा सबलोए वा होना, णाणादवाई पडुच नियमा सबलोए होजा नेगमववहाराणं अणाणुपुत्री दवाई किं लोयस्स संखिजइभागे होजा जाब सबलोए वा होजा १, एगं दक्षं पहुच नो संखेजइभागे होज्जा असंखिजइभागे होना नो संखेजेसु भागेसु होजा नो असंखेज्जेसु भागेसु होजा नो सबलोए होजा, णाणादवाई पडुच नियमा सबलोए होजा, एवं अवत्तत्रगदवाई भाणियवाई । ८३ । नेगमववहाराणं आणुपुत्रीदवाई लोगस्स किं संखेजइभागं फुर्सति असंखेज्जइभागं फुसंति संखेजे भागे फुर्सति असंखेजे भागे फुसति सङ्घलोगं फुसंति ?, एगं दक्षं पहुंच लोगस्स संखेज्जइभागं वा फुर्सति जान सङ्घलोगं वा फुसंति, णाणादवाई पडुच नियमा सङ्घलोगं फुसंति णेगमववहाराणं अणापुत्रीबाई लोयस्स किं संखेज्जइभागं फुर्सति जाव सव्वलोगं फुसंति ?, एवं दबे पडुच नो संखिज्जइभागं फुसंति असंखिज्जइभागं कुतंति नो संखिजे भागे फुसंति नो असंखिजे भागे संति नो सब्बलोयं फुसंति, नाणादव्वाइं पहुच नियमा सम्बलोयं कुसंति, एवं अवत्तब्वगदव्वाई भाणियव्वाई ( एवं फुसणावि णायव्वा पा० ) । ८४ । णेगमववहाराणं आणुपुवीदवाई कालओ केवधिरं होइ १. एगं दव्वं पडुच जहण्येणं एवं समयं उकोसेणं असंखेतं कालं, णाणादव्वाई पहुंच णियमा सब्वदा, अणाणुपुथ्वीदब्वाई अवत्तव्यगदब्वाई च एवं चैव भाणियव्वाई। ८५ । णेगमववहाराणं आणुपुच्चीदव्वाणं अंतरं कालओ केवचिरं होइ ?, एगं दब्बं पडुच जहणं एवं समयं उक्कोसेणं अनंतं कालं न णादव्वाई पडुच णत्थि अंतरं गमववहाराणं अणाणुपुच्चीदव्याणं अंतरं कालओ केवचिरं होइ ?, एगं दबे पडुब जहणेणं एवं समयं उक्कोसेणं असंखेजं कालं, नाणादब्वाई पडुच णत्थि अंतरं, णेगमववहारार्ण अवत्तव्वगदव्वाणं अंतरं कालओ केवश्विरं होइ ?, एवं दब्बं पहुच जहनेणं एवं समयं उकोसेणं अनंतं कालं, नाणादव्वाई पडुच णत्थि अंतरं, (अवत्तब्वयाई जधा आणु (३२८) १३१२ अनुयोगद्वारसूत्र मुनि दीपरत्नसागर Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुचीदवाई पा०)।८६। णेगमववहाराणं आणुपुब्बीदव्बाई सेसदव्वाणं कहभागे होजा कि संखिजइभागे होजा असंखिजइमागे होजा संखेजेसु भागेसु होज्जा असंखेजेसु भागेसु होजा?, नो संखिज.10 इभागे होजा नो असंखिजइभागे होजा नो संखेजेसु भागेसु होजा, नियमा असंखेजेसु भागेसु होजा, गमववहाराणं अणाणुपुथ्वीदच्चाई सेसदव्वाणं कइमागे होजा कि संखिजइभागे होजा असंखिजइभागे होजा संखेजेसु भागेसु होज्जा असंखेजेसु भागेसु होजा?, नो संखेजइभागे होज्जा असंखेजइभागे होजा नो संखेजेसु भागेसु होजा नो असंखेजेसु भागेसु होज्जा, एवं अवत्तव्यगदब्बाणिवि भाणियव्याणि । ८७॥णेगमववहाराणं आणुपुष्यीदव्बाई कतरंमि मावे होजा? किं उदइए भावे होज्जा उपसमिए भावे होजा खाइए भावे होजा खाओवसमिए भावे होज्जा पारिणामिए भावे होजा संनिवाइए भावे होजा?.णियमा साइपारिणामिए भावे होज्जा, अणाणुपुब्बीदव्याणि अवत्तव्बगदब्वाणि य एवं चेव भाणियव्याणि । ८८ा एएसि णं भंते ! णेगमबबहाराणं आणुपुब्बीदव्याणं अणाणुपुब्बीदव्वाणं अवत्तव्वगव्वाण य दबट्ठयाए पएसट्टयाए दव्यदुपएसट्ठयाए कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया था तुला या बिसेसाहिया वा?, गोयमा! सव्वस्थोबाई गमववहाराणं अवत्तव्बगदम्बाई दबट्ठयाए अणाणुपुयीदवाई दबट्ठयाए बिसेसाहियाई आणुपुब्बीदव्वाई दबट्ठयाए असंखेजगुणाई, पएसट्ठयाए णेगमववहाराणं सव्वत्थोचाई अणाणुपुयीदय्बाई अपएसट्टयाए अवनव्यगदव्याई पएसद्वयाए बिसेसाहियाई आणुपुथ्वीदव्याई पएसट्ठयाए अर्णतगुणाई, दब्वट्ठपएसट्टयाए सव्यथोवाई गमववहाराणं अवत्तबगदव्वाई दब्बट्टयाए अणाणुपुष्यीदवाई दब्वट्ठयाए अपएसट्टयाए विसेसाहियाई अवत्तव्बगदवाई पएसट्टयाए विसेसाहियाई आणुपुथ्वीदयाई दबट्ठयाए असंखेनगुणाई ताई चेव पएसट्टयाए अणंतगुणाई, से तं अणुगमे, से तं नेगमयवहाराणं अणोवणिहिया दब्वाणुपुब्बी।८९। से किं तं संगहस्स अणोवणिहिया दव्याणुपुयी?,२ पंचविहा पं० तं०-अटुपयपरूबणया भंगसमुक्त्तिणया भंगोवदंसणया समोयारे अणुगमे ।९०। से किं तं संगहस्स अट्ठपयपरूवणया ?,२ तिपएसिए आणुपुब्बी चउप्पएसिए जाव दसपएसिए संखिजपएसिए असंखिजपएसिए• अणंतपएसिए आणुपुष्यी परमाणुपोग्गले अणाणुपुब्बी दुपएसिए अवत्तब्वए, से तं संगहस्स अट्ठपयपरूवणया।९१। एयाए णं संगहस्स अट्ठपयपरूवण. याए किं पओयणं, एयाए णं संगहस्स अट्ठपयपरूवणयाए संगहस्स भंगसमुक्त्तिणया कजइ, से किं तं संगहस्स भंगसमुकित्तणया?, अस्थि आणुपुवी अस्थि अणाणुपुब्बी अस्थि अवनव्वए अहवा अस्थि आणुपुथ्वी य अणाणु० य अहया अस्थि आणु० य अवत्तबए य अहवा अस्थि अणाणु० य अवत्तबए य अहवा अस्थि आणुपुष्वी य अणाणुपुष्वी य अवत्तब्बए य एवं सत्त भंगा, से तं संगहस्स भंगसमुक्रित्तणया, एयाए णं संगहस्स भंगसमुकित्तणयाए कि पओयणं, एयाए णं संगहस्स भंगसमुक्त्तिणयाए संगहस्स भंगोवदंसणया कीरइ । ९२। से किं तं संगहस्स भंगोवदसणया?.२ निपएसिया आणुपुब्बी परमाणुपोग्गला अणाणुपुष्यी दुपएसिया अवत्तब्बए, अहवा तिपएसिया य परमाणुपोग्गला य आणुपुब्बी य अणाणुपुब्वी य अहवा तिपएसिया य दुपएसिया य आणुपुत्री य अवत्तवए य अहवा परमाणुपोग्गला य दुपएसिया य अणाणुपुत्री य अवत्तबए य अहवा तिपएसिया य परमाणुपोग्गला य दुपएसिया य आणुपुत्री य अणाणुपुत्री य अवत्तथए य, से तं संगहस्स भंगोबर्दसणया।९३ । से किं तं संगहस्स समोयारे?, संगहस्स आणुपुचीदवाई कहिं समोयरंवि किं आणुपुधीदवेहिं समोयरंति अणाणुपुचीदधेहि समोयरंति अवत्तब्बगदब्बेहि समोयरंति?, संगहस्स आणुपुचीदव्वाई आणुपुब्बीदवेहि समोयरंति नो अणाणपुचीदधेहि समोयरति नो अवत्तब्वगदम्वेहिं समोयरंति, एवं दोनिवि सट्ठाणे सहाणे समोयरंति, से वं समोयारे।९४ से किं तं अणुगमे १,२ अट्ठविहे पं० त०-संतपयपरूवणया दवप. माणं च खित्त फसणा य । कालो अंतरं भाग भावे अप्पाबहुं नस्थि ॥९॥ संगहस्स आणुपुत्रीदवाई किं अस्थि णस्थि?, नियमा अस्थि, एवं दोनिवि, संगहस्स आणुपुषीदवाई किं संखिज्जाई असंखेजाई अणंताई, नो संखेजाई नो असंखेजाई नो अणंताई, नियमा एगो रासी, एवं दोनिवि, संगहस्स आणुपुचीदवाई लोगस्स कइभागे होजा किं संखेजइभागे होना असंखेजइभागे होज्जा संखेजेसु भागेसु होज्जा असंखेजेसु भागेसु होजा सब्बलोए होजा?, नो संखेजइभागे नो असंखेजइभागे नो संखेजेसु भागेसु नो असंखेज्जेसु भागेसु, नियमा सबलोए होजा, एवं दोनिवि, संगहस्स आणुपुच्चीदवाई लोगस्स कि संखेजइभार्ग फुसंति असंखेजहभागं फुसंति संखिजे. असंखिजे. सबलोगं फुसति ?, नो संखेजइभार्ग फुसति जाव नियमा सबलोग फुसंति, एवं दोनिवि, संगहस्स आणुपुचीदवाई कालओ केवचिरं होंनि?, सबदा, एवं दोण्णिवि, संगहस्स आणुपुत्रीदवाणं कालतो केवचिरं अंतर होति !, नस्थि अंतरं, एवं दोषिणवि, संगहस्स आणुपुषीदवाई सेसदवाणं कहभागे होजा किं संखेजइभागे असंखेजइभागे संखेजेसु भागेसु असंखेजेसु भागेसु होजा?, नो संखेजइभागे नो असंखेजइभागे नो संखेजेसु भागेसु नो असंखेजेसु भागेसु, नियमा तिभागे, एवं दोनिवि, संगहस्स आणुपुचीदवाई कयरंमि भावे होज्जा ?, नियमा साइपारिणामिए भावे होजा, एवं दोनिवि, अप्पाबहुं नस्थि। से तं अणुगमे, से तं संगहस्स अणोवणिहिया दवाणुपुधी, से तं अणोवणिहिया दवाणुपुधी।९५। से किं तं उवणिहिया दवाणुपुची?२ तिविहा पं० त०-पुवाणुपुत्री पच्छाणुपुष्वी अणाणुपुब्बी य।९६। से किं तं पुवाणुपुत्री',२ धम्मस्थिकाए अधम्म आगास जीव० पोग्गलस्थिकाए अदासमए, से तं पुवाणुपुत्री, से किं तं पच्छाणुपुत्री ?, २ अदासमए पोग्गलस्थिकाए जीव० आगास० अहम्म० धम्मस्थिकाए, से तं पच्छाणुपुषी, से किं तं अणाणपुची, २एयाए व एगाइआए एगुत्तरिआए उगच्छगयाए सेढीए अण्णमण्णम्भासो दुरूवृणो, 1 १३१३ अनुयोगद्वारसूत्र - मुनि दीपरतसागर Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ से तं अणाणुपुची।९७। अहवा उवणिहिआ दवाणुपुश्वी तिविहा पं० त० पुव्वाणुपुषी पच्छाणुपुब्बी अणाणुपुवी, से किं तं पुत्राणुपुची १,२ परमाणुपोग्गले दुपएसिए तिपएसिए जाव दसपएसिए संखिजपए-15 सिए असंखिजपएसिए अणंतपएसिए, से तं पुज्वाणुपुच्ची, से किं तं पच्छाणुपुची १,२ अणंतपएसिए असंखिजपएसिए संखिजपएसिए जाव दसपएसिए जाव तिपएसिए दुपएसिए परमाणुपोग्गले, से तं पच्छाणुपुत्री, से किं तं अणाणुपुत्री ?,२एआए चेव एगाइआए एगुत्तरिआए अर्णतगच्छगयाए सेढीए अन्नमण्णम्भासो दुरूवृणो, सेतं अणाणुपुव्वी, से तं उवणिहिआ दव्याणपुब्बी, से तं जाणग० वइरित्ता दव्याणपुच्ची, से नं नोआगमओ दव्याणपुची, से तं दवाणुपुब्बी ।९८ा से किं तं खेत्ताणुपुत्री १,२ दुबिहा पं० त०- उवणिहिया य अणोवणिहिया य । ९९। तत्थ णं जा सा उपणिहिया सा ठप्पा, तत्थ णं जा सा अणोवणिहिया सा दुविहा पं० त०-णेगमववहाराणं संगहस्स य।१००। से किं तं गमववहाराणं अणोवणिहिया खेत्ताणुपुष्वी १,२पंचविहा पं० तं०-अट्ठपयपरूवणया भंगसमुकित्तणया भंगोवदं - सणया समोयारे अणुगमे, से किं तं गमववहाराणं अट्ठपयपरूवणया १,२ तिपएसोगाढे आणुपुत्वी जाव दसपएसोगाढे आणुपुत्री जाव संखिजपएसोगाढे आणुपुत्रवी असंखिजपएसोगाढे आणुपुत्री, एगप एसोगाढे अणाणुपुत्री, दुपएसोगाढे अवत्तथए, तिपएसोगाढा आणुपुवीओ जाव इसपएसोगाढा आणुपुबीओ जाव असंखिजपएसोगाढा आणुपुच्चीओ. एगपएसोगाढा अणाणुपुरीओ, दुपएसोगाढा अवत्त| बगाई.सतं गमववहाराणं अटुपयपरूवणया,एयाएणं अटुपयपरूवणयाए किपओयणं, एयाए णेगमववहाराणं अट्ठपयपरूवणयाए णेगमवत्रहाराणं भंगसमुकित्तणया कजइ. से कितअंगम राणं भंगसमुक्त्तिणया ?, २ अस्थि आणुपुञ्ची अस्थि अणाणुपुव्वी अस्थि अवत्तथए, एवं दवाणुपुश्विगमेणं खेत्ताणुपुच्चीएऽवि ते चेव छवीस भंगा भाणियबा, जाव से तं णेगमववहाराणं भंगसमुक्त्तिणया, एयाए णं णेगमववहाराणं भंगसमुकित्तणयाए कि पओयण ?, एयाए णं णेगमववहाराणं मंगसमुक्त्तिणयाए णेगमववहाराणं भंगोवदसणया कजइ, से किं तं गमववहाराणं भंगोवर्दसणया १,२ तिपएसोगाढे आणुपुश्वी एगपएसोगाढे अणाणुपव्वी दुपएसोगाढे अवत्तथए तिपएसोगाढा आणुपुत्रीओ एगपएसोगाढा अणाणुपुष्वीओ दुपएसोगाढा अवत्तबगाई अहवा तिपएसोगाढे य एगपएसोगाढे य आणुपुर्वी य अणाणपत्री य एवं तहा चेय दब्बाणपत्रीगमेणं छब्बीस भंगा भाणिवा जाव से तं गमववहाराणं मंगोवदंसणया। सेकिंतंसमोयारे?.२णेगमववहा दहिं समोयरति नो अणाणपत्रीदवेहि नो अवत्तवयदवेडिं. एवं तिष्णिवि सहाणे समोयरतित्ति भा हे पं० तं०-संतपयपरूवणया जाव अप्पाबई चेव ॥१०॥णेगमववहाराणं आणपत्रीदवाई किं अस्थि णस्थि?,णियमा अस्थि, एवं दुण्णिवि, णेगमववहाराण आणुपुत्रीदवाई कि संखिजाई असंखिजाई अणंताई, नो संखिजाई नो असंखिज्जाई अणंताई, एवं दुषिणवि, गमवहाराणं आणुपुचीदवाइं लोगस्स कि संखिजाभागे होजा असंखिज्जइभागे होजा जाव सबलोए होजा?. एगं दवं पडुश्च लोगस्स संखिज्जइभागे वा होजा असंखिजइभागे वा होज्जा संखेजेसु० असंखेज्जेसु भागेसु वा होजा देसूणे वा लोए होज्जा, नाणादवाई पडुच नियमा सञ्चलोए होजा, णेगमववहाराणं अणाणुपुचीदवाणं पुच्छाए एग दवं पडुच नो संखिजइभागे होजा असंखिज्जइभागे होज्जा नो संखेज्जेसुनो असंखेजेसु नो सबलोए होज्जा, नाणादवाई पटुब नियमा सबलोए होजा, एवं अवनवगदवाणिचि भाणिवाणि । गमववहाराणं आणुपुचीदवाई लोगस्स किं संखेजइभागं फुसंति असंखिजइभागं फुसति संखेजे भागे फुसंति जाव सबलोयं फुसंति?, एग दर्ष पहुच संखिजइभागं वा फुसइ संखिजे भागे वा असंखेजे भागे वा देसूर्ण वा लोगं फुसइ, णाणादशाई पच णियमा सबलोयं फुसंति, अणाणुपुत्रीदनाई अवत्तवगदवाई च जहा खेत्तं नवरं फुसणा भाणियवा। णेगमववहाराणं आणुपुचीदवाई कालओ केवचिरं होई., एवं तिण्णिवि एग दवं पहुंच जहनेणं एगं समयं उक्कोसेणं असंखिजं कालं, नाणादखाई पडुब णियमा सबदा, गमवयहाराणं आणुपुत्रीदवाणमंतरं कालओ केवचिरं होइ?. तिण्हंपि एग दवं पहुंच जहण्णेणं एक समय उकोसेणं असंखेज कालं, नाणादबाई पडुच णथि अंतरं, गमववहाराणं आणपुचीदवाई सेसदवाणं कइभागे होजा?, तिण्णिवि जहा दवाणुपुचीए, योगमववहाराणं आणुपुषीदवाई कयरंमि भावे होजा?, णियमा साइपारिणामिए भावे होजा, एवं दोषिणवि, एएसिणं भंते ! णेगमववहाराणं आणुपुत्रीदवाणं अणाणुपुचीदवाणं अवत्तव्यगदव्याण य दवट्ठयाए पएसट्ठयाए दबद्रुपएसट्ठयाए कयरे कयरेहिंतो अप्पा या बहुआ वा तुला वा विसेसाहिया वा?, गोयमा ! सबत्योबाई गमववहाराणं अवत्तबगदवाई दबट्ठयाए अणाणुपुचीदवाई दवट्ठयाए विसेसाहियाई आणुपुब्बीदव्बाई दबट्ठयाए असंखेजगुणाई, पएसद्गुयाए सम्बत्योबाई गमववहाराणं अणाणुपुचीदवाई अपएसट्टयाए अवत्तबगदवाई पएसट्ठयाए विसेसाहियाई आणुपुत्रीदवाई पएसट्ठयाए असंखेजगुणाई. दादुपएसट्ठयाए सबथोवाई गमववहाराणं अवत्तबगदवाई दबट्ठयाए अणाणुपुत्रीदवाई दबट्ठयाए अपएसट्ठयाए विसेसाहियाई अवत्तधगदवाई पएसट्ठयाए बिसेसाहियाई आणुपुत्रीदवाइं दवट्ठयाए असंखेजगुणाई ताई चेव पएसट्ठयाए असंखेजगुणाई, से तं अणुगमे। से तं गमववहाराणं अणोवणिहिया खेत्ताणुपुषी।१०१० से किं तं संगहस्स अणोवणिहिया खेताणुपुत्री ?,२ पंचविहा पं० सं०अट्ठपयपरूवणया भंगसमुकित्तणया भंगोवर्दसणया समोयारे अणुगमे, से किं तं संगहस्स अट्ठपयपरूवणया ?, तिपएसोगाढे आणुपुची चउप्पएसोगाढे आणुपुत्री जाव दसपएसोगाढे आणुपुत्री संखिजपएसो१३१४ अनुयोगद्वारसूत्रं - मुनि दीपरत्नसागर 44 Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गाढे आणुपुत्री असंखिजपएसोगाढे आणुपुत्री एगपएसोगाढे अणाणुपुषी दुपएसोगाढे अवत्तथए, से तं संगहस्स अट्ठपयपरूवणया, एयाए णं संगहस्स अट्ठपयपरूवणयाए कि पओयणं?, संगहस्स अट्ठपयपरूवणयाए संगहस्स भंगसमुकित्तणया कीरह, से किं तसंगहस्स भंगसमुकित्तणया?,२ अस्थि आणुपुत्री अस्थि अणाणु० अस्थि अवत्तबए, अहवा अस्थि आणु० य अणाणु० य एवं जहा दवाणुपुत्रीए संग हस्स तहा भाणियावं जाब से तं संगहस्स भंगसमुकित्तणया। एयाए णं संगहस्स भंगसमुकित्तणयाए किं पओयण', एयाए णं संगहस्स भंगसमुक्कित्तणयाए संगहस्स भंगोवदसणया कज्जइ, से किंतं संगहस्स भंगोवदंसणया?,२तिपएसोगाढे आणुपुषी एगपएसोगाढे अणाणुपुती दुपएसोगाढे अवत्तवए अहवा तिपएसोगाडे य एगपएसोगाढे य आणुपुधीय अणाणपुब्बी य एवं जहा दवाणुपुत्रीए संगहस्स तहा खेत्ताणुपुत्रीएवि भाणियत्रं जाव से तं संगहस्स भंगोवदंसणया। से किं तं समोयारे?,२संगहस्स आणुपुचीदवाई कहिं समोयरंति ?,किं आणुपुधीदचेहि समोयरंति अणाणुपुचीदवेहिं अवत्तवगदावेहिं ?. तिषिणवि सट्ठाणे समोयरंति, से तं समोयारे। से किं तं अणुगमे १,२ अट्ठविहे पं०२०-संतपयपरूवणया जाव अप्पाबहुं नस्थि ॥११॥ संगहस्स आणुपुत्रीदवाई किं अस्थि णस्थि?, नियमा अस्थि, एवं तिण्णिवि. सेसगदाराई जहा दवाणुपुछीए संगहस्स तहा खेत्ताणुपुषीएवि भाणियबाई जाव से तं अणुगमे, से तं संगहस्स अणोवणिहिया खेत्ताणुपुत्री, से तं अणोवणिहिया खेत्ताणुपुची।१०२। से किं तं उपणिहिआ खेत्ताणुपुत्री ?,२ तिविहा पं० त०-पुत्राणुपुत्री पच्छाणुपुत्री अणाणुपुब्वी, से किं तं पुवाणुपुष्वी १,२ अहोलोए तिरिअलोए उड्ढलोए, से तं पुषाणुपुषी, से किं तं पच्छाणुपुत्री ?,२ उड्ढलोए निरिअलोए अहोलोए, से तं पच्छाणुपुत्री, से किं तं अणाणुपुधी?,२एआए चेव एगाइआए एगुत्तरिआए तिगच्छगयाए सेटीए अन्नमनभासो दुरूवूणो, से तं अणाणुपुत्री, अहोलोअखेत्ताणुपुधी तिविहा पं० तं-पुवाणुपुत्री पच्छाणुपुची अणाणुपुत्री, से किं तं पुत्राणुपुत्री ?,२ रयणप्पभा सक्करप्पभा वालुअप्पमा पंकप्पभा धूमप्पमा तमप्पभा तमतमप्पभा, से तं पुवाणुपुधी, से किं तं पच्छाणुपुवी?, २ तमतमप्पभा जाव रयणप्पभा, से तं पच्छाणुपुत्री से किं तं अणाणुपुश्वी,२एआए चेव एगाइआए एगुत्तरियाए सत्तगच्छगयाए सेढीए अन्नमन्नम्भासो दुरूवृणो,सेतं अणाणुपुत्री, तिरिअलोअखेत्ताणपुची तिविहा पंत-पुवाणुपुरी पच्छाणुपुत्री अणाणुपुत्री.से किं तं पुवाणुपुत्री ?.२'जंबुद्दीवे लवणे धायइ कालोय पुक्खरे वरुणे। खीर घय खोय नंदी अरुणवरे कुंडले रुयगे॥१२॥ आभरणवत्थगंधे उप्पलतिलए य पुढवि. निहिरयणे। वासहरदहनईओ विजया वक्खार कप्पिदा ॥३॥ कुरुमंदरआवासा कूडा नक्खत्तचंदसूरा य । देवे नागे जक्खे भूए य सयंभुरमणे य ॥१४॥ से तं पुष्वाणुपुत्री, से किं तं पच्छाणुपुत्री?. सयंभरमणे य जाब जंबुद्दीवे, सेतै पच्छाणपुची, से किं ते अणाणुपुची,२ एयाए चेव एगाइयाए एगुत्तरियाए असंखेज्जगच्छगयाए सेढीए अण्णमण्णम्भासो दुरूवृणो, से तं अणाणुपुत्री, उड्ढलोअखेत्ताणुपुत्री तिविहा पं० २० पवाणपत्री पच्छाणपत्री अणाणपुत्री से कि त पुराणपुरी?.२ सोहम्मे ईसाणे सर्णकुमारे माहिंदे बंभलोए लंतए महासुके सहस्सारे आणए पाणए आरणे अथए गेवेजविमाणा अणत्तरविमाणा ईसिपम्भारा, से तं पुवाणुपुत्री, से किं तं पच्छाणुपुत्री ?,२ ईसिपम्भारा जाव सोहम्मे, से तं पच्छाणपुष्ठी, से किं तं अणाणुपुत्री?,२एआए चेव एगाइयाए एगुत्तरियाए पन्नरसगच्छगयाए सेढीए अनमन्नम्भासो दुरूवृणो, से तं अणाणपत्री, अहवा उवणिहिया खेत्ताणुपची तिविहा पं० २०-पुवाणुपुची पच्छाणुपुत्री अणाणुपुची, से किं तं पुत्राणपत्री, २ एगपएसोगाढे दुपएसोगाढे दसपएसोगाढे संखिज्जपएसोगाढे जाव असंखिजपएसोगाढे, से तं पुष्वाणुपुत्री, से किं तं पच्छाणुपुत्री ?,२ असंखिजपएसोगाढे संखिजपएसोगाढे जाव एगपएसोगाढे, से तं पच्छाणुपुत्री, से किं तं अणाणुपुत्री ?,२एआए चेव एगाइयाए एगुत्तरियाए असंखिजगच्छगयाए सेढीए अन्नमन्नब्भासो दुरूवूणो, से तं अणाणुपुत्री, से तं उवणिहिया खेत्ताणुपुत्री, से तं खेत्ताणुपुष्टी।१०३ से किं तं कालाणु०१,२ दुविहा पं० तं०. उपणिहिया य अणोवणिहिया य।१०४ा तत्थ णं जा सा उवणिहिया सा ठप्पा, तत्थ णं जा सा अणोवणिहिया सा दुविहा पं०२० गमववहाराणं संगहस्स य।१०५। से किं तं गमववहाराणं अणोवहिया कालाणु०१.२पंचविहा पं० त०-अट्ठपयपरूवणता भंगसमुक्त्तिणया भंगोवर्दसणया समोआरे अणुगमे । १०६। से किं तं णेगमववहाराणं अट्ठपयपरूवणया ?.२ तिसमयट्टिइए आणु० जाव दससमयट्ठिदए आणुः संखिजसमयहिदए आणु, असंखिज्जसमयट्टिइए आणु० एगसमयडिइए अणाणु दुसमयट्टिइए अवत्तबए, तिसमयठिइयाओ आणुपुछीओ एगसमयहिइयाओ अणाणुपुब्वीओ दुसमयद्विइओ अवत्तबगाई, सेतं गमववहाराणं अट्ठपयपरूवणया; एयाए ण णेगमवबहाराणं अट्ठपयपरूवणयाए कि पओयणं. एयाए णं णेगमववहाराणं अट्ठपयपरूवणयाए णेगमववहाराणं भंगसमुकित्तणया कजइ।१०७॥से किं तं गमववहाराणं भंगसमुक्त्तिणया १,२ अस्थि आणु० अस्थि अणाणु० अस्थि अवत्तवए.एवं दवाणुपुथ्वीगमेणं कालाणुपुत्वीएवि ते चेव छबीसं भंगा भाणिअबा जाव से तं गमबवहाराणं भंगसमुकित्तणया, एयाए णं णेगमववहाराणं भंगसमुक्त्तिणयाए कि पओयण ?, एयाए णं णेगमववहाराणं भंगसमुकित्तणयाए णेगमववहाराणं भंगोवदंसणया कजई।१०८1 से किं तं गमववहाराणं भंगोवदसणया १,२ तिसमयदिइए आणु०. एगसमयट्ठिइए अणाणु० दुसमयडिइए अवत्तवए, तिसमयद्विहआ आणपतीओ एगसमडिआ अणाणपत्रीओ बसमयहिना अवत्तगाट तिसमयट्टिइए य एगसमयट्टिइए य आणु० अणाणु० य एवं तहा चेव दवाणुपुब्बीगमेणं छवीसं भंगा भाणिअव्वा जाव से तं गमवक्हाराणं भंगोवर्दसणया ।१०९। से कि तं समोयारे ? २ णेगमववहाराणं १३१५ अनुयोगद्वारसूत्रं - - मुनि दीपरत्नसागर Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आणु० दबाई कहिं समोयरति? किं आणुव्दवेहिं समोयरति अणाणुव्वीदवेहिं अवत्तव्वग०१, एवं तिष्णिवि सटाणे समोयरंति इति भाणिअव्वं, से तं समोयारे । ११०। से किं तं अणुगमे ?,२ णवविहे पं० । | तं० संतपयपरूवणया जाव अप्पाचहुं चेव ॥ १५॥ गमववहाराणं आणुपुव्वीदव्वाई किं अस्थि णत्थि ?, नियमा तिष्णिवि अस्थि, णेगमववहाराणं आणु०दवाई किं संखेजाई असंखेजाई अणंताई, तिष्णिवि नो संखिजाई असंखेजाई नो अणंताई, णेगमववहाराणं आणु दवाई लोगस्स किं संखिजइभागे होजा असंलिजइभागे होजा संखेजेसु भागेसु वा होजा असंखेजेसु भागेसु वा होजा सबलोए वा होजा ?, एर्ग दर्य पडुच संखेजइभागे वा होजा असंखेजइभागे वा होजा संखेजेसु वा भागेसु होजा असंखेजेसु वा भागेसु होजा देसूणे वा लोए होजा, नाणादबाई पटुच्च नियमा सबलोए होज्जा, एवं अणाणुपुत्रीदवं, आएसंतरेण वा सापुच्छासु होज्जा, एवं अवत्तागदवाणिवि जहा खेत्ताणुपुत्रीए फुसणा कालाणुपुबीएवि तहा चेव भाणिअश्वा । णेगमववहाराण आणुपुषीदवाई कालओ केवञ्चिर होति ?, एग दर्य पडुन जहण्णेणं तिण्णि समया उक्कोसेणं असंखेनं कालं, नाणादशाई पडुच सदा, णेगमक्वहाराणं अणाणुपुषीदवाई कालओ केवञ्चिरं होइ ?, एगं दर्व पडुच अजहन्नमणुकोसेणं एक समय, नाणाव - बाई पडुच सशद्धा, अवत्तागदशाणं पुच्छा, एग दत्रं पडुच अजहण्णमणुकोसेणं दो समया, नाणादवाई पडुन सबद्धा, गमववहाराणं आणुपुत्रीदशाणमंतरं कालओ केवच्चिर होइ ?. एगं दव्वं पहुच जहण्णेणं एग समयं उक्कोसेणं दो समया, नाणादवाई पडुच नत्थि अंतरं, गमववहाराणं अणाणपुचीदवाणमंतरं कालओ केवचिरं होइ ?, एग दश्वं पडुच्च जहणणं दो समया उक्कोसेणं असंखेज कालं, णाणादवाई पहुंच णस्थि अंतरं, णेगमववहाराणं अवत्तागदवाणं पुच्छा, एगं दवं पहुच जपणेणं एग समयं उक्कोसेणं असंखेनं कालं, णाणादवाई पद णत्थि अंतरं, भाग भाव अप्पाबहुं चेव जहा खेत्ताणपुछीए नहा भाणियबाई, जाव से नं अणुगमे, से तं गमववहाराणं अणोचणिहिया कालाणुपुची ।१११॥ से किं तं संगहस्स अणोवणिहिया कालाणुपवी?,२पंचविहा पं० तं०- अट्ठपयपरूवणया भंगसमुचित्तणया भंगोवदंसणया समोयारे अणुगमे । ११२। से किं तं संगहस्स अट्ठपयपरूवणया?,२ एयाई पंचवि दाराई जहा खेत्ताणुपुबीए संगहस्स तहा कालाणुपुष्वीएवि भाणियवाणि, णवर ठिइअभिलावो जाव से तं अणगमे, सेनं संगहस्स अणोवणिहिया कालाणपब्बी ।११३। से कितं उपणिहिया कालाणपब्बी?, २ तिविहा पं० त०. पुवाणु पच्छाणु अणाणु०,से कितं पुवाणु०१, २एगसमयठिाए दुसमयठिइए तिसमयठिइए जाव दससमयठिइए संखिजसमयठिइए असंखिजसमयठिइए, से तं पुब्वाणुपुवी, से किं तं पच्छाणुपुत्री ?,२ असंखिजसमयहिइए जाव एगसमयहिइए, से तं पच्छाAणुपुवी. से किं तं अणाणुपुत्री १,२ एयाए चेव एगाइयाए एगुत्तरियाए असंखिजगच्छगयाए सेढीए अन्नमनभासो दुरूवृणो, से तं अणाणुपुव्वी, अहवा उवणिहिया कालाणुपुब्बी तिविहा पं० २०. पुवाणुपुथ्वी पच्छाणुपुची अणाणुपुत्री, से किं तं पुवाणुपुष्ठी?, २ समए आवलिया आणपाणू थोवे लवे मुहुने अहोरले पक्खे मासे उऊ अयणे संवच्छरे जुगे वाससए वाससहस्से वाससयसहस्से पुव्वंगे पुब्वे तुडिअंगे तुडिए अडडंगे अडडे अववंगे अबवे हुहुअंगे हुहुए उप्पलंगे उप्पले पउमंगे पउमे णलिणंगे णलिणे अच्छिनिऊरंगे अच्छिनिऊरे अउअंगे अउए नउअंगे नउए पउअंगे पाए चूलिअंगे चुलिया सीसपहेलिअंगे सीसपहेलिया पलिओवमे सागरोवमे ओसप्पिणी उस्सप्पिणी पोग्गलपरियडू अतीतद्धा अणागतद्धा सव्वद्धा. से तं पुवाणुपुथ्वी, से किं तं पच्छाणु०१,२ सव्वद्या - अणागतद्धा जाव समए. से तं पच्छाणु०.२ से कि तं अणाणु०१.२ एयाए चेव एगाइयाए एगृत्तरियाए अर्णतगच्छगयाए सेढीए अण्णमण्णभासो दुरूवृणो, से तं अणाणुपुथ्वी, से तं उवणिहि. SI या कालाणपब्बी, से तं कालाणुपुब्बी।११४। से कि उकित्तणाणपुची?, २ तिविहा पं० त०-पुब्वाणुपुब्बी पच्छाणपुथ्वी अणाणुपुथ्वी, से कि तं पुव्वाणपुच्ची १.२ उसमे अजिए संभवे अभिणंदणे सुमती पउमप्पहे सुपासे चंदप्पहे सुविही सीतले सेजसे वासुपूजे विमले अणंते धम्मे संती कुंथ अरे माड़ी मुणिमुखए णमी अरिडणेमी पासे बद्धमाणे, से तं पुव्वाणपृथ्वी, से किं तं पच्छाणुपृथ्वी १.२ कक्षमाणे जाव उसभे, से तं पच्छाणुपुब्बी. से कि तं अणाणुपुष्यी १.२एआए चेव एगाइआए एगुत्तरियाए चउवीसगच्छगयाए सेटीए अण्णमण्णभासो दुरूवृणो, से तं अणाणुपुत्री, से तं उकित्तणाणुपुथ्वी। ११५। से किं तं गणणाणुपुव्वी ?.२ तिविहा पं० सं० पुवाणुपुब्बी पच्छाणुपुष्वी अणाणुपुब्बी, से किं तं पुव्वाणुपुजी १,२ एगो दस सयं सहस्सं दस सहस्साई सयसहस्सं दस सयसहस्साई कोडी दस कोडीओ कोडी-2 सयं दस कोडिसयाई, सेनं पुवाणुपुब्बी, से कि तं पच्छाणुपुत्री ?,२ दसकोडिसयाई जाव एको, से तं पच्छाणुपुब्बी, से किं तं अणाणुपुवी ?, २ एयाए चेव एगाइआए एगुत्तरियाए दसकोडिसयगच्छगयाए सेढीए अन्नमन्न-भासो दुरुपूणो, से तं अणाणुपुव्वी. से तं गणणाणुपुब्बी । ११६। से किं तं संठाणाणुपुची १, २ तिपिहा पं० त०- पुव्वाणुपुच्ची पच्छाणपुच्ची अणाणुपुच्ची, से किं तं पुव्वाणुपुथ्वी १,२ समचउरंसे निग्गोहमंडले सादी बुजे वामणे हुंडे. से तं पुवाणुपुब्बी, से कि तं पच्छाणुपुष्वी १,२ हुंडे जाव समचउरसे, से तं पच्छाणुपुब्बी, से किं तं अणाणुपुवी ?,२ एयाए चेत्र एगाइयाए एगुत्तरियाए लगन्छगयाए सेटीए अन्नमनभासो दुरूचूणी, से तं अणाणुपुब्बी, से तं संठाणाणुपुयी । ११७। से किं तं सामायारीआणुपुच्ची ?, २ तिविहा पं० २०. पुष्वाणुपुष्यी पच्छाणुपुष्वी अणाणुपुल्वी, से कि तं पुवाणुपची १.२ इच्छा मिच्छा तहकारो, आवस्सिया य निसीहिया। आपुच्छणा य पडिपुच्छा, छंदणा य निमंतणा ॥१६॥ उवसंपया य काले सामायारी भवे दसविहा उ, से तं पुष्वाणुयुष्वी, से किं (३२९) al १३१६ अनुयोगद्वारसूत्र - मुनि दीपरतसागर Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तं पच्छाणपृथ्वी ?. २ उपसंपया जाव इच्छागारो, से तं पच्छाणुपुव्वी. से कितं अणाणुपुवी १,२ एयाए चेन एगाइयाए एगुनरियाए दसगच्छगयाए सेढीए अनमनभासो दुरूवृणो, से न अणाणुपुच्ची, Eसे तं सामायारीआणुपुथ्वी । ११८। से कि तं भावाणुपुवी ?.२ तिविहा पं० त० पुव्वाणुपुब्वी पच्छाणुपुच्ची अणाणुपुथ्वी, से कि नं पुवाणुपुब्बी १,२ उदइए उपसमिए खाइए खओवसमिए पारिणामिए संनिवाइए. से तं पुवाणुपुची, से किं तं पच्छाणपनी.२ सनिवाइए जाव उदहए. से तं पच्छाणपुची, से किने अणाणुपुवी?.२ एयाए व एगाइयाए एगुनरियाए उगच्छगयाए सेढीए अनमन. भासो दुरूवृणो. से तं अणाणुपुटीसे तं भावाणुपुब्बी, से तं आणुपुब्बी। ११९। से किं तं णामे?, णामे दसबिहे पं०२०- एगणामे दुणामे निणामे चउणामे पंचणामे छणामे सत्तणामे अट्ठणामे णवणामे दसणामे । १२० । से किं तं एगणामे?.२'णामाणि जाणि काणिवि दव्याण गुणाण पज्जवाणं च। तेर्सि आगमनिहसे नामंति परुविया सण्णा ॥१७॥ से तं एगणामे ।१२१ से किं तं दुनामे',२ दुविहे | ५०० एगवरिए य अणेगक्वरिए य, से किं तं एगक्खरिए.२ अणेगविहे पं०२०-हीः श्रीः धीः स्त्री, सेनं एगक्खरिए, से किं न अणेगक्वरिए १,२ कन्ना वीणा लता मान्ला, से तं अणेगक्खरिए, | अहवा दुणामे दुविहे पं० २०. जीवनामे य अजीवनामे य. से कि तं जीवणामे १,२ अणेगविहे पं० सं०-देवदनो जण्णदत्तो विष्णुदत्तो सोमदत्तो, से तं जीवनामे, से किं न अजीवनामे,२ अणेगविहे पंतं. घडो पडो कडो रहो, से तं अजीवनामे, अहवा दुनामे दुबिहे पंत-विसेसिए य अविसेसिए य, अविसेसिए दो बिसेसिए जीवदधे य अजीवदवे य, अविसेसिए जीवदावे विसेसिए णेरइए निरिक्ख जोणिए मणुस्से देवे, अविसेसिए णेरइए विसेसिए रयणप्पहाए सकरप वालुअ० पंक० धूम तमाए तमतमाए, अविसेसिए रयणप्पहापुढवीणेरदए बिसेसिए पज्जत्तए य अपजनए य, एवं जाव अविसेसिए तमतमापुढवीणेरइए विसेसिए पज्जत्तए य अपजत्तए य, अविसेसिए तिरिक्ख जोणिए विसेसिए एगिदिए बेईदिए तेइंदिए चाउरिदिए पंचिदिए, अविसेसिए एगिदिए विसेसिए पुढवी आउ० तेउवाउ० वणस्सइ. काइए. अविसेसिए पुढवी विसेसिए सुहुमपुढवी० य बादरपुढवी य, अबिसेसिए सुहुमपुढवीकाइए विससिए पजत्तयमुहुमपुढवी य अपजत्तयसुहुमपुढवीकाइए य, अविसेसिए चादरपुढवीकाइए बिसेसिए पज्जलयबादरपुढवी० य अपज्जत्सवादरपुढवी० य, एवं आउकाइए तेउकाइए वाउकाइए वणस्सइकाइए अविसेसिअविसेसिअपज्जत्तयअपज्जत्तयभेदेहिं भाणियचा, अबिसेसिए बेईदिए विसेसिए पज्जनयबेइंदिए य अपज्जत्तयवेईदिए य, एवं तेइंदियचाउरिदियावि भाणियचा, अविसेसिए पंचिदियतिरिक्खजोणिए विसे सिए जलयरपंचिंदिय थलयरपंचिदिखहयरपंचिंदि०य, अबिसेसिए जलयरपं. चिदि-विसेसिए समुच्छिमजलयर य गम्भवतिय य, अविसेसिए संमुच्छिमजलयर० विसेसिए पज्जत्तयसमुच्छिमजलयर य अपज्जत्तयसमुच्छिमजलयर० य, अबिसेसिए गम्भवकंनियजलयर विसेसिए पज्जनयगम्भवकंतियजलयर०य अपज्जत्तयगम्भवतिय० य, अविसेसिए बलयरपंचिं.बिसेसिए चउप्पयथलयरपंचि० य परिसप्पथलयर० य, अविसेसिए चउप्पयथलयरपं० विसेसिए संमच्छिमचउपयः य गन्भवतिअचउप्पय य, अविसेसिए समुच्छिमचउप्पयथलयर०विसेसिए पज्जत्तयसमुच्छिमच उप्पयथय अपजत्तसमुच्छिमच० य, अविसेसिए गम्भवतिअचउप्पय विसेसिए पजनयगम्भवतिअचउप्पय य अपजत्तयगम्भवकंतिअचप्पय य, अविसेसिए परिसप्पथलयर० विसेसिए उरपरिसप्पथलपर य भुअपरिसप्पथलयरपंचिदिअतिरिक्खजोणिए य, एतेऽवि समुच्छिमा पजनगा अपज्जनगा य, गम्भवतिआवि पज्जत्तगा अपज्जत्तगा य माणिअत्रा, अविसेसिए खयरपंचिदिय विसेसिए समुच्छिमखहयरपंचिदि० य गम्भवतिअखहयर० य, अविसेसिए समुच्छिमखहयरपंचि बिसेसिए पज्जत्तयसमुचिमखहयर य अपज्जत्तसंमुच्छिमखहयर०य अविसेसिए गभवतिअखहयरपंचिं. विसेसिए पज्जत्तयगम्भवकंतिअखहयर० य अपज्जत्तयगम्भवतिअखहयर य, अबिसेसिए मणुस्से विसेसिए समुच्छिममणुस्से गम्भवतिअमणुस्से य, अविसेसिए गम्भवतियमणुस्से विसेसिए कम्मभूमओ य अकम्मभूमओ य अंतरदीवओ य, संखिज्जवासाउयअसंखिज्जवासाउयपज्जनापज्जत्तओ, अविसेसिए देवे विसेसिए भवणवासी वाणमंतरे जोइसिए वेमाणिए य, अविसेसिए भवणवासी विसेसिए असुरकुमारे नाग० सुवण्ण विजु० अग्गि० दीव० उदधि० दिसा बाउथणिअकुमारे, सवेसिपि अविसेसिअविसेसिअपज्जत्तगअपज्जनगभेदा भाणियव्वा, अविसेसिए वाणमंतरे बिसेसिए पिसाए भूए जक्खे रक्खसे किण्णरे किंपुरिसे महोरगे गंधव्ये, एतेसिपि अविसेसिअवि. सेसियफ्जत्नयअपजत्तमभेदा भाणियच्या, अबिसेसिए जोइसिए विसेसिए चंदे सूरे गहगणे नक्खत्ते तारारूवे, एतेसिपि अविसे सियविसेसियपजत्तयअपजत्तयभेया भाणियव्या, अविसेसिए वेमाणिए बिसेसिए कप्पोबगे य कप्पातीतगे य, अविसेसिए कप्पोबगे विसेसिए सोहम्मए ईसाणए सर्णकुमारए माहिदए बंभलोयए लंतयए महासुकए सहस्सारए आणयए पाणयए आरणए अचुयए, एनेसिपि अविसेसिअविसेसियपज्जत्तगअपजत्तगभेदाभाणियब्वा, अविसेसिए कप्पातीतए विसेसिए गेवेजए य अणुत्तरोषवाइए य, अविसेसिए गेवेजए विसेसिए हेडिमहेडिमगेवेजए हिद्विममज्झिम हिडिमउपरिमगवेजए, अबिसेसिए मज्झिमगेविजए विसेसिए मज्झिमहिडिमगेविजए मज्झिममज्झिमगेवेजएमज्झिमउबरिमगेवेज्जए, अविसेसिए उवरिमगेवेज्जए बिसेसिए उवरिमहेडिमगेवेज्जए उपरिममज्झिमगेवेज्जए उवरिमउवरिमगेवेज्जए. एतेसिपि सम्वेसि अविसेसिअविसेसिअपज्जत्तगापज्जत्तगभेदा भाणियव्वा, अविसेसिए अणुत्तरोववाइए विसेसिए विजयए वेजयंतए जयंतए अपराजियए सव्वट्ठसिद्धए य, एतेसिपि -१३१७ अनुयोगद्वारसूत्र - मुनि दीपरत्नसागर Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 64 सव्वेसि अविसेसि अविसेसि अपज्जत्तगापज्जत्तगभेदा भाणियव्वा, अविसेसिए अजीवदव्वे विसेसिए धम्मत्यिकाए अधम्मत्थिकाए आगासत्विकाए पोग्गलत्थिकाए अद्धासमए य, अविसेसिए पोग्गलस्थि काए विसेसिए परमाणुपोग्गले दुपए सिए तिपएसिए जाव अनंतपएसिए य, से तं दुनामे । १२२ । से किं तं तिनामे १, २ तिविहे पं० तं० दव्वणामे गुणणामे पजवणामे य से किं तं दब्वणामे ? २ छवि पं० तं० धम्मत्थिकाए अधम्म० आगास० जीव० पुग्गलत्थिकाए अद्धासमए य से तं दब्वनामे से किं तं गुणणामे १, २ पंचविहे पं० तं वण्णणामे गंध रस० फास० संठाणणामे से किं तं वण्णणामे ?. २ पंचविहे पं० तं०- कालवण्णनामे नील० लोहिअ० हालिह० सुकिलवण्णणामे, से तं वण्णनामे से किं तं गंधनामे १ २ दुविहे पं० तं० सुरभिगंधनामे य दुरभिगंधनामे य, से तं गंधनामे से किं नं रसनामे ?. २ पंचविहे पं० तं०-वित्तरसणामे कडुअ० कसाय० अंबिल० महुररसणामे य, से तं रसणामे से किं तं फासणामे १, २ अट्ठविहे पं० तं० कक्खडफासणामे मउअ गरुअ० लहुअ० सीनः उसिण: गिद्ध० लुक्खफासणामे, से तं फासणामे से किं तं संठाणनामे १, २ पंचविहे पं० तं० परिमंडल० ब० तंस० चउरंस० आयतसंठाणणामे, से तं संठाणनामे, से तं गुणणामे से कि तं पचवणामे ?. २ अणेगविहे पं० तं०- एगगुणकालए दुगुण० तिगुण० जाब दसगुण० संखिजगुण० असंखिजगुण अनंतगुणकालए, एवं नीललोहियहालिदसुकिलावि भाणियव्वा, एगगुणसुरभिगंधे दुगुणसुरभिगंधे निगुण जाव अनंतगुणसुरभिगंधे, एवं दुरभिगंधोऽवि भाणियच्वो, एगगुणतित्ते जाय अनंतगुणतित्ते, एवं कडुय कसायअंविलमडुरावि भाणियव्वा, एगगुणकक्खडे जाय अनंतगुणकक्खडे, एवं मउअगरु अलहु असीतउसिणणिद्धलक्खाचि भा०, से तं पज्जवणामे । 'तं पुण णामं तिविहं इत्थी पुरिसं णपुंसगं चेव । एएसिं तिव्हंपिय अंतमि परूवणं वोच्छं ॥ १८ ॥ तत्थ पुरिसम्स अंता आईऊओ हवंति चत्तारि । ते चैव इत्थियाओ हवंति ओकारपरिहीणा ॥ ९॥ अंतिअतिअतिअता उ णपुंसगस्स बोद्धव्या । एतेसिं तिहंपिय वोच्छामि निदंसणे एत्तो ॥ २० ॥ आगारंतो राया ईगारंतो गिरी य तिहरी य ऊगारंतो विण्ह दुमो य अंता उ पुरिसाणं ॥ १ ॥ आगारंता माला ईगारंता सिरी य लच्छी य ऊगारंता जंबू बहू य अंता उ इत्थीणं ॥ २ ॥ अंकारंतं धनं इंकारंतं नपुंसगं अच्छि उंकारंतो पीलुं महुं च अंतो णपुंसाणं ॥ २३ ॥ सेतं तिणामे । १२३ । से किं तं चउणामे १, २ चउव्विहे पं० तं०- आगमेणं लोवेणं पयईए विगारेण से किं तं आगमेणं १, २ पद्मानि पयांसि कुण्डानि से तं आगमेणं, से किं तं लोवेणं ? २ ते अत्र नेत्र पटो अत्र पटोऽत्र कटो अत्र कटोऽत्र से तं लोवेणं, से किं तं पगईए १, २ अग्नी एती पटू इमौ शाले एते माले इमे से तं पगईए से किं तं विगारेणं १, २ दण्डस्य अयं दण्डायं सा आगना सागना दधि इदं दधीदं नदी इह नदीह मधु उदकं मधूदकं वधू ऊढा वधूढा, से तं विगारेणं, से तं चउनामे। १२४ । से किं तं पंचनामे १, २ पंचविहे पं० तं० नामिकं नैपातिकं आख्यातिकं ऑपसर्गिक मिश्र, अव इनि नामिकं खल्विति नेपातिकं धावतीत्याख्यातिकं परीत्यापसर्गिकं संयत इति मिश्र से तं पंचनामे । १२५ । से किं तं छण्णामे १ २ छबिहे पं० तं० उदइए उवसमिए खइए खओवसमिए पारिणामिए संनिबाइए से किं तं उदइए १, २ दुबिहे पं० तं० उदइए य उदयनिष्फण्णे य से किं तं उदइए ? २ अटुण्डं कम्मपयडीणं उदरणं, से तं उदइए, से किं तं उदयनिष्फले १, २ दुविहे पं० तं० जीवोदयनिष्फले य अजीवोदयनिष्पन्ने य, से किं तं जीवोदयनिष्फले १, २ अणेगविहे पं० तं० णेरइए तिरिक्खजोगिए मणुस्से देवे पुढवीकाइए जाव तसकाइए कोहकसाई जाव लोहकसाई इत्थी वेदए पुरिसवेयए णपुंसगवेदए कण्हलेसे जाव सुकलेसे मिच्छादिट्ठी अविरए असण्णी अण्णाणी आहारए छउमत्थे सजोगी संसारत्थे असिद्धे, से तं जीवोदयनिप्फन्ने, से किं तं अजीवोदयनिप्फन्ने १, २ अणेगविहे पं० तं उरालिअं वा सरीरं उरालिअसरीरपओगपरिणामियं वा दव्वं बेउब्वियं वा सरीरं बेउब्वियसरीरपओगपरिणामियं वा दव्वं, एवं आहारगसरीरं तेयगसरीरं कम्मगसरीरं च भाणिअव्वं, पओगपरिणामिए वण्णे गंधे रसे फासे. से ते अजीवोदयनिष्कण्णे, से तं उद्यनिष्कण्णे से तं उदइए से किं तं उपसमिए १, २ दुविहे पं० तं० उसमे य उवसमनिष्फण्णे य से किं तं उवसमे ? २ मोहणिजस्स कम्मस्स उवसमेणं, से नं उसमे से किं तं उवसमनिष्फण्णे १, २ अणेगविहे पं० तं० उवसंत कोहे जाव उवसंतलोभे उवसंतपेज्जे उवसंतदोसे उवसंतदंसणमोहणिजे उवसंतमोहणिजे उवसमिया सम्मत्तलद्धी उवसमिया चरितलदी उवसंतकसायछउमत्थवीयरागे, से तं उवसमनिष्फण्णे, से तं उवसमिए से किं तं खइए ?, २ दुविहे पं० तं० खइए य खयनिष्कण्णे य से किं तं खइए १. २ अट्ठण्हं कम्मपयडीणं खए, से तं खइए, से किं तं खयनिष्कण्णे १, २ अणेगविहे पं० तं०. उप्पण्णणाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली खीणआभिणिवोहिअणाणावरणे खीणसुअ० खीणओहि० खीणमणपज्जव खीणकेवलणाणावरणे अणावरणे निरावरणे वीणा० णाणावरणिजकम्मविष्यमुक्के केवलदंसी सव्वदंसी खीणनिदे खीणनिदानिदे खीणपयले खीणपयलापयले खीणथीणगिदी खीणचक्खुदंसणावरणे खीणअचक्सु० खीणओहि खीणकेवल सणावरणे अणाचरणे निरावरणे खीणावरणे दरिसणावरणिजकम्मविष्पमुक्के खीणसायावेअणिजे खीणअसायावेयणिजे अवेअणे निव्वेजणे खीणवेअणे सुभासुभवेअणिजकम्मविष्यमुके सीणकोहे जाव खीणलोहे खीणपेजे खीणदोसे खीणदंसणमोहणिजे खीणचरित्तमोहणिजे अमोहे निम्मोहे खीणमोहे मोहणिजकम्मविष्पमुळे खीणणेरइआउए खीणतिरिक्खजोणिआउए खीणमणुस्साउए खीणदेवाउए अणाउए निराउए खीणाउए आउकम्मविप्यमुक्के गइजाइसरीरंगोवंगबंधणसंपायणसंघयणसंठाणअणेगवदिविदसंघायविप्पमुळे खीणसुभनामे खीणअसुभणामे अणामे निण्णामे खीणनामे सुभामुभणामकम्मविष्यमुके १३१८ अनुयोगद्वारसूत्रं मुनि दीपरत्नसागर Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ AAAAA1-24 4921 खीणउच्चागोए खीणणीआगोए अगोए निग्गोए खीणगोए उच्चणीयगोत्तकम्मविप्पमुक्के खीणदाणंतराए खीणलाभ० खीणभोग खीणउवभोग० खीणविरिय० अर्णतराए णिरंतराए खीणंतराए अंतर पकम्म विष्पमुके सिद्ध बुद्धे मुत्ते परिणिब्बुए अंतगडे सबदुक्खप्पहीणे, से तं खयनिष्फपणे, से तं खइए। से किं तं खओक्समिए?,२ दुबिहे पं०-खओवसमिए य खओवसमनिष्फण्णे य, से किं तं खअ वसमे?, २चउण्डं घाइकम्माणं खओवसमेणं, तं०- णाणावरणिज्जस्स दंसणावरणिजस्स मोहणिज्जस्स अंतरायस्स खओवसमेणं, से तं खओक्समे, से किं तं खओवसमनिष्फण्णे ,२ अणेगविहे पं० त०-खओवसमिया आभिणिबोहियणाणलदी जाव खओ० मणपजव० खोबसमिया माइम० खओ० सुयअ० खओ. विभंगना. खओक्समिया चक्खुर्दसणलदी अचक्खुर्द ओहि एवं सम्म० मिच्छा० सम्ममिच्छा खओवसमिया सामाइयचरित्तलद्धी एवं छेदोवट्ठावणलद्धी परिहारविसुद्धियलदी सुहुमसंपरायचरित्तलदी एवं चरित्ताचरित्तलद्धी खओवसमिया दाणलबी एवं लाभ० भोग० उवभोग खओवस. मिया वीरियलदी एवं पंडियबीरियलदी चालवीरियलदी बालपंडियवीरियलद्दी खओवसमिया सोईदियलदी जाव खओवसमिया फासिंदियलदी खओवसमिए आयारंगधरे एवं सुयगडंगधरे ठाणंगधरे समवायंगधरे विवाहपण्णत्तिधरे नायाधम्मकहा० उवासगदसा० अंतगडदसा० अणुत्तरोक्वाइयवसा० पण्हावागरणधरे विवागसुयधरे खओक्समिए दिडिवायघरे खओवसमिए णवपुची खओवसमिए जाव चउडसपुधी खओवसमिए गणी खओवसमिए वायए, से तं खओवसमनिष्फण्णे, से तं खओवसमिए, से किं तं पारिणामिए?,२दुबिहे पं० तं साइपारिणामिए य अणाइपारिणामिए य, से किं तं साइपा. रिणामिए ?.२ अणेगविहे पं० त०-'जुण्णसुरा जुण्णगुलो जुण्णधयं जुण्णतंदुला चेव । अब्भा य अब्भरुक्खा संझा गंधव्वणगरा य ॥२४॥ उक्कावाया दिसादाहा गजिय विज्जू णिग्घाया जूवया जक्खादिना धूमिआ महिआ रयुग्घाया चंदोवरागा सरोवरागा चंदपरिवेसा सूरपरिवेसा पडिचंदा पडिसूरा इंदधणू उदगमच्छा कविहसिया अमोहा वासा वासधरा गामा णगरा घरा पब्बता पायाला भवणा निरया रयण. सकर बालुअ० पंक० धूम तम तमतमप्पहा सोहम्मे जाव अबुए गेवेजे अणुत्तरे इंसिप्पभारा परमाणुपोमाले दुपएसिए जाव अर्णतपएसिए, से तं साइपारिणामिए, से किं तं अणाइपारिणामिए?.२ धम्म अधम्म आगास जीव० पुग्गलस्थिकाए अद्धासमए लोए अलोए जाव जीवा अजीवा भवसिदिआ अभवसिदिआ, से तं अणाइपारिणामिए, से तं पारिणामिए, से किं तं सणिवाइए, एएसिं चेव उदइअउवसमिअखइअखओवसमिअपारिणामिआणं भावाणं दुग तिय० चउक. पंचगसंजोएणं जे निष्फजन्ति सव्वे ते सजिवाइए नामे, तत्थ णं दस दुअसंजोगा दस तिअसंजोगा पंच चउक्कसंजोगा एगे पंचकसंजोगे, एत्थ ण जे ते दस दुगसंजोगा ते णं इमे-अस्थि णामे उदइएउवसमनिष्फण्णे अस्थि णामे उदइएखाइग० अस्थि णामे उदइएखओवसम० अस्थि णामे उदइएपारिणामिअ० अस्थि णामे उबसमिएखय० अस्थि णामे उपसमिएखओवसम० अस्थि णामे उक्समिएपारिणामिअ० अस्थि णामे खइएखओवसम अस्थि णामे खइएपारिणामिअ० अस्थि णामे खओवसमिएपारिणामिअनिष्फण्णे १०, कयरे से नामे उदइएउवसमनिष्फण्णे ?, उदइएत्ति माणुस्से उवसंता कसाया, एसणं से णामे उदइएउवसमनिष्फण्णे, कयरे से णामे उदइएखयनिष्फण्णे ?, उदइएति माणुस्से खइ सम्मत्तं, एस णं से नामे | उदइएखयनिष्फण्णे, कयरे से णामे उदइएखओवसमनिष्फण्णे ?. उदइएत्ति माणुस्से खओवसमिआई इंदिआई.एसणं से णामे उदइएखओ उदइएनि माणुस्से पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उदइएपारिणामिअनिष्फण्णे, कयरे से णामे उक्समिएखयनिष्फण्णे ?, उपसंता कसाया खइ सम्मत्तं, एस णं से णामे उपसमिएखयनिष्फण्णे, कयरे से णामे उवसमिएखओचसमनिष्फण्णे ?, उवसंता कसाया खओक्समियाई इंदियाई, एस णं से णामे उपसमिएखओवसमनिष्फण्णे, कयरे से णामे उपसमिएपारिणामिअनिष्फण्णे ?. उपसंता कसाया पारिणामिए जीवे. एस णं से णामे उपसमिएपारिणामिअनिष्फण्णे, कयरे से णामे खइएखओवसमनिष्फण्णे ?, खइयं सम्मसंखओवसमियाई इंदियाई, एस णं से णामे खइएखओवसमनिष्फण्णे, कयरे से णामे खइएपारिणामिअनिएफपणे ?. खइयं सम्मत्तं पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे खइएपारिणामिअनिष्फण्णे, कयरे से णामे खओवसमिएपारिणामिअनिष्फण्णे, खओवसमियाई इंदियाइं पारिणामिए जीवे. एस णं से णामे खओवसमिएपारिणामिअनिष्फपणे १०, तस्थ ण जे ते दस तिगसंजोगा ते णं इमे-अस्थि णामे उदइएउवसमिएखयनिफण्णे अस्थि णामे उदइएउपसमिएखओवसम अस्थि णामे उदइएउवसमिएपारिणामि अस्थि णामे उदइएखइएखओवसमा अस्थि णामे उदइएखइएपारिणामि० अस्थि णामे उदइएसओवसमिएपारिणामिअ० अत्थि णामे उपसमिएखइएखओवसमः अन्थि णाम उपसमिएखइएपारिणामिज अस्थि णाम उपसमिएखओवसमिएपारिणामि० अस्थि णामे सडएखओवसमिएपारिणामिअनिष्फणे १०.कयरे से णामे उदए उपसमिएखयनिष्फण?. उद इएत्ति माणुस्से उपसना कसाया खइयं सम्मत्तं, एस णं से णामे उदइएउपसमिएखपनिफण्णे, कयरे से णामे उदइएउपसमिएखओवसमनिष्फण्णे ?, उदइएति माणुस्से उपसंता कसाया खओवसमिआई इंदियाई.एस ण से णामे उदइएउवसम०, कयरे से णामे उदइएउवसमिएपारिणामिय०?, उदइएत्ति माणस्से उवसंता कसाया पारिणामिए जीवे, एसणं से णामे उदइएउपसमिएपारिणामिया, कयरे से गामे उदइएखइएखओवसम०?, उदइएत्ति माणुस्से खइयं सम्मत्तं खओवसमिआई इंदियाई, एस णं से णामे उदइएखइएखओवसम०, कयरे से णामे उदइएखइएपारिणामियनिष्फण्णे ?, उदइएनि माणुस्से १३१९ अनुयोगद्वारसूत्र - मुनि दीपरत्नसागर RO Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सइयं सम्मत्तं पारिणामिए जीचे, एस णं से नामे उदइएलइएपारिणामियनिष्फणे, कयरे से जामे उदइएसओक्समिएपारिणामियनिष्फरणे ?, उदइएति माणुस्से सोचसमियाई इंदियाई पारिणामिए जीवे, एस ण से णामे उदइएखओक्समिएपारिणामियनिष्फण्णे, कयरे से णामे उपसमिएखइएखोवसमनिष्फण्णे', उपसता कसाया खइयं सम्मनं खोवसमियाई दियाई, एस णं से णामे उपसमि एखइएखओवसमनिष्फण्णे, कयरे से णामे उपसमिएखइएपारिणामियनिष्फण्णे ?. उपसंता कसाया खइयं सम्मनं पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उपसमिएखइएपारिणामियनिष्फण्णे, कयरे से णामे उपसमिएखओक्समिएपारिणामियनिष्फण्णे?, उवसंता कसाया खओवसमियाई इंदियाई पारिणामिए जीवे, एस गं से गामे उपसमिएलओचसमिएपारिणामियनिष्कपणे, कयरे से णामे खइएखोवस. मिएपारिणामियनिष्फण्णे ?, सइयं सम्मत्तं खओवसमियाई इंदियाई पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे खइएखोचसमिएपारिणामियनिष्फण्णे १०, नत्थ गंजे ने पंच पटकसंजोगा ने णं इमे-अस्थि णामे उदइएउपसमिएखइएखओवसमनिष्फण्णे अस्थि णामे उदइएउवसमिएखइएपारिणामिय: अस्थि णामे उदइएउपसमिएखओवसमिएपारिणामिय, अस्थि णामे उदइएखइएखओवसमिएपारिणामि. अस्थि णामे उपसमिएखइएखओवमिएपारिणामियनिष्फणे, कयरे से णामे उदइएउपसमिएखइएखओवसमनिष्फण्णे ?, उदइएत्ति माणुस्से उपसंता कसाया खइयं सम्मन खओवसमिआई इंदिआई, एस णं से णामे उदइएउपसमिएखइएखओक्समनिष्फण्णे, कयरे से नामे उदइएउक्समिएखइएपारिणामिअनिष्फण्णे ?, उदइएत्ति माणुस्से उवसंता कसाया खाइ सम्मनं पारिणामिए जीवे, एसणं से णामेश उदइएउपसमिएखइएपारिणामिअनिष्फण्णे, कयरे से णामे उदइएउपसमिएखओक्समिएपारिणामिअनिष्फण्णे ?. उदइएनि माणुस्से उबसंता कसाया खओयसमिआई ईदिआई पारिणामिए जीचे, एस णं से णामे उदइएउवसमिएखओचसमिएपारिणामियणिफणे, कयरे से णामं उदइएखइएलओक्समिएपारिणामिअणिष्फण्णे ?, उदइएति माणुस्से खदअंसम्मत्तं खओक्समिआई इंदिआई पारिणामिए जीवे, एस IS णं से नामे उदइएखइएखओवसमिएपारिणामिअनिष्फने, कयरे से नामे उपसमिएलइएखओक्समिएपारिणामिअनिष्फले ?. उवसंता कसायासइसम्म खोचसमिआई इंदियाई पारिणामिए जीवे, एस णं सेनामे उपसमिएखइएखओवसमिएपारिणामिअनिष्फरणे, तत्थणं जे से एके पंचगसंजोए से ण इमे-अस्थि नामे उदइएउवसमिएखओक्समिएखइएपारिणामिअनिष्फण्णे, कयरे से नामे उदइएउपसमिएख. इएसओवसमिएपारिणामिअनिष्फण्णे ?. उडएति माणस्से उवसंता कसाया खहर्ष सम्मतं खओवसमिआदिआई तं छण्णामे । १२६ । से किं तं सत्तनामे १,२ सत्तसरा पं० त०'सज्जे रिसहे गंधारे, मज्झिमे पंचमे सरे। घे(२)वए चेव नेसाए, सरा सत्त वियाहिआ॥२५॥ एएसि णं सत्तहं सराणं सत्त सरढाणा पं० त०'सर्ज च अग्गजीहाए, उरेण रिसहं सरे। कंठुग्गएण गंधारं, मज्मजीहाएं मज्झिमं ॥६॥ नासाए पंचमं चूआ, दंलोटेण य रेवतं। भमुहकखेवण णेसाह, सरहाणा वियाहिता ॥७॥ सत्त सरा जीवणिस्सिया पं० २०. 'सजं वइ मऊरो, कुकुडो रिसभ सरं। हंसो खइ गंधार, मज्झिमं च गवेलमा ॥८॥ अह कुसुमसंभवे काले, कोइला पंचमं सरं। छटुं च सारसा कुंचा, नेसायं सत्तमं गओ ॥९॥ सत्त सरा अजीबनिस्सिया पं० त० सज खइ मुअंगो, गोमुही रिसह सरं। संखो वह गंधार, मज्झिम पुण साजरी ॥३०॥ चाउसरणपइट्ठाणा, गोहिया पंचमं सरं। आईबरो रेवइयं, महामेरी य सत्तमं ॥१॥ एएसि णं सत्तण्हं सराणं सत्त सरलक्खणा पं० त०'सजेण लहई वित्ति, कर्य च न विणस्सइ । गावो पुत्ता य मित्ता य, नारीर्ण होइ बाउहो ॥२॥ रिसहेण उ एसज (पेसज), सेणार्थ घणाणि य। वत्थगंधमलंकारं, इत्यिओ सयगाणि य ॥३॥ गंधारे गीतजुत्तिणया, कजवित्ती कलाहिया। हवंति कइणो पण्णा, जे अण्णे सत्यपारगा ॥४॥ मज्झिमसरमंता उ, हवंति सुहजीविणो। खायई पियई देई, मज्झिमस्सरमस्सिओ॥५॥ पंचमसरमंता उ, हवंति पुहवीवई। सूरा संगहकत्तारो, अणेगगणनायगा ॥६॥ रेवयसरमंता उ, हवंति दुहजीविणो। कुचेला य कुवित्ती य, चोरा चंडाल मुट्ठिया (साउणिया वाउरिया, सोयरिया मच्छबंधा य पा०)॥ ७॥णिसायसरमंता उ, होति कलहकारगा। जंघाचरा लेहवाहा, हिंडगा भाखाहगा ॥८॥ एएसिणं सत्तण्हं सराणं तओ गामा ५० त०-सज्जगामे मज्झिमगामे गंधारगामे, सज्जगामस्स णं सत्त रिया, रयणी य सारकताय। छट्ठी य सारसी नाम, सुसज्जा य सत्तमा ॥९॥ मज्झिमगामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पं००-'उत्तरमंदा रयणी, उत्तरा उत्तरासमा। समोकंता य सोवीरा, अभिरूवा होइ सत्तमा ॥४०॥ गंधारगामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पं० त०-'नंदी य खुड्डिया पूरिमा य चउत्थीय मुद्धगंधारा । उत्तरगंधाराविय सा पंचमिया हवह मुच्छा ॥१॥ सुदृढ़तरमायामा सा छट्ठी सञ्चओ य णायबा। अह उत्तरायया कोडिमा य सा सत्तमा मुच्छा ॥२॥ सत्त सरा कोहवंति ? गीयस्स का हवइ जोणी?। कइसमया ओसासा?, कई बागीयस्स आगारा? ॥३॥ सत्त सरा नाभीओ हवंति गीयं च रुइयजोणी उ। पायसमा ऊसासा तिणि य गीयस्स आगारा ॥४॥ आइ मउ आरमंता समुब्वहन्ता य मज्झयारंमि। अवसाणे उज्झता तिमिवि गीयस्स आगारा ॥५॥ alउदोसे अट्टगुणे तिणि य वित्ताई दो य मणिईओ। जो नाही सो गाहिइ. सुसिक्खिओ रंगमसंमि ॥६॥ भीर्य दुर्य उप्पिच्छं उत्तालं च कमसो मुणेअव्यं । कागस्सरमणुणासं उदोसा होति गेयस्स ॥७॥ पुष्णं रत्तं च अलंकियं य पत्तं च तहेवमविपुढे । महुरं समं सुललियं अट्ठ गुणा हॉति गेयस्स ॥८॥ उस्कंठसिरविसुदं च गिजंते मउअरिभिअपवना । समतालपतुस्खेवं सत्तस्सरसीमर गीयं ॥९॥ (३३०) 21 १३२० अनुयोगद्वारसूत्रं - मुनि दीपरतसागरा Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ... * अक्सरसमं पदसमं तालसमं लयसमं च गेहसमं । नीससिओससियसम, संचारसमं सरा सत्त॥५०॥निहोसंसारमंतं च, हेउजुत्तमलंकियं । उवणीय सोक्यारं च, मियं महुरमेव य॥१॥ समं असमं चेच. सव्वत्थ विसमं च ज। निष्णि वित्तपयाराणि, चउत्थं नोक्लम्भइ ॥२॥ सक्या पायया चेव, मणिईओ हॉति दोण्णि वा । सरमंडलंमि गिजंते, पसत्या इसिभासिया ॥३॥ केसी गायइ महुरं केसी गायइ खरं च रक्खं च । केसी गायइ चउर केसी य विलंबियं दुत केसी? ॥४॥ विस्सरं पुण केरिसी ?। 'गोरी गायति महुरं सामा गायइ खरं च रुक्खं च। काली गायब चउरं काणा य विलंबियं दुतं मंदा ॥५॥ विस्सरं पुण पिंगला। सत्त सरा नओ गामा, मुच्छणा इकबीसई । ताणा एगणपण्णासं, समत्तं सरमंडलं ॥६॥से तं सत्तनामे ।१२७। से किं तं अट्ठनामे !,२ अट्ठविहा वयणविभत्ती पं० तं०. निदेसे पढमा होइ, चितिया उवएसणे। तइया करणंमि कया, चउन्थी संपयावणे ॥ ७॥ पंचमी य अवायाणे, उही सस्सामिवायणे। सत्तमी सण्णिहाणत्थे, अट्ठमाऽऽमंतणी भवे ॥८॥ तत्य पढमा विभत्ती निदेसे सो इमो अहं वत्ति । बिइया पुण उवएसे भण कुणसु इमं पतं पत्ति ॥९॥ना करणमि कया भणियं च कयं च तेण व मए वा। हंदि णमो साहाए हवद चउत्थी पयाणमि ॥६०॥ अवणय गिव्ह य एत्तो इउत्ति वा पंचमी अवायाणे । छट्ठी तस्स इमस्स व गवस्स वा सामिसंबंधे ॥१॥ हवइ पुण सत्तमीतं इममि आहारकालभावे य। आमंतणी भवे अट्टमी उ जहा हे जुवाणत्ति ॥२॥ से तं अट्ठणामे ।१२८ा से किं तं नवनामे १,२णव कबरसा पं० तं०- वीरो सिंगारो अम्भुओय रोबो य होइ चोद्धयो। वेलणओ बीभच्छो हासो कलुणो पसंतो य॥३॥तत्थ परिच्चायंभि य तवचरणे सत्नुयणविणासे य। अणणुसयधितिपरक्कमलिंगो वीरो रसो होइ॥४॥ वीरो रसो जहा-सो नाम महावीरो जो रज पयहिऊण पबइओ। कामकोहमहासत्तूपक्सनिग्घायणं कुणइ ॥५॥ संगारो नाम रसो रतिसंजोगाभिलाससं. जणणो। मंडणविलासचिब्बोअहासलीलारमणलिंगो ॥६॥ सिंगारो रसो जहा-महुरविलाससललिअं हियउम्मादणकरं जुवाणाणं । सामा सदुद्दामं दाएती मेहलादामं ॥७॥ विम्हयकरो अपुचो अणुभूअपुछो य जो रसो होइ। हरिसविसाउप्पत्तिलक्षणो अम्भुओ नाम ॥८॥ अब्भुओ स्सो जहा-अष्भुअतरमिह एत्तो अनं किं अस्थि जीवलोगंमि। जं जिणवयणे अत्था तिकालजुत्ता मुणिजति ॥९॥ भयजणणरूवसबंधयारचिंताकहासमुप्पण्णो। समो. | हसंभमविसायमरणलिंगो रसो रोहो॥७॥रोहो रसो जहा-भिउडीविडंबियमुहो संदट्टोइयरुहिरमोकिण्णो। हणसि पसुं असुरणिभो भीमरसिय अइरोह ! रोहोऽसि ॥१॥ विणओवयारगुज्झगुरुदारमेराबइकमुप्पण्णो। वेलणओ नाम रसो लजासंकाकरणलिंगो॥२॥ वेलणओ रसो जहा-किं लोइयकरणीओ लजणीअतरंति लजयामुत्ति। बारिजंमी गुरुयणो परिवंदह जं बहुप्पोत्तं ॥३॥ असुइकुणिमदुईसणसंजोगम्भासगंधनिष्फण्णो। नियऽविहिंसालक्खणी रसो होइ बीभच्छो॥४॥ वीभच्छो जहा-असुइमलभरियनिज्झरसभावदुग्गंधि सबकालंपि। धण्णा उ सरीरकलिं बहुमलकलुतं विमुंचंति ॥५॥ रूववयवेसभासाविवरीअविलंबणासमुष्पाणो। हासो मणप्पहासो पगासलिंगो रसो होइ ॥६॥ हासो रसो जहा- पासुत्तमसीमंडिअपडिबुद्धं देवरं पलोअंती। हीजह थणभरकंपणपणमिअमज्झा हसइ सामा ॥७॥ पिअविष्पओगबंधववाहिविणिवायसंभमुप्पण्णो। सोइअविलविअपम्हाणरुण्णलिंगो रसो करुणो ॥८॥ करुणो रसो जहा-पज्झायकिलामिअयं वाहागयपप्पुअच्छियं बहुसो। तस्स विओगे पुत्तिय! दुब्बलयं ते मुहं जायं ॥९॥ निहोसमणसमाहाणसंभवो जो पसन्तभावेणं । अविकारलमखणो सो स्सो पसंतोनि णायको ॥८॥ पसंतो रसो जहा-सम्भावनिविगार उपसंतपसंतसोमदिट्ठीयाही जह मुणिणो सोहइ मुहकमलं पीवसिरीयं ॥१॥एए नव कव्वरसा बत्तीसादासविहिसमुप्पण्णा। गाहाहि मुणयब्वा हवंति सुद्धा वमीसा वा ॥७२॥ से नवनामे ।१२९। से कि तं दसनामे?,२ दसविहे पं० २०-मोण्णे नोगोण्णे आयाणपएणं पडिबक्सपएणं पहाणयाए अणाइअसिद्धतेणं नामेणं अवयवेणं संजोगेणं पमाणेणं, से किं तं गोण्णे १.२खमइत्ति खमणो तवइत्ति तवणो जलइत्ति जलणो पवइत्ति पवणो, से तं गोण्णे, से किं तं नोगुण्णे ?, अकुंतो सकुंतो अमुग्यो समुग्गो अमुद्दो समुद्दो अलालं पलालं अकुलिया सकुलिया नो पलं असइत्ति पलासो अमाइवाहए माइवाहए अचीअवाबए बीयवावए नो इंदगोवए इंदगोवएसे तं नोगोणे, से किं तं आयाणपएणं?,२(धम्मोमंगलं, चूलिआ) आवंती चाउरंगिनं असंखयं अहातस्थिजं अद्दइज जपणइज पुरिसइज्ज (उसुकारिज) एलइज बीरियं धम्मो मग्गो समोसरणं गंथो जम्मइअं, से ते आयाणपएणं, से किं तं पहिवक्खपएणं?२ गयेसु गामागरणगरखेडकब्बडमडंबदोणमुहपट्टणासमसंवाहसन्निवेसेसु संनिविस्समाणेसु असिवा सिवा अग्गी सीअलो विसं महुरं काडालघरेसु अंबिलं साउयं जे रनए से अलत्तए जे लाउए से अलाउए जे सुंभए से कुसुंभए आलबसे विवलीअभासए, से तं पडिवक्खपएणं, से किं तं पाहण्णयाए?, असोगवणे सत्तवण्ण चंपग० चूअ० नाग पुन्नाग० उच्छु० दक्स: सालिवणे, से तं पाहण्णयाए, से किं तं अणाइयसिद्धतेर्ण ?, धम्मस्थिकाए अधम्म आगासजीव० पुग्गलस्थिकाए अद्धासमए, से तं अणाइयसिद्धतेणं, से किं तं नामेणं?,२पिउपिआमहस्स नामेणं उन्नामिजद, से तं णामेणं, से किं तं अवयवेणं?.२'सिंगी सिही विसाणी दाढी पक्खी खुरी नही वाली। दुप्पयचउपयवहुपया नंगुली केसरी कउही ॥७३॥ परिअरबंधेण भडं जाणिज्जा महिलियं निवसणेणं। सित्येण दोणवायं कविंच इकाएँ गाहाए ॥७४॥ से तं अवयवेणं, से किं तं संजोएणं!.संजोगे चउबिहे पं० त०-दवसंजोगे खेत्त० काल. भावसंजोगे, से किं तं दवसंजोगे?,२तिविहे पं०तं०-सचित्ते अचित्ते मीसए, से किं तं सचित्ते?,२ गोहिं गोमिए महिसीहिं माहिसए ऊरणीहिं ऊरणीए उट्टीहिं उट्टीवाले, से तं सचित्ते, से किं तं अचित्ते १,२ उत्तेण छत्ती दंडेण दंडी पडेण पडी घडेण घडी कडेण कडी,सेतं अचित्ते, से किं तं मीसए?,२हलेणं हालिए सगडेणं सागडिए रहेण रहिए नावाए नाविए, सेनं मीसए, से तं दवसंजोगे, से किनं खित्तसं. जोगे?,२ भारहे एवए हेमवए एरण्णवए हरिवासए रम्मगवासए देवकुरुए उत्तरकुरुए पुञ्चविदेहए अवरविदेहए अहवा मागहे मालवए सोरट्टए मरहट्ठए कुंकणए, से तं खेत्तसंजोगे, से कितं कालसंजोगे?,२ सुसमसुसमाए मुसमाए सुसमदूसमाए दूसमसुसमाए दूसमाए दूसमसमाए, अहवा पावसए वासारत्तए सरदए हेमंतए वसंतए गिम्हए, सेतं कालसंजोगे, से किस भावसंजोगे ?,२ दुविहे पं० त०. पसत्ये य अपसस्थे य, से किं तं पसत्थे १.२ नाणेणं नाणी १३२१ अनुयोगद्वारसूत्रं - मुनि दीपरत्नसागर **** ****** Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सदसणेणं दसणी चरित्तेणं चरित्ती, से तं पसत्थे, से किं तं अपसत्थे १.२ कोहेणं कोही माणेणं माणी मायाए मायी लोहेणं लोही, से तं अपसत्थे, से तं भावसंजोगे, से तं संजोएणं, से किं तं पमाणेणं?,२ चउविहे पं० त०-नाम प्पमाणे ठवण दव्व भावप्पमाणे, से किं तं नामप्पमाणे ?,२जस्स णं जीवस्स वा अजीवस्स वा जीवाण वा अजीवाण वातदुभयस्स वा तदुभयाण वा पमाणेत्ति नामंकजइ सेतं णामप्पमाणे, से किं तं ठवणप्पमाणे?.२ सत्तविहे पं० तं०-णक्खत्त देवय कुले पासंड गणे य जीवियाहे उं। आभिप्पाइयणामे ठवणानामं तु सत्तविहं ॥८५॥ से किं तं णक्खत्तणामे?,२कित्तियाहिं जाएकित्तिए कित्तियादिण्णे कित्तियाधम्मे कित्तियासम्मे कित्तियादेवे कित्तियादासे कित्तियासेणे कित्तियारक्खिए रोहणीहिं जाए रोहिणिए रोहिणिदिने रोहिणिधम्मे रोहिणिसम्मे रोहिणिदेवे रोहिणिदासे रोहिणिसेणे रोहिणिरक्खिए य, एवं सबनक्सत्तेसु नामा माणियचा. एत्थं संगणिगाहाओ ‘कित्तिय रोहि. णि मिगसिर अद्दा य पुणवसू य पुस्से या तत्तो य अस्सिलेसा महा उ दो फग्गुणीओ य॥६॥ हत्यो चित्ता साती विसाहा तह य होइ अणुराहा । जेट्टामूला पुत्वासाढा तह उत्तरा चेव ॥ ७॥ अभिई सवण घणिट्ठा सतभिसदा दो य होंति भइक्या। रेवइ अस्सिणि भरणी एसा नक्खत्तपरिवाडी ॥८॥ से तं नक्खत्तनामे, से किं तं देवयाणामे?,२ अग्गिदेवयाहिं जाए अग्गिए अग्गिदिण्णे अम्गिसम्मे अग्गिधम्मे अम्गिदेवे अग्गिदासे अग्गिसेणे अग्गिरक्खिए, एवं सबनक्खत्तदेवयानामा भाणियचा. एत्थंपि संगहणिगाहाओ 'अग्गि पयावइ सोमे रहो अदिती विहस्सई सप्पे। पिति भग अन्नम सविया तट्ठा वाऊ य इंदग्गी ॥९॥ मित्तो ईदो निरई आऊ विस्सो य बंभ विण्हू या । वसु वरुण अयविवद्धि पुसे आसे जमे चेव ॥९०॥ से तं देवयाणामे। से किं तं कुलनामे ?,२ उग्गे भोगे रायण्णे खत्तिए इक्खागे णाते कोर, से तं कुलनामे, से किं तं पासंडनामे ?, २.समणे य पंडुरंगे भिक्खू कावालिए य तावसए, परिवायगे, से तं पासंडनामे, से किं तं गणनामे १,२ मले मल्लदिने मलधम्म मल्लसम्मे मालदेवे मलदासे मङसेणे मल्लरक्खिए, से तं गणनामे, से किं तं जीवियाहेउ ?.२ अवकरए उकुरुडए उजिझअए कज्जवए सुप्पए, से तं जीवियाहेउ, से किं तं आभिप्पाइअनामे?,२ अंचए निंचए बकुलए पलासए सिणए पिलूए करीरए, से तं आभिप्पाइअनामे, से तं ठवणप्पमाणे। से किंतं दब्बप्पमाणे १,२ छविहे पं० तं० धम्मस्थिकाए जाव अद्दासमए, से तं दवप्पमाणे, से किं तं भावप्पमाणे १,२ चउबिहे पं० त०-सामासिए तबियए धाउए निरुत्तिए, से किं तं सामासिए ?,२सत्त समासा भवंति, तं०-'दंदे य बहुधीही, कम्मधारय दिग्गु या तप्पुरिस अबईभावे, एकसेसे य सत्तमे ॥९१॥ से किन। दंदे १,२ दन्ताय ओष्ठौ च दन्तोष्ठं, स्तनौ च उदरं च स्तनोदरं, वसं च पात्रं च वनपात्रं, अश्वाश्च महिषाश्च अश्वमहिषं, अहिश नकुलच अहिनकुलं, से तं दंदे समासे, से कि तं पहुधीहीसमासे १.२ फुल्ला इमंमि गिरिमि कुडयकयंवा सो इमो गिरी फुछियकुडयकयंचो, से तं बहुधीहीसमासे, से किं तं कम्मधारए ?.२ धवलो बसहो धवलवसहो, किण्हो मियो किण्हमियो, सेतो पडो सेतपडो, रत्तो पडो रत्तपडो, से तं कम्मधारए, से किं तं दिगुसमासे?,२ तिण्णि कडुगाणि तिकडुर्ग, तिण्णि महुराणि तिमहुरं, तिण्णि गुणाणि तिगुण, तिणि पुराणि तिपुरं, तिणि सराणि विसरं, तिषिण पुक्खराणि विपुक्खरं, तिणि पिंदुआणि तिपिंदुआ, तिण्णि पहाणि तिपहं, पंच नईओ पंचणयं, सत्त गया सत्तगयं, नव तुरंगा नवतुरंग, दस गामा दसगाम, बस पुराणि दसपुर, से तं दिगुसमासे। से किं तं तप्पुरिसे?, २ तिथे कागो तित्थकागो, पणे हस्थी वणहस्थी, यपणे वराहो वणवराहो, वणे महिसो वणमहिसो, वणे मयुरो यणमयरो, से तं तप्पुरिसे, से किं तं अधईभाये ,२ अणुगाम अणुणइयं अणुफरिहं अणुचरियं, से तं अबईभावे समासे, से किं तं एगसेसे १,२ जहा एगो पुरिसो तहा पहले पुरिसा जहा पहवे पुरिसा तहा एगो पुरिसो, जहा एगो करिसावणो तहा बहवे करिसावणा जहा पहवे करिसावणा तहा एगो करिसावणो, जहा एगो साली तहा बहवे साली जहा बहवे साली तहा एगो साली, से तं एगसेसे समासे, से तं सामासिए ।से किं तं तद्धितए ?.२ अट्ठविहे पं० तं०-कम्मे सिप्प सिलोए संजोग समीवओ य संजूहो। इस्सरिय अवचेण य तद्धितणामं तु अट्ठविहं ॥९२॥ से किं ते कम्मणामे १,२ तणहारए कट्टहारए पत्तहारए दोसिए सोत्तिए कप्पासिए भंडवेआलिए कोलालिए, से तं कम्मनामे, से किं तं सिप्पनामे १.२ तुण्णए तंतुवाए पट्टकारे उएहे वरुडे मुंजकारे कटु० छत्त० वज्झ० पोत्थ० चित्त दंतक लेप्प० सेल० कोहिमकारे, से तं सिप्पनामे, से कि त सिलोअनामे १, २ समणे माहणे समातिही, सेन सिलोअनामे, से कि तं संजोगनामे १,२ रणो ससुरए रण्णो जामाउए रण्णो साले रण्णो भाउए रण्णो भगिणीवई, से तं संजोगनामे, से किं तं समीचनामे १,२ गिरिसमीचे णयर गिरिणयरं विदिसासमीचे णयरं विदिसं नयरं घेनाए समीवेणयरं बेचायई तगराए समीचे गयरं तगरायर्ड, सेतं समीवनामे, से किं तं संजूहनामे ?,२ तरजवइक्कारे मलयवइकारे अत्ताणुसट्टिकारे बिंदुकारे, से तं संजूहनामे, से किं तं ईसरिअनामे १,२ राईसरे तलवरे माङथिए कोई चिए इन्भे सेट्ठी सत्यवाहे सेणावई, से तं ईसरिअनामे, से किसे अपचनामे ?,२ अरिहंतमाया चक्कपट्टि बलदेव० वासुदेव० राय मुणि वायगमाया, से ते अवचनामे, से तं नदितए, से किं तं धाउए?, भू सत्तायां परस्मैभाषा एष वृद्धी स्पई संहर्षे गाय पतिष्ठालिप्सयोन्ये च पार लोडने, से तं धाउए, से किं तं निरत्तिए,२ मयां शेते महिषः, भ्रमति च रौति च भ्रमरः, मुहुर्मुहुर्लसतीति मुसलं, कपेरिख लम्बते त्थेति च करोति कपित्थं, चिदितिकरोति खडं च भवति चिक्खाई, ऊर्चकर्णः उलूका, मेलस्य माला मेखला, से तं निरुत्तिए, से तं भावपमाणे, से तं पमाणनामे, से तं दसनामे, से तं नामे। १३० से कितं पमाणे?,२ चउबिहे पं०२०-दवपमाणे खेत काल भावप्पमाणे। १३१। से कितं दापमाणे,२दुविहे पं०२०-पएसनिफण्णे य विभागनिष्फण्णे य, से किं तं पएसनिष्फण्णे?२ परमाणुपोग्गले दुपएसिए जाच दसपएसिए संखिजपएसिए असंखिजपएसिए अर्णनपएसिए.से तं पएसनिष्फरणे, से किं तं विभागनिष्फण्णे १.२ पंचबिहे पं० सं०-माणे उम्माणे अवमाणे गणिमे पडिमाणे, से किं तं माणे?,२ दुविहे पं० सं०-धनमाणप्पमाणे य रसमाणप्पमाणे य, से किं न धनमाणपमाणे १.२ दो असईओ पसई दो पसईओ सेतिया चत्तारि सेइयाओ कुलओ पत्तारि कुलया पत्थो चत्तारि पत्थया आढगं चत्तारि आढगाई दोणो सहि आढयाई जहाए कुंभे असीईआढयाई मज्झिमए कुंभे आढयसयं उकोसए कुभे अट्ट य आढयसइए १३२२ अनुयोगद्वारसूत्र - मुनि दीपरनसागर Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वाहे. एएणं धण्णमाणपमाणेणं किं पओयणं, एएणं घण्णमाणपमाणेणं मुत्तोलीमुखइदु(हारअलिंदओचारसंसियाणं घण्णाणं घण्णमाणप्पमाणनिवित्तिलक्षणं भवइ, से धण्णमाणपमाणे, से किं तं रसमाणप्पमाणे १,२ घण्णमाणप्पमाणाओ चउभागविवढिए अम्भितरसिहाजुत्ते रसमाणप्पमाणे विहिजइ, तं०-चउसहिआ (चउपलपमाणा) बत्तीसिआ सोलसिया अट्ठभाइया चउभाइआ अदमाणी माणी, दो चउसट्ठियाओ पत्नीसिया दो बनीसियाओ सोलसिया दो सोलसियाओ अट्ठभाइआ दो अवभाइयाओ चउभाइया दो चउभाइयाओ अदमाणी दो अद्धमाणीओ माणी, एएणं रसमाणपमाणेणं किं पओयणं, एएणं रसमाणेणं चारकपडककरककलसिअगागरिदइअकरोडिअकुंडिअसंसियाणं रसाणं रसमाणप्पमाणनिवित्तिलक्खणं भवइ, सेतं रसमाणपमाणे, से तं माणे । से किं तं उम्माणे १,२ जण्णं उम्मिणिजह, त०- अबकरिसो करिसो अपलं पलं अद्धतुला तुला अदभारो भारो, दो अद्धकरिरिसा करिसो दो करिसा अद्धपलं दो अदपलाई पलं पलसइआ तुला दस तुलाओ अद्धभारो बीसं तुलाओ भारो, एएणं उम्माणपमाणेणं किं पओयणं, एएणं उम्माणपमाणेणं पत्ताअगरतगरचोअअकुंकुमखंडगुलमच्छंडियाईणं दवाणं उम्माणपमाणनिधित्तिलक्षणं भवइ, से तं उम्माणपमाणे, से किं तं ओमाणे १,२ जण्णं ओमिणिजइ,त०-हत्येण वा दंडेण वा धणुकेण वा जुगेण वा नालिआए वा अस्खेण वा मुसळेण वा-'दंड धणू जुग नालिया य अक्ख मुसलं च चउहत्थं । दसनालियं च रजु वियाण ओमाणसण्णाए॥९३॥ वत्थुमि हत्यमेजं खित्ते दंडं घणुं च पंथमि। खायं च नालियाए वियाण ओमाणसण्णाए॥९४॥ एएणं अवमाणपमाणेणं किं पओयणं?, एएणं अबमाणपमाणेणं खायचिअकरकचियकडपडभित्तिपरिक्खेवसंसियाणं दवाणं अवमाणपमाणनिधित्तिलक्षणं भवइ, से तं अवमाणे, से किं तं गणिमे?.२ जपणं गणिजइ, तं०- एगो दस सयं सहस्सं दस सहस्साई सयसहस्सं दस सयसहस्साई कोडी, एएणं गणिमप्पमाणेणं किं पओयण ?, एएणं गणिमपमाणेणं भितगभितिभत्तवेअणआयत्रयसंसियाणं दवाणं गणियप्पमाणनिवित्तिलक्षणं भवइ, से तं गणिमे। से किं तं पडिमाणे १,२ जणं पडिमिणिजइ,तं. गुंजा कागणी निफावो कम्ममासओ मंडलओ सुवण्णो, पंच गुंजाओ कम्ममासओ कागण्यपेक्षया चत्तारि कागणीओ कम्ममासओ तिनि निष्फाया कम्ममासओ एवं चउको कम्ममासओ काकण्यपेक्षयेत्यर्थः चारस कम्ममासया मंडलओ एवं अडयालीसं कागणीओ मंडलओ सोलस कम्ममासया सुवष्णो एवं चउसडी कागणीओ सुवण्णो, एवं एएणं पडिमाणपमाणेणं किं पओअणं ?, एएणं पडिमाणपमाणेणं सुवण्णरजतमणिमोनिअसंखसिलप्पवालाईणं दत्राणं पडिमाणप्पमाणनिवित्तिलक्खणं भवइ, से ते पडिमाणे, से तं विभागनिष्फणे, से तं दवपमाणे । १३२॥से किं तं खेत्तपमाणे?, दुविहे पं० त०. पएसणिफण्णे य विभागणिप्फण्णे य, से किं ने पएसणिप्फपणे १.२ एगपएसो. गाडे दुपएसोगाढे तिपएसोगाढे संखिजप असंखिजप०, से तं पएसणिफण्णे, से किं तं विभागणिफण्णे १,२'अंगुल विहस्थि रयणी कुच्छी धणु गाउअंच बोद्धा । जोयण सेढी पयरं लोगमलोगेऽविय तहेव ॥१५॥ से किंतं अंगुले ?,२ तिविहे पं०२०-आयंगुले उस्सेहंगुले पमाणंगुले, से किंतं आयंगुले १,२जे णं जया मणुस्सा भवंति वेसिं णं तया अप्पणो अंगुलेणं दुबालस अंगुलाई मुहं नप मुहाई पुरिसे पमाणजुने भवद दोणिए पुरिसे माणजुने भवइ अदभारं तुङमाणे पुरिसे उम्माणजुत्ते भवइ 'माणुम्माणपमाणजुत्ता लक्षणवंजणगुणेहि उबवेआ। उत्तमकुलप्पसूआ उत्तमपुरिसा मुणेयवा ॥६॥ होति पुण अहियपुरिसा अट्ठसयं अंगुलाण उचिद्धा। छण्ण उई अहमपुरिसा चउत्तरं मज्झिमिल्ला उ॥७॥ हीणा वा अहिया वा जे खलु सरसत्तसारपरिहीणा। ते उत्तमपुरिसाणं अवस्स पेसत्तणमुर्वेति ॥९८॥ एएणं अंगुलपमाणेणं छ अंगुलाई पाओ दो पाया वित्थी दो विहत्थीओ रयणी दो रयणीओ कुच्छी दो कुच्छीओ दंडं धणू जुगे नालिया अक्खे मुसले दो घणुसहस्साई गाउयं चत्तारि गाउयाई जोयणं, एएणं आयंगुटपमाणेणं किं पओयणं १,२ एएणे आयंगुलेणं जे णं जया मणुस्सा हवंति तेसिं णं नया णं आयंगुलेणं अगड. तलागदहनदीवाविपुक्खरिणीदीहियगुंजालियानो सरा सरपंतियाओ सरसरपंतियाओ चिलपंनियाओ जारामुजाणकाणणवणवणसंडवणराईओ देउलसमापवाथूभखाइअपरिहाओ पागारअट्टालयचरिअदारगोपुरपासायघरसरणलय. णावणसिंघाडगतिगचउकचचरचउम्मुहमहापडपहसगडरहजाणजुम्गगिछिथिलिसिरिअसंदमाणियाओ लोहीलोहकडाहकडिायमंडमत्तोवगरणमाईणि अजकालियाई च जोयणाई मचिजति, से समासओ तिविहे पं.तं.. सईअंगले पयरंगले पणंगले, अंगलायया एगपएसिया सेटी सडअंगले. सई सईगणिया पयर ढी सूइअंगुले, सुई सूईगुणिया पयरंगुले, पयरं सूईए गुणितं घर्णगुले, एएसिणभंते! सूइअंगुलपयरंगुलघणंगुलाणं कयरे कयरेहिती अप्पा बा पहुया वा तुाडा वा विसेसाहिया वा ?, सव्वथोवे सूइअंगुले पयरंगुले असंखेनगुणे घांगुले असंखिजगुणे, से तं आयंगुले। से किं तं उस्सेहंगुले १,२ अणेगविहे पं० तं०-'परमाणू तसरेणू रहरेणू अग्गयं च वालस्स । लिक्खा जूआ य जवो अडगुणविवड्ढिा कमसो ॥९९॥ से कि तं परमाणू १,२ दुविहे पं० तं० सुहुमे य ववहारिए य, तत्थ णं जे से सुहुमे से ठप्पे, तत्थ णं जे से ववहारिए से णं अर्णताणताणं सुहुमपोग्गलाणं समुदयसमिविसमागमेणं वबहारिए परमाणुपोग्गले निष्फजइ, से णं भंते ! असिधारं वा खुरधारं वा ओगाहेजा ?, हन्ता ओगाहेजा, सेणं तत्थ छिजेज वा भिजेजया?, नो इणढे समढे, नो खलु तत्थ सत्यं कमइ, सेणं भंते ! अगणिकायस्स मजांमज्झेणं वीइबएजा ?, हंता बीइवएजा, से णं भंते ! तत्य डोजा?, नो इणढे समढे, नो खलु तत्थ सत्वं कमइ, से णं भंते ! पुक्खरसंवदृगस्स महामेहस्स मज्झमझेणं बीइवएज्जा ?, हंता वीइवएजा, से णं तत्थ उदउड़े सिआ?, नो इणट्टे समझे, णो खलु तत्थ सत्य कमइ, से णं भंते ! गंगाए महाणईए पडिसोयं हवमागच्छेज्जा ?,हता हश्वमागच्छेजा, से णं तत्थ विणिघायमावजेज्जा ?, नो इणढे समढे, णो खलु तत्य सत्यं कमइ, से णं भंते ! उदगावत्तं वा उदगबिंदु बा ओगाहेजा ?, हंता ओगाहेजा. से णं तत्थ कुत्थेजा पा परियारजेज वा?, णो इणढे समढे, नो खलु तत्य सत्यं कमइ, 'सत्येण सुतिक्खेणवि छित्तुं भेत्तुं च जं किर न सका। तं परमाणुं सिद्धा वयंति आई पमाणाणं ॥१०॥ अर्णताणं ववहारियपरमाणुपोग्गलार्ण समुदयसमितिसमागमेणं सा एगा उसण्हसण्डियाइ वा सहसण्हियाइ वा उड्ढरेणूइ वा तसरेण्ड वा रहरेणूइ वा, अट्ट उसण्हसहियाओ सा एगा सण्हसण्डिया, अट्ठ सहसण्डियाओ सा एगा उड्ढरेणू, अह उड्ढरेणूओ सा एगा तसरेणू, १३२३ अनुयोगद्वारसूत्रं - मुनि दीपरत्नसागर Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ट तसरेणूत्रो सा एगा रहरेणू , अट्ठ रहरेणूओ देवकुरुउत्तरकुरुणं मणुआणं से एगे वालग्गे, अट्ट देवकुरूठत्तरकुरुर्ण मणुआणं वालग्गा हरिवासरम्मगवासाणं मणआणं से एगे वालग्गे, अट्ट हरिखस्सरम्मगवासाणं मणस्साणं बालग्गा हेमवयहेरण्णवयाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे, अट्ट हेमवयहेरण्णवयाणं मगुस्साणं वालम्गा पुरविदेहअवरविदेहाणं मणुस्साणं से एगे बालो, अट्ट पुचविदेहअवरविदेहाणं मणुस्साणं वालम्गा भरहएखयाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे, अट्ट भरहेखयाणं मणुस्साणं वालम्गा सा एगा लिक्खा, अट्ठ लिक्खाओ सा एगा जूआ, अट्ट जूआओ एगे जवमझे, अट्ट जयमज्झे से एगे अंगुले, एएणं अंगुलपमाणेण छ अंगुलाई पादो वारस अंगुलाई बिहन्धी चउवीसं अंगुलाई रयणी अडयालीसं अंगुलाई कुच्छी, छन्नबई अंगुलाई से एगे दंडेइ वा धणूइ या जुगेइ वा नालिआइ वा अक्खेइ वा मुसलेइ वा, एएणं धणुप्पमाणेणं दो घणुसहस्साई गाउअं चत्तारि गाउआई जोअणं, एएणं उस्सेहंगलेणं किं पओअणं, एएणं उस्सेहंगुलेणं णेरहअतिरिक्खजोणियमणुस्सदेवाणं सरीरोगाहणा मविज्जति, गेरइआणं भंते ! केमहालिआ सरीरोगाहणा पं०?, गोयमा ! दुविहा पं० सं०-भवधारणिजा य उत्तरखेउविआ य, नन्य णं जा सा भवधारणिजा सा णं जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं पंच धणुसयाई, तत्थ णं जा सा उत्तरखेउविआ सा जहण्णेणं अंगुलस्स संखेजइभागं उकोसेणं घणुसहस्सं, रयणप्पहाए पुढवीए नेरद्दआणं भंते ! केमहालिआ सरीरोगाहणा पं०१, गो ! दुविहा पं० सं०-भवधारणिजा य उत्तरखेउविआ य, तत्थ णं जा सा भवधारणिजा सा जहनेणं अंगुलस्स असंखिजइभार्ग उकोसेणं सत्त धणूइं तिण्णि रयणीओ उच अंगुलाई, नत्थ णं जा सा उत्तरवेउविआ सा जहन्नेणं अंगुलस्स संखेजइभागं उक्कोसेणं पण्णरस धणू दोनि स्यणीओ बारस अंगुलाई, सकरप्पहापुढवीए णेरइआणं भंते! केमहालिआ सरीरोगाहणा पं० १, गो ! दुबिहा पं० २०-भवधा० उत्तरवे०, तत्थ णं जा सा सा ज. अंगुलस्स असं० उक्कोसेणं पण्णरस घणूई दुण्णि स्यणीओ बारस अंगुलाई, तत्थ णं जा सा उत्तरवेउधिा सा जहनेणं अंगुलस्स संखेजइभार्ग उक्कोसेणं एकतीसं घणई इका स्यणी य, वालुअप्पहापुढवीए णेरड्याणं भंते ! केमहालिआ सरीरोगाणा पं०?, गो दुविहा पं० तं०-भवधा उत्तरवे०, तत्थ णं जा सा भव० सा जल अंगुलस्स असं० उकोसेणं एकतीसंधणूई इक्का रयणी य, तत्थ णं जा सा उत्तर० सा अंगुलस्स संखेजइभागं उकोसेणं वासट्टी धणूई दो रयणीओ य, एवं सब्वासिं पुढवीणं पुच्छा भाणियब्वा, पंकप्पहाए पुढवीए भवधारणिजा जहन्नेणं अंगुलस्स असं० उक्कोसेणं वासट्ठी घणूई दो रयणीओ य, उत्तरवे जहन्नेणं अ० सं० उक्कोसेणं पणवीस धणुसयं, घूमपहाए भवधा० अंगुल० असं० उक्कोसेणं पणवीसं घणुसर्य, उत्तरखे० अंगुलस्स संखे० उक्कोसेणं अड्ढाइजाई धणुसयाई, तमाए भवधारणिजा अंगुलस्स असं० उक्कोसेर्ण अड्ढाइजाई घणुसयाई, उत्तरखे अंगुलस्स सं उक्कोसेणं पंच घणुसयाई, तमतमाए पुढवीए नेरइयाणं भंते! केमहालिआ सरीरोगाहणा पं०, गो०! दुविहा पं० तं०-भवधारणिजा य उत्तरखे०, तत्थ णं जा सा भवधारणिज्जा सा जहनेणं अंगुलस्स असं० उक्कोसेणं पंच घणुसयाई, तत्थ णं जा सा उत्तरवेउचिआ सा जहन्नेणं अंगुलस्स सं० उक्कोसेणं धणुसहस्सं, असुरकुमाराणं भंते ! केमहालिआ सरीरोगाहणा पं०, गो०! दुविहा पं० सं०-भवधारणिजाय उत्तरवेउविआ य, सत्य णं जा सा भवधारणिना सा जहनेणं अं० अ० उक्कोसेणं सत्त रयणीओ, उत्तरखेउब्विआ सा जहलेणं अंगुलस्स सं० उक्कोसेणं जोयणसयसहस्सं, एवं असुरकुमारगमेणं जाय थणियकुमाराणं भाणिअई। पुढवीकाइयाणं भंते! केमहालिया सरीरोगाहणा पं०?, गो० जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभार्ग उक्कोसेणवि अं० अ०,एवं सुहुमाणं ओहियाणं अपजत्तगाणं पज्जत्तगाणं च भाणियवं, एवं जाव चादरवाउकाइयाणं पजत्तगाणं भाणियचं, वणस्सइकाइयाणं भंते ! केमहा० पं.?.गो! जहन्नेणं अंगुलस्स असं उक्कोसेणं सातिरेगं जोयणसहस्सं, सुहुमवणस्सइकाइयाणं ओहियाणं अपजत्तगाणं पज्जत्तगाणं तिण्हपि जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं उक्कोसेणवि अंगुलस्स अ०, पादरवणस्सइकाइयाण जहन्ने] अंगुलम्स अ० उक्कोसेणं सातिरेगं जोयणसहस्सं, अपजत्तगाणं ज- अंगुलस्स असं० उक्कोसेणवि अंगुलस्स अ०, पजत्तगाणं जहन्नेणं अंगुलस्स अ० उक्कोसेणं सातिरेगं जोयणसहस्सं, बेइंदियाणं पुच्छा, गो! जहन्ने] अंगुलस्स असं० उक्कोसेणं चारस जोयणाई. अपजत्तगाणं जहन्नेणं अंगुलस्स अ० उकोसेणवि अंगुलस्स अ०, पजत्तगाणं ज० अंगुलस्स सं० उकोसेणं चारस जोयणाई, तेइंदियाणं पुच्छा, गो०! जहन्नेणं अंगुलस्स अ०उकोसेणं तिण्णि गाउयाई, अपजत्तगाणं जहजेणं अंगुलस्स अ० उकोसेणवि अंगु० अ०, पजत्तगाणं जहन्नेणं अंगुलस्स सं० उक्कोसेणं तिणि गाउआई, कठरिदिआर्ण पुच्छा, गो०! जहन्नेणं अंगुलस्स अं० अ० उकोसेणं चत्तारि गाउआई. अपज्जत्तगाणं जहन्नेणवि उकोसेणवि अंगुलस्स अ०, पजत्तगाणं ज० अंगुल० सं० उक्कोसेणं चत्तारि गाउयाई, पंचेदियतिरि० महालिया० ५०?,गो! जहनेणं अं० अ० उक्कोसेणं जोयणसहस्सं, जलयरपंचिदियति० पुच्छा, गो! एवं चेब, समुच्छिमजलयरपंचिंदियति पुच्छा, गो० जहन्नेर्ण अंगु० अ० उक्कोसेणं जोयणसहस्सं, अपजत्नगसमुच्छिमजलयरपंचिंदियपुच्छा,गो०! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखिज्जाभार्ग उक्कोसेणवि अंगुलस्स अ०, पजत्नगर्समुच्छिमजलयर० पुच्छा, गो०! जहन्नेर्ण अ०सं० उक्कोसेणं जोयणसहस्सं, गम्भवतियजलयरपंचिंदियपुच्छा, गो! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखिज्जइभार्ग उकोसेणं जोयणसहस्सं, अपज्जत्तगगल्भ० जह, उक्कोसेणवि अंगु० अ०, पजत्तगगन्भवतिअजलयरपुच्छा, मो०! जहन्नेणं अंगु० सं० उक्कोसेणं जोअणसहस्सं, चउप्पयथलयरपंचिदियपुच्छा, गो० ! जहन्नेणं अंगुलस्स अ० उकोसेर्ण छ गाउआई, संमुच्छिमचउप्पयथलयरपुच्छा, गो ! जहन्नेणं अंगुलस्स असं० उकोसेणं गाउअपुहुतं, अपज्जत्तगसमुच्छिमचउप्पयथलयरपुच्छा, गो०! जहन्नेणं अं० अ० उक्कोसेणवि अ० अ०, पजत्तग०संमु०पुच्छा, गो० ज० अंगुलस्स सं० उक्को गाउअपुरतं, गम्भवकंतिअचउप्पयथलयरपुच्छा, गो० ! जहन्नेणं अंगुलस्स अ० उको छ गाउआई, अपजत्तगगन्भवतिअचउपयथलयरपुच्छा, गो ! जहन्नेणं अंगुलस्स अ० उक्कोसेणचि अंगुलस्स असं०, पजत्तगगम्भवतिअचउप्पयथलयरपुच्छा, गो! जहन्नेणं अंगुलस्स सं० उक्को० छ गाउआई, उरपरिसप्पथलयरपंचिंदियपुच्छा, गो० ! जह• अंगु० असं० उक्कोसेणं जोयणसहस्सं, संमुच्छिमउरपरिसप्पचलयरपुच्छा, गो०! जह• अंगुल० असंखे० उक्को जोयणपुहुत्तं, (३३१) 1 १३२४ अनुयोगद्वारसूत्रं - मुनि दीपरत्नसागर । Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अपजनगसमुच्छिमउरपरिसप्पथलयरपुच्छा, गो. जह• अंगु० असंखे० उक्कोसेणवि अं०अ०, पजत्तग उर० पुच्छा, गो! ज. अं० अ० उक्को जोयणपुहुत्तं, गम्भवतियउरपरिसप्पथलयरपुच्छा, गोजहन्नेणं अंगु० असं उको जोयणसहस्सं. अपज्जत्तगगम्भवक्कंतियउरपरिसप्पथलयरपुच्छा, मो० ! जहन्नेणं अंगुलस्स अ० उक्कोसेणवि अं असं०, पज्जत्तंगगम्भवक्कंतियउरप० पुच्छा, गोजहन्नेणं अंगु० संखेजइभार्ग उक्कोसेणं जोयणसहस्सं, भुअपरिसप्पथलयरपंचिंदियाणं पुच्छा, गो! जह• अंगु० अ० उकोसेणं गाउअपहृतं, समुच्छिमभुअ० पुच्छा, गो० जह० अंगु० असं० उको घणुपुरतं, अपजनगसमुच्छि०, गो० जहन्नेणं अंगु० अ० उक्कोसेणवि अंगु० असं. पजत्तगसमुच्छिमभु०. गो. ज. अं०सं० उको धणुपुटुसं, गम्भ० भुअथल ?, गो०! जह० अं असं० उक्को गाउयपुहुतं०, अपज भुअप०, गो०! जहनेणं अं. असं० उक्कोसेणवि अं० अ०, पज्जत भु. अप: पुच्छा. गो० जह: अंगु संखे. उक्को गाउअपहृतं. सहयरपंचिंदियपुच्छा, गो०! जह• अंगु० असं० उक्को घणुपुहुतं, समुच्छिमखहयराणं जहा भुगपरिसप्पसमुच्छिमाणं तिसुवि गमेमु नहा भाणिया, गम्भवर्कतिजखयरपुच्छा. गो! जहर अंगु० असं० उक्को घणुपुतं, अपजत्तगगळखहयरपुच्छा, गो० ! जह. अं. असं० उक्कोसेणवि अं० अ०, पजत्तगग०ख०, गो०! जह० अंकसंखे० उक्को घणु०, एन्ध संगहणिगाहाओ भवंति. तंजहा- जोयणसहस्स गाउयपुहत्त नतो य जोयणपुहुन। दोण्हं तु घणुपुहुर्त समुच्छिमे होइ उन्चनं १०१॥ जोयणसहस्स छग्गाउआई नत्तो य जोयणसहस्सं। गाउयपुहुन भुअगे पक्षीम् भवे घणुपत्तं ॥२॥ मणुस्साणं भंते : केमहालिआ सरीरोगाहणा पं०१. गोजह, अंगुलस्स अ० उकोसेणं तिण्णि गाउआई. संमुच्छिममणुस्साणं पुच्छा, गो०! जह• अंगु० असंखे. उक्कोसेणवि अंगु० असं०, अपजनगगम्भवक्कंनियमणुस्साणं पुच्छा, गो०! जह अंगु० असं० उक्कोसेणवि अंगु० असं०. पजत्नगग पुच्छा. गोजह अंगुल० सं० उक्कोसेणं तिण्णि गाउआई। वाणमंतराणं भवधारणिजा य उत्तरखेउपिया य जहा असुरकुमाराणं नहा भाणियबा, जहा वाणमंतराणं नहा जोइसियाणवि. सोहम्मे कप्पे देवाणं भने ! केमहालिा० ५०. गो! दुविहा पं० नं०-भवधारणिता य उत्तरखेउविया य, तत्थ णं जा सा भव सा जह अंगुलस्स अ० उको सन्न रयणीओ, नत्थ णं जा सा उत्तर सा जह अंकसंखेउकोसेणं जोयणसयसहस्सं, एवं इसाणकप्पेऽविभाणियचं. जहा सोहम्मकप्पार्ण देवाणं पृच्छा तहा सेसकप्पदेवाणं पुच्छा भाणियवा जाब अचअकप्पो. सणंकमारे भव.जा उनरः जहा सोहम्मे. भव: जहा सणंकुमारे नहा माहिदेवि भाणियचा. बंभलंतगेमु भवधारणिजा जह• अं असं उक्को पंच रयणीओ, उत्तरउविया जहा सोहम्मे, महासुक्कसहस्सारेसु भवधारणिजा जह: अंगुलम्स असं उको चलारि रयणीओ. उत्तर जहा सोहम्मे, आणतपाणतआरणअचुएमु चउमुवि भवधारणिजा जह- अंगु० असंखे० उक्कोसेणं तिणि स्यणीओ, उत्तरखेउविया जहा सोहम्मे, गेवेनगदेवाणं भने ! केमहालिया सरीरोगाहणा पं.?. गो० : एगे भवधारणिज्जे सरीरगे पं०, से जह- अंगुलस्स असं० उक्कोसेणं दो रयणीओ, अणुनरोक्वाइअदेवाणं भंते ! केम पं०?, गो ! एगे भव से जह, अंगु० असं० उक्को एगा रयणी उ. (एवं सवाणं दुविहा भव. पारणिज्जा जहनेणं अंगुलस्स असंखेजइभागो उकोसेणं दुगुणा २. उत्तरखेउविया जहन्नेणं अंगुलस्स संखेजइभागं उक्कोसेणं दुगुणा दुगुणं, एवं असुरकुमाराईणं जाव अणुत्तरविमाणवासीणं सगसगसरीरावगाहणा भाणियत्रा पा) से सामानओ तिविहे पं० २०-सूइअंगुले पयरंगले घणंगुले, एगगुलायया एगपएसिया सेढी सूईअंगुले, सूई सूईए गुणिया पयरंगुले, पयरं सूईए गुणियं घणंगुले, एएसि णं सूईअंगुलपयरंगुलघणंगदाणं कयरे कयरेहिनो अप्पे का बहुए वा नुरड़े वा विसेसाहिए वा?. सवथोने सूईअंगुले, पयरंगुले असंखेनगुणे घणंगुले असंखेजगुणे, से तं उस्सेहंगुले, से कि ते पमाणगुले?, एगमेगस्स रण्णो चाउरंतचक्कयहिस्स अट्ठसोवण्णिए फागणीरयणे छत्तले दुवारसंसिए अट्ठकपिणए अहिगरणिसंठाणसंठिए पं०, तस्सणं एगमेगा कोडी उस्सेहंगुलविक्खंभा नं समणस्स भगवओ महावीरस्स अद्धंगुलं तं सहस्सगुणं पमाणंगुलं भवइ, एएणं अंगुलपमाणे] छ अंगुलाई पादो दुवालसंगुलाई विहन्धी दो बिहन्धीओ रयणी दो रयणीओ कुल्छी दो कुच्छीतो धण दो घणुसहस्साई गाउयं चत्तारि गाउयाई जोयणं, एएणं पमाणंगुलेणं किं पओयणं १, एएणं पमाणंगुलेणं पुढवीर्ण कंडाणं पानालाणं भवणाणं भवणपन्थडाणं निरयाण निरयावलीणं निरयपत्थडाणं कप्पाणं विमाणाणं विमाणावलियाणं विमाणपत्थडाणं टंकाणं कूडाणं सेन्लाणं सिहरीणं पडभाराणं विजयाणं वक्खाराणं वासाणं वासहाणं वासहरपत्रयाणं वेलाणं (वल्याण) वेइयाणं दाराणं नोरणाणं दीवाणं समुदाणं आयामविक्खंभोचनोवेहपरिक्खेवा मविजंति. से समासओ तिविहे पंत-सेढीअंगुले पयरंगुले घर्णगुन्ले, असंखेजाओ जोयणकोडाकोडीओ सेढी. सेढी सेटीए गुणिया पयरं, पयरं सेढीए गणियं लोगो. संखेजएणं लोगो गुणिओ संखेजा लोगा, असंखजएणं लोगो गुणिओ असंखेना लोगा, अणतेणं लोगो गुणिओ अर्णता लोगा, एएसिं णं सेढीअंगुलपयरंगुलपर्णगुलाणं कयरे कयरेहिनो अप्पे वा बहुए वा नुड़े वा बिसेसाहिए वा?. सबथोत्रे सेदिअंगुले पयरंगुले असंखेजगुणे घर्णगुले असंखिजगणे, से तं पमाणंगुले, सेनं विभागनिष्फण्णे, से तं खेत्तप्पमाणे । १३३। से कितं कालप्पमाणे?.२ दुबिहे पं० नं-पएसनिष्फण्णे अ विभागनिफण्णे य । १३४ । से किनं पएसणिफण्णे ?.२ एगसमयट्टिइए दु. ति: जाव दस संखेज० असंखिजसमयदिइए. से तं पएसनिष्फण्णे।१३५।से किं तं विभागनिष्फण्णे ?. समयाऽऽवलिअ मुहुना दिवस अहोरत्त पक्स मासा य । संवच्छर जुग परिआ सागर ओसप्पि परिअट्टा ॥१०३॥१३६। से कि तं समए?, समयस्स णं परूवणं करिस्सामि, से जहानामए तुण्णागदारए सिआ तरुणे बलवं जुग जुवाणे अप्पातंके थिरग्गहत्थे दढपाणिपायपासपिटुतरोरुपरिणने नलजमलजयन्टपरिघणिभवाहू चम्मेढुगदुहणमुट्ठिअसमाहतनिचितगत्तकाए उरस्सबलसमण्णागए लंघणपवणजइणवायामसमत्थे छेए दक्खे पत्न8 कुसन्ले मेहावी निउणे निउणसिप्पोवगए एगं महनीं पडसाडियं (वा) पट्टसाडियं वा गहाय सयराह हत्यमेत्तं ओसारेज्जा, तत्य चोयए पण्णवयं एवं वयासी-जेणं कालेणं तेणं तुण्णागदारएणं तीसे पडसाडियाए वा पट्टसाडियाए वा सयराहं हत्यमेने ओसारिए से समए भवइ ?, नो इणद्वे समवे. कम्हा ?. जम्हा संखेजाणं नंतूणं १३२५ अनुयोगद्वारमूत्रं - मुनि दीपरत्नसागर Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समुदयसमितिसमागमेणं एगा पडसाडिया निप्फजइ, उपरिहमि तंतुंमि अच्छिष्णे हिद्विले तंतू न खिजद्द, अण्णंमि काले उपरितले तंतू छिजइ अण्णंमि काले हिडिले तंतू छिनइ, तम्हा से समए न भवइ, एवं वयंतं पण्णचयं चोयए एवं वयासी जेणं कालेणं तेणं तुण्णागदारएणं तीसे पडसाडियाए वा पट्टसाडियाए वा उवरिले तंतू छिण्णे से समए भवइ ?, न भवइ, कम्हा ?, जम्हा संखेजाणं पम्हाणं समुदयसमितिसमागमेणं एगे तंतू निष्फजई, उपरि पन्हे अच्छिन्ने हेट्टिले पन्हे न छिजइ, अण्णंमि काले उवरिल्ले पन्हे छिन अण्णंमि काले द्विल्ले पन्हे छिजड़, तम्हा से समए न भवद्द, एवं वयंतं पण्णवयं चोयए एवं वयासी जेणं कालेणं तेणं तुष्णागदारएणं तस्स तंतुस्स उवरिल्ले पन्हे छिष्णे से समए भवइ १, न भवइ, कम्हा १, जम्हा अनंताणं संघायाणं समुदयसमितिसमागमेणं एगे पन्हे निष्फल, उवरिले संघाए अविसंघाइए हेद्विले संघाए न विसंघाइजह, अण्णंमि काले उवरिले संघाए बिसं घाइज अण्णमि काले हिद्विले संघाए विसंघाइज्जइ, तम्हा से समए न भवइ, एसोऽविय णं सुहुमतराए समए पं० समणाउसो, असंखिजाणं समयाणं समुदयसमितिसमागमेणं सा एगा आवलिअत्ति वुम्बइ, संखेजाओ आव लियाओ ऊसासो, संखिजाओ आवलियाओ नीसासो 'हट्ठस्स अणवगलस्स निरुवकिस्स जंतुणो। एगे ऊसासनीसासे, एस पाणुत्ति दुबइ ॥ ४ ॥ सत्त पाणि से धोत्रे, सत्त थोवाणि से लवे लवाणं सत्तहत्तरीए, एस मुहुत्ते विआहिए ॥ ५॥ तिष्णि सहस्सा सत्त य सयाई तेहुत्तरं च ऊसासा। एस मुहुत्तो मणिओ सवेहिं अनंतनाणीहिं ॥ १०६ ॥ एएणं मुहुत्तपमाणेणं तीसं मुहुत्ता अहोरतं पण्णरस अहोरत्ता पक्खो दो पक्खा मासो दो मासा ऊऊ तिष्णि ऊऊ अयणं दो अयणाई संवच्छरे पंच संवच्छरे जुगे वीसं जुगाई वासरायं दस वाससयाई वाससहस्सं सयं वाससहस्साणं वाससयसहस्सं चोरासीई वाससयसहस्साई से एगे पुढंगे चउरासीई पुवंगसयसहस्साइं से एगे पुढे, चउरासीई पुत्रसयसहस्साई से एगे तुडिअंगे चउरासीई तुडिअंगसयसहस्साइं से एगे तुडिए चउरासीई तुडिअसयसहस्साइं से एगे अडडंगे चोरासीई अडडंगसयसहस्साई से एगे अडडे एवं अवसँगे अवत्रे हुहुअंगे हुहुए उपलंगे उप्पले पउमंगे परमे नलिणंगे नलिने अच्छिनिऊरंगे अच्छिनिउरे अउअंगे अउए पउअंगे पउए उअंगे णउए चूलिअंगे चूठिया सीसपहेलियंगे चउरासीई सीसपहेलियंगसयसहस्साई सा एगा सीसपहेलिआ, एयावया चैव गणिए एयावयाचे गणिअस्स विसए एत्तोवरं ओवमिए पवत्तइ । १३७। से किं तं ओमिए १. २ दुविहे पं० तं० पलिओचमे य सागरोवमे य, से किं तं पलिओवमे १, २ तिविहे पं० तं० उद्धारपलिओवमे अद्धापलिओ मे खेत्तपलिओमे य से किं तं उद्धारपलिओ मे १ २ दुविहे पं० तं० सुडुमे य वावहारिए य, तत्थ णं जे सुहुमे से ठप्पे, तत्व णं जे से बावहारिए से जहानामए पहले सिआ जोयणं आयामविक्खंभेणं जोजणं उदंउचत्तेनं तं तिगुणं सविसेसं परिक्वेवेणं, से णं पले एगाहिअबे आहि अतेआहियजावउक्कोसेणंसत्तरत्तपरूद्वाणं संसट्टे संनिचिते भरिए बालग्गकोडीणं, ते णं चालग्गा नो अम्मी डहेजा नो वाऊ हरेजा नो कुहेजा नो पलिविद्धसिजा णो पूइत्ताए हब्वमागच्छेजा, तओ णं समए २ एगमेगं वालग्गं अवहाय जावइएणं कालेणं से पहले खीणे नीरए निल्लेवे पिडिए भवइ, से तं बाबहारिए उद्धारपलिओवमे, 'एएसिं पलाणं कोडीकोडी हवेज्ज दसगुणिया । तं ववहारिअस्स उद्धारसागरोचमस्स एगस्स भवे परिमाणं ॥ १०७ ॥ एएहिं वावहारिअ उद्धारपलिओवमसागरोवमेहिं किं पओयणं १, एएहिं० णत्थि किंचिप्पओयणं केवलं पण्णत्रणा पण्णविजड़ से तं वावहारिए उद्धारपलिओ मे से किं तं सुहमे उद्धारप लिओ मे १ २ से जहानामए पहले सिआ जोअणं आयामविक्खंभेणं जोअणं उद्देहेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं, से णं पले एगाहिने आहितेआहियउकोसेणंसत्तरत्तपरूढाणं संसट्टे संनिचिते भरिए वालग्गकोडीणं, तत्थ णं एगमेगे वालग्गे असंखिजाई खंडाई कज्जइ, ते णं वालग्गा दिडीओगाहणाओ असंखेजइभागमेत्ता मुहमस्स पणगजीवस्स सरीरोगाहणार असंखेजगुणा, ते णं वालग्गा णो अग्गी रहेजा णो वाऊ हरेजा णो कुहेजा णो पलिवि इंसिजा णो पूइत्ताए हवमागच्छेजा, तओ णं २ एगमेर्ग वालग्गं अवहाय जावइएण काले से पल्ले खीणे नीरए निल्लेवे गिट्टिए भवइ, सेतं सुहमे उद्धारपलिओ मे, 'एएसिं पहाणं कोडाकोडी ०। तं सुडुमस्स उद्धारसागरो - बमस्स० ॥ १०८ ॥ एएहिं सुडुमउदारपलिओमेहिं किं पओअणं ?, एएहिं० गरोवमेहिं दीवसमुदाणं उद्धारो घेप्पड़, केवइया णं भंते! दीवसमुद्दा उद्धारेणं पं० १, गो० ! जावइयाणं अड्ढाइजाणं उद्धारसाग० उद्धारसमया एवइया णं दीवसमुद्दा उद्धारेण पं० से तं सुहुमे उद्धारपलियो मे से तं उद्धा०। से किं तं अद्धा ०१, २ दुविहे पं० तं० सुडुमे य वावहारिए य, तत्व णं जे से खुट्टमे से ठप्पे, तत्थ णं जे से बाव से जहा० पले० जोअणं आया जोयणं उ० तं तिगुणं सवि० परि० से णं पले एगाहि अत्रेआहिजतेआहियजावभरिए वालग्गकोडीणं, ते णं वालग्गा णो अग्गी डहेजा जाव णो पलिविदंसिजा नो पूइत्ताए हशमागच्छेजा, तओ णं वाससाए २ एगमेगं वालगं अवहाय जावइएणं कालेणं से पहले खीणे नीरए निल्लेवे निट्टिए भवइ, से तं वावहारिए अद्धापलिजोवमे, 'एएसिं पलाणं कोडाकोडी ०। तं ववहारिअस्स अद्धासा • एगस्स भवे परिमाणं ॥ ९ ॥ एएहिं वावहारिएहिं अद्धा ० प० सागरो ० किं १०१, एएहिं० नत्थि किंचिप्पओयणं, केवलं पण्णव से तं वावहारिए अद्धाप०, से किं तं मुहमे अद्याप ०१, २ पहले सिया जोयणं आया० जोयणं उड़ढं० तं तिगुणं सविसे० परि०, से णं पहले एगाहियवेया० जावभरिए बालग्गकोडीणं, तत्थ णं एगमेगे वालग्गे असंखेजाई खंडाई कज्जइ, ते णं वालग्गा दिडीओगाहणाओ असंखेज्जइभागमेत्ता सुदुमस्स पणग० सरीरोगाहणाओ असंखेज्जगुणा, ते णं वालग्गा णो अग्गी जाब नो पलिविद्धंसिजा नो पूइत्ताए हवमा०, तओ णं वाससए २ एगमेगं बालग्गं अवहाय जावइएणं कालेणं से १० वी० नी० निलेवे गिट्टिए भवइ से तं युहुमे अद्धा०, 'एएसिं पहाणं । तं सुहृमस्स अदासा० एगस्स भवे परिमाणं ॥ ११० ॥ एएहिं सुहमेहिं अद्धाप०सागरोवमेहिं किं पओयणं ?, एएहिं० नेरइयतिरिक्खजोणियमणुस्सदेवाणं आउयं मविज्जइ । १३८ । रइयाणं भंते! केवइयं कालं ठिई पं० १, गो० ! जहनेणं दस वाससहस्साइं उकोसेणं तेत्तीस सागरोवमाई, रयणप्पहा पुढवीणेरइयाणं भंते! केवइयं कालं ठिई पं० १, गो० ! जह० दस वा० उच्को० एवं सागरोवमं, अपजत्तगरयणप्पापुढवीणेरइयाणं भंते! केवइयं० पं० १, गो० ! जहनेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुद्दत्तं, पजत्तगरयणप्प० नेरइयाणं भंते! केवइ१३२६ अनुयोगद्वारसूत्रं मुनि दीपरत्नसागर - Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पं० १, गो० ! जह० दस वा० अंतोमुडुत्तूणाई उको० एवं सागरोवमं अंतोमुडुत्तोणं, सकरप्पहापुढवीनेरइयाणं भंते! केवइ० पं० १, गो० ! जह० एवं सागरोषमं उच्को० तिष्णि सागरोबमाई, एवं सेसपुढवीसु पुच्छा भाणिया, वाअप्पापुढवीनेरइयाणं जह० तिष्णि सागरोबमाई उको० सत्त सागरोवमाई पंकप्पहापु० जह० सत्त० उक्को० दस सा० धूमप्पहापु० जह० दस सा० उक्को० सत्तरस सागरोत्रमाई तमप्पहापु० जह० सत्तरस उक्को० बावीस ० तमतमापुढवीनेरइयाणं भंते! के० १, गो० जह० चाचीसं साग० उक्को० तेत्तीस सागरोपमाई, असुरकुमाराणं भंते! केवइयं कालं ठिई पं० १. गो० ! जहस्रेणं दस वाससहस्साई उक्को० सातिरेगं सागरोवमं, असुरकुमारदेवीणं भंते! केवइ० पं० १. गो० जह० दस० वा० उक्को० अदपंचमाई पलिओदमाई, नागकुमाराणं भंते! केव० पं० १. गो० जह० दस० वास० उक्को० देसूणाई दुष्णि पलिओदमाई, नागकुमारीणं भंते! केव० पं० १. गो० ज० दस वास० उक्को० देसूणं पलिओक्मं, एवं जहा नाग० देवाणं देवीण य तहा जाव यणियकुमाराणं देवाणं देवीण व भाणियां, पुढवीकाइयाणं भंते! के० १, गो० जह० अंतोमु० उक्को० बाबीसं वाससहस्साइं सुदुमपुढवीकाइयाणं ओहियाणं अपजत्तयाणं पजत्तयाण य तिव्हवि पुच्छा, गो० जह० उक्कोसेणवि अंतोमुहतं, बादरपुढवीकाइयाणं पुच्छा, गो० जह० अंतोमुडुतं उक्को० बावीस वाससहस्साई, अपजत्तगबादरपु० पुच्छा, गो० ! जहणेणवि उक्कोसेगवि अं०, पज्जत्तगचादरपु० पुच्छा, गो० जह० अंतोमुडुतं उक्को० बावीसं वा० अंतीमुत्तूणाई, एवं सेसकाइयापि पुच्छावयणं भाणियां, आउकाइयाणं जह० अंतो० उक्को० सत्त वासस०, सुडुमआउकाइ ० ओहियाणं अपजत्तगाणं फजत्तगाणं तिन्हवि जहण्णेणवि उक्कोसेगवि अं०, बादरआउका जहा ओहियाणं, अपजत्तगबादरआ० जहत्रेणवि उक्कोसेणवि अं०, पज्जत्तगबादरआ० जह० अंतोमुडुतं उको० सत्तवाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई, तेउकाइयाणं जह० अं० उफो० तिष्णि राईदिआई, सुडुमते० ओहिआणं अपनत्तगाणं पजतगाणं तिन्हवि जहण्णेणवि उकोसेणचि अं०, पादरतेउकाइयाणं ज० अंतो० उक्कोसेणं तिष्णि रा०, अपजत्तषा० ते ० जत्रेणवि उक्को० अंतो०, पज्जत्तगबाद० जह० अंतोमु० उक्को० तिष्णि रा० अंतोमुडुत्तूणा, वाउका जहन्नेणं अंतोमुडुतं उक्को० तिष्णि वाससहस्साई, सुमचाउ• ओहियाणं अपजत्तगाणं पजत्तगाण य तिव्हवि जह० उक्को० अंतो०, बादरवा० ज० अंतो० उक्को० तिष्णि वा०, अपज्जत्तगबादरवाउकाइ० जह० अं० उक्कोसेणवि अं०, पजसमबादरबाउ० जह० अंतोमुडुतं उक्को० तिण्णि वासस०: • अंतोमु०, वणस्सइकाइआणं जहन्नेणं अं० उक्को० दस बाससहस्साइं सुहुमवणस्सइका० ओहिजाणं अपजत्तगाणं पजत्तगाण य तिन्हवि जहणेणवि उक्कोसे० अं०, बादरवणस्सइकाइआणं जह० अंतो० उक्को० दस वासस०, अपजत्तगया० जह० उक्को० अंतो०, पजत्तगत्रादरवण • जहन्नेणं अं० उक्कोसेणं दस वास० अंतोमुडुत्तूणाई, बेइंदिआणं भंते! केव० पं०१, गो० ! जहन्नेणं अंतोमुडुत्तं उक्को० बारस संवच्छराणि, अपचत्तगचेइंदिआणं पुच्छा, गो० ! जमेणं अंतोमुडुत्तं उक्कोसेणवि अं०, पजत्तगबेई० जह० अं० उक्को० बारससं० अंतोमुहुत्तूणाई, तेइंदिआणं पुच्छा, गो० जह० अं० उनको एगुणपण्णार्स राइंदियाणं, अपनत्तगतेइंदियाणं पुच्छा, गो० ! जहणेणवि अंतो० उक्को० अं०, पजत्तगतेई० पुच्छा, गो० जह० अंतोमुद्दत्तं उनको एगूणपण्णासं राईदियाई अंतोमुहुत्तूणाई, चउरिंदियाणं भंते! केवह० ०१, गो० जह० अंतो० उक्को० उम्मासा, अपजत्तगचउरिंदियाणं पुच्छा, गो० जहन्नेण उक्कोसेणवि अंतो०, पजनगचउरिंदियाणं पुच्छा, गो०! जहणं अं० उक्को० छम्मासा अंतो०, पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं भंते! केवइ० १०१, गो० जह० अंतोमुहुर्त उक्को तिष्णि पलिजोवमाई, जलयरपंचिदियतिरिक्खजोणियाणं भंते! केवइयं कालं ठिई पं० १. गो० ! जत्रेणं अंतोमुद्दत्तं उक्कोसेणं पुण्यकोडी, समुच्छिमजलयरपंचिंदियपुच्छा, गो० ! जलेणं अंतो उक्को० पुन्यकोडी, अपजत्तयसंमुच्छिमजलयरपंचिदियपुच्छा, गो० ! जहमेण उक्कोसेणवि अंतो०, पज्जतयसंमुच्छिमजलपरपंचिदियपुच्छा, गो० जह० अंतो० उक्को० पुरुषकोडी अंतोमुडुत्तूणा, जम्भवक्कंतियजलयरपंचिदियपुच्छा, गो० ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुण्चकोडी, अपजत्तगगग्भवक्कंतियजलयरपंचिंदियपुच्छा, गो० ! जन्मेण उक्कोसेणवि अंतो०, पज्जत्तगगन्भवक्कंतियजलयरपंचिदियपृच्छा, गो०! जहन्नेणं अंतोमुडुतं उक्कोसेणं पुष्वकोडी अंतोमुहुत्तूणा, चप्पयथलयरपंचिंदियपुच्छा, गो० जह० अंतो० उक्को० तिणि पलिओमाई, संमुच्छिमच उप्पयथलपरपंचिंदिय जाब गो० जह० अंतो० उक्को० चउरासीई वाससहरसाई, अपनत्तयसंमुच्छिमचउप्पयथलयरपंचिदियजाब गो० ! जहन्नेण उस्कोसेणचि अंतो० पजत्तयसंमुच्छिमच उप्पयथलयरपंचिंदियजाव गो० ! जह० अंतो० उक्को० चउरासीई वाससहस्साई अंतोमुडुत्तूणाई, गम्भवतियच उप्पयथलयरपंचिंदिय जाव गो० जह० अंतो उक्को० तिष्णि पलिओयमाई, अपजत्तगगन्भवक्कंतियच उप्पयथलयरपंचिंदियजाव गो०! जहणेण उक्कोसेणवि अंतो० पज्जत्तगगन्भवकंतियच उप्पयथलयरपंचिदियजाव गो० जह० अंतो० उक्को तिष्णि पलिओषमाइं अंतोमुहुत्तूणाई, उरपरिसप्पथलयरपंचिंदियपुच्छा, गो० जह० अंतो० उक्को० पृथ्वकोडी, संमुच्छिम उरपरिसप्पथलयरपंचिदियपुच्छा, गो० जह० अंतो उक्को० वर्ण वाससहस्साई, अपजत्तयसंमुच्छिमउरपरिसप्पथ लयरपंचिंदिय जाव गो० ! जहण्जेणवि अं० उक्कोसेणवि अंतो०, पज्जत्तयसंमुच्छिमउरपरिसप्पथलयरपंचिदियजाव गो० जह० अंतो० उच्को० तेवण्णं वाससहस्साई अंतोमुडुत्तूणाई, गब्भवकंतियउरपरिसप्पयलयरपंचिदियजाव गो० जह० अंतो० उक्को० पुडकोडी, अपजत्तगगन्भवकंतियउरपरिसप्पथलयरपंचिंदियजाव गो० ! जहमेण उच्कोसेणवि अंतो०, पज्ञत्तयगन्भवक्कंतियउरपरिसप्पयलयरपंचिदियजाब गो० जह० अंतो० उक्को० पुशकोडी अंतोमुडुत्तूणा, भुअपरिसप्पथलयरपंचिदियजाब गो० ! जहणेण अंतो० उक्कोसेणं पुञ्जकोडी, संमुच्छिमभुयपरिसप्पचल०१, गो० जह० जं०] उक्को० बायालीसं वाससहस्साइं अपजत्तयसंमुच्छिम भुयपरिसप्पयलयरपंचिदिय जाब गो० जह० उक्को० अंतो०, पज्जत्तगसंमुच्छिम भुयपरिसप्पथलयरपंचिंदिय जाव गो०! जह॰ अंतो॰ उक्को० बायालीसं वाससहस्साई अंतो०, गम्भवक्कंतिय भुयपरिसप्पथलवरपंचिंदिय जाव गो० जह० अंतो० उक्को० पुषकोडी, अपजत्तयगन्भवक्कतियभयपरिसप्पथलयरपंचिदिय जाव गो० ! जहण १३२७ अनुयोगद्वारसूत्रं मुनि दीपरत्नसागर SWORDEN VAN VAN Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उक्कोसेणवि अंतो०, पजत्तयगम्भवक्कैतियभुयपरिसप्पथलयरपंचिदिय जाच गो०! जह• अंतो० उक्को पुषकोडी अंतोमुहलूणा, खहयरपंचिंदिय जाव गो०! जह• अंतो उक्कोः पलिओवमस्स असंखेजइभागो, समुच्छिमखयरपंचिदिय जाव गो०! जह० अंतो उक्को० बावत्तरि वाससहस्साई, जपजत्तगसमुच्छिमखहयरपंचिंदियपुच्छा, गो०! जह० उक्को अंतो०. पजत्तगसमुच्छिमसहयरपंचिंदिय जाब गो! जहन्नेणं अंतो उक्कोवावतार बाससहस्साई अंतोमुत्तूणाई, गम्भवक्कंतियखहयर० जाच गो०! जह• अंतो० उक्को० पलिओवमस्स असंखेजइभागो, अपजत्तगगम्भवतियखयर जाच गो! जहण्णेणवि उको अंतो०, पजत्तग० खहयरपंचिदियति. रिकल जोणियाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई ५०, गो! जह० अंतो उनको पलिओवमस्स असंखिजइभागो अंतोमुत्तूणो, एत्व एएसिंणं संगहणिगाहाओ भवंति तंजहा-समुच्छिम पुषकोडी चउरासीई भवे सहस्साई। तेवण्णा बायाला बावत्तरिमेव पक्खीणं ॥१११॥ गम्भंमि पुषकोडी तिषिण य पलिओवमाई परमाऊ। उरग भुञ पुच्चकोडी पलिओवमऽसंखभागो अ॥२॥ मणुस्साणं भंते ! फेवइयं० पं०?, गो०! जह• अंतो उक्को तिग्णि पलिओ. वमाई. समुच्छिममणुस्साणं जाव गो० ! जहण्णेण उक्को० अंतो०, गम्भवक्कंतियमणुस्साणं जाव गो०! जह• अंतो० उक्को तिषिण पलिओवमाई, अपजत्तगगम्भ०मणुस्साणं भंते ! केवइ० ५०?, गो ! जह• उस्को अंतो०, पज्जत्तगगभ०मणुस्साणं भंते ! केवइ०१, गो०! जह० अंतो० उक्को तिषिण पलि० अंतोमुहुत्तूणाई, वाणमंतराणं देवाणं केवइ०१, गो! जह० दस वाससहस्साई उक्को पलिओचम, याणमंतरीणं देवीणं भंते! केव०?, गो०! जह दस बाससहस्साई उक्को अद्धपलिओचम, जोइसियाणं भंते ! देवाणं केवइ०१, गो०! जह• सातिरेगं अट्ठभागपलिओवमं उक्को० पलिओवमं वाससयसहस्समम्महियं, जोइसियदेवीणं भंते ! केवइ०?, गो०! जहनेणं अट्टभागपलिओवमं उकोसेणं अद्धपलिओवमं पण्णासाए वाससहस्सेहिं अभाहियं, चंदविमाणाणं भंते ! देवाणं केव०, गो०! जह० चउभागपलिओवम उक्को० पलिजओचमं वाससयसहस्समभहियं, चंदविमाणाणं भंते! देवीणं?, गो०! सेहिं अमहियं, सरविमाणाणं भंते ! देवाणं०१, गो० जहचउभागपलिओवर्म उक्को० पलिओवमं वाससहस्समम्भाहियं, सरविमाणाणं देवीणं०१. गो० जह. चउभागपलिओचमं उक्को अदपलिओवम पंचहिं वाससएहिं अमहियं, गहविमाणाणं देवाण०१, गो०! जहः चउभागपलिओवम उक्को० पलिओचम, गहविमाणाणं भंते ! देवीण०१, गो०! जह० चउभागपलिओचमं उक्को अदपलिओवमं, णक्वत्तविमाणाणं भंते ! देवाणं०?, गो०! जह० चउभागपलिओवमं उक्को अद्धपलिओवम, णक्खत्तविमाणाणं भंते ! देवीणं०?, गो०! जह० चउभागपलिओवमं उक्को० सातिरेग चउभागपलिओचम, ताराविमाणाणं भंते!०?, गो०! जह• साइरेगं अट्ठभागपलिओचमं उक्को० चउभागपलिओवम, ताराविमाणाणं देवीणं भंते ! केवइयं०१, गो०! जह० अट्ठभागपलिओवम उको साइरेग अट्ठभागपलिओवर्म, वेमाणियाणं भंते ! देवाणं केव० पं०?, गो०! जह० पलिओवर्म उक्को० तेत्तीस सागरोदमाई, वेमाणियाणं भंते ! देवीणं केवह० ५०१, गो०! जह० पलिओवम उको पणपणं पलिओवमाई, सोहम्मे णं मंते ! कप्पे देवाण ०?, गो० जह० पलिओवमे उनको दो सागरोक्माई, सोहम्मे णं भंते ! कप्पे परिग्गहियादेवीण ०१, गो०! जह० पलिओवमं उनको सत्त पलिओक्माई, सोहम्मे णं भंते ! अपरिग्गहिआदेवीणं के०१, गो०! जह० पलिओवर्म उको० पण्णासं पलिओचमाई, ईसाणे गं भंते ! कप्पे देवाण०१, गो०! जह• साइरेगं पलिओवमं उक्को साइरेगाई दो सागरोदमाई, ईसाणे णं मंते! कप्पे परिग्गहिआदेवीणं के०?, गो०! जह० साइरेग पलिओवम उक्को नव पलिओषमाई, अपरिग्गहियादेवीणं०१, गो! जहरू साइरेग पलि० उक्को० पणपण्णं पलिओवमाई, सणकुमारे गं भंते ! कप्पे देवाणं०?, गो०! जह० दो सागरोवमाई उक्कोसेणं सत्त सागरोवमाई, माहिदेणं भंते ! कप्पे देवाण०१, गो०! जह साइरेगाई दो सागरोचमाई उक्को साइरेगाई सत्त सागरोवमाई, बंभलोएणं मंते ! कप्पे देवाणं०१, गो०! जह सत्त सागरोबमाई उक्को० दस सागरोवमाई, एवं कप्पे कप्पे केवइ० पं०?, गो०! एवं भाणियवं-लंतए जह० दस सागरोवमाई उनको चउदस सागरोवमाई, महासुके जहरू चउद्दस सागरोवमाई उक्को सत्तरस सागरोवमाई, सहस्सारे जह सत्तरस सागरोवमाई उक्को अट्ठारस सागरोवमाई, आणए जह अट्ठारस सागरोवमाई उको एमृणवीसं सागरोचमाई, पाणए सा० उकको एककवीसं सागरोवमाई, अबुए जहएककवीसं सागरोवमाई उकको बावीसं सागरोवमाई, हेडिमहेछिमगेविजविमाणेसु णं भंते ! देवाण केवइ?, मो०! जह० बावीसं सागरोवमाई उक्को० तेवीसं सागरोबमाई, हेडिममज्झिमगेकेजविमाणेसु णं भंते! देवाणं केव०?, गो०! जह० तेवीसं सागरोवमाई उक्को० चउबीसं सागरोवमाई, हेहिमउवरिमगेवेजबिमाणेसुणं भंते ! देवाणं०१, गो०! जह० चउवीसं साग० उको० पंचवीसं साग०, मज्झिमहेडिमगेवेजविमाणेसु केव०?,जह पणवीसं सागरोवमाई उक्को० छबीस सागरोवमाई, मज्झिममज्झिमगेवेजविमाणेसुणं भंते ?, गो! जहः छत्रीसं सागरोवमाई उक्को सत्तावीसं सागरोबमाई, मज्झिमउवरिमगेवे ?, गो०! जह० सत्तावीसं सा० उक्को० अट्ठावीसं०, उवरिमहेडिमगेवि० देवाणं०?, गो०! जह• अट्ठावीसं सा० उक्को एगृणतीसं सागरोवमाई, उपरिममज्झिमगे. बिजविमाणेसु णं भंते ! देवाणं०?, गो०! जह० एगणतीसं सागरोक्माई उक्को तीसं सागरोवमाई, उवरिमउवरिमगेवेजविमाणेसुणं भंते! देवाणं०?, गो०!जह तीसं सागरोवमाई उक्को एक्कतीसं सागरोदमाई, विजयवेजयं. तजयंतअपराजितविमाणेसु णं भंते! देवाणं केवइ०?, गो० जहण्णेणं एकतीसं सागरोवमाई उक्को० तेत्तीस सागरोवमाई, सबट्टसिद्दे णं भंते! महाविमाणे देवाणं केवइ०?, गो! अजहण्णमणुक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोक्माई, से तं सुहुमे अद्धापलिओवमे, से तं अद्यापलिओवमे । १३९। से किं तं खेत्तपलिओवमे १,२ दुविहे पं० त०-सुहुमे य वावहारिए य, तत्थ णं जे से सुहुमे से ठप्पे, तत्य णं जे से वावहारिए से जहानामए पाड़े सिआ जोयणं आयामविक्खंभेणं जोयणं उन्हेणं तं तिगुणं सविसेस परिक्खेवणं, से णं पाहे एगाहियवेआहियतेआहियजावभरिए बालम्गकोडीणं, तेणं वालम्गा णो अम्गी रहेजा जाव णो पइत्ताए हवमागच्छेजा, जे णं तस्स पाइरस (३३२) १३२८ अनुयोगद्वारसूत्रं - मुनि दीपरबसागर Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगासपएसा तेहि बालग्गेहिं अफुन्ना तत्र णं समए २ एगमेगं आगासपएसं अवहाय जावइएणं काले से पहले खीणे जाव निट्टिए भवइ से तं बावहारिए खेत्तपलिओवमे, 'एएसिं पहाणं कोडाकोडी ०। तं ववहारियस्स खेतसाग० ॥ ११३ ॥ एहिं बावहारिएहिं खेतपलि ओवमसागरोवमेहिं किं पओयणं ? एएहिं वा० नत्थि किंचिप्पओवणं, केवलं पण्णवणा पण्णबिजइ, से तं बाब०, से किं तं सुदुमे खेत्तपलिजोवमे १ २ से जहाणामए पहले सिया जोयणं आयाम जाव परिक्लेवेणं, से णं पहले एगाहियवेआहियते आहियजाबभरिए वालग्गकोडीणं, तत्थ णं एगमेगे वालग्गे असंखिचाई खंडाई कज्जइ, ते णं वालग्गा दिट्ठीओगाहणाओ असंखेबभागमेत्ता हुमस्स पणगजीवस्स सरीरोगाहणाओ असंखेजगुणा, ते णं बालग्गा णो अग्गी उहेजा जाव णो पूछताए हश्मागच्छेजा, जेणं तस्स पलस्स आगासपएसा तेहिं वालग्गेहिं अप्फुन्ना वा अणा कुण्णा वा तओ णं समए २ एगमेगं आगासपएस अबहाय जावइएण काले से पहले वीणे जाव णिट्टिए भवद्द से तं सहमे खेलपलिओदमे, तत्थ णं चोयाए पण्णवर्ग एवं वयासी अस्थि णं तस्स पछस्स आगासपएसा जे णं तेहिं वालग्गेहि अणापुष्णा ?, हंता अस्थि. जहा को दितो ?, से जहाणामए कोहए सिया कोहंडाणं भरिए तत्थ णं माउलिंगा पक्खित्ता तेवि माया, तत्थ णं बिल्ला पक्खित्ता तेवि माया, तत्थ णं आमलगा पक्त्तिा तेवि माया, तत्थ णं त्रयरा प० तेऽवि माया, तत्थ णं चणगा १० तेवि माया, तत्थ णं मुग्गा पक्खि० तत्थ णं सरिसवा प०, तस्थ णं गंगावालुया पक्खित्ता साचि माया, एवमेव एएणं दिट्ठतेणं अस्थि णं तस्स पलस्स आगासपएसा जे णं तेहिं वालग्गेहिं अणाकुण्णा 'एएसिं पहाणं कोडाको डी० । तं सुदुमस्स खेत्तसागरो० ॥ ११४॥ एएहिं सुहुमेहिं खेतप० सागरोवमेहिं किं पओयणं ? एएहिं सुहुमपलि० दिडिवाए दवा मविजति । १४०। कइविहा णं भंते! दशा पं० १. गो० दुविहा दष्वा पं० तं० जीवदवा य अजीवदवा य अजीवदवाणं भंते! कचिहा पं०१, गो० अजी० दुविहा पं० [सं० रूबी अजीवदवा य अरूबी अजीवदवा य, अरूवी अजीवदवाणं भंते! कइविहा पं०१, गो० ! अरू० दसविहा पं० तं० धम्मत्थिकाए धम्मत्थिकायस्स देसा धम्मस्थिकायस्स एसा अधम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकायस्स देसा अधम्मत्थिकायस्स पएसा आगासत्थिकाए आगासत्थिकायस्स देसा आगास पएसा अद्धासमए, रूबी अजीवदद्वाणं भंते! कइबिहा पं० १. गो० रूवी० चउडिहा पं० तं० खंधा खंधदेसा खंधप्पएसा परमाणुपोग्गला, ते णं भंते! किं संखिज्जा असंखिजा अनंता ?, गो०! नो संखेजा नो असंखेजा अणता, से केणट्टेणं भंते! एवं बुच्चइ-नो संखेजा नो असंखेजा अनंता ?, गो० अर्णता परमाणुपोग्गला अनंता दुपए सिया खंधा जाव अनंता अनंतपाएसिया खंधा, से एएण्ऽट्टेणं गो० ! एवं बुबइ-नो संखेजा नो असं० अनंता, जीवदशा णं भंते! किं संखिज्जा असंखिज्जा अनंता १, गो०! नो संखिजा नो असंखिजा अनंता से केणट्टेणं भंते! एवं बुच्चद्दनो संखिजा नो असंखिजा अनंता ?, गो०! असंखेजा णेरड्या असंखेजा असुरकुमारा जाव असंखेजा धणियकुमारा असंखिजा पुढवीकाइया जाव असंखिज्जा वाउकाइया अनंता वणस्सइकाइया असंखेजा बेइंदिया जाय असंखिजा चउरिंदिया असंखिजा पंचिदियतिरिक्ख जोणिया असंखिजा मणुस्सा असंखिजा वाणमंतरा असंखिजा जोइसिया असंखेजा वैमाणिया अनंता सिद्धा से एएणट्टेणं गो० एवं बुम्बइ-नो संखिजा नो असंखिज्जा अनंता । १४१ । कविहाणं भंते! सरीरा पं०१, गो० पंच सरीरा पं० तं० ओरालिए बेउलिए आहारए तेयए कम्मए, गेरइआणं भंते! कइ सरीरा पं०१, गो० ! तओ सरीरा पं० ० वेठडिए तेयए कम्मए, असुरकुमाराणं भंते! कइ सरीरा पं० १. गो० ! तओ सरीरा पं० तं० बेड० तेअए कम्मए, एवं तिष्णि २ एए चेत्र सरीरा जाव धणियकुमाराणं भाणियता, पुढवीकाइयाणं भंते! कइ सरीरा पं० १. गो० तओ सरीरा पं० तं० ओरालिए तेयए कम्मए, एवं आउनेउवणस्सइकाइयाणवि एए चेव तिष्णि सरीरा भाणिया, वाउकाइयाणं जाव गो० चत्तारि सरीरा पं० तं० उरालिए वेउचिए तेयए कम्मए, बेईदियवेइंदियचउरिंदियाणं जहा पुढवीकाइयाणं, पंचिदिअतिरिक्खजोणियाणं जहा बाउकाइयाणं, मणुस्सा जाव गो० पंच सरीरा पं० वं० ओरालिए बेउधिए आहारए तेयए कम्मए, वाणमंतराणं जोइसियाणं वैमाणियाणं जहा नेरइयाणं, केवढ्या णं भंते! ओरालिअसरीरा पं० १. गो० दुबिहा पं० तं० बदेलगा मुलगा य, तत्थ णं जे ते बदेलगा ते णं असंखिजा असंखिजाहिं उस्सप्पिणीओसप्पिणीहिं अवहीरंति कालओ खेत्तओ असंखेजा होगा, तत्थ णं जे ते मुक्केडगा ते णं अणंता अनंताहिं उस्सप्पिणीओसपिणीहि अवहीरंति कालओ खेतओ अनंता लोगा दव्वओ अभवसिद्धिएहिं अनंतगुणा सिद्धाणं अनंतभागो के वइआणं भंते! वेउनि असरीरा पं० १. गो० ! दुबिहा पं० तं० बजेया य मुक्केलया य, तत्थ णं जे ते बद्धेल्या ते णं असंखिज्जा असंखेजाहिं उस्सप्पिणी ओसप्पिणीहिं अवहीरंति कालओ खेत्तओ असंखिजाओ सेढीओ पयरस्स असंखेजइभागो, तत्थ णं जे ते मुक्केलया ते णं अनंता अनंताहिं उस्सप्पिणीओसप्पिणीहिं अवहीरंति कालओ सेसं जहा ओरालिअस्स मुक्केलया तहा एएवि भाणिया, केवइया आहारगस ०१, गो० दुबिहा पं० [सं० बद्धे० मुक्के०, तस्थ णं जे ते बद्धेल्या ते णं सिय अस्थि सिय नत्थि, जइ अस्थि जहणणं एगो वा दो वा तिष्णि वा उक्कोसेणं सहस्सपुहतं, मुक्केल्या जहा ओरा० तहा भाणिअड्डा, केवइया णं भंते! तेयगसरीरा पं०१, गो० दुविहा पं० तं० बजेलया य मुकेलया य, तत्थ णं जे ते बबेहया ते णं अनंता अनंताहिं उस्सप्पिणी ओसप्पिणीहिं अवहीरंति कालओ खेत्तओ अनंता लोगा दशओ सिद्धेहिं अनंतगुणा सङ्घजीवाणं अनंतभागूणा, तत्थ जे ते मुक्केल्ल्या ते णं अनंता अनंताहिं उस्सप्पिणी ओसप्पिणीहिं अवहीरंति कालओ खेत्तओ अनंता लोगा दबओ सङ्घजीवेहिं अनंतगुणा सङ्घजीववग्गस्स अणंतभागी, केवइ० कम्मगसरीरा पं०१, गो० दुबिहा पं० तं०. बद्धे० मुके० जहा तेअगसरीरा तहा कम्मगसरीरावि भाणि अवा नेरइयाणं भंते! केवइया ओरालियसरीरा पं०१, गो०! दुविहा पं० [सं० बजेहया य मुकेल्या य, तस्थ जे से बया ते णं नत्थि, तत्थ णं जे ते मुक्केलया ते जहा ओहिया ओरालियसरीरा तहा भाणियवा, नेरइयाणं भंते! केवइया बेडशियसरीरा पं०१, गो० ! दुबिहा पं० तं० बद्धेया य मुक्केलया य, तत्थ णं जे ते पदेलगा ते णं असंखिजा असंखिजाहिं उस्सप्पिणीओसप्पिणीहिं अवहीरंति कालओ खेत्तओ असंखेजाओ सेढीओ पयरस्स असंखिज्जइभागो तासिं णं सेढीणं विक्खंभसूई अंगुल पढमवग्गमूलं विइअवग्गमूलपडुप्पण्णं अहवणं अंगुलचिइअ१३२९ अनुयोगद्वार 1 मुनि दीपरत्नसागर - Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वगमूलघणपमाणमेत्ताओ सेढीओ, तस्थ णं जे ते मुक्केलया ते णं जहा ओहिया ओरालियसरीरा तहा भाणियचा, णेरइयाणं भंते ! केवइया आहारगसरीरा पं०?, गो०! दुबिहा पं० २०. बद्धे० मुक्के०, तत्थ णं जे ते बद्धलया ते णं नस्थि, तस्थ णं जे ते मुक्केलया ते जहा ओहिया ओरालिया तहा भाणियबा, तेयगकम्मगसरीरा जहा एएसिं चेव वेउधियसरीरा तहा भाणिया, असुरकुमाराणं भंते ! केवइया ओरालियसरीरा पं०१, गो ! जहा नेरहयाणं ओरालिया तहा भा०, असुरकुमाराणं भंते ! के वेउवियसरीरा पं०?, गो०! दुविहा पं० २०. बोलया य मुकेल्लया य, तत्य जे ते पाडया ते णं असंखिज्जा असंखिज्जाहिं उस्सप्पिणीओसप्पिणीहि अवहीरंति कालो खेनओ असंखेजाओ सेढीओ पयरस्स असंखिजइभागो तासिं णं सेढीणं विक्खंभसूई अंगुलपढमवग्गमूलस्स असंखिजइभागो, मुकेडया जहा ओहिया ओरालियसरीरा, असुरकु० केवड्या आहारगसरीरा पं०?, गो! दुविहा पं० नं०- बद्धे. मुक्के, जहा एएसिं चेव ओरा० तहा भा०, तेअगकम्मा जहा एएसिं वेउ० तहा माणियचा, जहा असुरकुमाराणं तहा जाव थणिय० ताच भाणिय। पुढवीकाइयाणं भंते ! केवइया ओरालियसरीरा पं०?, गो०! दुबिहा पं०तं. बल्लया य मुक्केया य, एवं जहा ओहिया ओरालियसरीरा तहा भा०. पुढवीका केवड्या वेउब्वियसरीरा पं०१, गो०! दुविहा पं० त० बोडया य मुकाडया य, तत्थ णं जे ते बोडया ते णं णत्थि, मुक्केड्या जहा ओहि. याणं ओरालियसरीरा तहा भा०, आहारगसरीराचि एवं चेव भाणियव्वा, तेयगकम्मसरीरा जहा एएसिं चेव ओरालियसरीरा, जहा पुढवीकाइयाणं एवं आउकाइयाणं वेउकाइयाण य सव्यसरीरा भाणियच्या, बाउकाइयाणं भंते ! केवइया ओरालियसरीरा पं० १, गो०! दुविहा पं० त०-पदेल्लया य मुक्केल्या य, जहा पुढवीकाइयाणं ओरालियसरीरा तहा भाणियब्बा, बाउकाइयाणं भंते ! केवइया वेउब्वियसरीरा पं० १, गो०! दुविहा पं०२०-बदेल्लया य मुक्काइया य, तत्थ णं जे ते बोलया ते णं असंखिज्जा समए २ अवहीरमाणा२खेत्तपलिओवमस्स असं खिजइभागमेत्तेणं कालेणं अवहीरति नो चेव णं अवहिया सिया, मुक्केड्या वेउधियसरीरा आहारगसरीरा य जहा पुढवीकाइयाण तहा भाणियब्वा, तेयगकम्मसरीरा जहा पुढवीकाइयाणं तहा भाणियब्वा, वणस्सइकाइयाणं ओरालियवेउब्बियाहारगसरीरा जहा पुढवीकाइयाण तहा भाणियब्बा, वणस्सइकाइयाणं भंते ! केवइया तेयगसरीरा पं०१. गो! दुविहा पं० जहा ओहिया तेयगकम्मसरीरा तहा वणस्सइकाइयाणवि तेयगकम्मगसरीरा भाणियय्या। बेइंदियार्ण भंते ! केवइया ओरालियसरीरा पं०?, गो! दुविहा पं० त०-बबेलया य मुकेड्या य, नत्थ णं जे ते बद्धे. या ते णं असंस्किजा असंखिजाहिं उस्सप्पिणीओसप्पिणीहिं अवहीरति कालओ खेत्तओ असंखेजाओ सेढीओ पयरस्स असंखिजइभागो तासि णं सेढीणं विक्खंभसूई असंखेजाओ जोयणकोडाकोडीओ असंखिज्जाई सेढिवमामूलाई वेइंदियार्ण ओरालियबद्धलएहिं पयरं अवहीरइ असंखिज्जाहिं उस्सप्पिणीओसप्पिणीहि कालओ खेत्तओ अंगुलपयरस्स आवलियाए असंखेजइपडिभागेणं, मुक्केलया जहा ओहिया ओरालियसरीरा तहा माणियवा, वेडवियाहारगसरीरा बोलया नस्थि, मुकेलया जहा ओहिया ओरालियसरीरा तहा भाणियबा, तेयगकम्मगसरीरा जहा एएसिं चेव ओरालियसरीरा तहा भाणिया, जहा बेईदियार्ण तहा तेईदियचउरिदियाणचि माणियचा, पंचिदियतिरिक्खजोणियाणवि ओरालियसरीरा एवं चेव भाणियचा, पंचिंदियतिरिक्खजोणियाण मंते! केवइया वेउवियसरीरा पं०१, गो०! दुषिहा पं० त०- बबेडया य मुक्केडया य, तत्थ णं जे ते बबेडया ते णं असंखिज्जा असं. खिजाहिं उस्सप्पिणीओसप्पिणीहिं अवहीरति कालओ खेत्तओ असंखिजाओ सेढीओ पयरस्स असंखिजइभागो तासिं गं सेढीणं विक्खंभसूई अंगुलपदमवग्गमूलस्स असंखिजइभागो, मुफेतल्या जहा ओहिया ओरालिया तहा tel भा०. आहारयसरीरा जहा बेइंदियाणं, तेयगकम्मसरीरा जहा ओरालिया, मणुस्साणं भत! केवइया ओरालियसरीरा पं०१, गोदुविहा पं००-बदेतवाय मुकेल्या य, तत्थ णं जे ते पडेलया ते णं सिय संखिजा सिय असं खिजा जहण्णपए संखेजा संखिजाओ कोडाकोडीओ एगणतीस ठाणाई तिजमलपयस्स उचरिं चउजमलपयस्स हेहा अहवर्ण छट्टो वग्गो पंचमवम्गपडप्पण्णो अहवणं छष्णउइछेअणगदायिरासी, उकोसपए असंखेजा असंखिजाहि उस्सप्पिणीओसप्पिणीहि अवहीरति कालओ खेत्तओ उक्कोसपए रूवपक्खित्तेहिं मणुस्सेहिं सेढी अवहीरइ कालओ असंखिज्जाहिं उस्सप्पिणीओसप्पिणीहिं खेत्तओ अंगुलपढमवग्गमूलं तइयवग्गमूलपटुप्पणं, मुक्काच्या जहा ओहिया ओरालिया तहा माणियबा, मणुस्साणं भंते ! केवइया वेउवियसरीरा पं०१, गो०! दुविहा पं० त०-बडया य मुके० य, तत्थ णं जे ते घोडया ते णं संखिजा समए २ अबहीरमाणा २ संखेजेणं कालेणं अवहारंनि नो चेव णं अबहिया सिया, मुके० जहा ओहिया ओरालियाणं मुक्के० तहा मा०, मणुस्साणं भंते ! केवइया आहारगसरीरा पं०?, गो! दुविहा पं० त०-बडया य मुक्के० य, तत्थ णं जे ते बदे० ते णं सिय अस्थि सिय नत्थि, जइ अस्थि जहन्नेणं एको वा दो वा तिष्णि वा उकोसेणं सहस्सपुहुत्तं, मुकेतलया जहा ओहिया, तेअगकम्मगसरीरा जहा एएसि चेव ओरालिया तहा भाणियहा। वाणमंतराणं ओरालिअसरीरा जहा नेहयाणं, वाणमंतराणं भंते ! केवइया वेउविजसरीरा पं०?, गो० ! दुविहा पं० २० बोलया य मुक्केडया य, तत्य जे ते पदेखया ते णं असंखेजा असंखिज्जाहिं उस्सप्पिणीओसप्पिणीहिं अबहीति कालओ खेत्तओ असखिजाओ सेढीओ पयरस्स असंखिजहभागो तासि णं सेढीणं विक्खंभमुई संखेजजोजणसयक्रमपलिमागो पयरस्स, मुके. जहा ओहिया ओरालिया तहा मा०, आहा० दुविहाचि जहा असुनहा मा०, वाण मंते! केवइया तेअगस० पं०१, गो! जहा एएस चव वडवि० नहा तेअग० माणियचा, जोइसियाण मंते ! केव०१, गो०! दुविहा पं० त०- बद्धे० मुके०, तत्य णं जे ते २० जाव तासि गं सेढीण विक्वंमसूई बेछप्पण्णंगुलसयवग्गपलिभागो पयरस्स, मुके जहा ओ० ओरा तहा भा०, आहा. स्या जहा नेर० तहा भा०, तेअ० जहा एएसिं चेव येउ० तहा०, वेमाणियाणं भंते ! केव० ओरा०?, गो०! जहा ने तहा०, पेमाणि केव० वेडपं०१, मो० दुविहा पं० सं०प० मुके०, तत्थ णं जे ते ५० ते असं. खिजा असंखेजाहिं उस्स० अवहीरति कालओ खेत्तओ असं० सेढीओ पयरस्स असंखे० तासिं णं सेढीणं विक्वंमसूई अंगुलबीयवगमूल तायवम्गमूलपटुप्पणं अहवर्ण अंगुलतइयवम्गलमूलघणप्पमाणमेत्ताओ सेढीओ, मुक्केलया १३३० अनुयोगद्वारसूत्रं - मुनि दीपरत्नसागर Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जहा ओहिया ओरालिया तहा भा०, आहा जहा नेरइयाणं, तेयग जहा एएसिं चेव वेउविअसरीरा तहा भाणियबा, से तं सुहमे खेतपलिओवमे, से तं खेनपलिओवमे, से तं पलिओवमे, से तं विभागणिप्फण्यो से नं कालप्पमाणे ।१४२। से किं तं भावप्पमाणे?.२तिविहे पं० २०-गुणप्पमाणे नयप्पमाणे संखप्पमाणे । १४३॥ से किं तं गुणप्पमाणे?,२ दुविहे पं० तं०-जीवगुणप्पमाणे य अजीवगुणप्पमाणे य, से कि तं अजीचगुणप्पमाणे ?.२ पंचविहे पंक तं- वष्णगुणप्पमाणे गंधक रस फास०संठाणगुणप्यमाणे, से किं तं वण्णगुणप्पमाणे ?.२ पंचविहे पं० तं कालवण्णगुणप्पमाणे जाच सुकिरटवण्णगुणप्पमाणे, से तं वण्णगुणप्पमाणे, से किं नं गंधगुणप्पमाणे?.२ विहे पं. २०-सुरभिगंधगुणप्पमाणे दुरभिगंधगुणप्पमाणे, से तं गंधगुणप्पमाणे, से किं तं रसगुणप्पमाणे १.२ पंचविहे पं०तं०-तित्तरसगुणप्पमाणे जाव महुररसगुणप्पमाणे, से तं रसगुणप्पमाणे, से किं तं फासगुणप्पमाणे?.२ अट्टविहे पं. तं० कक्खडफासगुणप्पमाणे जाव लुक्खफासगुणप्पमाणे, से तं फासगुणप्पमाणे, से किं तं संठाणगुणप्पमाणे १,२ पंचविहे पं० त०- परिमंडलसंठाणगुणप्पमाणे बट्ट० स० चउरंस आययसंठाणगुणप्पमाणे, से नं संटाणगृणपमाणे, से तं अजीवगुणप्पमाणे, से किं तं जीवगुणप्पमाणे?,२ तिबिहे पं० त०-णाणगुणप्पमाणे दंसणगुणपमाणे चरित्तगुणप्पमाणे, से कितं णाणगुणप्पमाणे?.२ चउविहे पं० तं पञ्चकखे अणुमाणे ओवम्मे आगमे, से कि तं पञ्चक्खे ?.२ दुबिहे पं० सं०- इंदिअपञ्चक्ले य णोइंदिअपंचक्खे य, से किं तं इंदिअपश्चक्खे?.२पंचविहे पं० तं०-सोइंदिअपचक्खे चक्खुरिंदियपश्चरखे पाणिदिय जिभिदिय० फासिंदियपथक्खे, से तं इंदियपचक्से. से कि नं णोइंदियपचक्खे ?.२ तिविहे पं० त० ओहिणाणपञ्चक्खे मणपजवनाणपचक्खे केवलणाणपञ्चकखे, से तं णोइंदियपच्चकखे, से तं पचकखे, से कि तं अणुमाणे ? २ तिविहे पं० त-पुषवं सेसर्व दिट्टसाहम्मवं. से किं ने पुत्र ? 'माया पुत्तं जहा नहुँ, जुवाणं पुणरागयं। काई पञ्चभिजाणेज्जा, पुवलिंगेण केणई॥५॥ तं०-खतेण वा वगेण वा लंकणेण वा मसेण वा तिलएण वा, से तं पुववं, से किं तं सेसवं?२पंचविहं पं० त० कोण कारणेणं गुणणं अब यवणं आसएण, से किते कजण!,२संखें सहण भारताडिएणं बसमै ढकिएण मार किकाइएणयंहासएक गय गुलगुलाइएणं रह घणघणाइएण,सत वीरणा कडस्स कारणं ण कडो वीरणाकारणं मिप्पिडो घडस्स कारणं ण घडो मिप्पिडकारणं, से तं कारणेणं, से किं तं गुणेणं १, २ सुवर्ण निकसेणं पुर्फ गंधेणं लवणं रसेणं मइरं आसाएणं वत्थं फासेणं. सेनं गणेणं, से कि तं अवयवेणं?.२ महिसं सिंगेणं कुक्कुडं सिहाए हस्थि विसाणेणं वराहं दाढाए मोरं पिच्छेणं आसं खुरेणं वग्घं नहेणं चमरिं बालग्गेणं वाणरं लंगुलेण दुपयं मणुस्सादि च उपयं गवमादि बहुपयं गोमिआदि सीह केसरेणं वसहं कक. - हेणं महिलं बलयबाहाए, 'परिअरबंधेण भडं जाणिज्जा महिलियं निवसणेणं। सित्येण दोणपागं कविं च एकाए गाहाए ॥११६।। से तं अवयवेणं, से कि तं आसएणं ?.२ अम्गि धूमेणं सलिलं बलागाहिं बुट्टि अभविकारेणं कुलपुनं सीलसमायारेणं, से तं आसएणं, से तं सेसवं, से किं तं विट्ठसाहम्मवं?.२ दुविहं पं० तं०-सामन्त्रदिटुं च बिसेसदिटुं च, से किं तं सामण्णदिटुं ?.२ जहा एगो पुरिसो तहा बहवे पुरिसा जहा बहवे पुरिसा तहा एगो पुरिसो जहा एगो करिसावणो तहा बहवे करिसावणा जहा बहवे करिसावणा तहा एगो करिसावणो, से तं सामण्णदिडं, से किं तं विसेसदिडं.२ से जहाणामए केद्द पुरुसे कंचि पुरिसं पहुणं पुरिसाणं मज्झे पुत्रदिट्ट पचभिजाणेज्जा अयं से पुरिसे. BI चहणं करिसावणाणं मज्झे पुत्रदिटुं करिसावणं पचभिजाणिजा-अयं से करिसावणे, तस्स समासओ तिविहं गहणं भवइ, तं०- अतीयकालगहणं पडुप्पण्णकालगहणं अणागयकालगहणं, से किं तं अतीयकालगहणं ?.२ उनणाणि वणाणि निष्फपणसस्सं वा मेइणि पुण्णाणि य कुंडसरणईदीहिआतडागाई पासित्ता तेणं साहिजइ जहा सुवुट्टी आसी, से तं अतीयकालगणं, से किं तं पडुप्पण्णकालगहणं ?, २ साहुं गोअरम्गगयं विच्छड्डिअपउरभत्तपाणं पासित्ता तेणं साहिजइ जहा सुभिक्खे बढई, से तं पडुप्पण्णकालगहणं, से किं तं अणागयकालगणं?,२'अम्भस्स निम्मलत्तं कसिणा य गिरी सवितुया मेहााथणियं वाउच्भामो संझा रत्ता पणिट्ठा (खा) य॥११॥ वारुणं वा महिंद वा अण्णयरं वा पसत्थं उपायं पासित्ता तेणं साहिजइजहा सुबुट्ठी भविस्सह, से तं अणागयकालगणं, एएसि चेव विवजासे तिविहं गहणं भवइ, १०-अवीयकालगहणं पटुप्पण्णकालगहर्ण अणागयकालगहणं, से किं नं अतीयकालगहणं?. नित्तिणाई वणाई अनिष्फण्णसरसंवा मेडणी सुक्काणि य कुंडसरणईदीहिआतडागाई पासित्ता तेणं साहिजइ जहा कुवुट्टी आसी, से तं अतीयकालगहणं, से किं तं पडुप्पण्णकालगहण ?, २ साहुं गोअरगगयं भिक्खं अलभमाणं पासित्ता तेर्ण साहिजइ जहा दुभिक्खं वट्टइ, से वं पटुप्पण्णकालगहणं, से किं तं अणागयकालगहणं १,२'धूमायंति दिसाओ संवि(वट्टि)अमेइणी अपडिबद्धा। वाया नेरइया खलु कुबुट्टीमेवं नियंनि (ने पकुवंति)॥११८॥ अग्गेयं वा वायत्रं वा अण्णयरं वा अप्पसत्यं उप्पायं पासित्ता तेणं साहिजइ जहा कुवुट्टी भविस्सह, सेतं अणागयकालगहणं, से तं विसेसदिटुं, से तं दिट्टसाहम्मवं, सेतं अणुमाणे। से किं तं ओवम्मे १.२ दुबिहे पं० त०-साहम्मोवणीए य वेहम्मोवणीए य, से किं तं साहम्मोवणीए?,२ तिविहे पं० सं०-किचिसाहम्मोवणीए पायसाहम्मोवणीए सवसाहम्मोवणीए, से किं तं किंचिसाहम्मोवणीए', जहा मंदरो तहा सरिसबो जहा सरिसबो तहा मंदरो जहा समुद्दो तहा गोप्पयं जहा गोप्पयं तहा समुद्दो जहा आइचो तहा खजोतो जहा खजोतो तहा आइयो जहा चंदो तहा कुमुदो जहा कुमुदो तहा चंदो, से तं किंचिसाहम्मो०, से किं तं पायसाहम्मोवणीए ?.२ जहा गो तहा गवओ जहा गवओ तहा गो, से तं पायसाहम्मो०, से किं तं सवसाहम्मोवणीए',२सबसाहम्मो० ओवम्मे नस्थि, तहावि तेणेव तस्स ओवम्मं कीरइ जहा अरिहंतेहिं अरिहंतसरिसं कयं, चकपट्टिणा चकवट्टिसरिसं कर्य, बलदेवेण बलदेवसरिसं कयं, वासुदेवेण वासुदेवसरिसं कय, साहुणा साहुसरिसं कयं, से तं सबसाहम्मो०, से तं साहम्मोवणीए, से किं तं वेहम्मोवणीए?,२तिविहे पं० त०-किंचिवेहम्मो० पायवेहम्मो० सबवेहम्मो०,से कि तं किंचिवेहम्मो०१,२ जहा सामलेरो न तहा बाहुलेरो जहा बाहुलेरो न तहा सामलेरो, से तं किंचिवेहम्मो०, से किं तं पायवेहम्मो०१,२ जहा वायसो न तहा पायसो जहा पायसो न तहा वायसो, से तं पायवेहम्मो०, से कित S|१३३१ अनुयोगद्वारमूत्र - मुनि दीपरत्नसागर Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सबवेहम्मो?, सबवेहम्मो० ओकम्मे नत्थि तहावि तेणेव तस्स ओवम्म कीरइ जहा जीएणं णीयसरिसं कयं दासेण दाससरिस कयं काकेण काकसरिसं कयं साणेण साणसरिस कयं पाणेणं पाणसरिस कयं, से तं सबवेहम्मो०, से तं - वेहम्मोवणीए, से तं ओवम्मे। से किं तं आगमे,२दुविहे पं० त०-लोइए य लोउत्तरिए य, से किं तं लोइए?.२ जणं इमं अण्णाणिएहि मिच्छादिट्टीएहिं सच्छंदवृद्धिमइविगप्पियं, नं०-भारहं रामायणं जाव चत्तारि वेया संगोवंगा. से तं लोइए आगमे, से कि तं लोउत्तरिए.२ जणं इस अरिहंतेहिं भगवंतेहिं उप्पण्णणाणदसणधरेहिं तीयपचुप्पण्णमणागयजाणएहि तेलुकरहियमहियपूइएहिं सबण्णूहिं सच्चदरिसीहिं पणीयं दुवालसंग गणिपिड़गं, त.. आयारो जाव दिहिवाओ, अहवा आगमे तिविहे पं० तं०. सुत्तागमे अत्यागमे तदुभयागमे, अहवा आगमे तिविहे पं० त०- अत्तागमे अर्णतरागमे परंपरागमे, तित्थगराणं अत्थस्स अत्तागमे गणहाणं सुत्तस्स अनागमे अत्यस्स अणंतरागमे गणहरसीसाणं सुत्तस्स अर्णतरागमे अत्थस्स परंपरागमे, तेण परं सुत्तस्सवि अत्थस्सवि णो अत्तागमे णो अणंतरागमे परंपरागमे, सेनं लोगुत्तरिए, सेतं आगमे, से नं णाणगुणप्पमाणे।से किं तं दसणगुणप्पमाणे?. २ चउविहे पं० त०. चक्खुदसणगुणप्पमाणे अचासु० ओहि केवलदसणगुणप्पमाणे, चक्सुदसणं चक्सुदंसणिस्स घडपडकडरहाइएसु दवेसु अचम्सुदसणं अचक्सुदंसणिस्स आयभावे ओहिदंसणं ओहिदंसणिस्स सम्वरूविदवेसु न पुण सवपनवेसु केवलदसणं केवलदंसणिस्स सबदवेसु य सवपजवेसु य, से तं दसणगुणप्पमाणे, से किं तं चरित्तगुणप्पमाणे १.२पंचविहे पं० त० सामाइअचरितगुणप्पमाणे छेओवट्ठावण परिहारविसुहियः सुहमसंपरायः अहक्खायचरित्तगुणप्पमाणे, सामाइअचरित्तगुणप्पमाणे दुविहे पं० २०. इत्तरिए य आवकहिए य, छेओवट्ठावणचरित्तगुणप्पमाणे दुविहे पं० त०-साइआरे य निरइयारे य, परिहारविसुदिअचरित्तगुणप्पमाणे दुविहे पंकन-णि. विसमाणए य णिविट्टकाइए य, सुहमसंपरायचरित्तगुणप्पमाणे दुबिहे पं०२०-पडिवाई य अपडिवाई य, अहक्खायचरित्तगुणप्पमाणे दुविहे पं०२०-छउमस्थिए य केवलिए य, से तं चरितगणप्पमाणे. सेनं जीवगणप्पमाणे. से तं गुणप्पमाणे ।१४४ा से किं तं नयापमाणे १.२तिविहे पं० त०- पत्थगदिट्टतेणं वसहिदिट्ठनेणं पएसदिट्टतेणं, से कितं पत्थगदिट्टतेणं?,२ से जहानामए केई पुरिसे परसुं गहाय अडवीसमहुत्तो गच्छेजातं पासिना केई वएजा. कहिं भवं गच्छसि ?. अविसुद्धो नेगमो भणइ-पत्थगस्स गच्छामि, तं च केई हिंदमार्ण पासित्ता वएज्जा-किं भवं छिंदसि ?, विसुद्धो नेगमो भणइ-पत्थर्य डिदामि, तं च फेई तच्छमाणं पासित्ता वएज्जा-किं भवं तच्छसि ?. विसुद्धतरओ णेगमो भणइ पत्थयं तच्छामि, तं च केई उकीरमाणं पासित्ता वएजा-किं भवं उक्कीरसि ?, विसुद्धतरओ णेगमो भणडू-पत्थयं उकीरामि, न च केई (वि)लिहमाणं पासित्ता वएजा-किं भवं (वि)लिहसि ?, विसुद्ध. तरओ णेगमो भणइ-पत्थयं (वि)लिहामि, एवं विसुद्धतरस्स णेगमस्स नामाउडिओ पत्थओ, एवमेव ववहारस्सचि, संगहस्स मियमेजसमारूढो पत्थओ, उज्जुसुयस्स पत्थओऽवि पत्थओ मेजपि पत्थओ, तिण्हं सहनयाणं पन्थ. यस्स अत्याहिगारजाणओ जस्स वा वसेणं पत्थओ निष्फजद से तं पत्थयदिटुंतेणं । से किं तं वसहिदिटुंतेणं?,२से जहानामए केई पुरिसे कंचि पुरिस वएजा-कहिं भयं वससि ?, तं अविसुद्धो णेगमो भणइ-लोगे वसामि, लोगे निविहे पं० तं० उड्ढलोए अहोलोए तिरियलोए, तेसु ससु भवं वससि ?, विसुद्धो गमो भणइ-तिरियलोए वसामि, तिरियलोए जंबुद्दीवाइया सयंभूरमणपजवसाणा असंखिजा दीवसमुद्दा पं०, तेसु ससु भवं वससि ?, विसुद्धतरओ णेगमो भणइ-जंबुद्दीचे वसामि, जंबुद्दीवे दस खेत्ता पं० २०. भरहे एवए हेमबए एरण्णवए हरिवस्से रम्मगवस्से देवकुरू उत्तरकुरू पुञ्चविदेहे अवरविदेहे. तेसु सन्चेसु भयं यससि ?, विसुद्धतरओ णेगमो भणइ-भरहे वासे वसामि, (सधेसु (दोसु) भवं वससि ?, विसुबतरओ णेगमो भणइ-दाहिणड्ढभरहे बसामि, दाहिणभरहे अणेगाई गामागरणगरखेडकबडमडंबदोणमहपट्टणासमसंवाहस पिणवेसाई, तेस सोस भवं वससि?.विमुद्धतराओ णेगमो भणइ-पाइलिपुत्ते बसामि, पाइलिपुत्ते अणेगाई गिहाई, तेसु सबेसु भवं बससि ?, विसु णेगमो भणइ-देवदत्तस्स घरे बसामि, देवदत्तस्स घरे अणेगा कोहगा, तेसु ससु भवं वससि ?, बिसु भणइ-गम्भघरे वसामि, एवं विसुदस्स णेगमस्स यसमाणो, एवमेव ववहारस्सवि, संगहस्स संथारसमारूढो वसइ, उज्जुसुयस्स जेसु आगासपएसेसु ओगाढो तेसु चसइ, तिण्हं सदनयाणं आयभावे बसइ, से तं वसहिदिटुंतेणं से किं तं पएसदिट्टतेणं?,२ णेगमो भणइ-छण्डं पएसो, तं०-धम्मपएसो अधम्म आगास जीव० खंघ० देसपएसो, एवं वयं णेगमं संगहो भणइ-जं भणसि-छण्डं पएसो तं न भवइ, कम्हा?, जम्हा जो देसपएसो सो तस्सेव दब्वस्स, जहा को दिलुतो ?, दासेण मे खरो कीओ दासोऽवि मे खरोऽवि मे, तंमा भणाहि-छहं पएसो, भणाहि-पंचण्हं पएसो, तं०-धम्मपएसो अधम्मपएसो आगासपएसो जीवपएसो खंधपएसो, एवं वयंत संगहं ववहारो भणइ-जं भणसि-पंचण्ह पएसो त न भवइ, कम्हा?, जइ जहा पंचण्ह गोहियाणं पुरिसाणं कई दबजाए सामण्ण भवइ, ०-हिरणे वा सुवण्णे या धणे वाधण्णेवा, तो जुत्तं वर्नु जहा पंचण्हं पएसो,तं मा भणाहि. पंचण्ह पएसो, भणाहि-पंचविहो पएसो, तं-धम्मपएसो अधम्मपएसो आगासपएसो जीवपएसो खंधपएसो, एवं वयंत ववहार उजुसुओ भणइ-जं भणसि पंचविहो पएसो तं न भवइ, कम्हा?, जइ ते पंचविहो पएसो, एवं ते एकेको पएसो पंचविहो एवं ते पणवीसतिविहो पएसो भवइ, तं मा भणाहि-पंचविहो पएसो, भणाहि-मइयो पएसो-सिय धम्मपएसो सिय अधम्म० सिय आगास सिय जीव सिय खंधपएसो, एवं क्यंत उजुसुयं संपइ सदनओ का भणइ-ज भणसि-भइयो पएसोतन भवइ, कम्हा?, जद मइयत्रो पएसो एवं ते धम्मपएसोऽवि सिय धम्मपएसो य अधम्म सिय आगास.सिय जीवपएसो सिय संपएसो. अधम्मपएस पएसो. आगासपएसोविसिय धम्मसिय अधम्म जाव सिय संधपएसो, जीवपएसोऽवि सिय धम्मपएसो जाव सिय खंधपएसो, खंधपएसोऽवि सिय धम्मपएसो जाय सिय संधपएसो, एवं ते अणवत्था भविस्सहतं मा भणाहि-भइयवो पएसो, भणाहि-धम्मे पएसे से पएसे धम्मे, अहम्मे पएसे से पएसे अहम्मे, आगासे पएसे से पएसे आगासे, जीवे पएसे से पएसे नोजीवे, खंधे पएसे से पएसे नोखंधे, एवं वर्यतं सदनयं समभिरूडो (३३३) १३३२ अनुयोगद्वारसूत्रं - मुनि दीपरतसागर Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भणइ-जं भणसि-धम्मे पएसे से पएसे धम्मे जाव जीवे पएसे से पएसे नोजीवे खंधे पएसे से पएसे नोखंधे, तन भवइ, कम्हा?, इत्यं खलु दो समासा भवंति, तं०-तपुरिसे य कम्मधारए य, तं ण णजइ कयरेणं समासेणं भणसि?. किं तप्पुरिसेणं किं कम्मधारएणं?, जइ तप्पुरिसेणं भणसि तो मा एवं भणाहि, अह कम्मधारएणं भणसि तो विसेसओ भणाहि, धम्मे य से पएसे य से पएसे धम्मे अहम्मे य से पएसे य से पएसे अहम्मे आगासे य से पएसे य से पएसे आगासे जीवे य से पएसे य से पएसे नोजीवे खंधे य से पएसे य से पएसे नोखंधे, एवं वयं समभिरुढं संपइ एवंभूओ भणइ-जं जं भणसि तंतं सई कसिणं पडिपुण्णं निरवसेसं एगगहणगहिय, देसेऽवि मे अवत्यू पएसेऽपि मे अबत्यू. से तं पएसदिढतेणं, से तं नयापमाणे । १४५। से किं तं संखप्पमाणे १,२ अट्टविहे पं० २०-नामसंखा ठवण दव० ओवम्म परिमाण जाणणा गणणा भावसंखा, से किं तं नामसंखा?,२ जस्स णं जीवस्स वा जाब से तं नामसंखा, से किं तं ठवणसंखा?.२ जणं कट्टकम्मे वा पोत्थकम्मे वा जाव से तं ठवणसंखा, नामठवणाणं को पइविसेसो?, नाम (पाएणं)आवकहियं ठवणा इत्तरिया वा होजा आवकहिया वा होजा, से किं नं दवसंखा?.२ दुविहा पं०तं. आगमओ य नोआगमओ.य, जाव से किंतं जाणयसरीरभविअसरीरवइरिना दयसंखा ?,२ तिविहा पं० सं०-एगभबिए बद्धाउए अभिमुहणामगोत्ने य, एगभविए णं भंते ! एगभविएति कालओ केवचिरं होइ ?. जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं पुरकोडी, बदाउए णं भंते ! बदाउएत्ति कालओ केवचिरं होइ ?, जहण्णणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुच्चकोडीतिभागं, अभिमुहनामगोए णं भंते ! अभिमुहनामगोएत्ति कारओ केवचिरं होइ ?. जहनेणं एक समयं उक्कोसेणं अंतोमुहुर्त, इयाणिं कोणओ के संखं इच्छद, तत्थ णेगमसंगहववहारा तिविहं संखं इच्छंति, तं- एगभवियं बद्धाउयं अभिमुहनामगोतं च, उजुसुओ दुविहं संखं इच्छद्द, नं०- बढाउयं च अभिमुहनामगोत्तं च, तिपिण सहनया अभिमुहणामगोत्तं संखं इच्छंति, से तं जाणयसरीरभविअसरीवइरित्ता दब्बसंखा, से तं नोआगमओ दब्वसंखा, से तं दव्यसंखा, से किसे ओवम्मसंखा,२ चउब्विहा पं० २०-अन्धि संतयं संतएणं उवमिजइ अस्थि संतर्य असंतएणं उवमिंजइ अस्थि असंतयं संतएणं उपमिजद अस्थि असंतयं असंतएणं उबमिजइ, तत्थ संतयं संतएणं उवमिजद जहा संता अरिहंता संतएहिं पुरखरेहिं संतएहि कवाडेहिं संनएहि बच्छेहि उवमिज्जइ.तं० - पुरवस्कवाडवच्छा फलिहभुया दुंदुहित्थणियघोसा। सिरिवच्छंकिअवच्छा सव्वेऽपि जिणा चउव्वीसं॥११९॥ संतयं असंतएणं उवमिजइ, जहा संताई नेरइयतिरिक्ख जोणिअमणुस्सदेवाणं आउयाई असंतएहिं पलिओवमसागरोत्रमेहिं उवमिजंति, असंतयं संतएर्ण उ००- परिजूरियपेरंतं चलंतचिंट पडतनिच्छीरं। पत्तं व यसणपतं कालपत्तै भणइ गाहं ॥१२०॥ जह तुम्भे तह अम्हे तुम्हेऽविय होहिहा जहा अम्हे । अप्पाहेइ पडतं पंहुय| पत्तं किसलयाणं॥१॥णवि अस्थि णविय होही उहावो किसलपंडुपत्ताणं। उवमा खल एस कया भवियजणचित्रोहणद्वाए॥२॥ असंतयं असंतएहिं उवमिजइ, जहा खरविसाणं तहा ससविसाण,सेतं ओवम्मसंखा. से कि परिमाणसंखा?.२ दुविहा पं० तं०-कालिअसुयपरिमाणसंखा दिद्विवायसुअपरिमाणसंखा य, से किं तं कालिअसुअपरिमाणसंखा', अणेगविहापं० त०-पज्जवसंखा अक्खर संघाय० पय० पाय० गाहा. सिलोग वेढ० निजुनि• अणुओगदार० उद्देसग अज्झयण सुयसंध० अंगसंखा, से तं कालिअसुअपरिमाणसंखा, से किं तं दिहिवायसुअपरिमाणसंखा,२ अणेगविहा पं० २० पजवसंखा जाव अणुओगदारसंखा पाहुड० पाहुडपाहुड० पाहुडिया० पाहुडपाहुडिया वत्थुसंखा, सेतं दिहिवायसुअपरिमाणसंखा, से तं परिमाणसंखा, से किंतं जाणणासंखा ?.२जो जं जाणइ तं० सई सहिओ गणियं गणिओ निमित्तं नेमित्तिओ कालं कालणाणी वेजयं बेजो, से तं जाणणासंखा, से किं तं गणणासंखा १.२एको गणणं न उबेइ, दुप्पभिई संखा, तं०- संखेजए असंखेजए अर्णतए, से किं तं संखेजए?,२ तिविहे पं० तं०-जहण्णए उक्कोसए अजहष्णमणुकोसए, से किं तं असंखेजए?,२तिविहे पंतं. परित्तासंखेजए जुत्तासंखेजए असंखेजासंखेजए, से किं तं परित्तासंखेजए',२ विविहे पं० तं०- जहण्णए उक्कोसए अजहण्णमणुक्कोसए, से किं तं जुत्तासंखेजए?.२ तिविहे पं० तं-जहण्णए उक्कोसए अजहण्णमणुकोसए. से किं नं असंखेजासंखेजए?,२तिविहे पं० सं०- जहण्णए उकोसए अजहण्णमणुकोसए, से कितं अर्णतए?,२ तिविहे पं० २०-परित्ताणतए जुत्ताणतए अर्णताणतए, से किं तं परित्ताणतए.२ तिविहे पं० तं-जहण्णए उक्कोसए अजहष्णमणुक्कोसए, से किं तं जुत्ताणतए १.२ तिबिहे पं० सं०-जहण्णए उक्कोसए अजहण्णम०, से किं तं अणंताणतए १,२ दुविहे पं० २०-जहण्णए अजहण्णमणुक्कोसए, जहष्णय संखेजयं केवइयं होइ?. दोरूवयं, नेण परं अजहण्णमणुक्कोसयाई ठाणाइं जाब उक्कोसयं संखेजयं न पावइ, उक्कोसयं संखेजयं केवइयं होइ ?. उक्कोसयस्स संखेजयस्स परूवणं करिस्सामि से जहानामए पाड़े सिया एग जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं निष्णि जोयणसयसहस्साई सोलस सहस्साइंदोपिण य सत्तावीसं जोयणसए तिण्णि य कोसे अः सिद्धत्यएहिं दीवसमुदाणं उद्धारो घेप्पइ, एगो दीवे एगो समुद्दे एवं पक्खिप्पमाणेहिं २ जावइआ दीवसमुद्दा तेहिं सिद्धत्यएहिं अप्फुण्या एस णं एवइए खेत्ते पाड़े आइट्टे, से णं पड़े सिद्धत्थयाणं भरिए, ततो णं तेहिं सिद्धत्यएहिं दीवसमुदाणं उद्घारे घेपति एगे दीवे एगे समुद्दे एवं पक्खिपमाणेहिं २ जावइयाणं (दीव) समुद्दा णं तेहिं सिखत्यएहिं अफ्फुन्ना एस णं एवतिए खेत्ते पल्ले पढमा सलागा०, एवइयाणं सलागाणं असंलप्पा लोगा भरिया तहावि उकोसयं संखेजयं न पाचइ, जहा को दिटुंतो?, से जहानामए मंचे सिया आमलगाणं भरिए तत्थ एगे आमलए पक्खित्ते सेऽवि माते अण्णेऽवि पक्खित्ते सेऽवि माते अन्नेऽवि पक्खित्ते सेऽवि माते एवं पक्खिप्पमाणेणं २ होही सेवि आमलए जंसि पक्खित्ते से मंचए भरिजिहिइ जे तत्थ आमलए न माहिइ, एवामेव उक्कोसए संखेजए रुवे पक्खित्ते जहण्णयं परित्तासंखेजयं भवइ, तेण परं अजहण्णमणुक्कोसयाई ठाणाई जाव उक्कोसयं परिनासंखेजयं न पावइ. उक्कोसयं परित्तासंखेजयं केवइयं होइ ?, जहण्णयपरित्तासंखेजमेत्ताणं रासीणं अण्णमण्णब्भासो रूवूणो उक्कोस परित्तासंखेजय होइ, अहवा जहन्नयं जुत्तासंखेज्जयं रूवूर्ण उक्कोसयं परित्तासंखेजय होइ, जहन्नयं जुत्तासंखे। १३३३ अनुयोगद्वारसूत्र मुनि दीपरत्नसागर Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जयं केवइअं होइ ?, जहणयपरित्तासंखेजयमेत्ताणं रासीणं अण्णमण्णग्भासो पडिपुण्णो जहवयं जुत्तासंखेजयं होइ, अहवा उक्कोसए परितासंलेजए रूवं पक्खित्तं जहण्णयं जुत्तासंखेजयं होइ, आवलिआवि एत्तिया चेव, लेण परं अजहणमणुकोसयाई ठाणाई जाय उक्कोसयं जुत्तासंखिज्जयं न पावइ, उक्कोसयं जुत्तासंखेजयं केवइयं होइ ?, जहणएणं जुत्तासंखेजएणं आवलिया गुणिया अण्णमण्ण भासो रुवणो उक्कोसर्य जुत्तासंखेजयं होइ, अहवा जहलयं असंखेज्जासंखेज्जयं रूवणं उकोसयं जुत्तासंखेज्जयं होइ, जहण्णयं असंखेज्जासंखेजयं केवइयं होइ ?, जहनएणं जुत्तासंखेजएणं आवलिआ गुणिआ अण्णमण्ण भासो पडिपुण्णो जहण्णयं असंखेज्जासंखेज्जयं होइ, अहवा उक्कोसए जुत्तासंखेजए रूवं पक्खित्तं जहण्णयं असंखेखासंखेज्जयं होइ, तेण परं अजहणमणुक्कोसयाई ठाणाई जाव उक्कोस असंखेज्जासंखेज्जयं ण पावइ, उक्कोसयं असंखेज्जासंखेज्जयं केवइयं होइ ?. जहण्णयअसंखेजासंखेज्जयमेत्ताणं रासीणं अण्णमण्णव्थासो रूवणो उक्कोसयं असंखेज्जासंखेजयं होइ, अहवा जहण्णयं परित्ताणंतयं रूवणं उक्कोसयं असंखेज्जासंखेजयं होइ, जहण्णयं परित्ताणंतयं केवइयं होइ ?, जहण्णय असंखेनासंखेजयमेत्ताणं रासीणं अण्णमण्णमासो पडिपुण्णो जहण्णयं परित्ताणंतयं होइ, अहवा उक्कोसए असंखेजासंखेलए रूवं पक्खित्तं जहणणयं परित्ताणंतयं होइ, तेण परं अजहणमणुक्कोसयाई ठाणाई जाव उक्कोसयं परित्ताणंतयं ण पावइ, उक्कोसयं परित्ताणंतयं के वइयं होइ ?, जहण्णयपरित्ताणंतयमेत्ताणं रासीणं अष्णमण्णभासो रूवणो उक्कोसयं परित्ताणंतयं होइ. अहवा जहण्णयं जुत्ताणंतयं रूवणं उक्कोसयं परित्ताणंतयं होइ. जहण्णयं जुत्ताणंतयं केवइयं होइ ?, जहण्णयपरित्ताणंतयमेत्ताणं रासीण अण्णमण्णन्मासो पडिपुण्णो जहण्णयं जुत्ताणंतयं होइ, अहवा उकोसए परित्ताणंतर रूबे पक्खिते जहन्नयं जुत्ताणंतयं होइ, अभवसिद्धिआवि तत्तिया होइ. तेण परं अजहण्णमणुकोसयाई ठाणाई जाव उक्कोसयं जुत्ताणंतयं ण पावद्द, उक्कोसयं जुत्ताणंतयं केवइयं होइ ?, जहण्णएणं जुत्ताणंतएण अभवसिद्धिया गुणिया अण्णमण्णभासो रुवणो उक्कोसयं जुत्ताणंतयं होइ, अहवा जहणणयं अनंताणंतयं रूणं उक्कोसयं जुत्ताणंतयं होइ, जहणणयं अणंताणंतयं केवइयं होइ ?, जह्मणं जुत्ताणंतएवं अभवसिद्धिया गुणिया अण्णमण्णवभासो पडिपुण्णो जण्णयं अनंताणंतयं होइ, अह्वा उक्कोसए जुत्ताणंतए रूवे पक्खिते जणयं अनंताणंतयं होइ, तेण परं अजहष्णमणुकोसयाई ठाणाई, सेतं गणणासंखा से किं तं भावसंखा ?, २ जे इमे जीवा संखगइनामगोत्ताई कम्माई वेइन्ति से तं भावसंखा से तं संखापमाणे, से तं भावपमाणे, से तं पमाणे । १४६ । से किं तं वत्तया १, २ तिविहा पं० तं ससमयवत्तश्या परसमयवत्तश्या ससमयपरसमयवत्तश्या से किं तं ससमयवत्तश्या १, २ जन्य णं ससमए आघविजइ पण्णविजइ परूविजइ दंसिज निदंसिज्जइ उवदंसिज्जड़ से तं ससमयवत्तया से किं तं परसमयवत्तश्या १, २ जस्थ णं परसमए आघविज्जद जाव उवदंसिजइ, से तं परसमयवत्तया से किं तं ससमय परसमयवत्तवया ? २ जत्थ णं ससमए परसमए आघविजइ जाव उवदंसिज्जइ से तं समयपरसमयवत्तया इयाणि को णओ कं वत्तत्रयं इच्छइ ?, तत्थ णेगमसंगववहारा विविहं वत्तवयं इच्छंति, तं० ससमयवत्तत्रयं परसमयवत्तश्यं ससमयपरसमयवत्तश्यं, उज्जुसुओ दुविहं वत्तश्यं इच्छइ, नं० - ससमयवतव्वयं परसमयवक्तव्यं तत्थ णं जा सा ससमयवत्तब्वया साससमयं पविद्वाजा सा परसमयवत्तया सा परसमयं पविट्ठा, तम्हा दुबिहा वत्तञ्चया, नस्थि तिविहा वत्तवया तिणि सद्दणया एवं ससमयवत्तश्यं इच्छंति, नत्थि परसमयबत्ता, कम्हा?, जम्हा परसमए अणट्टे अहेऊ असन्भावे अकिरिए उम्मी अणुवएसे मिच्छादंसणमितिकट्टु, तम्हा सा ससमयवत्तव्त्रया, णत्थि परसमयवत्तब्वया णत्थि ससमयपरसमयवत्तव्वया से तं वतव्वया । १४७ से किं तं अत्थाहिगारे १, २ जो जस्स अज्झयणस्स अत्थाहिगारो, तं० सावज्जजोगविरई उक्कित्तण गुणवओ य पडिवत्ती । खलियस्स निंदणा वणतिगिच्छ गुणधारणा चैव ।। १२३ ।। से तं अस्थाहिगारे। १४८। से किं तं समोयारे १, २ छवि पं० तं णामसमोआरे ठवणा० दश खेत्तः कालः भावसमोआरे, नामठवणाओ पुत्रं वण्णियाओ, जाब से तं भविअसरीरदवसमोआरे से किं तं जाणयसरीरभविअसरीरखइरित्ते दवसमोआरे १, २ तिविहे पं० नं०-आयसमोयारे परसमोयारे तदुभयसमायारे. सङ्घदवावि णं आयसमोयारेणं आयभावे समोयरंति, परसमोआरेणं जहा कुंडे बदराणि तदुभयसमोआरेणं जहा घरे खंभो आयभावे य, जहा घडे गीवा आयभावे य, अहवा जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्ते दवसमोयारे दुबिहे पं० तं० आयसमोआरे य तदुभयसमोयारे य, चउसट्टिया आयसमोयारेणं आयभावे समोयरइ तदुभयसमोआरेण बत्तीसियाए समोयरइ आयभावे य बत्तीसिया आयसमोयारेण आयभावे समोयरइ तदुभयसमोयारेणं सोलसियाए समोयरइ आयभावे य, सोलसिया आयसमोआरेणं आयभावे समोयरइ तदुभयसमोयारेणं अट्टभाइयाए समोयरद आयभावे य, अट्टमाइया आयसमोआरेणं आयभावे समोयर तदुभयसमोआरेणं चउभाइयाए समोयरइ आयभावे य, चउभाइया आयसमोआरेणं आयभावे समोयरइ तदुभयसमोआरेणं अद्धमाणीए समोयरइ आयभावे य, अद्धमाणी आयसमोयारेण आयभावे समोयरइ तदुभयसमोआरेण माणी समोर आयभावे य से तं जाणयसरीरभविअसरीरखइरित्ते दवसमोयारे से तं नोआगमओ दवसमोयारे से तं दव्वसमोआरे से किं तं खे तसमोआरे ? २ दुविहे पं० तं० आयसमोआरे य तदुभयसमोआरे य, भरहे वासे आयस० आयभावे स० तदुभयसमोआरेणं जंबुद्दीवे समो० आयभावे य, जंबुद्दीवे आयसमो आयभावे समोअरइ तदुभयसमोआरेणं तिरियलोए समोयरइ आयभावे य, तिरियलोए आयसमोआरेणं आयभावे समोयरइ तदुभयसमोआरेण लोए समोयरइ आयभावे य, (लोए आयसमोआरेण आयभावे समोयरइ तदुभयसमोआरेणं अलोए समोयरइ आयभावे य पा० ) से तं खेनसमोआरे से किं नं कालसमोआरे ? २ दुविहे पं० तंत्र आयसमोरे य तदुभयसमो आरे य, समए आयसमोआरेणं आयभावे समोयरइ तदुभयसमोआरेणं आवलियाए समोयरइ आयभावे य, एवमाणापाणू थोवे लवे मुहुत्ते अहोरते पक्खे मासे ऊऊ अयणे संवच्छरे जुगे वाससए वासस हस्से वाससयस हस्से पुव्यंगे पुब्बे तुडिअंगे तुडिए अडडंगे अडडे अववंगे अववे हुहुअंगे हुहूए उप्पलंगे उप्पले पउमंगे पउमे णलिणंगे णलिणे अच्छिनिउरंगे अच्छिनिउरे अउअंगे अउए नउअंगे नउए फउअंगे पउए चूलिअंगे चूलिया सीसपहेलिअंगे १३३४ अनुयोगद्वारसूत्रं - मुनि दीपरत्नसागर Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सीसपहेलिया पलिओवमे सागरोवमे आयसमोआरेणं आयभावे स० तदुभयसमोआरेणं ओसप्पिणीउस्सप्पिणीसु समोयरइ आयभावे य, ओसप्पिणीउस्सप्पिणीओ आयसमोआरेणं आयभावे० तदुभयस० पोग्गलपरियट्टे समो० आयभावे य, पोग्गलपरियट्टे आयसमोआरेणं आयभावे समोयरह तदुभयस तीतद्वाजणागतद्धासु समोयरइ आय०, तीतद्धाअणागतदाउ आयस० आयभावे० तदुभयसमोआरेणं सबदाए समोयरइ आयभावे य. से तं कालसमो. यारे, से किं तं भावसमोयारे?.२ विहे पं०० आय नभयस०, कोहे आय. आयभावे स तद०माणे समो० आयभावे य, एवं माणे माया लोभे रागे मोहणिजे अट्ठ कम्मपयडीओ आयसमोआरेणं आयभावे समोयरत तदुभयसमोआरेणं छबिहे भावे समोयरइ आयभावे य, एवं छबिहे भावे जीवे, जीवस्थिकाए आयसमोआरेणं आयभावे समोयरइ तदुभयसमोआरेणं सचदब्बेसु समोअरइ आयभावे य. एत्य संगहणीगाहा कोहे माणे माया लोभे रागे य मोहणिजे या पगडी भावे जीवे जीवत्थीकाय दब्बा य ॥१२४॥ (जीवत्थिय सब्बदब्बा य॥१॥ एसा गाथा कासेयव्वा पा०) से तं भावसमोयारे, से तं समोयारे. से तं उवक्कमे ।१४९। से कि तं निक्खेवे?. २ निविहे पं० नं०-ओहनिष्फण्णे नामनिष्फण्णे सुत्तालावगनिष्फण्णे, से किं तं ओहनिष्फण्णे १.२ चउबिहे पं० तं०-अज्झयणे अज्झीणे आए खवणा, से किं तं अज्झयणे?, २ चउबिहे पं० त०-णामज्झयणे ठवणज्झयणे दनजायणे भावज्झयणे, णामट्ठवणाओ पूर्व वणियाओ. से किं तं दवज्झयणे?.२ दुविहे पं०२०-आगमओ य णोआगमओ य, से किं तं आगमओ दवज्झयणं.२ जस्स णं अज्झयणत्ति पयं सिक्खियं ठियं जियं मियं परिजिय जाव एवं जावइया अणुवउत्ता आगमओ नावइयाई दवज्झयणाई, एवमेव क्वहारस्सचि, संगहस्स णं एगो वा अणेगो वा जाव से तं आगमओ दवज्झयणे, से कि तं णोआगमओ दवज्झयणे?.२ तिबिहे पं०२०-जाणयसरी स्दवज्झयणे भविअसरीरदश्वजायणे जाणयसरीरभविअसरीरबहरिते द०,से किं तं जाणग०१,२ अझयणपयत्याहिगारजाणयस्स जं सरीरं ववगयचुअचाविअचत्तदेहं जीवविप्पजदं जाब अहो णं इमेणं सरीरसमुस्सएणं जिण. M दिट्टेणं भावेणं अज्झयणेत्ति पयं आपवियं जाव उवदंसियं, जहा को दिटुंतो?, अयं घयकुंभे आसी अयं महुकुंभे आसी, से तं जाणयसरीरदवझयणे. से किं तं भविअसरीरदवज्झयणे १.२ जे जीवे जोणिजम्मणनिक्खते इमेणं चेव आदनएणं सरीरसमुस्सएणं जिणदिट्टेणं भावेणं अज्झयणेत्तिपयं सेअकाले सिक्खिस्सइन ताव सिक्खइ, जहा को दिटुंतो?, अयं महुकुंभे भविस्सइ अयं घयकुंभे भविस्सह, से तं भविअसरीरदश्वज्झयणे, से किं तं जाणयसरीरभ. विअसरीखइरिने दवज्झयणे ?.२ पत्तयपोत्थयलिहिये, से तं जाणयसरीरभविअसरीरवइरित्ते दवजायणे, से तं णोआगमओ दवझयणे, से तं दव्यज्झयणे, से किं तं भावज्झयणे ?. दुविहे पं० सं०-आगमओय णोआगमओ य, से किंनं आगमओ भावज्झयणे?,२ जाणए उबउत्ते, से तं आगमओ भावज्झयणे, से किं तं नोआगमओ भावज्झयणे,२. अज्झप्पस्साणयणं कम्माणं अवचओ उवचियाणं। अणुवचओ य नवाणं तम्हा अज्झयणमिच्छनि A ॥१२५॥ से तं णोआगमओ भावज्झयणे, से तं भावज्झयणे, से तं अज्झयणे, से किं तं अज्झीणे१२ चउबिहे पं० सं०-णामझीणे ठवण० दव्य० भावज्झीणे, नामठवणाओ पुवं वणियाओ, से किं तं दबझीणं १.२ दुविहे | पं० नं०- आगमओ य नोआगमओ य, से किं तं आगमओ दव्वमीणे १,२ जस्स णं अज्झीणेत्तिपयं सिक्खियं जाव से तं आगमओ दव्वज्झीणे, से किं तं नोआगमओ दवझीणे ?.२ तिविहे. पं० त० जाणयसरीरदब्यज्झीणे भवियसरीरदबज्झीणे जाणयसरीरभवियसरीरवहरिते दव्वज्झीणे, से किं तं जाणयसरीरदब्वज्झीणे?,२ अज्झीणपयत्याहिगारजाणयस्स जं सरीरयं ववगयचुपचावियचत्तदेहं जहा दव्यज्झयणे तहा भाणियव्वं, जाव सेनं जाणयसरीरदबझीणे, से किं भवियसरीरदब्वज्झीणे १.२ जे जीवे जोणिजम्मणनिक्खते जहा दव्यज्झयणे जाव से तं भवियसरीरदब्यज्झीणे. से किं तं जाणयसरीरभवियसरीस्वइरिने दव्यज्झीणे ?. सव्यागाससेढी. सेनं जाणयसरीर. भविअसरीवहरिते दवझीणे, से तं नोआगमओ दवझीणे, से तं दबज्झीणे, से कितं भावज्झीणे १.२ दुबिहे पं० २०-आगमओय नोआगमओ य, से किं तं आगमओ भावज्झीणे?.२ जाणए उवाउने, से तं आगमओ भावझीणे, से किं तं नोआगमओं भावज्झीणे?,२'जह दीवा दीवसयं पइप्पए दिप्पए य सो दीवो। दीवसमा आयरिया दिप्पंति परं च दीवंति ॥१२६॥ से तं नोआगमओ भावज्झीणे, से तं भावज्झीणे, से तं अज्झीणे। से किं तं आए?,२ चउबिहे पं०२०-नामाए ठवणाए दबाए भावाए, नामठवणाओ पुष्वं भणियाओ, से किंतं दवाए?.२दुबिहे पं००-आगमओ य नोआगमओ य, से किं नं आगमओ दव्याए?,२ जस्स णं आयनिपयं सिक्खियं ठियं जाव कम्हा?, अणुवओगो दवमितिकटु, नेगमस्स णं जावइया अणुवउत्ता आगमओ तावइया ते दवाया, जाव से तं आगमओ दवाए, से किं तं नोआगमओ दवाए?.२ तिबिहे पं०२०-जाणयसरीरदवाए भविअसरीरदवाए जाणयसरीरभविजसरीखइरिते दवाए, से किं तं जाणयसरीरदबाए,२ आयपयत्याहिगारजाणयस्स जं सरीरयं ववगयचुअचाविअचत्तदेहं जहा दवज्झयणं जाव से तं जाणयसरीरदवाए, से किं तं भविअसरीरदवाए?.२ जे जीवे जोणिजम्मणणिक्खंते जहा दवज्झयणे जाव से तं भविअसरीरदवाए, से किं तं जाणयसरीरभविअसरीरवइरिने दवाए?, २ तिबिहे पं० तं०- लोइए कुप्पावयणिए लोगुत्तरिएसे किं तं लोइए?.२तिविहे पं० त०-सचित्ते अचित्ते मीसएय, से किं तं सचित्ते?.२तिविहे पं० तं०-दुपयाणं चउप्पयाणं अपयाणं, दुपयाणं दासाणं दासीणं चउप्पयाणं आसाणं हत्थीणं अपयाणं अंचाणं अंबाडगाणं आए. से तं सचिने, से कितं अचित्ते?, २ सुवण्णरययमणिमोत्तिअसंखसिलप्पवालरत्तस्यणाणं (संतसारसावएजस्स) आए, से तं अचित्ते, से किं तं मीसए?,२ दासाणं दासीणं आसाणं हत्थीणं समाभरिआउजालंकियाणं आए, से तं मीसए, से नं लोइए. से किंनं कुष्पाक्यणिए ?.२ तिविहे पं० तं०-सचित्ते अचित्ते मीसए य, तिण्णिवि जहा लोइए, जाव से तं मीसए, से तं कुप्पावयणिए. से किं तं लोगुत्तरिए?,२ निविहे पं० सं०-सचिने अचिने मीसए य, से किन सचिने?, २ सीसाणं सिस्सणिआणं, से तं सचित्ते, से किं तं अचित्ते?.२ पडिग्गहाणं वत्थाणं कंगलाणं पायपुछणाणं आए, से तं अचित्ते, से किं तं मीसए ?. २ सिस्साणं सिस्सिणियाणं सभंडोवगरणाणं आए, से नं मीसए, से नं लोगुनरिए, सेनं १३३५ अनुयोगद्वारमुत्रं - मुनि दीपरत्नसागर Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ MtakatakasohbeDEMOCRA जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्ते दव्वाए, से तं नोआगमओ दब्वाए, से तं दब्बाए, से किं तं भाषाए १. दुविहे २ पं० तं०-आगमओ य नोआगमओ य से किं तं आगमजो मात्राए १, २ जाणए उवउत्ते से नं आगमओ भावाए. से किं तं नोआगमओ भावाए? २ दुबिहे पं० तं० पसत्ये य अपसत्ये य से किं तं पसत्ये १. २ तिविहे पं० नं० णाणाए दंसणाए चरिनाए. से तं पसन्थे, से किं नं अपसत्ये १, २ चउब्विहे पं० तं -कोहाए माणाए मायाए लोहाए. से तं अपसत्थे, से तं णोआगमओ भावाए. से तं भाषाए. से तं आए से किं तं झत्रणा १. २ उडिहा पं० [सं० नामज्ावणा ठ१० द०ब० भावज्झत्रणा, नामट्टवणाओ पुच्वं भणियाओ से किं मं दब्वज्झवणा १, २ दुबिहा पं० तं०-आगमओ य नोआगमओ य से किं तं आगमओ दव्वज्झवणा १, २ जस्स णं झवणेतिपयं सिक्खियं जात्र से नं आगमओ दव्वज्झत्रणा से किं तं नोआगमओ दव्यज्झत्रणा १, २ निविहा पं० नं० जाणयसरी रव्वज्झवणा भवियसरीरदव्वज्झवणा जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्ता दव्वज्झवणा से किं तं जाणय०१, २ झवणापयत्याहिगारजाणयस्स जं सरीरयं वत्रगयचुय सेसं जहा दव्वज्झयणे, जान से तं जाणय०, से किं तं भवि० ० १ २ जे जीवे जोणिजम्मणणिक्खते से जहां दव्वज्झयणे, जात्र से तं भत्रिअसरीरदवज्झवणा से किं तं जाणयसरीरभवि असरीरवइरित्ता दक्षज्झवणा १, २ जहा जाणयसरीर भविअसरीखइरिने दशाए तहा भाणिया, जाव से नं मीसिया, से तं लोगुत्तरिया से तं जाणयसरीर भविअसरी खरित्ता दवज्झत्रणा, से तं नोआगमओ दवज्झवणा से तं दब्यज्झत्रणा से किं तं भावज्झवणा १, २ दुबिहा पं० नं० आगमओ य णोआगमओ य से किं तं आगमओ भावझवणा ?. २ जाणए उनउत्ते से तं आगमओ भावज्झवणा से किं तं गोआगमओ भावज्झत्रणा १, २ दुबिहा पं० तं० पसत्या य अपसत्थाय से किं तं पसत्था १, २ चउडिहा पं० तंत्र फोहझवणा माणज्झत्रणा मायज्झवणा लोहज्झत्रणा, से तं पसस्था से किं तं अपसंस्था १ २ तिविहा पं० [सं० नाणज्झवणा दंसणज्झवणा चरितज्मवणा से तं अपसस्था से तं नोआगमओ भावज्झवणा से तं भावज्झवणा से तं झत्रणा से तं ओहनिप्फण्णे से किं तं नामनिष्फष्णे ?, २ सामाइए. से समासओ चउविहे पं० तं० णामसामाइए ठवणा० दश भावसामाइए. णामठवणाओ पुत्रं भणियाओ, दशसामाइएवि तहेब, जाव से तं भविजसरीरद्रव्यसामाइए. से किं तं जाणयसरीरभविअसरीरवइरिने दव्यसामाइए ? २ पत्तयपोत्थयलिहियं से तं जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्ते दव्वसामाइए, से तं णोआगमओ दव्वसामाइए, से तं दब्वसामाइए से किं तं भावसामाइए १. २ दुविहे पं० तं०-आगमओ य नोआगमओ य से किं तं आगमओ भावसामाइए ? २ जाणए उवउत्ते से वं आगमओ भावसामाइए, से किं तं नोआगमओ भावसामाइए ? २ जस्स सामाणिओ अप्पा, संजमे नियमे तवे तस्स सामाइयं होड, इइ केवलिभासियं ।। १२७ ॥ जो समो सच्चभूएस, तसे थावरे य तस्स सामाइयं होइ, इइ केवलिभासियं ॥ ८ ॥ जह मम णपियं दुक्खं जाणिय एमेव सब्वजीवाणं न हणइ न हणावेइ य सममणई तेण सो समणो ॥ ९ ॥ णत्थि य सि कोइ बेसो पिओ व सव्र्व्वसु चैव जीवसु। एएण होइ समणो एसो अन्नोऽवि पञ्चाओ ॥ १३० ॥ उरगगिरिजलणसागरन हतलत रुगणसमो य जो होइ। भमरमियधरणिजलरुहरचिपवणसमो य सो समणो ॥ १ ॥ तो समणो जड़ सुमणी भाषेण य जइ ण होइ पात्रमणी सयणे य ज य समो समो य माणायमाणेसु ॥ २ ॥ से तं नोआगमओ भावसामाइए, से तं भावसामाइए, से तं सामाइए, से तं नामनिष्कण्णे, से किं तं सुत्तालागनिष्फण्णे १ २ इयाणि मुत्तालावयनिष्फण्णं निक्खेवं इच्छावेइ. से य पत्तलक्खणेऽवि ण णिक्खिप्पड़, कम्हा? लाघवत्थं, अस्थि इओ तइए अणुओगदारे अणुगमेत्ति तत्थ णिक्खिते इहं णिक्खिते भवइ, इहं वा णिक्सित्तेतत्थ णिक्खिते भवइ, तम्हा इहं ण णिक्खिप्पर तहिं चैव निक्खिप्पड़ से तं निक्खेये । १५०। से किं तं अणुगमे १, २ दुविहे पं० तं०-सुत्ताणुगमे य निज्जुतिअणुगमे य, सेकिं तं निज्जुत्तिअणुगमे १ २ तिविहे पं० तं० निक्लेव नितिअणुगमे उबग्घायनिज्जुत्तिअणुगमे सुत्तफासियनिज्जुतिअणुगमे से किं तं निक्लेवनिज्जुत्तिअणुगमे १ २ अणुगए, से तं निक्खेवनिज्जुत्तिअणुगमे से किं तं उचग्पायनिज्जुत्तिअणुगमे १ २ इमाहिं दोहिं मूलगाहाहिं अणुगंतत्रो, सं० उसे निदेसे य निम्गमे खेत काल पुरिसे य कारण पञ्चय लक्खण नए समोआरणाऽणुमए ॥ ३ ॥ किं कइविहं कस्स कहिं केसु कई किचिरं वइ कालं ?। कइ संतरमविरहियं भवाऽऽगरिस फासण निरुती ॥ ४ ॥ से तं उबग्वायनिज्जुत्तिअणुगमे से किं तं सुत्तफासियनिज्जुत्तिअणुगमे ?, २ सुतं उच्चारयां अक्खलियं अमिलियं अवञ्चामेलियं पडिपुण्णं पडिपुण्णघोसं कंठोडविप्पमुकं गुरुवायणोवगयं, तओ तत्थ गजिहिति ससमयपयं वा परसमयपर्यं वा बंधपयं वा मोक्लपयं वा सामाइअपयं वा णोसामाइ अपर्य वा, तओ तम्मि उच्चारिए समाणे केसिंघणं भगवंताणं केई अत्याहिगारा अहिगया भवति, केई अत्याहिगारा अणहिगया भवति, ततो तेसिं अणहिगयाणं अहिगमणट्टाए परंपरणं वचइस्सामि 'संहिया य पत्रं चैव पयत्यो पयविहो। चालणा य पसिद्धी य, छविहं विद्धि लक्खणं ॥ ५ ॥ से तं सुत्तफासियनिज्जुत्तिअणुगमे से तं निज्जुत्तिअणुगमे से तं अणुगमे। १५१। से किं तं गए? सत्त मूलणया पं० [सं० णेगमे संगहे बहारे उजुए सदे समभिरूडे एवंभूए. तत्थ 'गेहिं माणेहिं मिणइत्ती णेगमस्स य नेरुती सेसाणंपि नयाणं लक्खणमिणमो सुबह वोच्छं ॥ ६ ॥ संगहि अपिंडिजथं संगहवयणं समासओ चिंति। चचइ चिनिच्छित्यं बहारो सङ्घदव्येसुं ॥ ७ ॥ पक्षुप्पन्नगाही उज्जुसुओ णयविही मुणेअय्यो। इच्छइ विसेसियतरं पचुप्पण्णं णओ सहो ॥ ८ ॥ वत्थूजी संकमण होइ अवत्थू नए समभिरुडे वंजण अत्थतदुभयं एवंभूओ विसेसेइ ॥ ९ ॥ णार्यमि गिव्हिअवे अगिव्हिअभि चेव अत्यंमि । जइअवमेव इइ जो उबएसो सो नओ नाम ॥ १४० ॥ सधेसिपि नयाणं बहुविहवत्तच्वयं निसामित्ता। तं सवनयविसुद्ध जं चरणगुणडिओ साहू ॥ १४१ ॥ से तं नए । १५२। अणुओगद्दारा समत्ता वीरविभोः २४६९ विक्रमस्य १९९९ शकम्य १८६४ अब्देषु पौषशुक्लकादश्यां चंद्रवासरे क्राइष्टस्य १७-१-१९४३ कुमतध्यांतविध्वंसी, संपाब्जालिविबोधनः । जीवादितस्वविद्योती, जयताच्छ्रीजिनागमः ॥ १ ॥ एवं समाप्ताः पंचचत्वारिंशदागमाः (३३४ ) श्री अनुयोगद्वाराणि २ श्रीराजनगरीय साहित्य प्रदर्शनागतज्ञानद्रव्येण श्रीदेशविरतिधर्माराधकसंस्थयोत्कारितं सौराष्ट्रदेशे उपसिद्धाद्विपादलिप्तपुरे शिलोत्कीर्णसकलागमोपेत श्रीवर्धमान जैनागममन्दिरे शोधितं चाचार्यानन्दसागरेण १३३६ अनुयोगद्वारसूत्रं मुनि दीपरत्नसागर Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इति महागोपमहामाहनमहानिर्यामकमहासार्थवाहचतुस्त्रिंशदतिशयवच्चरमतीर्थकरज्ञातपुत्रश्रीमहावीरशासने श्रीदेवर्द्धिगणिक्षमाश्रमणैः पुस्तकीकृतार्हतसिद्धान्तेषु श्रीआचारांगप्रभृतीन्येकादशांगानि श्री औपपातिकमभृतीनि द्वादशोपांगांनि श्रीचतुःशरणपभृतीनि दश प्रकीर्णकानि श्रीनिशीथमभृतीनि षट् छेदसूत्राणि श्रीआवश्यकादीनि चत्वारि मूलसूत्राणि श्रीनन्दीअनुयोगी चेति पंचचत्वारिंशदागमाः सौराष्ट्रदेशे पादलिसपुरे श्रीसिद्धाचलाद्रितलहट्टिकागतश्रीवर्धमानजैनागममंदिरे शिलायामुस्कारिताः शोधिताश्च श्रीसुधर्मस्वामिश्रीजम्बूस्वामिश्रीप्रभवस्वामिश्रीशव्यंभवश्रीयशोभद्रश्रीसंभृतिविजयश्रीस्थूलभद्रश्रीसुहस्तिसूरिश्रीसुस्थितसुप्रतिबद्ध१०श्रीइन्द्रदिन्नश्रीदिन्नसरिश्रीसिंहगिरिश्रीक्ज्रस्वामिश्रीवज्रसेनचंद्रगच्छेशश्रीचंद्रसरिवनवासगच्छेशश्रीसामन्तभद्रसूरिश्रीवृद्धदेवसूरिश्रीप्रद्योतनरिश्रीमानदेवसरि२० श्रीमानतुंगसूरिश्रीवीरसरिश्रीजयदेवसुरिश्रीजयानन्दसूरिश्रीविक्रमसूरिश्रीनृसिंहसूरिश्रीसमुद्रसूरिश्रीमानदेवसूरिश्रीविबुधप्रभसूरिश्रीजयानन्दसूरि 30 श्रीरविप्रभसूरिश्रीयशोदेवसूरिश्रीप्रद्युम्नसरिश्रीमानदेवसूरिश्रीविमलचंदसूरिश्रीउद्योतनसूरिबृहद्गच्छाधीशश्रीसर्वदेवसुरिश्रीदेवसूरिश्रीसर्वदेवसरियशोभद्रसूरि४० मुनिचंद्रसूरिअजितदेवसूरिविजयसिंह सरिसोमप्रभसूरितपोगच्छेशतपस्विहीरलाजग. चंद्रमूरिदेवेन्द्रसूरिधर्मघोषसरिसोमप्रभसरिसोमतिलकसरिदेवसुंदरसूरि५० सोमसुंदरसूरिमुनिसुंदरसूरिरत्नशेखरसूरिलक्ष्मीसागरसूरिसुमतिसाधुसूरिहेमविमलसूरिआनन्दविमल सुरिविजयदानसूरिहीरविजयसूरिसहजसागर६०जयसागरन्यायसागरजीतसागरमानसागरमयगलसागरपद्मसागरस्वरूपसागरनाणसागरमयासागरगौतमसागर 70 झवेरसागरजीपादकमलचंचरीकानन्दसागरसूरिणा चत्वारिंशदेवकुलिकाशिखस्युक्तपासादचतुष्कश्रीशाश्वतजिनप्रासादयुते मंदिरे सकला आगमाः शिलासु प्रतिष्ठापिताश्च सूत्रनाम सूत्राणि गाथा:शिलांक: व्यवहार दशसूद्देशेषु 35-30-29-32-21 आचारांग 1471 जम्बुद्वीपप्रज्ञप्तिः 181 131 209 12-27-16-46-37243 सूत्रकृतांगं 732 10 निरयावल्याद्युपांगपंचकं 31 105 224 दशाश्रुतस्कंधच्छेदसूत्रं 57 53 245 स्थानांर्ग 783 169 19 चतुःशरणप्रकीर्णक 63227 (कल्पसूत्रं वारसा) 120 26 248 समवायांग 160 168 33 आतुरप्रत्याख्यान 133 228 जीतकल्पभाष्यं मू.१०३ व्याख्या 2711 253 श्रीभगवत्यंग 869 114 44 महाप्रत्याख्यानं 275 228 (पञ्जकल्पभाष्य) 2665266 ज्ञातधर्मकथांगं 165 56 101 भकपरिज्ञा . 447229 महानिशीथच्छेदसूत्रं अ०७-३२२१७-२०८२७९ उपासकदशांगं 59 122 तन्दुलवैचारिक 19(20) 586 229 42-10136-0 अन्तद्दशांगं 126 संस्तारकमकीर्णक 709231 28-2 128-416 अनुत्तरौपपातिकदशांगं 6 गच्छाचारप्रकीर्णकं 846 232 22-8. 193.30 पनव्याकरणांगं 30 14 130 गणिविद्याप्रकीर्णकं 928232 आवश्यक सनिर्यु-सू. 54 नि.१७१९ भा.२५७ विपाकश्रुतांगं 33 134 देवेन्द्रस्तवपकीर्णकं . 1235 233 क्तिकै मूलसूत्रं सूत्रगाथाः 21 294 औपपातिकमुपांगं 43 139 मरणसमाधिप्रकीर्णकं . 1858 234 (ओधनियुकिः) नि.८१२ भा. 322 305 राजप्रश्नीयं निशीथं छेदसूत्रं विंशताबुद्देशेषु . 238 दशवैकालिकं 21 515311 जीवाजीवाभिगमः 272 उद्देशक्रमेण सूत्राणि 58-59-79-127 पिंडनियुक्तिः नि०६७१ भा. 37 314 प्रज्ञापना 352 231 169 79-77.91-39-28-4792-42.74 उत्तराध्ययनानि मूलसूत्रं 58 1640 318 सूर्यप्रज्ञप्तिः 51-154.50-151-88-36-55 नन्दीसूत्रं 59 90325 चंद्रप्रज्ञप्तिः 103 205 हत्कल्पःषट्सद्देशेषु५०-३०-३०-३२.५३-२०२४१ अनुयोगद्वारसूत्रं 152 327 1 HT ***** 1337 अनुयोगद्वारमूत्रं मुनि दीपरत्नसागर