Book Title: $JES 941 Pratikraman Sutra Book in English
Author(s): JAINA Education Committee
Publisher: JAINA Education Committee

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Page 143
________________ 51. सकल तीर्थ वन्दना - SAKALA TIRTHA VANDANA ............ तेरसें क्रोड नेव्यासी क्रोड, साठ लाख वंदं कर जोड......................8. बत्रीसमें ने ओगणसाठ, तीळ लोकमां चैत्यनो पाठ. त्रण लाख एकाणुं हजार, त्रणसें वीश ते बिंब जुहार. ............. व्यंतर ज्योतिषीमां वळी जेह, शाश्वता जिन वंदु तेह. ऋषभ, चंद्रानन, वारिषेण, वर्धमान नामे गुण-सेण... सम्मेत-शिखर वंदु जिन वीश, अष्टापद वंदुं चोवीश. विमलाचल ने गढ गिरनार, आबु उपर जिनवर जुहार. ............ शंखेश्वर केसरियो सार, तारंगे श्री अजित जुहार. अंतरिक्ख वरकाणो पास, जीराउलो ने थंभण पास... ............. गाम नगर पुर पाटण जेह, जिनवर चैत्य नमुं गुणगेह. विहरमान वंदुं जिन वीश, सिद्ध अनंत नमुं निश-दिश.. ...........13. अढी द्वीपमा जे अणगार, अढार सहस शीलांगना धार. पंच महा-व्रत समिति सार, पाळे पळावे पंचाचार..... ................14. बाह्य अभ्यंतर तप उजमाल, ते मुनि वंदुं गुण-मणि-माल. नित नित ऊठी कीर्ति करूं, जीव कहे भव सायर तरुं.. ................15. 51. Sakala Tirtha Vandana Sakala tirtha vandu kara joda, jinavara näme mangala kroda. Pahele svarge läkha batrisa, jinavara chaitya namu nisa-disa. Bije läkha atthävisa kahyä, trije bära läkha saddahyä. PRATIKRAMAN SUTRA BOOK 143

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