Book Title: Dashavatar Khand Prashasti
Author(s): Mumbai Granth Prakashak
Publisher: Mumbai Granth Prakashak
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir - - ।। कोबातीर्थमंडन श्री महावीरस्वामिने नमः ।। ।। अनंतलब्धिनिधान श्री गौतमस्वामिने नमः ।। ।। योगनिष्ठ आचार्य श्रीमद् बुद्धिसागरसूरीश्वरेभ्यो नमः॥ ।। गणधर भगवंत श्री सुधर्मास्वामिने नमः ।। ॥चारित्रचूडामणि आचार्य श्रीमद् कैलाससागरसूरीश्वरेभ्यो नमः ।। आचार्य श्री कैलाससागरसूरिज्ञानमंदिर पुनितप्रेरणा व आशीर्वाद राष्ट्रसंत श्रुतोद्धारक आचार्यदेव श्रीमत् पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. जैन मुद्रित ग्रंथ स्केनिंग प्रकल्प ग्रंथांक:१ जैन आराधना महावीर कोबा. अमतं तु विद्या श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र शहर शाखा आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर कोबा, गांधीनगर-श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर कोबा, गांधीनगर-३८२००७ (गुजरात) (079) 23276252, 23276204 फेक्स : 23276249 Websiet : www.kobatirth.org Email : Kendra@kobatirth.org आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर शहर शाखा आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर त्रण बंगला, टोलकनगर परिवार डाइनिंग हॉल की गली में पालडी, अहमदाबाद - ३८०००७ (079)26582355 For Private And Personal Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org SMANESASSISLEINDSENSEENERLESSEURVASASALESALES/SHREE KAHANIAANASAMANAKAMAKESTAJALSETUREye -BANDAIPLR PARDESTOREHERAYAR K ETERMINAM AURASRHICHARJAGATHACHIGNIK P-126332P-12633 श्री श्रीचंद्रकेवलिचरित्रम् FROM:PARAM PUJYA PANJABI SADHAVI RATNA YASHA SHRI JI MAHARAJ VASHIKARANAMANARAYANESANEYANEsmeyneymuseuARE REMEMAMANELARAKSHANESAMERAMANNAYANERIENCE कीति प्रिंटिंग प्रेस, गुरुनानक मार्केट के सामने, फीगंज उज्जैन For Private And Personal Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ॥ अथदशावतारखंडप्रशस्तिप्रारंभः॥ For Private And Personal Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shr Mahir Jain Aradhana Kendra रखं.प्र. 5 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyann | श्रीगणेशायनमः॥ कृतक्रोधेयस्मिन्विबुधनगरीमंगलर वानवातकालंकासमजनिषनंदृश्यतिसति ॥ ॥ सदासीत्ताकांनप्रणतिरतिविख्यातमहिमाहनूमानव्याहः कपिकुलशिरोमंडनमणिः ॥१॥ मत्स्यः कू वराहश्वनारसिंहोथवामनः॥रामोरामश्चकृष्णश्ववैौ सः कल्कीदशस्मृताः॥२॥ मत्स्यः ॥ वियत्युछोढाये। च्छलितजलगर्भनिधिरपा मना थः पाथः पृथुललवदुस्थोवियद्भुत् निधिर्भासामौर्वोदिनपतिरभूदौर्व दहनश्चलकायेयस्मिन्सजयतिहरिमनवपुषा ॥ ३॥ चंद्रादित्योरूनेत्रः कमल भव भवरफारपृष्ठप्रतिष्ठोभा स्वताला ग्निजिव्हःपृथुलगलगुहादृष्टनिःशेषविश्वः॥अद्भिः पुच्छोच्छ्रिताभिश्वकितसुरवधूनेत्रसंसूचिता "भिर्मत्स्यश्विनान्धिवेलंगगनतलमलं झालयन्वः पुनातु ॥४॥ जीयासुः शफराकृतेर्भगवतः पुच्छच्छटाच्छो |टनादुषंतः शतचंदितांबरतलंतेबिंदवः सैंधवाः। यैर्व्यावृत्त्ययत्तद्भिरौर्वशिखिनस्तेजोजटालंवपुःपानाध्मानव शादरोचकरुज् कचिरायास्पदं ।।५।। दिश्यादः शकुलारुतिःसभगवान्नैःश्रेयसीसंपदंय For Private And Personal म. १ १ Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallashsagarsur Gylmall पुच्छशिरवर रेवेलनकोडनैः। सत्यहार्थिसमुच्चलज्जल रैर्मदाकिनीसंगतैगंगासागरसंगमप्रणयिनी जाताविहायस्छलीमायामीनतनोस्तनोतुभवतांश्रेयांसिपकप्लुतिःपुच्छोच्छोटसमुच्छलज्जलभरमा रमाररिक्तोदधेः॥पाताळावटमध्यसंकरतयापर्याप्तिकंठस्छितेर्वेदोधारपरायणस्यसततंनारायणस्यप | भोः॥७॥ममेरीपततितपनेतोयविंदाविवेंदावंतीनेजलधिसलिलेव्याकुलेदेवलोकेमात्स्यरूपमुरव टतटारुष्टनिर्मुक्तवार्धेःश्रीकांतस्यस्ठलजलगतचेत्यलक्षंयुनातु जंभाविस्तृतवक्रपंकजविधेर्हत्वाश्रु|| तीःसागरेलीनंत्रस्तसमस्तनकनिवहेशरवंजघानाजिरे।पुच्छोक्षिप्तजलोत्करैःप्रतिदिशंसंपूरयन्योधरा पायाःसमृणालकोमलतनुर्मानामिधानोहरिः॥९॥नंदृष्ट्राशरवदैत्यंविविधविचरणैर्दयंश्चंद्रकांतपरव्य कुझिसवसस्छलमनुलमुरवाकेनराशिवमन्यः॥ यातोयस्तस्यनीडगिरिवरसदृशंहंतुकामोतिवेगाच्छद्वे नोयकपोतंसावतुवरदःपीचपाठीनमूर्तिः॥१०॥यंदृष्टामानरूपस्फुरदनलशिवायुक्तसंरक्तनेत्रलोलहि|| For Private And Personal Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ si Malavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyalhan स्वपलीर्णकर्णलभिनजलनिधिनीलजीमूनवर्ण श्वासोडासानिलौंपे प्रचलितगुगनंपीतवारिमुरारिक्मिो कू-२ भूचशस्वसभवतुभवतांभूनयेमानरूपः॥१॥दिङ्मूटतंसुरारिकिलसितदशनैःपीयमानंनतंहत्वानारंपा। योधेःकरतलकलितंयूरयामासशरवानादेनाक्षत्यविश्वप्रमुदितविबुधवस्तदैत्यसदेवैर्दत्तार्ण्य पायोनेः । हसितवदनःपातुवोदत्तवेदः॥१२॥होमीनननोहरेकिमुदधेः किंकंपसेशाततःस्चिन्नःकिंवडवानलासुलकिन । कस्मात्स्वभावादल।इत्थंसागरकन्यकामुखशशिव्यालोकनेनाधिकपोद्यकामजचिन्हनिहुनिपर शौरिशि वायारतनः॥१३॥अथकूर्मः॥नमस्कुर्मःकूमनमदमरकोटीरनिकरपसर्पमाणिक्यच्छतिमिलितमाजिष्टवपु । योजिरीजभडुभयुमणिरमणीयांशुलहरीपरारंभस्फूर्जदलभिदुपलादिप्रतिभ॥१॥योधत्तेशेषनागंतदनुव सुमनीस्वर्गपातालयुक्तायुक्तांसःसमुद्रहिमगिरिकनकपावमुरब्यगिरीदैः। एतत्मांडमध्यामृतघरमश । भातिवंशेर्मुरारपायाः कूर्मदेनकरितमहिमामाधवःकामरूपी॥१५॥विण्यःकनिसंतिनात्रभुवनेमूव । For Private And Personal Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Stiri Mhavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gydymatir किरसोनवासौभाग्यकमीतथाहिकमतीपशंसासरंगप्रमेमोगिनिभंगुरेषुकरिषुवष्टोत्सवेदंधि शिक्षोणी साहसिकायणास्तुलयितुंजागर्नियस्या:सुतः॥१॥धाम्यन्मंदरकदरोदरदरीच्यावर्तिभिवा रिधेःकल्लोलैरलमाकुलंकलयतोलल्यामुरवांभोरुह औतक्यत्तरलाःस्मरादिकसितामात्यासमा कुंचिता:कोनज्वलितामदान्मुकुलिताःशौरेर्दशःपांतुवः॥१७॥पृष्ठेशाम्यदमंदमररगिरियावासकडूमा नर्निदालोकमगर्भगवतःश्वासानिलाःपांतुवः।यसंस्कारकलानुवर्तनवशाइलाङलेनांशसांयाताया नमनंदितंजलनिधे वापिविधाम्यति ॥षमतिशिरिरापृष्टेगर्जत्युपर्यतिसागरोरहनिवितत्तज्वाला जालोजगतिविधानलः।सतुविनिहितग्रीवाकांड:कटाहनोदरेवपिनिभगवान्कूमोनिदानालसलोचनः |१९|निष्प्रत्यूहमनसंकल्पचलितत्रैलोक्यरक्षागुरु:कीडाकूर्मकलेवर सागवान्दिश्यादमदांमु कसा, तोदधिमध्यमज्जनवशाब्यासर्पनःसंलुटसृष्टेयस्यबभूवसैकतकणचायंधरामंडलं॥२०॥विनिर्यसाण्या For Private And Personal Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyan खं०प्र० प्रिस्फुटपवनसंचारचलितंचलज्जंतुघ्वांत्याकपटकमठः कैटभरिपुः॥ गिलित्वाब्रह्मांडजवर पिठरकोंडकुहरे | दुरापंमत्वातत्सजयतिपुनस्त्यक्त भुवनः॥२१॥ अथवराहः।। नयकैरालेपंकलयतिधरित्रीव्यय भयान्तमु |स्तामादत्तेप्युरगनगरांशभयतःनधनेब्रह्मांडस्फुटनसष्टणोघुघुरर वंवराहोदिश्याहः शमतिकरुणास | तृतसुखः ॥२२॥ पातुत्रीणिजगंतिसंततमकूपारात्समभ्युद्धरन् धात्री कोलकलेवरः स भगवान्यस्यैकदं शंकुरे ।। कूर्मः कंदतिनालतिहिरसनः पत्रनिदिग्दतिनोमेरुः कोशतिमेदिनीजलजतिच्यामापिरोलंबति । |२३|| पातु श्रीस्तनपत्र भंगमकरीसुद्रांकितोरम्बलोदेवोवः सजगत्पतिर्मधुवधूवच्काच्जचंद्रोदयः ॥ क्रीडाकोडतनोर्नवेंदु विशदेदंष्ट्राकुरे यस्यभूर्मातिस्मप्रलयाब्धिपल्वलतलेोत्खातैकमुस्ताकृतिः॥२४॥निःकं दामरविंदिनीं र रितोद्देशांक शेरुस्वलींजंबालाविलमंबुकर्तुमितरान्सुते वराही सुतान् ॥ दंष्ट्रायांप | लयार्णवोर्मिसलिलैराप्लावितायामियंयस्यारावशिशोः स्थिताविपदिभूः सापुत्रिणीपोत्रिणी ॥ २५ ॥ ह ShManavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org For Private And Personal व. ३ Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ avir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gya mahir प्पदैत्यनितंबिनीजनमनःसंनोपसंकोचनःकुर्यादिश्यमनश्वरंसभगगनकोडावनारोहरिःपदंष्ट्रांकुरकोरिको टरकुटीकोणांतरछेयसीपृथ्वीभात्यवदातकेनकदलेलीदेवगांगना॥२कालीनोचैकदेशेनमसिनयनयो लेजसिकापिनष्टेश्वासयासोपभुक्तेमहतिजलनिधौपादरंधार्धपातोपात्रप्रांतकरोमांतरविवरगतांमार्गतश्च ऋपाण:कोडाकारस्यपृथ्वीमकलितविभवैभवनःपुनातु॥२७॥अष्टौयस्यदिशोदलानिविपुलःकोशःसुवर्णा, चल:कांतकेशरजालमर्ककिरणानंगाःपयौदावलिशानालशेपमहारगःप्रधित वारांनिधीलयान पानुसमा दरन्कुवलयंकोडारुति केशवः॥२८॥विषाणोपिनवेंदुकोटिकुटिलंदंष्ट्रांकुरंलीलयाकोडाकारधरोहरिःसाग वानसूयादिभूतिषःकायस्योसिमवतःक्षमाकमलिनीमालंयमानःक्षणंलोलबालमृणालनालतुलनांपजेमुज गेश्वरः।।२९।। मुक्तैर्यास्यतिकवचिद्दरामनाएंट्रांकुरस्छेयसीकुलोलाममवाप्स्यतित्रिभुवनरुदैरमीभिःपुनः॥ इत्यस्यसविकल्पमालितमनःकंठेलुटनोमुहुःकोडाकारधरस्यकैरमजितः श्वासानिला पानुवः॥३०॥पातुयःक For Private And Personal Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ shMafvir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyan and कम खंभा पटकोलंकेशवोयस्यनिःश्वसनमारुतोषना उत्थिनप्रपतनैरचालपत्कलिकंदुकतुलामिलामुहुः॥३१॥सिंधु चंगावगाहःखुरविवरविशतुच्छतोयेथुनामःप्राप्ताःपातालपकेनलुटनरुचय पोत्रमायोपयोगातादंष्ट्रापिष्टेषुना। मःशिरवरिषुचपुनःस्कंधकंडूविनोदोयेनोहारधारव्याःसजयनिविताविनितळावराहः॥३२॥एकपादंचपृष्य परमुरगपतेर्मूर्भिपाचश्त्वावेशतायातमुस्ताप्रनिनिधिधरणीवक्रदंष्ट्रायदेशाविश्वेचैकार्णवेयस्त्रिा वनहितकद्देवदेवाविदधेयायान्न:कोलकाय:सहिधरणिधरोलीलयाऽ लक्ष्यलक्ष्यः॥३३॥अथनहरिणकिंकि सिंहस्तनःकिनरसदृशवपुर्देवचित्रगृहीतो ताइक्कापिजीवोदुतसुपनयमेदेवसंप्राप्तएषः॥चापंचापनचापी त्यहहमहाकर्कशत्वनरवानामित्थंदैत्येंद्रयसःरवरनरवरमुरेवजनिवान्यःसवोव्यात्॥३४॥चंचञ्चंडनवाय भेदविदलदैत्येदवक्षःक्षरद्रताफ्यक्तरूपाटलो इतसासंघांतश्रीमाननःनिर्यकंठकठोरघोषघटनासर्वाग! वर्वीभवदिङ्मातंगनिरीसिनोविजयतेवैकुंठकंदीरवः ॥३५॥वपुर्दलनसंघमाखनवरंधविष्टेरिपोक्यातइनिवि For Private And Personal Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ן | स्मयासहितलोचनः सर्वतः। दृथेनिकरताडनान्निपतितंपुरोदानवंनिरीक्ष्य भुविरेणुवज्जयतिजातहासोहरिः॥३६ | दंष्ट्रासंकठवक्रकंदरललज्जिहस्यहव्याशनज्वाला भासरभूरिकेसरसटाभारस्यदैत्यद्रुहः। व्यावलाब्दलवद्दिरण्यकशि पुक्रोडस्छलास्फालनस्फारप्रस्फुटदस्डिपंजरर वक्रूरानरवाः पातुवः ।। ३७।। भूयः कंठावधूतिव्यतिकरतरलोतंसन सत्रमा लाबालेंदुक्कद्रघंटारणितदशदिशोदंतिसीत्कारकारी अव्याहोदैत्यराजत्र थमयमपुरीयानटक्कानिनादोनादोदिग्भि निभेदप्रसरणरसः कूटकंठीरवस्य)। ३८ ॥ अंतःको धोज्जिहानज्वलन भवशिखाकार जिव्हावलीढप्रौढब्रह्मांडमांड‍ || श्रुभुवनगुहागर्भगंभीरनादः॥ दृप्यत्पारींद्रमूर्तिर्मुरजिदवतुनः रूपभामंडलीभिः कुर्वन्निर्धूमधूमध्वज निचितमिवयो | मरोमच्छरानां ॥३९॥ | सोमा धयितनिः पिधानदर्शनः संध्यायितांतर्मुखीबालार्कायितलोचनः सुरधनुर्लेखायित शूलतः॥ अंतर्नादनिरोधपीचरगलस्त्वक्कूपनिर्यत्तडित्तारस्फारसटावरुद्दगगनःपायान्नृसिंहः सवः॥ १०॥ चच्च्चटि तिचर्मणिच्छिमितिचोच्छलच्छोणितेधगन्धगिनिमेदसिस्फुटनरवोस्टिनिष्ठागिति॥पुनातु भवतो हेरेरमरैवैरिवीरो Acharya Shri Kailashsagarsuri Gy For Private And Personal Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥ Shri Mahir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyan and संप ५ रसिकणकरजपंजरककचघर्षजन्मानिलः॥१॥शवोषाणानिला पंचवयंदशजयोत्रकः॥इनिकोपादिवातामाःपा नुवोनहरे रवाः॥४२॥ससखरमितलनोषिततशस्तहस्ताठवानिकत्तसुरशत्रुहसनजसितवक्षस्लल ।स्फुरदरगम-|| लिमिरलगिनसमसतिधुनिःसमस्ननिगमस्तुतोनृहरिरस्तुनःस्वस्तये॥४३मविद्युचककरालकेसरसगभारस्यरै न्यदुहःस्फूर्जन्नबहुनाशडंबरभूतःसिहारनेःशाणिः॥विस्फूर्जद्लगार्जनैर्जिनककुन्मातंगदर्योदयाःसंरंभाःसुखये तुनःरवरनाक्षपाहिषइससः॥४४॥ोधस्कीनस्फुलिंगस्फुरषिकदमुखोद्भुतफूलारष्टिक्लिष्टःस्पष्टाहासप्रतिव भरिनबुट्यददींद्रशृंगादिवरुवा रिवायु वनभरभयोज्जभगशास्जूभारंभोजभारिशंपतिहतननिःपातनित्य नृसिंहः॥१५॥यंदृष्ट्वानारसिंहविकननरवमुरचरौद्रदंष्ट्राकरालंपिंगासंस्तब्धकर्णदुलशिरिपशिखाकुंचिनायायके | शालीतानेदानवेंद्राभसरवरभाराःशस्त्रमुद्दीर्यहनहाहाकिंकिंकिमेनाभिनजनपदा पातुनचक्रपाणिः॥४६॥ यवाखंडलदनिनमुसलान्याकुंरितान्याहवेघारायवपिनाकपाणिपरशोराकुंठितावलसितमेतावदुरोनृसिंहकरजी For Private And Personal Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SH Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir यौदार्यतेसांप दैवेदुर्वलतांगतेतृणमपिप्रायेणक्ज्यायते॥१७॥अथवामनः॥किंवकिनुरलंनिलकमुततथाकं॥ डलंकीस्तुपोवाचकंवावारिजवेत्यमरयुवतिभिर्यद्दलिदेषिदेहे।उर्ध्वमोलौललाटेअवसिहदिकरनाभिदेशचदृष्टं || पायाालार्कबिंबंसचदनुजारपुर्वर्धमानःकमेण॥४॥स्वर्वयथिविमुक्तसंधिविलसहसपुरकौस्तुतिर्यमाधि |सरोजकुङ्मलकुटीगंभीरसामध्वनि।पात्रावाप्तिसमुत्रुकेनबलिनासानंदमालोकितं पाया कमवर्धमानमहिमा भर्यमुरारेर्वपुः॥९॥ब्रह्मांडछत्रदंडःशत निभवनांमोहोनात दंडःक्षोणीनौकूपदंडःसरदमरसरिसट्टिकाकेतुई। ज्योतिश्चक्रासदंडस्त्रिभुवनविजयस्तंभदंडोंघिदंड श्रेयस्पैविकमस्तेवितरतुविबुधद्देषिणांकालदंडः॥५०॥ य| स्मादाकामनोयांगरुडमणिशिलाकेतुदंडायमानादाश्चोतंनीबभासेसुरसरिदमलावैजयंतीवकांता॥भूमिष्ठोयस्त थान्यो वनग्रहमहास्तंभशोभादधानः॥पानामेतीपयोजोदरललिततलीपंकजाखस्यपादौ॥५॥स्वस्तिस्वागत मर्थ्यहंदविमोकिंदीयनामेदिनी कि मात्राममविक्रमवयपदंदत्तंजलंपात्यता।मादेहीत्युशनाबबारिरयंपाधि For Private And Personal Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shlmal vir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyan land! स्वाम मस्मात्परंवेत्येवंबलिनार्चितोमरवमुस्वैपायात्सवोवामनः॥५२॥हनःशस्त्रकिणांकितौरुणविभाकिारितोरस्ललो | नाभिरवदलिविलोचनयुगप्रोतशीनानपः। याहुर्मिश्रितवन्हिरेषतदिनिव्यासिष्यवाम्पकवस्तारैरध्ययनर्हरन बलिमनःपायात्सवोवामनः॥५३॥स्फूर्जयोममधुवनीपरिडव्यालीटपादांबुजःकीडाकांतनिरस्तसत वनस्को धप्रबंधोहरिदेिवःपातुजगत्सवामनतनुर्नेदविद्रावकोनीतःसोपिरसानलोदरकुटीकोणाधिवासंबलिः॥५४ कस्खंबान्नपूर्वःवचनववसनियरिखलाबत्मसृष्टिःकरतेत्रातात्यनाथःवचतवजनकोनैवतानंस्मरामिण कितेमा |हंददामिविपरपरिमिताभूमिरसंकिमेतत्रैलोक्यंभावगबलिमितिनिगदनवामनोनःसपायात्॥५५॥अथपर शुरामः। गोवाचारविचारपारगनयावस्थाभिरादिष्टयामात्रावस्मुघुतेषुनेषुपुरतःप्रस्तारितेषुकमाताअन्नप्राशन वासरेसरमसंवक्षोभरोत्सर्पिणायेनानं धनुरीसिनाच्यसपदिक्षणायनंसादिशः॥५६॥ देवेदिग्विजयोयतेनधनुः । त्यर्थिसामंतिनावैधव्यवनदायिनिप्रतिदिशंकुधेपरिनाम्यति॥स्तामन्यनितविनारतिरपिवासान्नपोष्यंकर For Private And Personal Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ s lavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyalhanger (tमरान्मदांधमपानीलीनिचोलंघनुः॥५०॥किंदोपर्योकिमुकार्मुकोपनिषदागर्भप्रसादेनकिंकिंवेदराधिग मेनशास्वनिमगोर्वोचकिंजन्मना)किंदानेनकिमद्भुतेननपसापाडांरुतांतापिचेदिप्राणांकुरुनेतरित्यनुशयोरामी स्यपुष्णानुवः॥५०॥नाशिष्यःकिमद्भवःकिम भवनापुत्रिणीरेणुकानादिश्चमकार्मुकंकिमितिवःधीणातुराम अयाविषाणांपतिमंदिरंमणिगणोमिश्राणिदंडाहतेनाधीनांसमयायमोपिमहिषेणांशांसिनोदाहिनः।।५९॥ रेकसनरूगृहेषुसरशीश्चिंतामणीनंगणेपीयूषंसरसीघुवककमलेवियाश्चतसोदशायःकिंकर्तुमयंतपश्यति || गोर्वेशावनंसोमुनिःपायाहोखिलराजकक्षयकरोभूदेवभूषामणिः॥६॥कुलाचलायस्यमहीहिजेयःप्रयच्छतः। ॥सीमरपत्मीयुःवभूबरुत्सर्गजलंसमुद्राःसरेणुकेयःश्रियमातनोनु॥६पायाद्दोजमदग्निवंशतिलकोचीरवना संकतोरामोनाममुनीश्वरोपवधेभास्वत्कुगरायुधः॥येनाशेषहनाऽहितांगाधिरैःसंतर्पिताःपूर्वजा पत्त्याचाच मखेसमुद्रवसनामूलकारीरुता॥२॥अथरामः।। कल्याणानांनिधानंकलिमलमथनंपावनंपावनानांपापिया। For Private And Personal Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ S Malavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyaran स्वपन सुमुक्षोःसपदिपरपदप्राप्तयेप्रस्लिनस्पाविनामस्लानमेकंकविवरचसांजीवनसज्जनानांगजधर्मद्रुमस्या | रा. वतुभवनांभूनयेरामनाम॥३॥ठकुल्लामलकोमलोसलदलश्यामायरामामनःकामायप्रथमाननिर्मलगुणगा। मायरामात्मने।योगारदमुनींदमानससरोहंसायसंसारविधंसायस्फुरदोजसेरयुकुलोत्तंसायपुंसेनमः॥६४॥ रेफव्यंजनराजतानवतवाकारप्रकर्षश्चरेत्यस्यापिमकारविस्फरनिनेवर्गाक्षरेचादिमायैःसध्यनिगरानेरघुकु लालंकारहीनांकुरोदेव:लोणिरसनापयोधरती श्रृंगारहारोहरिः॥६५॥येमनंतिनिमज्नयंतिचपरास्तेषस्तराज स्तरेवावीरतरंतिवानरमटान्सतारयंतेपिचानतेयावगुणानवारिधिगुणानोवानराणांगुणा श्रीमद्दाशरथेष तापमहिमासोयंसमुज्जभते॥६६॥श्रीरामलदनेकचित्रचरितपोद्दामकीर्तिश्रुतिमल्हादादवधूनमूर्भिसकलत्रैलो क्यलोकपियअश्रोत्राःफणिनस्नदेनचिननोचेदहिस्वामिनाव्याधूतेशिरसिकपाकगिरयःकामीदिशामाश्च । राः॥१७॥रामत्वत्तरुणप्रतापतपनत्रासादिवत्र्यंबकोनोगंगाविजहानिनिःसरनिनोमीराबुधर्माधवः नाम्यना For Private And Personal Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Sh Mavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyan मरसांतरालबसतिर्देवः स्वयंभूरभूत्पातालाबधिपंकममबपुषस्तिछंतिकूर्मादयः॥ ६८॥ कीर्त्तिःश्रीरघुवंशरलभ | वनः स्वर्वाहिनीगाहिनी दिक्पालान्परितःपरित्पदधतीपाण्योः प्रतापानलं ॥ सप्तां भोनिधिमंडलान्यधिगतात्व |य्येकपत्नीव्रतरख्यात्यैविष्णुपदंस्पृशत्यनुदिनंशेषस्यशीर्षाण्यपि॥ ६९ ॥ कीर्तिःश्रीरघुवंशदीप भवतोदूनीमुरारेः | प्रियांयस्मात्तुभ्यमदानदादिगिरिशोभूदर्धनारीश्वरः। ब्रह्माभूच्चतुराननः सुरर्पतिश्चक्षुः सहसंदधैौस्कंदोमंदमतिश्च कारनकरस्पर्शस्त्रियाः शंकितः।। ७॥ अदैर्वा रजिष्ट क्षयार्णवगतैः साकंत्रजंतीमुहुः संसर्गाइडवानलस्यसमभूदापं नसत्वातडित्॥मन्येरामतयाक्रमेणजनितोयुष्मानापानलोयेनारातिवधूविलोचनजलैः सिक्तोषिसंवर्धते ॥ ७१॥ शत्रु क्षत्रकलत्रनेत्रसलिलैर्जबालजालस्पृशि नांवा भूपतिभालभूषणभवत्कीर्त्तिर्भुषेमंडले।। यद्यांती विबु धालयंप्रतिसुधाकुंडेसुधांशौव्यधाद्धिसालनमित्ययंकिलमलस्तस्मिन्गतः स्मेरतां ॥ ७२ ॥ स्थाणुः कूर्मोत्रय| ष्टिर्भुजगपतिरसौभाजनंभूतधात्रीतैलापूराःसमुद्राः कनकगिरिरयंवृत्तवर्त्तिप्ररोहः॥ अर्चिश्वंडांशुरोचिर्गगनम For Private And Personal Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Sh Malavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyaran लिनिमाकज्जलंदह्यमानाशत्रुश्रेणीपतंगा ज्वलनिरघुपतेत्वलतापप्रदीपः॥७३॥गांगायत्यसितापगांफणिगणःशे पायनिश्रीपतिःश्रीकंठीयतिकैरवीयतिकुलंनीलोत्पलानांवन। कर्पूरीयतिकज्जलंपिककुललीलामरालीयतिखः कुपायनिकुंमिनामपिघयत्वकीर्तिसंघट्टतः॥४॥देवत्वकरनीरदेदिशिदिशिप्रारब्धपुण्योन्नतीचंचकंकणरत्न कातिनडिनिस्वर्णामृनंवर्षतिस्फीताकीर्तितरंगीणीसमभवत्तृप्तागुणग्राममूःपूर्णचार्थिसरःशशामविदुषांदा रिपदावानलः।।७५॥एकंकांचनभूधरसुवलयवासःसुधावारिधिनारंनारकराजमंडलमिदंसंपाप्यसत्कंडलं। दूरस्वाचितेनतेनसदृशंसांभूषणंचापरस्त्रीमानयहिलेवयाचतितरांश्रीरामकीर्तिस्तव॥६॥अत्तौयदिनप्रक प्यसिमृषावाईनचेन्मन्यसेतद्मोद्भूतवस्तुवर्णनविधौव्ययाःकवीनांगिरः॥रामवत्तरुणप्रतापदहनज्वालावलीशो पिता:सर्वेवारिधयस्तवारिवनितानेत्रांबुभिःपूरिताः॥७॥देवत्वद्भुजदंडदर्पगरिमोद्गीर्णप्रतापानउज्वालापकि मकीर्तिपारदघरीविस्फोरिताविंदवः॥शेषाहिकतिः तारकाःकतिकतिक्षीरांबुधिःकत्सपिपालेयाचल शंख For Private And Personal Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ JI1 I shi Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyalarit निकरकाक'रकुंदेवः।चिंतागंभारकूपादनवरतचलरिशोकारपट्टव्पारुष्टंनिश्वसंत्यःपृथुनयनपरी यंत्रनिर्मुक्त धानासावंशपणालीविषमपथपनाष्पपानीयमेतारामत्वरिनार्यःकुचकलशयुगेनान्वहंसंवह नि॥७९॥गर्वावेशविशालरावणभुजप्रोद्यसत्तापानलज्वालाजालनवांबुर कथमसौसातापनिर्वर्ण्यते॥यस्यारी निनृपाःरूपाणजलधीमग्ना:पुरोगौरवादत्युच्चेतियोभवतिचपुनर्मिलारवेर्मेडलं मला वलयंदशास्यदा मनत्वकीर्तिहंसीगतान्योग्निब्रह्ममरालसंगमवशात्सातत्रगुर्विण्यभूत्॥पश्यस्वर्गसरंगिणीपरिसरेकुंदावरान ययामुक्तं मानिनवीनमंडकमिदंशानयुत्तेर्मेडलं ॥संयामांगणमागतेनभवनाचापेसमारोपितेरामाकर्णय येनयेनसहसाययत्समासादिता कोदंडेनशराः शरैररिशिरस्तेनापिभूमंडलंतेनबंभवताचकीर्तिरतुलाकीर्त्याचलोकत्रयं॥२॥पूर्णेदुःकरकंदुकोहिमगिरि कीडाविहारस्थलीताराधिहदीर्घिकापियसखीवाचांपतिर्देव ता॥शल्यादिग्गजराजरंतवलमीखकार्तिकन्यारुतेपांचालीमिथुनंव्यधायिविधिनागौरीगिरीशावपि।।३।। For Private And Personal Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shif Maltavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyan ang रा.प्र. ||संग्रामोदिवसायनेनवाजःपूर्वाचलेंद्रापनेलकोधोप्परुणायतेतवलसच्छोर्यप्रकाशायत सशनिमिरायनेन, दवलाहृत्सूर्यकांतायतेवकीर्तिःकमलायतेरघुपतेवत्स्वङ्गसूर्यद्युतेः॥४॥आरुष्टेयुधिकार्मुकेरपुपनेर्वा मोब वाइसिणंपुण्यकर्मणिशोजनेचमभवतःप्रागल्सयमस्मिन्नकिंवामान्यःपुनरववीन्ममनी:पृच्छाम्यहरवामि नंछियांरावणवक्रपंक्तिमथचेत्येकैकमादिश्यतांकार्निस्तवक्षितिपयानिशुजंगगेहंमातंगसंगमकरीच दिगंतरेषु।त्यकांवरंबजतिनंदनमप्यगम्यंकिंकिंकरोतिननिरर्गलनांगतास्त्रीः॥६॥सत्संसाबहरूपिणीसमाना। वसिलिस्वरूपाभवत्कार्तिःश्रीरघुवंशरलविमलाजागर्तिविश्वोदरे॥स्मापारेरिपुमंदिरेनूपपुरेरलाकरेनिर्झरेको तारेगिरिशेरवरेविषधरागारेनथैवांबरे॥७॥देवेदिम्किनयोद्यतेपरिपनकांबोजवाहावलीवेगोल्लेरयविसर्पिणि || सितिरजःपुंजेवियचुंबनिभानोर्वाजिभिरंगभूषणरसानंदःसमासादितोलब्धःकिंचनामस्ठलामरधुनीपंकेरु हैरन्वयः॥ आबाल्याधिगमान्मयैवगमितःकोटिंपरामुन्नतेरस्मसंकथनेनपार्थिवगुरुसंप्रत्ययंलज्जना For Private And Personal Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org lil Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyat her त्यस्विनइवात्मजेनयशसादत्तावलंबोंबुधैर्यानस्तीरतपोवनानिसहसार-धोगुणारांगणः॥९॥स्पृष्टस्वस्तार नीललारनिलकातारास्मूिषावलीनसशकपालिनीहिमगिरिदंडकर विनतीकुर्वाणासयदृष्टनएमखिलं.-1 राजेंदजालंहिषांत्रैलोक्योनरनेसदाविजयतेकीर्निर्महायोगिनी॥९०)कारःफणिपुंगवंफणिगणीगंगांतरंग सनर्भर्गोमंदरवैरवैतितमपिस्चःकुंभिनंजमहत्।।अस्माभिर्बतबुख्यतांक थमसोस्वामीतिताराव्यधुश्चंदेचिन्ह मयंकलंकमभितोरवासयत्कीर्तिष॥१॥महाराजश्रीमनजगतियशसातेधवलितपयःपारावारंपरमपुरुषोयं|| | मृगयते। कपर्दीकैलासंकुलिशभिदओमकारवरंकलानाथराहुःकमलभवनोहंसमधुना॥१२॥बीजंचिंतामणि श्वेत्कनकगिरितीजन्मभूमि वेश्चेत्सेकीचेकामधेनुर्निधिकुलमखिलंमूलसंस्कारमचेत् वित्तेशोरसिनाचे सरसिजनिलयामंजरीचेत्तदास्यादामस्मापालमौलेतवभुजलतयाकल्पवृक्षःसहक्षः।। ९३॥राजन्विजनिमुताभुवनारतामंकुरतिहिपानांदताःपातालमूलेसरलतरजराजालतिव्यालराजः॥स्ववाहिन्याःप्रवाहापिय|| For Private And Personal Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ shk Mal vir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyathand! निकिसलयंसालवालंनियाथोनाथाःपुष्यंतिनाराःफलनिहिमकरस्त्वयशःपादपस्य ॥३॥चंद्रेलक्ष्मधिपुरजयिनःक ग्मंगमुरारेड्-िनागानांमरजलमषीमाजिगंडस्ललानिअयाप्पुविलयतिलकण्यामलिग्मोनलिसान्युद्धासंतेवा स्थवलितंकियशोभिस्त्वदीयैः॥९४॥ौटींधत्तांकलासुप्रथयतुकुमुदंसत्पथेसंचरेहानेवानंदंविधत्तामवतुचविबुधा नस्तुराजातथापिादोषान्चेषीकलंकीसहजजडतनुसतयःपक्षपातीनक्षत्रेशःकथंवाकलयतुतुलनांरामचंदेणचंदः। ९५॥नृपतिमुकुटरलवरयाणप्रशस्तिप्लवगपदनमनिर्भराकांतमोगः॥लिरवतिदशनटंकैरुन्नमदिनमद्भिर्जस्ट कमठार्नु:रपपरेसर्पराजः॥९॥आदायप्रतिपसकीर्तिनिवहानब्रत्मांडभूषांतरेनिर्विघ्नंधमतानितांतमुदिनैः स्वैरेव |नेजोमिभिः।तत्ताडक्युटपाकशोधितभिवप्राप्तगुणोत्कर्षिणापिंडस्छंचमहत्तरंचनवतानिःसारतारंयशः॥९॥रू | खाछेदमयांनिधेगिरिवरैःसंशोध्यलंकावणंशल्यंरावपाललणंत्रिजगतांकुसोल्लिनंदक्षिणायोमूलादुरमूलयल्लघु || करःपायात्सवोवेयराइसिखायेनविभीषणोषधवरंपट्टाभिबंधःकृतः॥९॥सीरसालितपांचजन्यकिरण भीगर्वस For Private And Personal Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Sho Maravir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gya | बैंकषा:श्रीमद्वामनृपप्रतापनिलयत्वत्कीर्त्तिविस्फूर्त्तयः।। कैलासंतिहिमाचलंतिविकसकुंदंतिकंदंतिच सीरोदंतिह लायुधंतिविबुधाहारंतिहीरंतिच॥९९॥ योजं भंहतवान्सयेनविजितोदेवः सुरग्रामणीर्ज्याबंधंविद घेनिशाचरप तितंकार्त्तवीर्योर्जुनः। नद्दोः खंडदवानलोभृगुपतिर्निर्जित्यतंचत्वयामालेयंजयसंपदांविरचितात्तस्मात्त्वमयेच ||रः ॥ १००॥ बीरक्षीरसमुद्रसांद्रलहरी लावण्यलक्ष्मीमुषस्त्वत्कीर्तेस्तुलनांकलंकमलिनो धत्तेक थंचंद्रमाः। स्यादेतत्त्व दरातिसौधवल भीमोद्भुतदूर्वांकुरयासव्यग्रमतिः पतेद्यदिपुनस्तस्यांक शायीमृगः ।।१।। त्वंसर्वदानृपतिचंद्रजयश्रि योर्थीस्वमेपिनप्रणयिनी भवतोहमासं ॥ इत्यंभियाकुपितयेव रिपून्त्रजंत्याव्याजिधिरेसमरकेलिसुरवानितस्य |||२॥ देवाधिपोवा भुजगाधिपोवानराधिपोवायदिहैहयः स्यां ।। संदर्शनंतेगुणकीर्त्तनंतेसेवांजलिंतेतदहं विदध्यां | ॥३॥ जात्यं धत्वमभिष्टुतंसवदितैर्दत्तंजलतैर्दृशोदृष्टिसृष्टवतोविधेर्भगवतः क्लेशश्चतैर्भावितः। येषांताडयितुस्थि |तेत्वयिजवान्मारीचमायामृगंद्राक्दैवादनुपेयुषादिविषदांजातेदृथाच क्षषी ॥४॥ पौलस्त्यस्यावमानंत्रिदशपति For Private And Personal Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyan ११ स्व०प्र० सुतश्चक्रवर्तीकपीनांकर्त्तासंध्यासमाधैर्जलनिधिषुचतुर्दिङ्-निकुंजाश्रितेषु)) किष्किंधांराजधानी भुजपरिघब | लात्त्रायमाणस्त्वयासोवाली हेमामाली गुणनिधिरमुनानिर्जिनोदक्षिणस्यां ॥५॥श्रीमंयज्जलधिंजवेनहनु मानुल्लंघ्यलंकांगतो यच्चाशोकमहावनंदलितवानसंचय क्षण्णवान्॥ सीतोपायनमौलिरलसहितः प्राप्तश्वय त्वामसौतत्राप्येष भवस्त्रतापमहिमानिर्येत्रणकारणं॥६॥ द्दारंखङ्गिभिरावृतंबहिरपिप्रक्लिन्नगंडैर्गजैरंतः कंचुकि| भिर्लसन्मणिधेरैरध्यासिता भूमयः ।। आक्रांतंमहिषीभिरेवशयनंत्वद्दिद्दिषांमदिरेराजन्सैवचिरंतनप्रणयिनी | न्येपिराज्यस्थितिः ॥ ७॥ राजन्राजसुतोनपाठायतिमांदेव्योपितूष्णीस्विताः कुब्जेभोजयमकुमारकुशलंनाद्यापि किं भुज्नसे ॥ इत्थं केलि शुकस्तवारिसदनेमुक्तोध्वगै:पंजराश्वित्रस्थान यवी स्य शून्यवल्लभीषेकैकमा भाषते ॥ ८ ॥ धीराधीरधरामहीशगणनेकौतूहली यानसौ धानात्वद्गणनेचकारविव्कारखडेनरेषांदिवि ।। सेयंस्वर्गतरंगिणीस मभवत्वत्तुल्य भूमीधवा भावात्नांत्यजति स्मसोयमवनीपीठेतुषाराचलः ॥९॥ धत्तेनायकरामतावक्रयशोरामेश For Private And Personal रा० ७ ११ Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ sh a r Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gylmalbir शांकेमाबाहेस्वर्गगजेहरेफणिपतौराण्यांहोमिअन्येपांनुतदंबरेतरहिनेतन्यंजनेतन्मदेनत्कंठेचतदीसणेन रिलकेनसोथकेनत्तये॥१०॥श्रीमन्नायकरामचंदभवतःपाणीरूपाणंरणेदृष्ट्वायद्यदभूदरिक्षिनिजांतत्तत्समावणे याअंगेवेपथुरंधनानयनयोर्वकेतृणभूयसंप्रीतिश्चेत्तसिवाचिसंस्तुतिकथाहस्तद्वयंमस्तके॥११॥करकंपितरवड यटिभीमरणसन्नाहितरामनाथवीरेअरिभूमदमर्मसुंदरीणांचलन्दक्षिणवामलोचनानि आकृष्टे कवचादहीदरसनातुल्येरुपाणेवयाश्रीमन्नायकरामचंदभवतःप्रत्यर्थिनांवेश्भसु॥गाईतेसहसालुलायचमरीश ईलशारयाचरीरलोयक्षसगालकोलशलाडल्लूकमिल्लादयः।।१३।।गंडाःपांडिमसात्तनूस्तनिमसात्यक्ष्मावली वाष्पसात्कीरपंजरसानमनोविरहसात्कंगपिकैवल्यसात्॥आसनरामचमूवरेण्यभवतःप्रत्यर्थिवामानुवाको दंडेपरिवेषभाजिविजयश्रीसाधनायोधन॥१४॥साधणकथंगणंतुयमुनावणीरुपाणींचतेश्रीमदामचमूब रेण्यकवयोवानमासिदांतिनः॥नाकृष्टांहलिनानकालियविषकांनधाराजडांनछायाजनितांनवऋबहुलांना For Private And Personal Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Sharifvir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyamandir सभंगांकचित्॥१५॥देवखामसमानदाननिहितैरथैःकताकितेत्रैलोक्यफलभारभंगुरशिराःकत्सदुमोनिंद निाटकछेदनवेदनाविरमणासंजातसौरव्यस्तितिःप्राचीनवणतांगरोहणतयात्रीरोहणस्तौतिच॥१६/पा तालेमंजुमूलंफणिपतिरमितःकीर्तिवल्लेस्तवेषास्थूणाकेलासशैलोगगनभिहमहामंडपःपांडुदंडाः॥दंतीदस्थूल दंनादलततिरतुलाशारदवाणिसारास्तारा-पुष्पाणिचंद्रःफलमिदममलंरामराजेंद्रमन्ये॥१७॥परिहरतपरांग ॥ नानुषंगबत्तयदिजीवितमस्तिवल्लभवः॥हरिहरिहरिणीशोनिमित्तंदशदशाकंधरमोलयोलुनि॥१०॥राकएव । महान्दोषोभवतांविमलेकुलोलुपंतिपूर्वजांकार्निजाताजातागुणाधिकाः ॥१९॥रामःकिंकुरुतेनकिंचिदपिच प्राप्तययोधेस्तठकस्मात्सांप्रतमेवमेवतरहोवसःकिंमभोनिधिः॥कीडाशि:किमसोनवेतिपुरतोलंकापनिवर्त्त तेजानात्येवविभीषणोस्यनिकरेलंकायदेस्थापितः॥२०॥वंगाःकेमीपतंगाःसुरकररिपटाः किंकलिंगाःकुरंगा स्तैलंगारत्यक्तलिंगास्त्वयिचलतिरणक्षोणिमंगानिरंगाः॥शंकेलंकेश्वरोपित्तदुपचितचमूचंक्रमोधूतधूलिधा For Private And Personal Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Skl avir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyalari राजानानिवारांनिधिनिहितमहासेतुमास्कंदहेतुं॥२०॥त्वचेत्कल्पतरुर्वयंसुमनसत्त्वंचेत्सुधात्माकला संपूर्णच । यमिधरोयदिभवान्वछाविभूतिर्वया संपूर्ण:कमलाकरोयदिभवानश्रीराजहंसावयंस्वामिस्त्वंशृणुरामचंद्रन पतेफिकिनगंवयं॥२२॥एकंकर्णलताविभूषणमभूनागाव्हयनागराकंटेस्यालठितंसुरेश्वरसरिन्मुक्तालता तथा|अंघौनूपुरभिंदुमंडलमभूत्तनुत्समत्वांपरस्त्रीभावअहिलेवयाचनितरांश्रीरामकीर्तिस्तवाशाकामत्यः सनकोमलांगुलिगलगत्तैःसदपिछली पादैःकल्पितयावकै परिपनहाप्पांबुधौनाननाः॥ीताभर्तकरावलंधित करास्वच्छत्रुनार्योधुनादावामिपरितोषामंनिपुनरप्युयहिवाहादर॥२४॥नाताःपारषिवारिषाहसलिलैःसंरून्दू कुरव्याजेनात्तकुशाःप्रणालसलिलैलानिवापांजलीन्॥प्रासादास्तषविहिषांपरिपत्तत्कुड्यस्थपिंडच्छलात्कुर्व निप्रतिवासरंनिजपतिप्रेतेषुपिंडकियां॥२५॥संवृत्तेरणतूर्यभैरववेकायेनतेकंचुकोयुधपोयुषितेममौनतद। सेहेकृपाण क्वचित्॥स्वकोशस्ललमत्यजदलितवानदृष्टंपरेषांचतन्देवचौकसिहंततधुवयोप्यौजन्यरत्यायया। For Private And Personal Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ख०म० १३ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gandir | २६ ।। तस्मिन्विजने वनेननुमरुच्छन्नावकाशे सुखं तिष्शमीनितवद्विषामधिपतिर्यावद्दिधत्तेष्टतिं॥नावनत्रनिपातितं रा० भुविभवन्नामांक शल्याहतं दृष्ट्वाकेसरिणः कदंबमसहवासी मुहुर्मुर्द्धनि ॥२७॥ एत्यद्दारितनोनित्य सहसा भूयः स मालोकयन्नर्धोल्लंघितदेहलीनरलितः कोणेतुदत्वादृशं गत्वा किंचिदथाग्रतोबहिस्थ स्वित्वाचललं धरोविश्वस्तस्त | ववैरिवास भवनेशेनेसृगालः सुखं ॥ २८॥ मातीतः पाथपंथाबजतिननुक थंस्थावरं वर्त्ममुग्धेमार्ग पृच्छामिपृच्छस्त्रि तिमिहमहिते विस्मितंत्री क्ष्यनेत्रं ॥ अध्वानंब्रूह्ययेतध्वनिभवतिवचश्वित्रमित्यवचोभिर्हास्यतेदावदग्धाः पथिपथि । | कविटैस्त्वद्दिषांदेवनार्यः ।। २९॥ अयिखलुविषमःप्राकृतानां भवतिहिजंतुषुकर्मणां विपाकः ॥ कनुकुलमकलंक| मायताक्ष्याः वचदशकंधरसंगमापवादः ।। ३० ।। अभिखलु ॥ हरशिरसिशिरांसियानिरेजुर्हर हरतानिलुठं निगृध यादैः३१अयिरवलुवि०॥ कजनकतनयाक्वराम भार्याक्वचदशकं धरमंदिरे निवासः॥३२॥ त्वसारब्धप्रचंडप्रधननिध नित्तारातिवीरा रककीडकीलालकुल्यावलिभिरल भतस्पंदमाकंद सुर्वी दंभो लिस्तंभ भारद्भुज भुजगजग For Private And Personal १३ Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Sh Manavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyarpapp द्वर्त्तुरा भर्तुरेनांतेनायंमूर्भिरत्नद्युतिततिभिषतः शोभते शोणभावः ॥ ३३॥ देवत्वद्विजयेतुरंगमखुरबात सत क्ष्मान | लोधूतेरजसः परागपटले दिक्चक्रमाक्रामति ॥ अक्ष्णापंक्ति शतानिनिंदतिनिजां हस्तद्वयी निंदनिस्वानिंदत्यनि मेषतांपरिपतद्वाष्यांबुधारोहरिः ॥ ३४॥ कांतास्मद्दैचगत्यास्फुटमयिगलितान्यंतराले सुपक्कान्युड्डीयोड्डीयभूय| स्तरु शिखरिशिरखामे वतान्याश्रयंते ।। इत्यंखद्वैरिनारीगिरिषुरघुपतेजंबुलंजकदंबांत्या भर्तुर्बुभुक्षाः कथयति पुरतश्वेष्टितंषट्पदानां ॥३५॥ अंतः कर्तुमनामुपैतिसहसापंकः पुनः पांसुनारैणुर्वारणकर्णताल गलैर्दिग्यांत नीहा रतां निम्नत्वं गिरयः समविषमतांन्यूनंजनाकीर्णतांनिर्यातेत्वयिरामचंद्रनृपतेत्यक्त स्वरूपं जगत् ॥ ३६ ॥ देवत्व ||जदंडचंडिमचमत्कारप्रतापानलज्वालाजाल भयादिवाभिविशतिक्षीरांबुधौमाधवः।। भर्गः स्वर्गधुनींदधातिशिर | सात्यक्तत्रिलोकीरुतिर्वेधाः किंतुमुहु: कमंडलुजलैरात्मानमासिंचति ॥ ३७॥ देवब्रह्मांडफांडेसदसि विकसितन्या यनांदी निनादेभूतेशप्रीतिहेतोर्भुवनधवलनंनाटकंनान्यंत्याः‍ 1ः त्वत्कीर्तेर्मूर्त्तमोमीकुसुदनुसुदिनीकांत कर्पूरकुंद For Private And Personal Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ shd Marly vir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyathan १४ सीराधिसारमुक्तामणिविबुधसरितारकाशेषशरवाः॥३॥देवखमलयाचलोसिभवतःश्रीखंडशारवा जस्त स्मिन्कालभुजंगमोनिवसतिस्फूर्जरूपाणच्छलात्॥एषःस्वांगमनर्गलंरिपुनरुस्कंधेषुसंघटयन्दीर्घव्योमवि || सारिनिर्मलयशोनिर्मोकमुन्मुचनि॥३९॥आलानंजयकुंजरस्यहषदांसेतुर्दिषहारिधेःपूर्वादिःकरगलचंडमह सोलालोपधानंत्रियः।संग्रामामृतसागरप्रमथनक्रीडाविधीमंदरोराजनाजतिवैरिराजवनितावैधव्यदरते| करः॥४०॥वेदांभःकणमंडलानिरखुरलारखेलोद्भवान्यन्वहंलदाहामशयन्महाबलइतिव्यानिंगतोमारुनः॥ संचास्वायमुहुःसहस्रफणताशालीपलीयानहित्तिकोमलकोमलैरपिफणे:श्रीरामचंद्र स्थिरां॥४॥देवसद्गज वाजिपंक्तिपटलपोत्थूतधूलीमरैराकाशंवसुधायनेरपरकरःसोमायतेनियमः॥किंचाधोभरकुंचितेःफणवता नाथःसकूर्मायनको भोगपतीयतेकिंमपरावायत्तेवासरः।।१२।लावण्योकसिसप्रतापगरिमण्ययेसरेत्या-11 गिनांदेवत्वय्यवनी परसमनुजेनिष्पादिनेवेधसा। इंदुःकिंपरितःकिमेषविहिनःपूषाकिमुसारिनचिनारलमहो For Private And Personal Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shn Malvir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyatmargir सुधैवकिममीसष्ठाःकुलहमारतः॥४३॥श्रीरामेमृगयांगतेपियनुषाबाणेसमारोपितेप्याकर्णानगतेपिमुष्टिगा रितेप्यणांधिलग्नेपिचानजस्तनपलायितनचकितनीकंपितंनोद्वतंमृग्यामहशगंकरोतिरयितंकामोयमित्या शया॥४४॥मनोभूर्मुग्धामुतिपनियदिवाणावलिमसोकथंनामिलितास्वयिनयनविलेपधिशिस्वाप्रथा ज्ञातंब्रूमः पृणुसुभगभंगारनलिनीनवकीडाहंसस्मरमिवविदस्त्वांमगरशः॥४५॥नागविशेषेशशेषशोषेशोषेपि संहनेजगतिपसिकालंकालंकालंकालंघनेस्तुनिर्भवतः॥४॥अथायोस्वावधीत्तान्सपरिपलभुनःसंपराये परायेयेनायेनाश्रितानांस्तुविषनमिते शानचापेनचापेालंकालंकारहकिकुभिजकुतियःकांतयासीतया सीदूनोदूनोथहष्टःसचिमुरवतुवःस्वःसभार्य:समायः॥४७॥योरामोनजपानवससिरणेतंरावणंसायंकर्टयस्यानिवासरंचसनिसातस्यामहरापरावः॥मय्यानेभुवनावलीपरिरना पैःसमसमभिःसरोधिधातु तुनस्त्रिभुवसबाणैकचिंतापरः॥४८॥संग्रामेरिपुमशुजांमुषरुचि वनदेगंगनावमोल्लसदसमांसनिव For Private And Personal Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ shd Mad vir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyathara हैतन्मेदिनीमंडलं त्वचाफ्स्त बाणसंहनिरभूत्थीरामभूमापनेनंबूपन्जलबिंदुकजलजवज्जंगलवज्जालवन । |॥४९॥ खंडलोदमृदिस्ठलेमधुपयःकादंबिनीतर्पणातहष्णरोहतिदोहरेनपयसापिंडेनचेसुंड्रफः सदाहादबसे चनैर्यदिफलंधत्तेतदराबहिरामुद्देशायनतोप्युदेतिमधुराधारेतमझत्ययः॥५०॥कोशानगेहेष्वमुचनपथिक रितरगानबांधवानर्धमार्गदुर्गेचंतःपुराणिप्रतिरवचकिताःपर्वते योनिरत्ताः॥यस्योद्योगमंतःसमसमया समारंभगंभीरमेरोमांकाराकीर्णकर्णज्वरारतरला पोझ्झिनाशाःक्षितीशाः॥५१॥ मुरारातिर्ल मांत्रिपुरविन यीचामृतकरंकरीपौलोमीपतिरपिचलेोजलविधेः। त्वयाकिंस्विल्लयकथयमथिनोमंदरगिरेशारण्यःशैलानी यदयमदयरलनिलयः॥५२॥हभानिजगविधामगगनविश्वंचतुर्दैवपंचाम्नायमयंनुवाङ्मयमिदंषट्साय कोमन्मथः॥सप्तर्तुःपरिवत्सरोष्टजलधिस्फारंधरामंडलंदिचकनवनायकंरघुपतेदेवखयिवानरि॥५३॥राज्यये नपरांतलग्नतृणवत्त्यतंगुरोराज्ञयापाथेयंपरिणत्यकार्मुकवरंपोरंवनपस्थितः॥स्वाधीनःशशिमौलिचापा १५ For Private And Personal Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shimar Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyahmallit | विषयेप्राप्तानवैधिक्रियांपायाइ सवित्रीपणाम्जनिहारामाभिधानोहरिः॥५४॥नतृणानिनचतोयानिदेवरि ग्विजयोद्यते। विनात्वदरिवाणितन्नारीनयनानिच॥५५॥ यस्तीर्थानामुपास्त्यागलिनमलप्तरंमन्यनेचस्व ।। मेवनाज्ञासीनजिनेयन्ममरणरजःपानपूनान्यमूनि॥पादस्पर्शेनकुर्वन्झटितिविधग्नियावभावामहल्यांकौ । |सल्यासूनुरूपव्यपनयतुसवःश्रेयसाचश्रियाच॥५६॥आलाष्टिःसुरवसंपदांसुमहत्तामुच्चाटणंचांदसामाचां|| डालसमस्नलोकसुलवश्यंचमुक्तेमस्वयः॥नोदीक्षानचदक्षिणानचपुस्चर्यामनाकश्यनेमंत्रोयंरसनास्पगेका फलतिश्रीरामनामाशियः॥५६॥अधासिन्नोलंकामयमयमुदन्यनमनर शिल्यासौमित्ररयमुपनिनायौष । |धिवरां॥ इनिस्मा स्मारंवदरिनगरीभिनिषुगतंहनूमंतरतैर्दशनिकुपितोराक्षसगणः॥ ५९॥गांशार्पणमहोद येनशरणत्राणेनमर्यादयासर्वाशापरिपूरणेनमहनास्लैर्येणधैर्येणचा नायंलामनुकर्नुमिच्छनितरांपारांनिधिः । कित्वसौपीतोवानरलधिनःप्रमथिनोबदःश्रियात्याजिनः॥६गादेवश्रीनृपरामचंदभवनोदिग्जैवयात्रासवेधाव । For Private And Personal Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६ स्पे०प्र० द्दीरतुरंगचंच लखुर कण्ण समामंडलात् ॥ वातोत्थूनरजोभिठत्सुरनदी संजातपंकरछलीदुर्वाचुंबनचंचवोहरि रा० हयास्तेनैवरथिर्दिने ॥ ६१ ॥ कर्पूरप्रतिपथिनो हिमगिरिग्रावायसंघर्षिणः क्षीरां भोनिधिमध्यगर्वजयिनोगंगो घसर्वकषाः।। स्वच्छंदहरिचंदनद्युतिनुदः कुंदेंदुसंवासिनस्तस्यासन्नरविंदकंदरुचयोनेकेगुणाः केचन ।। १६२ || माद्यतंड गंडच्युतमदलहरीसंचर चंचरीकीचंचत्संगीततुल्याः कविभुवनभुवस्ताः पुरस्ताद्भवंति। पश्चादचंनि तेषामुपरिकरुणयाराम भूपालमौलेव्यावतान्मुग्धदुग्धांबुनिधिधवलिमाबन्त्धक साः कटाक्षाः ॥ ६३ ॥ यङ्कीजा निसुमौक्तिकानिकरिणादंताश्वयत्स्वांकुरायत्यत्राणिशरना हिमगिरिर्यस्यप्रकांडोमहान्।। यत्पुष्पाणिचतार काहिमकरः सोसोफलंसुदरं श्रत्मांडोपवनेनकीर्त्तिविटपीतेवीरसंवर्त्यते॥६४॥ इंदुनिदतिचंदनंनसहते विद्वेष्टि पंकेरुहंहारंभारमवैतिनैवकुस्तेकर्पूरपूरेमनः। स्वगैंगामवगाहते हिमगिरिंगाउँसमालिगतित्वत्कीतिर्विहा तुरेवऩमनागेकत्रवि श्राम्यति ॥६५॥ यन्नामसंसर्गव शेनवर्णैमकाररेफोब्रजतः सदोर्ध्वं ॥ वर्णेषु तन्नामज " Maavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org For Private And Personal Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanm १६ Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ s a vir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyakanth पानुषंगादेहीकथंनोर्ध्वगतिप्रयाति॥६६॥बमोनिर्भयमद्यनास्तिविदुषांदोषोगिरामुत्सवेत्साह दे वनवी सितो विपरोनिस्त्रिंशहस्तोनृपः॥दुर्वारप्रसरणयेनसमरेप्रत्यर्थिपृथ्वीभुजांकीर्ति कल्मषमेकमंबरमपि दाटूरतस्त्याजिन॥६॥अस्माकंपरमंदिरस्यचरितंयद्यप्यवाच्यंफावल्यामीत्वंकथयामितेनभावतःकिंचि सियादूपण श्रीमद्रामरुतस्त्वयारणमुखेपाणियहःसादरंयस्याःसासिलतापरस्पदयेदृष्टालुटतीमया ॥६॥ममायेरिपवोनिरुत्यभवत्तोनिस्त्रिंशधाराजलेतत्कांनाःकरुणाकरेणभवताव्यारुष्यहन्मंडलात्॥ श्रीमहामनिवेशितागुरुपतच्चकेकमाझ्यासतोबाष्योयूरमिषात्यजनिबुहुशःश्रोत्रांतरस्छंपयः॥६॥वर्षा सुषीममवशांघिशुभुजंगमेकंनिगृत्यशिरसिस्छिनमजनासामन्येतवारिनगरशाबरःसंशकमादित्स कनकमुष्टिकृपाणलोमान्॥७॥आलेसीमंतचिन्हेमरकतनिधित्तेहेमताकपत्रेलुप्तायोमेश्वलायांझ रितिमणितुलाकोठियुग्मेगृहीते।शोणचिंबोष्ठकात्यावररिमृगशामिवरीणामरण्येराजन[जाफलानां For Private And Personal Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gymandir १७ स्व०प्र० सजइवशबरानैवहारहरती ॥७१॥ छिंद्याद्रः कलिकल्मषांधतमसंदैत्याधिनाथांगनावक्रां भोजविचित्रपत्ररच | नाविच्छेदवज्वानलः॥ देवो दाशरथिः सयेनजलधोरांगां धरसोवधूवैधव्याध्वरयूपयष्टिपरमः सेतुः समारोपितः | ॥७२॥ रामो दाशरथिर्दशास्यदमनो ध्वस्तासुरोपयुकः क्षोणी सुण्णसुरारिसंह तिमुरवस्वावासवर्णाश्रमांक वापातुजगंत्यमेयचरितः स्थित्यैप्रजानां तुश्चक्रे चित्रवधूंष्यनेकनयनैर्यज्ञेषुयः पौरुषैः।। ७३ ।। शुष्के गंभीरनी ||रेतिमिमकरहरिव्यालक्कूर्मादिजीवायास्यतेरामनाशंजल विरहरुजापूर्वजानांचकीर्त्ति ॥ तत्रोपायनयज्ञ शृणुधि मलमतेसागरी कीर्तिरेषाभ्रंशंनोयातिसेतीप्रभवतिचतथा भूषणंसैन्यमार्गः ॥ ७४॥ अथश्रीकृष्णः।। ||कौंतेयस्यसहायतांकरुणयाकृत्वाविनीतात्मनोयेनोडं पितसत्पथः कुरुपतिश्वकेकृतांतातिथिः ॥ त्रैलोक्यस्थि |तिसूत्रधा रतिलकोदेवः सवः संपदेसा धूनामसुराधिनाथमथनःस्याद्देवकीनंदनः ॥ ७५॥ श्याम्यन्मंदरकदरीदर ||दरीच्यावर्त्तिभिर्वारिधेःकल्लोलैरलमाकुलं कलयतोलक्ष्मी मुखां भोरुहं औत्सुक्यात्तरलाःस्मराद्दिकसिताफी " For Private And Personal १० Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ situaffir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyulmapir त्यासमाकुंचिनाःक्रोधेनजलितामुराविकसिता:शौरेशःपातुवः॥७६॥रलानानंगवारेबहरबउगुनान्के शिचाणूरमुरब्यान्दत्ताशीवरंदैईसितसितकणेर्योतयन्दिविभागानोत्सत्योचमंचाहतकचविभुस्पस्ता कंसंजपानश्रीशःसारीसहायःसाभवतुभवतांभूतयेगलमूर्तिः॥७७॥अथबौडः॥षट्चक्रममभावनापार गतंहत्पनमध्यस्ठितंतंपश्यंश्चिवरूपिणंलयवशादात्मानमध्याश्रितायुभाकंमधुसूदनोबुधवपुर्धारीमा यानदेयस्तिष्ठन्कमलासनेकतरुचिर्बुस्पैःकलिंगाकृतिः॥१७८)बध्याप्रमासनंयोनयेनयुगमिदंयस्यमा सायदेशेषत्वामुक्तीचशांतीसमरसमिलिनौचंद्रसूर्यारण्यगतौ ।।पश्यन्नंतथुिकिमपिचपरमज्योति राकारहीनसौरव्यांभोयौनिमग्नःसदिशतुभवनांज्ञानबोधोबुधोय।।१७९) रेतोरक्तमयान्यमूनिभवने विप्नपूर्णोदराण्यालोक्यवकलेवराणिविगलतोयाधुरंध्राणियः।।मायाजालनियंत्रितानिश्णयायु मालयसंसिणी निर्याजप्रणिधाननिश्चलमनिर्बुध्यसबुस्योस्तुवः॥१०॥अथकल्कीप्रारंभरिबहानि ।। For Private And Personal Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Sh Mahavir Jain Aradhana Kendra खं०प्र० ૧ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyarha नरंगमुन्मनगजग्राह प्रगल्भटव्याला स्फुटपुडरीकनिलयडिंडीरपिंडावलिं ॥ मेंच्छानीकमहार्णवंसुति क उलेस यागकल्पायुधोयधोर्वाग्निरिवाभवद्यतुसवःकल्कानिकल्कीहरिः ॥१०१॥ आरुत्यायनस्फटिक | गिरिसमंसंगरैको रिमो विकाकुंतंकरायेज्वलदनलशिवायुक्तसरक्तनेत्रः।। हत्वाम्लेलांश्चसर्वान्रण भुवि । निमिषार्धेनतान्लीलयायः पायादुः पद्मनाभः कृतयुगरचनाविष्टबुत्सिः सकल्की ।। १८२ ॥ मरख्यातोमथुरापु अत्रभवतः प्राहरूपयोदद्युतिर्बालः कालइवद्दिषांदलथिनादैत्येश्वराणांकिल ॥ कल्कीकल्ककलंकिनेकलियु यौनसमुत्पत्स्यतेदेवः पद्मायताक्षः सचदनुजरिपुस्वायतांकल्क शाहः ।। १८२ ॥ इतिश्रीमडनुमद्दिरचिताखंड प्रशस्तिः संपूर्णी ॥ श्रीसीतारामार्पणमस्तु ॥ हें पुस्तक मुंबईत ग्रंथप्रकाशक छापखान्यांत छापिलें शके १७८२ ॥ छ 1188 B For Private And Personal 19 X Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ An Mhavir Jain Aradhana Kendra www kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyi mark For Private And Personal Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org इतिदशावतारखंड प्रशस्तिसमाप्ताः For Private And Personal Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri 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