Book Title: Yashstilak ka Sanskrutik Adhyayana
Author(s): Gokulchandra Jain
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 391
________________ २८६ अनुक्रमणिका अंश १७३ ___ अ अंशुक १०, ११, १२१, १२५, १२९, अंकुश १६, २०९ १३० अंग १४०, १६५, १७९, २५७, २६७, अंसुय १३० अकलंक १६१, १६५ अंगद १३, १४७ अकलंक न्याय १४ अंगयष्टि २३५ अक्षमाला २३५ अंगरक्षक १३२ अक्षांश २७० अंगविज्जा ९९ अक्षोल ९८ अंगारपाचित ९, १०२ अखरोट ९८ अंगिरा ७७ अगरचंदन १२३ अंगुली १३, १४०,६१४८, २१० अगरु १३, १५७, १९० अंगुलीयक १३, १४०, १४८ अगस्ति ९७, १०३ अंगूठी १४८, १९७ अगस्त्य ९७, १६६ अंगूर ११० अगहन ९२ अंगोछा १२ अग्नि १८, ६३, ९०, ९२, ११३, अंजन १३, १५७, १८४ १७१, २४३ अंडी ९७ अग्निदमन ९, ९७, १०३ . अंत:पुर १९, २०, ७४, १३७, २५३, । अग्निपुराण २१८ २७०, २९० अग्निमान्द्य ११५ अंतगडदसाओ १२७ अग्रवाल ( वासुदेवशरण) १२४, १२६ अंतरास्य १७३, १८३ अघमर्षण ७९ अंताखी नगरी १९३ अछूत ६६ अंत्यज ७, ६१, १०६ अज ४५ अंध्र २१, २६९ अजगव २०२ अंभ श्यामाक ९२ अजंता १४३, १४४, १५६ . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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