Book Title: Yashstilak ka Sanskrutik Adhyayana
Author(s): Gokulchandra Jain
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 449
________________ पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान वाराणसीस्थित पार्श्वनाथ विद्याश्रम देश का प्रथम एवं अपने ढंग का एक ही जैन शोध-संस्थान है। यह गत ३१ वर्षों से जैनविद्या की निरन्तर सेवा करता आ रहा है। इसके तत्त्वावधान में अनेक छात्रों ने जैन विषयों का अध्ययन किया है व यूनिवर्सिटी से विविध उपाधियाँ प्राप्त की हैं। अब तक २० विद्वानों ने पी-एच० डी० एवं डी० लिट् के लिए प्रयत्न किया है जिनमें से अधिकांश को सफलता प्राप्त हुई है। वर्तमान में इस संस्थान में ५ शोधछात्र पी-एच० डी० के लिए प्रबन्ध लिखने में संलग्न हैं। प्रत्येक शोधछात्र को २०० रु० मासिक शोधवृत्ति दी जाती है। एम० ए० में जैन दर्शन का विशेष अध्ययन करने वाले प्रत्येक छात्र को ५० रु० मासिक छात्रवृत्ति देने की व्यवस्था है । संस्थानाध्यक्ष को एम० ए० की कक्षाओं में जैन दर्शन का अध्यापन करने तथा पी-एच० डी० के शोधछात्रों को निर्देशन देने की मान्यता बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से प्राप्त है। पार्श्वनाथ विद्याश्रम की स्थापना सन् १९३७ में हुई थी। इसका संचालन अमृतसरस्थित सोहनलाल जैनधर्म प्रचारक समिति द्वारा होता है। यह समिति एक्ट २१, सन् १८६० के अनुसार रजिस्टर्ड है तथा इन्कमटेक्स एक्ट सन् १९६१ के सेक्शन ८८ व १०० के अनुसार इसे आयकर-मुक्ति-प्रमाणपत्र प्राप्त है। समिति ने अब तक पार्श्वनाथ विद्याश्रम के निमित्त लगभग साढ़े सात लाख रुपये खर्च कर दिये हैं। संस्थान का निजी विशाल भवन है जिसमें पुस्तकालय, कार्यालय आदि हैं। अध्यक्ष एवं अन्य कर्मचारियों तथा छात्रों के निवास के लिए उपयुक्त आवास हैं। संस्थान से अब तक दस महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं। sont use any

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