Book Title: Yashovijayji Swahast Likhit Kruti Sangraha
Author(s): Yashovijay
Publisher: Yashobharti Jain Prakashan Samiti
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नानादिकलाप्रामुकेषवितानवागनुकजीवानोदशति पतनीजावोपमापक निजकत्याहारस्यानावादितिप्रतिवादमाजीनामुशवन्त मजिजावांतरोपमतमानप रामपतनावमंचाताप्रत्ययेविनेबमानजीवमफूमिपेनबारपानानअपवानिन्नयन माउत्सद्यमानमावसहमपन्याकारयतामएवानाघचघभिनिगझिनोरता विवित्रमंनवस्तत्रविधनप्रायश्चितप्रकारशापतिःप्रन्य कहानिःप्राणमयेप्राणा विरहितत्वदरनिवितदये धरनायोतिनताद्वारातविषण्मूलायोविशवातात्पवहे। तारनामाविशतधाचैकोशोदशकमू"विहायधविश्वन उदनादिसामुकंप्रयत। छाप्यागनुकाऊँचादप-पनकादयशमछात्रविशुरुकालेऽईशावविकिवयेनिमत्यरुज्ञानोतिबियन कानपश्पेनिपावरात्रोनबुजविमलरपतंगत्वातजामिलादीदिनालबाविषमदामदमाही शिबिममाहाताधकरणलपराचारनांचाएत्विातजमानमालगणविरा हयातीतारातानजोतंभात बारातोप्यरोपापानिवायादियाएमूलगुणाजमोजणविराहणजनतिताराताएननोनयमिता तथा

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