Book Title: Yashovijayji Swahast Likhit Kruti Sangraha
Author(s): Yashovijay
Publisher: Yashobharti Jain Prakashan Samiti
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दशाणभद्रराजर्मिस्वाध्याय, श्रीमेघमुनिवरविरचित. भा. गुज-पथ. अन्तिमपृष्ठ]
इयं प्रतिः वि.सं. १६६९ वर्षे सुरतबंदिरे गणिजसविलयन लिरिक्ता स्वहस्ताहारी।
सुरवरवाविपुकरणीअवतार वादियश्नवसरकालसुमधमुरुपअपार कमलकमलपुलावपापडीकर्मिकाप्रामार पिन्दरबत्रीमबिलांनाटकनावविविधानाद वचिबमजावडाणीमदित तवमानादरनाटकर देवादेवीवंद मामयतिकहिअंबरनृतलाक जवदमपुरनयरिवारवंदना उरासायमीमनमोहरवानिरवीत्रणमा मकक्रिहिगारवमिताडाजारामा एडारनामहिमानीन्मयत्तणिश्यघि एवचनकिमक्कदाकालेश्यायला गारु उजगिदमश्रू तवदहशाण तहराइदीच्यायदावारपामि तवमवइप्रणामिंगणघाणिमनिंबोनिया कविण्दनाप्रतिताधरी केवलमिरिवरिनघनघाताकम दूरी रीमावकमावशिवमलिवाघमालपदया यु श्रीवारमामणिमालाकारी बिजगविलकमुनिगा यु जगरामदार विजयमूरिराजरजमप्रतायमदीमामन्त्रि माऊमतीकिाशिकजाजरीवारमामणिमादि ब के रोजमयताहाऊगिवाज पंकितामदमुनामर
नाभिमुश्वसंपदजरगाज निदशानिराज सिवाय पं.श्रीनयविजयगणिशिष्यग जसविजय। | निस्चितासंबन१६६श्वाघमरतिबंदिर ज्ञान विजय मनिषनाच कल्याणममु श्री: श्री: श्रीः

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