Book Title: Vivek Chudamani Bhasha Tika Samet
Author(s): Chandrashekhar Sharma
Publisher: Chandrashekhar Sharma

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Page 1
________________ ॥ श्रीः ॥ भूमिका | 设施 कुछ दिन कलिके बीतने पर नास्तिकोंनें श्रौतस्मार्त सनातन धम्मको स्वकपोल कल्पित मिथ्या युक्तियोंसे दूषित कर वेदविरुद्ध पाखण्डमतोंका प्रचार किया ! जिसके प्रचार होने से बहुतसे मनुष्य प्रतिमा पूजन आदि कर्मोसे तथा पितृकमोंसे स्वयं विरक्त होकर दूसरेको भी सनातन धर्मोमें प्रवृत्त देखकर ठा करने लगे । समयानुसार ऐसी दुर्दशा सनातनधम्मोंकी देखकर परमकारुणिक सनातनधर्म्मप्रतिपालक सुरासुरवंदितपादपद्म श्रीशंकर भगवान् अवतार लेकर पूर्व दक्षिण पश्चिमोत्तर सब देशों में आत्मशुभ संचारसे आधुनिक पाखण्डमताबलम्बियोंको पराजय कर पुनः सनातन श्रौतस्मार्तधम्मों का यथावत् प्रचार किया । पश्चात् स्वसंस्थापित सनातनधर्मो के रक्षा निमित्त श्रीजगन्नाथ, रामेश्वर, द्वारका, बदरिकाश्रम आदि प्रसिद्ध तीर्थोंमें शृंगेरीमठ, शारदा मठ, ज्योतिर्मठ, आदि चार मट बनाकर उन मठों में विद्वच्छिरोमणि सुरेश्वराचार्य आदि दश निज शिष्योंको नियुक्त किया । यह श्रीभगवत्पादपूज्य श्री १०८ शंकराचार्य स्वामी स्वसंचारित कीर्त्ति मंडलोंमे ऐसे प्रसिद्ध हुए जिनका जीवन वृत्तान्त बोधक शंकरदिग्विजय आदि बहुतसे ग्रन्थ बने हैं। इसलिये हम लोगों का ज्यादा प्रशंसा करना जगत् प्रकाशक सूर्य्य मण्डलके परिचय करानेके लिये दीपप्रदर्शन समान उपहासास्पद होगा । ऐसे बडे यत्नोंसे सनातनधर्मोके यथावत् प्रचार करनेपर भी कियत्का बीतने पर फिर यह धर्म नष्ट न हो इस कारण उपासना के प्रवर्तक सब देवतके स्तोत्र पूजाविधान रचना करी शारीरक भाष्य, गीताभाष्य, स्वाराज्यसिद्धि आदि बहुतसे छोटेबडे ग्रन्थ बनाकर अद्वैत मतका स्थापन किया । इन सब ग्रन्थोंके बनाने परभी परमकारुणिक श्रीआचार्यजीने विचार किया कि इन ग्रन्थोंसे अनायास आत्म अनात्मवस्तुका यथावत् बोध होना सबको कठिन होगा. इस निमित्त ऐसा एक ग्रन्थ होना चाहिये जिसमें थोडे अक्षरोंमें संपूर्ण

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