Book Title: Vitrag Vaibhav
Author(s): Gunvant Barvalia
Publisher: Saurashtra Kesari Pranguru Jain Philosophical and Literary Research Centre
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२७. निर्वाण सूत्र
३३९. सव्वे सरा निय ंति, तक्का जत्थ न विज्जइ । मई तत्थ न गाहिया, ओए अप्पइट्ठाणस्स खेयन्ने || ४ ||
जहाँ से सारे स्वर लौट जाते हैं, जहाँ तर्क का प्रवेश नहीं है, जिसे बुद्धि ग्रहण नहीं कर सकती, जो ओज-प्रतिष्ठानखेद रहित है, वही मोक्ष है ।
૨૭. નિર્વાણ સૂત્ર
33. भ्यां बघा स्वर शांत थ भय छे, भ्यां तर्डने स्थान नथी, જેતો બુદ્ધિ પાર પામી શકતી નથી, જે ઓજ-ખેદરહિત छे, ते मोक्ष छे.
339.
27. NIRVANA SOOTRA
Where all sound calms down, where there is no room for logic or arguments and where intelligence (Intellect) fail to spear through and which is without any grief (sorrow, pain etc.) that itself is liberation (Moksha).
३४०. ण वि दुक्खं ण वि सुक्खं, ण वि पीडा णेव विज्जदे बाहा ।
ण वि मरणं ण वि जणणं, तत्थेव य होइ णिव्वाणं ॥ ५ ॥
जहाँ न दुःख है न सुख, न पीड़ा है न बाधा, न मरण है न जन्म, वहीं निर्वाण है
GLORY OF DETACHMENT
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