Book Title: Vishvakarmaprakash
Author(s): Unknown
Publisher: Unknown

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Page 14
________________ दि. प्र. ॥ ६ ।' सहित स्त्री गुरु ( माता पिता आदि ) मृदंग आदि बाजोंका शब्द और भेरीका शब्द ये उत्तम शकुन हैं ॥ ७२ ॥ अच्छे शुक्ल वस्त्रोंको | धारण किये हुए कन्या अच्छी रसीली और सुगन्धित मिट्टी पुष्प सुवर्ण चांदी मोती मूंगा और अच्छे उत्तम भक्ष्य पदार्थ ये गृहप्रवेश के समय कल्याणके देनेवाले हैं ॥ ७३ ॥ मृग और अंजन ( सुरमा ) बँधा हुआ एकपशु पगडी चन्दन दर्पण बीजना और वर्द्धमान ( कही ये भी कल्याणके करनेवाले हैं ॥ ७४ ॥ मांस दही दुग्ध नृयान ( पालकी आदि ) छत्र मीन और मनुष्यों का मिथुन ( जोडा ) ये भी गृहप्रवेशक कन्या सुधौतांबरवासकारी मृदः सुरस्यारसुरभीस्सुगन्धाः । पुष्पाणि चामीकररौप्यमुक्ताप्रवालभक्ष्याणि शुभावहानि ॥ ७३ ॥ मृगाराञ्जनवद्वैकपशुचौष्णीपचंदनम् । आदर्शव्यजनं वर्द्धमानाश्वापि शुभावहाः ॥ ७४ ॥ आमिषं दधि दुग्धं च नृयानं छत्र मेव च ॥ मीनानि मिथुनं पुंसामायुरारोग्यवृद्धिदम् ॥ ७५ ॥ कमलममलं गीतारावः सितोक्षमृगा द्विजा गमनसमये पुंसां धन्या गृहाद्यधिवासित । गजयसुवासिन्यस्तथा प्रवराङ्गना धनसुखारोग्यायुष्प्रदा गृहकर्मणि ॥ ७६ ॥ गणिका चांकुश दीपं मालां बालां सुभूपिताम् । तथा वृष्टिगृहारंभे निवेशे समभीष्टदा ॥ ७७ ॥ अथापशकुनानि ॥ दुर्वाणी शत्रुवाणी च मद्यं चर्मास्थिरेव च । तृणं तुपं तथा सर्पचर्म चांगारमेव च ॥ ७८ ॥ समय अवस्था और आरोग्यकी वृद्धि देनेवाले होते हैं ॥ ७५ ॥ निर्मल कमलका पुष्प गीतोंके शब्द सुफेद वृष मृग ब्राह्मण ये यदि घरमें जानक समय मनुष्य के सम्मुख हों उस मनुष्यको धन्य है अर्थात् ये उत्तमोत्तम फलके देनेवाले हैं। तथा गृहकर्मके करनेमें हाथी घोडा और सौभाग्य वती स्त्री और श्रेष्ठ स्त्री य धन पुत्र और सुख आरोग्य इनके देनेवाली होती हैं ॥ ७६ ॥ वेश्या अंकुश दीपक माला और वर्षा ये गृहारंभक वा गृहप्रवेशके समय होंय तो ये अच्छी तरह अभीष्ट फलके देनेवाले होते हैं ॥ ७७ ॥ अब खोटे शकुनोंको कहते हैं कि, खोटी वाणी शत्रुकी भा. टी. अ. १ ॥ ६ ॥

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