Book Title: Vinit Kosh
Author(s): Gopaldas Jivabhai Patel
Publisher: Gujarat Vidyapith Ahmedabad

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Page 8
________________ परंतु, गांधीजीनी विदाय बाद हवे फरी पाछी इजनेरी-दाकतरीयंत्रोद्योगी-विज्ञाननी प्रगति उपर भार मूकती समाजवादी संस्कृतिनी वातो जोर पकडवा लागो छे, अने राष्ट्रभाषा मातृभाषाने स्थाने अंग्रेजी भाषाने मूकीने तेने सौ गुणोना, सौ प्रगतिना, सौ संस्कारना अरे भारतीय एकताना आधार तरीके रजू करवानुं शरू थयुं छे. परिणामे, हवे अतिशयोक्तिनी रीते कहेवुं होय तो, ब्राह्मणनी छोकरीओ शाळा- महाशाळामां संस्कृत भाषाने बदले 'सायन्स'ने अभ्यासना विषय तरीके ले छे. अने राष्ट्रभाषा मातृभाषाने बदले अंग्रेजीमां ज उच्च शिक्षा मळे ए माटे अदालती हुकमो मेळववामां आवे छे. संस्कृत भाषाने अभ्यासना मुख्य विषय तरीके नारा तो गणित के विज्ञानमां न फावनारा 'बिचारा 'ओ ज गणाय छे, अने आधुनिक भारतमां तेमने माटे जूना काशी-पंडितो जेवी कंगाळ स्थिति ज निर्माण पण थवा लागी छे. अलबत्त, अंग्रेजी भाषा भणनारे लांचिया, दारूडिया के व्यभिचारी थयुं, एवो कोई शाप तो नथी ज; के संस्कृत अने देशी भाषा भणनारा सौ दैवी संपत्वाळा ज थशे एवं कोई वरदान पण नथी. परंतु संस्कृतिनो आत्मा ए एवी निरवयव, सूक्ष्म, अविनाशी चीज छे, के तेनी उपासना के 'आत्म हत्या - ए बेनो त्रीजो विकल्प नथी. आ संस्कृत कोश - आ संक्षिप्त 'विनीत' कोश एक रीते उपर जणावेली एवी भारतीय श्रद्धानं प्रतीक छे के, भारतीय संस्कृतिए पोतानो आत्मा खोवो न होय, तो संस्कृत भाषानो संपर्क छोडये नहीं चाले; तेथी तेना अभ्यासने माटे जरूरी सामग्री - आ कोश जेवी - उपलब्ध करवी जोईए, एम विद्यापीठे विचार्य. अलबत्त, अत्यारे अभ्यासक्रममां अंग्रेजीने ज बार-बार कलाको (पीरियड) आपवाना के तेने पांचमा धोरणथी, त्रीजा धोरणथी के बाळपोथीथी शरू करवाना जे प्रयत्नो थाय छे, ते जोतां आजनी भारतीय शाळाओमां आ भाषाना अभ्यासने घटतुं स्थान के समय मळवां शक्य नथी. छतां 'सर्वनाशे समुत्पन्ने' जेवी दशामां डहापण वापरी, संस्कृत - भाषाना अभ्यासने जेटलो टेकवाय तेटलो टेकवी आपवो जोईए. अने ते माटे उपयोगी एवं नानुं सुलभ साधन गणीने आ कोश तैयार करेलो छे. मॅट्रिक - विनीतना विद्यार्थीने जे कक्षाना संस्कृत फकराओ अभ्यासक्रममां भणवाना आवे छे, तेमने मुख्यत्वे लक्षमां राखी आ कोशना शब्दो संघर्या छे. अलबत्त, ए फकराओथी पांच के सात गणा कदनी ' गाइडो' एटली बधी सुलभ होय छे के, ते परीक्षा माटे तो ए 'गाइड' ज सौथी वधु उपयोगी थाय. परंतु, मॅट्रिक जेटलुं संस्कृत भण्या पछी ए विद्यार्थीने संस्कृत साहित्यना मूळ ग्रंथो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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