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भाषाओमां उपलब्ध भाषांतरो द्वारा ए ग्रंथोनो अभ्यास मुश्केल तो न ज पडे; पण एक कोश एवो पण तैयार थवो जोईए के जेमां आ बधा शब्दो आवे. वेद-ब्राह्मण ग्रंथोना शब्दो ए तो जाणे एक प्रकारे जुदी भाषाना शब्दो गणाय. ए बधा शब्दो साथेनो बृहत् कोश पण गुजराती भाषामां होवो जोईए. पण आ बधी तो बहु आगळनी वात थाय.
__परंतु पुराण-स्मृति-दर्शन-उपनिषद तथा वैदक-ज्योतिषना ग्रंथोना शब्दोवाळो कोश तो तैयार करवानुं शरू थवं ज जोईए. तो ज आ संक्षिप्त कोशे आरंभेलं काम आगळ चाले.मोनियर विलियम्स, आप्टे, वगेरेना कोशो उपरथी ए शब्दो तारवी काढवान काम बहु मुश्केल पण न गणाय.
एटले आ कोश ए बीजा आगळना कोशनी आवश्यकता जाणे पुरवार करवा माटेनो बनी रहे छे ! अलबत्त, आ कोशने पण तेनी मर्यादामां आवता साहित्यना बधा शब्दोनो तेमां समावेश थाय ए रीते (पान के शब्दनी मर्यादा विना) पूरो करवो बाकी रहे छ ज. पण ए तो आवृत्तिए आवृत्तिए सुधारा वधारा जेवू काम गणाय. अने ए चालतुं ज रहेवान.
आ कोशनी गोठवणी आ कोश जे कक्षाना विद्यार्थीओना उपयोग माटे विचारायो छे, तेमने शब्दोना अर्थो शोधवान सुलभ थाय ते रीते एनी गोठवणी विचारी छे. अलबत्त व्याकरण-पद्धतिथी जरा पण न भण्यो होय तेवा विद्यार्थीने आ कोशनो के कोई पण कोशनो उपयोग करवो शक्य न होय. जेम के गुजराती भाषाना कोशमां पण ‘गयो' ए प्रयोगनो अर्थ 'जवू' धातुमां शोधवा जेटलं व्याकरण- ज्ञान विद्यार्थीने होवं जोईए ज. तेम, गच्छति, चकार, अनन्, धुक्ष्व, अमृष्ट, अतृण्ड, बिभ्यति, बिभराणि, जहीहि, धत्स्व वगेरे रूपो साहित्यमां वपरायेलां मळे, तो ते माटे कोशमां अनुक्रमे गम्, कृ, हन्, दुह, मृज, तृह, भी, भू, हा, धा, ए धातुओमां अर्थ शोधवो जोईए, एवी तो विद्यार्थीने खबर होवी घटे. कोई पण कोश व्याकरणनी रीते बदलायेलां रूपोनो पण शब्द-क्रममां अर्थ न आपी शके. सद्भाग्ये संस्कृत भाषाना शिक्षणनी बाबतमां आपणी शाळाओमां व्याकरण-पद्धतिने छेक ज छोडी देवामां आवी नथी.
आ कोशना शब्दोनी गोठवणीमां अनुसरवामां आवेला बे मुख्य मुद्दाओनी समज अहीं ज जणाववी घरे : (१) उपसर्गो साथे वपराता धातुओनो अर्थ उपसर्गोना क्रममा आप्यो छे, मूळ धातुना ज पेटामां नहि. जेम के अधिगम्, अभ्यागम्, निगम्, निर्गम्, प्रत्यागम्, संगम् ए धातुओने ए शब्दना क्रममां ज गोठव्या छे; सामान्य रीते संस्कृत कोशमां गम् धातुना पेटामां ज तेमने बधाने नंखाय छे. पण तेथी 'अयो' धातुनो अर्थ 'इ' धातुना पेटामां मळशे एवी खबर न होय, तेने मुश्केली पडे. अहीं तो 'अधी' धातु तरीके ज
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