Book Title: Vijay Prashasti Sar
Author(s): Vidyavijay Muni, Harshchandra Bhurabhai
Publisher: Jain Shasan

View full book text
Previous | Next

Page 88
________________ सोश्वर के दर्शन करने के लिये 'जाम' राजा भी कभी बाबा करता था। चातुर्मास यहां ही किया। ..: तदन्तर भनेक नगरों के भीध के साथ सूरिनी श्रीसंस्कार पार्श्वनाथ की यात्रा करने को पधारे। यहां की यात्रा के प्राफ अहमदाबाद पधारे । भीविजयदेवमूरि जी ने भी साफ के सापही अहमदाबाद में चातुर्मास किया। .. इस वर्ष में अहमदाबाद में बड़ा भारी, यह कार्य शुमा वियहां की जाति में एक बारह वर्ष से विरोध चला पाता था। जो कि किसी से भी नष्ट नहीं हुआथा। वह विरोधभी सूरीश्वरकी उपदेश वापी से नष्ट हुआ और सब लोगों में ऐक्य होगया। . शिष पाठक! सर्वदा उपदेश का प्रभाष तबाह होता कि जय उपदेशक स्वयं उस तरह का माचरण करता हो । यदि स्वयं उपा देश करने वाला प्रशान्तिका उत्पादक है, तो उनके उपदेश का प्र. भाष लोगोंपर जरा भी नहीं हो सकता है । इसी लिये उपदेशकों को चाहिये कि वह प्रथम स्वयं शान्ति-प्रिय बने ।. ..चातुर्मास उतारने के बाद सूहीश्वर नो दो प्रतिष्ठा माघ मास में और दो बैशाख में करवाई। फिर दोनों सूरीश्वर पृथ्वी तलको पवित्र करने लगे। उपसंहार । पवित्र प्रातःस्मरणीय जगदुपकारी महात्मानों को यह संक्षिप्त जीवनी " श्रीविजनप्रशस्ति काव्य" के आधारपर लिखी गई है। इसकी समाप्ति के प्रथम इतना कहना परमावश्यक है कि श्री. विजयसेनसूरीश्वर के राज्य में प्रधान पट्टधर विजयदेवसूरि थे। आप शासन भारको वहन करने में अत्यन्त निपुण थे। इनमें म. तिरिक्त पाउ“ उपाध्याय" पदधारी, और सैकड़ों मुनि “पडित,

Loading...

Page Navigation
1 ... 86 87 88 89 90