Book Title: Vijay Prashasti Sar
Author(s): Vidyavijay Muni, Harshchandra Bhurabhai
Publisher: Jain Shasan

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Page 90
________________ जैन-शासन / (पाक्षिक पत्र ) यह पत्र हरपूर्णिमा तथा अमावास्या को प्रकट होता है / इस पत्र में ऐतिहासिक, नैतिक एवं धार्मिक विषय के लेख प्रकाशित हुआ करते हैं / गुजराती के साथ हिन्दी भाषा में भी प्रायः लेख रहते हैं। वार्षिक 2) ग्राहक होने वाले को चाहिए कि अपना, नाम, गांव इत्यादि पूरा पता साफ अक्षरों में लिख भेजें। श्रीयशोविजयनग्रन्थमाला (संस्कृत मासिक पुस्तक) भीयशोविजय जैनग्रन्थमाला मासिक में एकसौ पृष्ठ संस्कृत और प्राकृत के निकाले जाते हैं / जिसमें न्याय, केश तथा महाकाव्य के ग्रन्थ क्रमशः प्रकाशित होते हैं / डाक महसूल के साथ वार्षिक 8) प्रथम से लेने में आते हैं / नमूना का अंक किसी को भेजने में नहीं आता है। शास्त्रविशारद जैनाचार्य-श्रीविजयधर्मसूरिजी कृत 1. जैनतत्त्वदिग्दर्शन (हिन्दी भाषा ) 2. जैनशिक्षादिग्दर्शन 3. (गुजराती) 4. पुरुषार्थदिग्दर्शन (हिन्दी भाषा) 040 5. आत्मोन्नतिदिग्दर्शन (गुजराती) 6. अहिंसादिग्दर्शन- (हिन्दी) 0-40 (बंगला) 0-40 विजयप्रशस्तिसार (हिन्दी) 06-0 पताः-शाह-हर्षचन्द्र भूराभाई / अंग्रेजी कोठी-बनारस-सिटी, 002.0 0.2-0 0.2.0 0.06

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