Book Title: Vijapur Bruhat Vrutant
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 313
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra . .. For Private And Personal Use Only | लक्ष्मदेव का पुत्र | वि. सं. ११६१ लक्ष्मदेव के | कलचुरी-यशः कर्णदेव. समयका नरवर्म देवकाले. नरवर्म देव | वि. सं. ११६१,११६४ चौलुक्य-जयसिंह ( सिद्धराज) यशोवर्म देव नं. १३ का पुत्र | वि. सं. ११९१,११९२ चौलुक्य-जयसिंह ( सिद्धराज) जयवर्मा प्रथम नं. १४ का पुत्र लक्ष्मीवर्मा नं. १५ का भाई | वि. सं. १२०.. चौलुक्य-कुमारपाळ. १७ हरिश्चंद्र नं. १६ का पुत्र वि. सं. १२३५,१२३६ | चौलुक्य-अजयपाल. १८ | उदयवर्मा नं. १७ का पुत्र वि. सं. १२५६ १५)| अमयवर्मा नं. १५ का भाई १६) विन्ध्यवर्मा (१५) का पुत्र नं. (१६) का पुत्र चौलुम्य-भीम बीजो; यादव सिंघण. | अर्जुनवर्मा नं. (१७) का पुत्र | वि. सं. १२६७,१२७०,१२७२/ अयसिंह. ( गुजरात ) | देवपाल देव नं. ८ का भाई | वि. १२७५, १२८२, १२८५, शम्सुद्दीन अल्तमस १२८६,१२८९,१२६२/ जयसिंह, द्वितीय ( जयतुंगी देव) | नं. १६ का पुत्र । वि. सं. १३००,१३१२ जयवर्मा, द्वितीय नं. २० का भाई वि. सं. १३१४,१३१७ जयसिंह, तृतीय नं.२१का उत्तराधिकारी वि. सं. १३२६ २३ भोज, द्वितीय नं.२२का उत्तराधिकारी चहुमान-दम्मीर वि. सं. १३४५ जयसिंह चतुर्थ नं.२३का उत्तराधिकारी वि. सं. १३६६ - (१५) सुभटबर्मा www.kobatirth.org - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir

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