Book Title: Vicharratnakar
Author(s): Kirtivijay, Chandanbalashree
Publisher: Bhadrankar Prakashan
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१६७
[१] प्रथमं परिशिष्टम्श्रीविचाररत्नाकरे आगमादिपाठादीनामकाराद्यनुक्रमः॥ [३४५ उवासगदसासु णं
[समवायाङ्गे]
३०९ [ए] एए उक्कोसेणं,
[आ.प./४०गा.]
२८९ एए बारस इंदा,
[ देवेन्द्रस्तवे] एएसामन्नयरं,
[नि.भा./१६२१गा.]
२४० एएसिं णं भंते ! चउवीसाए
[भग.व.२०/उ.८/७१५सू.] एकस्स दोन्ह तिन्ह व,
[प्रज्ञा./१-१३९]
१५३ एका कण्हपक्खियाणं वग्गणा
[स्था.१-५१सू.]
३४ एकोनषष्टिशतानि
[समवाया)]
२०२ एक्कस्स उ जं गहणं,
[प्रज्ञा./१-१३६] एक्केक्कमि उठाणे,
[बृ.क.भा./२३५९गा.]
२६६ एगया गुणसमितस्स रीयतो
[आचा.श्रु.१/अ.५/उ.४/१७१सू.] ७ एगुणवीसगस्स उ,
[जम्बू./१-१७.] एतेसामण्णतरे,
[नि.भा./६१७०गा.]
२५१ एत्थ य जत्थ जत्थ
[म.नि./मू.५९१] एत्थ य सहसम्मइयाए
[आचा.श्रु.१/अ.१/उ.१/नि.६४] एमेव य समणीणं,
[नि.भा./६१६९गा.] एयं तु पंचमंगलमहासुअक्खंधस्स
[म.नि./मू.५९०] एवं खलु आइण्णं,
[नि.भा./८९८गा.] एवं चरणंमि ठिओ,
[ओघ.भा./गा.१०] एवं ता सव्वादिसु,
[नि.भा./३३५८गा.]
२४१ एवं थुणित्ताण स रायसीहो,
[उत्त./अ.२०/गा.५८]
१९९ एवं सिंहनिषद्याख्यं,
[शत्रु.मा./६ सर्गे]
२०५ एवमाकर्ण्य सीतेन्द्रो,
[हैमवीर/१०सर्गे]
२०० [ ओ] ओहिनाणसुए बुद्धे,
[उत्त.अ.२३/गा.३]
१९९ [क] कइविहा णं भंते ! चारणा पण्णत्ता? [भग.व.२०/उ.९/८०१सू.] कठिना पृथ्वी शीतातपादिशस्त्रयोगे... [मे.सू./पिं.वि.वृत्तौ] कन्हलेसा णं भंते ! कइवन्ना?
[भग.व.१२/उ.५/५४३सू.] कप्पइ निग्गंथाण वा
[बृ.सू./२१] कप्पइ निग्गंथाणं अवंगुयदुवारिए
[बृ.क./सू.१५]
२६४
२५१
२५५ २३८
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