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[१] प्रथमं परिशिष्टम् श्रीविचाररत्नाकरे आगमादिपाठादीनामकाराद्यनक्रमः॥ [३४९ जे केइ अणुवहाणेणं
[म.नि./अ.३]
२५५ जे केइ णालियाबद्धा,
[प्रज्ञा./१-१२३]
१५२ जे गिहिवत्थं परिहेति,
[नि.सू./७५७]
२४८ जे जे सरिसा धम्मा,
[नि.भा./३३५७गा.] जे धम्मलद्धं विनिहाय भुंजे,
[सुय.श्रु.१/अ.७/४०१गा.] जे बायरे विहाणा
[आचा.श्रु.१/अ.१/उ.२/नि.७९]४ जे भिक्खू अन्नउत्थिएण वा
[नि.सू./७८६गा.]
२४९ जे भिक्खू अविहीए वत्थं
[नि.सू./४९]
२९३ जे भिक्खू उवगरणं
[नि.भा./४२०४गा.]
२५० जे भिक्खू गिहिणिसेज्जं वाहेति
[नि.सू./७५८गा.] जे भिक्खू ठवणाकुलाति
[नि.सू./२१७सू.] जे भिक्खू मुहवन्नं करेति,
[नि.सू./७२४] जे भिक्खू वत्थस्स एगं
[नि.सू./४७] जे भिक्खू वत्थस्स एगं
[नि.सू./५०]
२९३ जे भिक्खू वत्थस्स परं
[नि.सू./४८] जे भिक्खू वत्थस्स परं
[नि.सू./५१]
२९३ जे भिक्खू वा भिक्खूणी वा
[नि.सू./३०३] जे भिक्खू वा भिक्खूणी वा
[नि.सू./३०५]
२९४ जे भिक्खू वा भिक्खूणी वा
[नि.सू./३०६]
२९४ जे भिक्खू सलोमाइं अहिढेइ
[नि.सू./७५१सू.] जे यावन्ने तहप्पगारा
[प्रज्ञा./१-४२सू.]
१५१ जे लहुसएण सीतोदगवियडेण
[नि.सू./७९सू.]
२३८ जेणेव सावत्थी णगरी
[राजप्रश्न्याम्] जो जारिसओ कालो
[आ.प./३९गा.]
२८९ जो पुण आहारपोसहो
[पौ.प्र./जि.व.सूरिकृत] जो भणइ नत्थि धम्मो,
[तीर्थो.प्रकीर्णके]
३१७ ज्ञानद्रव्यं हि देवद्रव्यवन्न
[श्राद्धविधौ]
३०३ [ठ] ठवणकुलाओ दुविहा,
[नि.भा./१६१७गा.]
२४० [ण] णत्थि य सि अंगमंगा,
[आचा.श्रु.१/अ.१/उ.२/नि.९८] ५ णवविहे पुन्ने पन्नत्ते।
[स्था.९/६७६सू.]
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