Book Title: Vicharratnakar
Author(s): Kirtivijay, Chandanbalashree
Publisher: Bhadrankar Prakashan

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Page 413
________________ [१] प्रथमं परिशिष्टम् श्रीविचाररत्नाकरे आगमादिपाठादीनामकाराद्यनक्रमः॥ [३५३ २९० २४४ २५३ २२१ २३२ २४० ३०९ २१ २४५ दाहिणकुच्छीपुरिसस्स, दिट्ठसलोमे दोसा, दुप्पडिकंताणं निययकम्माणं ण दुल्लहा उ मुहादाई, दुविहा खलु पडिलेहा, दुविहा लोउत्तरिया, दुविहे धम्मे पण्णत्ते दुहओ वि ते ण भासंति, दूप्पडिलेहियदूसं देवपुरिसस्स णं भंते ! देविंदचक्कवट्टी, देवे णं भंते ! महिड्डिए जाव देवेसु अणुवट्टे, देसं खित्तं तु जाणित्ता दो दिसाओ अभिगिज्झ दो वारे विजयाइसु, दोवई वि राइमईसगासे द्रौपदी पञ्चमकल्पं गता। द्रौपद्या सुकुमालिकाभवे १३८ २८४ २१६ २९३ ३५ [तन्दु.प्र./१६गा.] [नि.भा./४०११गा.] [म.नि./मू.३३६-३३३७] [दश./अ.५-उ-१/गा.१००] [ओघनि./गा.४०३] [नि.भा./१६१९गा.] [स्थाना)] [सूय.श्रु.१/अ.११/५१७गा.] [नि.भा./४०२०गा.] [जीवा./२प्र./६३सू.] [व्य.भा./२५६९गा.] [भग.व.१८/उ.७/७४५सू.] [आव./मलय.वृ.गा.४५] [ग.प्र./१४गा.] [स्था.२/१-७६सू.] [आव./मलय.वृ.] [उत्त./अ.२] [ज्ञाताधर्मे] [ हैमनेमिचरित्रे/श.मा./ शीलतरङ्गिण्याम्] [नेमिचरित्रे वन्दारुवृत्तौ] [ध] [भवभावनावृत्तौ] [पार्श्वचरित्रे-कल्पसूत्रे] [नि.भा./६१६७गा.] [न] [श्राद्धविधौ] [ओघनि./गा.१०६८] [श्रा.विधौ.वि.वि.] [वि.भा./३४१गा.] [सूय.श्रु.२/अ.५/७११गा.] [ललि.वि.हा.वृ.] २१६ १९९ १९९ द्वारिकायां नेमिनाथे सति २०४ २०६ धम्मत्थं मोत्तूण धायइपायवस्स अहे धोतंमि य णिप्पोग्गल २०६ २०२ २५० न च दुकूलं... न य तस्स तन्निमित्तो नक्षत्रेषु समग्रेषु, नणु भमियमुस्सयंगुल नत्थि बंधे व मोक्खे वा ननु वंदणवत्तियाए... २३५ ३१६ २१२ ३२४ ratan-p\3rd proof 353

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