Book Title: Vasudev Chupai
Author(s): Rasila Kadia
Publisher: ZZ_Anusandhan
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July-2004
मणुअ जनम पामी हुसिह, सुख अनंत निवास नेमि सीस बलभद्र रिषि, पूरु मनची आस ॥ ३५१ ॥
ढाल जयमालानी
हिव सामी नेमि जिणंद, पय सेवई चउसठि इंद
पडिबोही बहु परिवार, हूउं सिद्धि रमणि उरि हार ॥३५२ ॥
धन एह चरीअ विशाल, धन धन जिन धर्म रसाल
एह चरीय सुणडं अति चंग, जिम पामु अविहड रंग ॥ ३५३ ॥ आंचली
श्रीनेमि जिणेसर नामि, नविनधि हुई घरि ठामि
श्रीनेमि जिणंद अराहई, तस अलीय विघन सवि जाई || ३५४॥
जस नामइ वंछित सिद्धि, जस नामइ, अविहड रिद्धि तस नाम जपु निसदीस, जिम पूजइ मनह जगी ||३५५ || तपगछ केरु सिणगार, श्रीलखिमीसागर गणधार श्रीसुमतिसाधूसूरीसीस, श्रीहेमविमलसूरीस ||३५६||
वर लास नयरि धरि हरिस, सय पन्नर सत्तावन वरिस कुलचरण सुपंडित सीस, कहइ हरखकुल निसिदीस ||३५७ || धन धन एह चरिय विशाल, धन धन जिन धरम रसाल एह चरीय सुणउ अतिचंग, जिम पामु अविहड रंग || ३५८ ॥
इतिश्रीवसुदेवचुपइ राग गुडी
सीरोही नगरे भ० श्री श्री श्री श्रीविद्यासागरसूरि आ० श्री श्री श्रीलिखिमीतिलकसूरि शिष्य मुनि कर्मसुंदरेण लिखतं स्वगछ निमत्तं ॥ छ ||
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टी.वी. टावर सामे ड्राइव इन रोड, थलतेज अमदावाद - १५
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