Book Title: Uvvatbhashya
Author(s): 
Publisher: 

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallashsagarsur Gyanmandir श्रवयतं युवाना / एवमक्षारीदकेन सिक्तधान्यनिष्पत्तिहेतुना यज्ञकुर्वाणम् मामाम् जनेजनपदे आश्रवयतं प्रकथयतम् इत्थमदादित्यमदाक्षीदिति। हेयुवानौउच्छिन्नजरसौ। श्रुतमा* शृणुतं मम हेमित्रावरुणौ। हवेमा हवान्ाह्वानानिमानि / श्रुत्वाचातिष्ठतमित्यभि युन्तोहिँखुकुरक्षा सुसनेम्म्युस्म्मडंयन्नमौवा // 10 // वाजेवाजे वत॥ वाजिनोनोधनेषुचिप्पाऽअमृताऽऋतज्ज्ञा॥ अस्यमय:पि बतमादयध्वन्तुप्तातिपुथिभियान॥ 11 // सम॑िद्धोऽअग्नि // सुमिधासुसमिडोब्बरण्य // गायत्रीच्छन्दै इन्द्रियन्त्राविौत्रयोद प्रायः // 6 // शन्नः // 10 // वाजवाजवत // 11 // वाजिनस्ययाज्यानुवाकाव्याख्याते // 10 // 11 // समिद्धीअग्निः / एकादशआप्रियः। अनराशंसा ऐन्द्रायावयोधसैनुष्टुभः / समिधः सन्दीप्तः (1) का. वायोधस आप्रियः समिझो अग्निः समिधेति / 18 / 7 / 18 वायोधसे पशौ समिही अग्निरिताद्या एकादश ___ऋच आप्रियः प्रयाजानां याज्या इति सूत्रार्थः / For Private And Personal

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 454