Book Title: Uvvatbhashya
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Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallashsagarsun Gyanmandir अग्नि: समिधाप्रयाजदेवतया। सुसमिद्धः प्रयाजतेन / वरेण्यः वरणीय. संभजनीयः। B गायत्रीछन्दः त्यविश्वगौः वयः अवय: अनुचरत्वेनयस्य सतथोक्तः / इन्द्रियंवौर्यच / वयः सत्त्वमन्नवा आयुर्वाइन्द्रेदधुः निदध्युः // 12 // तनूनपात्। तनूनामपानपान्नप्ताअग्निः / गौर्वातनूः तसानप्तानृतम् / शुचित्रत: उज्वलकर्मा। तनूपाः सरस्वतीच। उणिहाविभक्तिव्यत्ययः उणिकधु // 12 // तनुनपाच्छुचिब्बत // तनूनपाच्छचिवतस्तनपाश्चु / सरस्वती // उष्णिहाच्छन्द इन्द्रुियन्दित्त्ववागौर्बयोदधु // 13 // इडाभिरग्निः // इडाभिरग्ग्निरोड्युसोमोटुवोऽअमर्त्य // अनु ष्ट्राच्छन्दै इन्द्रियम्पञ्जाविग्गोर्खयोदधुः // 14 // मुबहिग्नि // छन्दः दित्यवाट् गौ:एतेचत्वारः इन्द्रियंवयश्च इन्द्र दधुः // 13 // इडाभिरग्निः। दृडाभिः प्रयाजदेवतया सहअग्नि: ईडयःस्तोतव्यः / सोमश्चदेवः अमर्त्यः अमरणधर्मा अनुष्टुपच्छन्दः पञ्चाविश्च गौःइन्द्रियं वयश्चइन्द्र दधुः // 14 // सुवर्हिरग्निः। शोभनवर्हिः प्रयाजदेवतयाग्निः / / For Private And Personal

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