Book Title: Uvavai Suttam
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Jivan Karyalay

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Page 58
________________ mmawwwmommmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm. ५४ उववाई सूत्तं महावीरे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता समर्ण भगवं ममहावीरं पंचविहेणं अभिगमेणं अभिगच्छइ । तं जहा (१) सचित्ताणं व्वाणं विउसरणयाए (२) अचित्ताणं व्वाणं अविउसरणयाए (३) एगसाडियं उत्तरासंगकरणेणं (४) चक्खुप्फासे अंजलिपग्गहेणं [हत्थिखंधविट्ठभणयाए] (५) मणसो एगत्तभावकरणेणं समणं भगवंमहावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेत्ता वंदति रामंसति बंदित्ता णमंसित्ताहाए पज्जुवासणयाए पज्जुवासइ, तं जहा:-काइयाए वाइयाएमाणसियाएकाइयाए-ताव संकुइयग्गहत्थपाए सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलिउडे पज्जुवासइ वाइयाए-जं जं भगवं वागरेइ एवमेयं भंते ! तहमेयं भंते ! अवितहमेयं भंते ! असंदिद्धमेयं भंते ! इच्छियमेयं भंते ! पडिच्छियमेयं भंते ! इच्छियपडिच्छियमेयं भंते ! से जहेयं तुम्भे वदह अपडिकूलमाणे पज्जु वासइ माणसियाए-महयासंवेगं जणइत्ता तिव्व धम्माणुरागरत्तो पज्जुवासइ ॥ (सू० ३३) तए णं ताओ सुभद्दप्पमुहारो देवीप्रो अंतो अंतेउरंसि रहायाओ जाव पायच्छितारो सव्वालंकारविभूसियाओ [ ] बहूहिं

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