Book Title: Uvavai Suttam
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Jivan Karyalay

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Page 105
________________ ‘उववाई सूक्तं १०१ णकोडाकोडीओ उड्ढतरं उप्पइत्ता सोहम्मीसाण सणंकुमारमाहिंदखंभलंतगमहासुक्कसहस्साराणयपाणयारणच्चुय तिगिण य अट्ठारे गेविजविमाणावाससए वीईइत्ता विजयवेजयंतजयंतअपराजियसव्वठठसिद्धस्स य महाविमाणस्स सव्वउवरिल्लाअो थूभियग्गाश्रो दुवालसजोयणाई प्रवाहाए एत्थ णं ईसीपभारा णाम पुढवी परुणत्ता पणयालोसं जोयणसयसहस्साइं पायामविक्खंभेणं एगा जोयणकोडी बायालीसं [च ] सयसहस्साई तीसं च महस्स्साई दोरिण य अउणापण्णे जोयणसए किंचि विसेसाहिए परिरएणं। ईसीपम्भाराए णं पुढवीए बहुमझदेसभाए अट्ठजोयणिए खेत्ते अट्ठ जीयणाई बाहल्लेणं, तयाणंतरं च णं मायाए २ परिहायमाणो २ सम्वेसु चरिमपेरंतेसु मच्छियपत्ताो तणुयतरा अंगुलस्स असंखेजइभोगं वाहल्लेणं पण्णत्ता । ईसीपम्भाराए णं पुढवीए दुवालस णामधेजा पएणत्ता, तं जहा-ईसी इ वा ईसीपमारा इ वा तणू इ. वा तणुतणू इ वा सिद्धी इ वा सिद्धालय इ वा मुत्तिी.इ वा मुत्तालए ई वा लोयग्गे इ वा

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