Book Title: Uvavai Suttam
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Jivan Karyalay
View full book text
________________
उववाई सूतं
णसंठिए वइरोसहणारायसंघयणे कणगपुलगणिघसपम्हगोरे उग्गतवे दित्ततवे तत्ततवे महातवे घोर तवे उराले घोरे घोगुग्णे घोरतवस्सी घोरबंभचेरवासी उच्छूढसरीरे संखित्तविउलते अलेस्से समयस्स भगवो महावीरस्स दूरसामंते उडुंजाणू होसिरे झाकोट्टोवगए संजमेणं तवसा अप्पा भावेमाणे विहरइ |
६३
तणं से भगवं गोयमे जायसड्ढे जायसंसए जायको हल्ले उप्पण्णसड्ढे उप्पण्णसंसए उप्पण्णकोहल्ले संजायसड्ढे संजायसंसए संजायकोऊहल्ले समुप्पण्णसड्ढे समुप्पण्णसंसए समुप्पण्ण कोऊ हल्ले उट्ठाए उट्ठेइ उठ्ठाए उट्ठित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो याहिणं पयाहिणं करेइ तिक्खुत्तो याहिणं पयाहिणं करेत्ता वंदइ णमंसइ वंदित्ता णमंसिता नच्चासरणे नाइदूरे सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभि मुहेविषएणं पंजलिउडे
पज्जुवासमाणे एवं वयासी ।
जीवे णं भंते! असंजए अविरए अप्पडिहयपचक्खायपावकम्मे सकिरिए असंवुडे एगंत दंडे

Page Navigation
1 ... 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110