Book Title: Uvavai Suttam
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Jivan Karyalay
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२८
उववाई सूक्तं
(८) एंतस्स अणुगच्छणया (६) ठियस्स पज्जुवासणया (१०) गच्छंतस्स पडिसंसाहणया, से तं सुस्सूसणाविणए। ... से किं तं अणचासायणाविणए ? २ पणयालीसविहे पण्णत्ते, तं जहा-( १ ) अरहंताएं अणच्चासायणया (२) अरहंतपण्णत्तस्स धम्मस्स अणचासायणया ( ३) आयरियाणं अणच्चासयणया एवं (४) उवज्झापाणं (३) थेराणं (६) कलस्स (७) गणस्स (८) संघस्स (8) किरियाणं (१०)संभोगिस्त (११) आभिणिबोहियणाणस्स (१२) सुयणाणस्स (१३) रोहिणाणस्स (१४) मणपज्जवणाणस्स (१५) केवलणाणस्स (१-३०) एएसिं चेव भत्तिवहुमाणे (३१-४५) एएसि सेत्तंणाण चेव वरणसंजलणया, से तं अणचासायणाविणए से तं दसणविणए से किं तं चरित्तविणए ? पंचविहे 'पण्णत्ते । तं जहा-(१) सामाइयचरित्तविणए (२) छेदोवट्ठावणियचरित्तवणिए (३) परिहारविसुद्धिचरित्तविणए (४) सुहमसंपरायचरित्तविणए (५) अहक्खायचरित्त विणए, से तं चरित्तविणए । से किं तं मणविणए ? दुविहे पण्णत्ते । तं जहा-(१) "पसत्यमणविणए (२) अपसत्यमणविणए । से किं

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