Book Title: Uttaradhyayanani Part 01 And 02
Author(s): Bhavvijay Gani, Harshvijay
Publisher: Vinay Bhakti Sundar Charan Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 2
________________ श्रीउत्तराध्ययन सूचना प्रकाशन अंगे । श्री विनय - भक्ति - सुन्दर-चरण ग्रन्थमाला पोताना आठमा अने नवमा पुष्परूप महामहोपाध्याय श्री भावविजयजीगणिविरचितवृत्तिवाला श्रीउत्तराध्ययनसूत्रना वे भाग जनतानी समक्ष धरे छे तेने सौकोइ सहर्ष वधावी लेशे. आ प्रकाशनना अंगे अत्यारे वधारे नही जणावतां एटलुंज जणावीश के आ सूत्रनुं प्रकाशन तेनी दुर्लभता अने अतीव उपयोगीताना लीवेज थयुं छे. जो के आना अगाउ श्रीआत्मानंद सभाए आ सूत्रने प्रकाशीत करेल छतां ते पण आजे घणा टाइमथी खलास थवाथी अमें आ पुनः संस्करण केटलाक सुधारा वधारा करीने कयूँ छे, अने शुद्धि माटे पुरतो ख्याल पण रखायो छे छतां जे कां अशुद्धिओ रही गइ हती ते अमें ग्रन्थमांज सुधारी दीधी छे. अने प्रेसमां त्रुटीत शब्दोद्वारा थयेल अशुद्धिने पण सुधारीने आनी साथे छपावी छे. पूज्यपाद् पंन्यासप्रवर श्रीमान् चरणविजयजीगणीश्वरे आ ग्रन्थमां तथा तेमना शिष्य मुनिमहाराज श्रीविजयजी महाराजश्रीए ग्रन्थमालामां जे मदद अपावी छे ते बदल ते बन्ने महात्माओनो आभार मानीए डीए. प्रुफनुं वांचन अने टिप्पणादि सर्वमुनिमहाराज श्रीहर्षविजयजीए करेल छे ते बदल तेमनो उपकार केम भूलाय ? तेमज पाटणवाला शाह | केशवलाल कालीदासनां धर्मपत्नी सुश्राविका वेन सोमीबेन सरुपचंदे महाराजश्रीनी सूचनाने स्वीकारी जे अनहद प्रयाश करी मदद अपावी छे ते बदल तेमनो पण आभार मानवामां आवे छे अने आवा शुकार्योमां वारंवार तेमनुं अनुकरण बीजाओ करे तेम इच्छीए छीए. आ ग्रन्थ तथा ग्रन्थमाला तरफथी छपाता पुस्तकोमां जे भाग्यशालीओए मदद आपी छे ते सदा धन्यवादने पात्र छे. ली. प्रकाशक.

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 ... 582