Book Title: Uttaradhyayanani Part 01 And 02 Author(s): Bhavvijay Gani, Harshvijay Publisher: Vinay Bhakti Sundar Charan Granthmala View full book textPage 6
________________ उचराध्य चेलहीनो ११३१२ प्रेसदोपाल यन सूत्र दिन भविमालम्बेतेति विह १३३६ १३५ , १३५ १ ६८ " सूत्रार्थः BHAUCTCAUCAA AAAC सन उपको ११६ १३ ११७७ समकम निवर्तित वर्जयेन्मुलिरिति उत्पावाजयितु पुनस्त निविण्णा विश्वसूर्येषु वइज प्रसन्न प्रमादाच समर्थितार्या स्वस्थाकाली ततोऽहं सूक्ष्मा पाळयन् धति परैर दुरनुष्ठेयं सरात द्वारका स्रवद परेऽहनि नैवातः बाढुिंगाम् बनदेवता स्थ पुटं जन्य पाण्डवासाधु तटिनी तनिर्दोषमिति दारुकोऽपि मधुसूदनः मिविनियेषु क्षीण प्रहादि सूत्रार्थ नाभिनन्दे कर्करायितादि स्वराजपुत्रः सोदर दम्तर्गत REGARGES पानं निर्जित्य १२ . कि 1303 १०३ अभूसगा महाधिया खच्छृत्वा १२७ ५ ग्रहण विनेयोन् तम् सपरि तहष्करस्य उभ्यर्च 1180Page Navigation
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