Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 02 Author(s): Atmaramji Maharaj, Shiv Muni Publisher: Jain Shastramala Karyalay View full book textPage 8
________________ विषय हिन्दीभाषाटीकासहितम् । १०९३ और वहां रथनेमि मुनि को | उच्चार समिति ,, ,, ब्रह्मचर्य में स्थिर करना ९८० मनोगुप्ति , , १०८९ संयम का विधिवत् पालन करवचनगुप्ति , , १०९२ राजीमती और रथनेमि का कायगुप्ति , मोक्षगमन ९९२ समितिओं और गुप्तिओं की आरातेईसवाँ अध्ययन धना का फल १०९५ भगवान् महावीर के शिष्य गौतम पच्चीसवाँ अध्ययन स्वामी और भगवान् पार्श्वनाथ जयघोष मुनि का वर्णन १०९८ के शिष्य केशिकुमार जी का विजयघोष ब्राह्मण के यशपाटक में तिन्दुक उद्यान में धर्मचर्चा के .. | जयघोष मुनि का जाना. १९०२ लिए एकत्रित होना ९९७ ब्राह्मणों द्वारा जयघोष मुनि का केशिकुमार जी का भगवान् गौतम । प्रतिषेध किया जाना ११०३ स्वामी के साथ चार और पांच | मुनि का ब्राह्मणों से प्रश्न पूछना ११०९ महावतों के सम्बन्ध में प्रश्नोत्तर १०१८ ब्राह्मणों ने मुनि से प्रश्न पूछे धर्मवेषविषयक प्रश्नोत्तर १०२५ मुनि का उत्तर शत्रुविषयक प्रश्नोत्तर १०३१ ब्राह्मण के लक्षण १११५ पाशसम्बन्धी प्रश्नोत्तर . विषलताविषयक प्रश्नोत्तर १०३८ केवल ओंकार का जाप करने वाला अग्नि के विषय में , १०४१ ब्राह्मण नहीं इत्यादि वर्णन ११२९ अश्वविषयक १०४५ वर्णव्यवस्था में कर्म की प्रधानता है मार्ग , " १०४९ जाति की नहीं ११३१ द्वीप , १०५२ " गुणवान् ब्राह्मण ही स्वयं तरने वाला नावा , १०५५ तथा दूसरों को तारने वाला है ११३२ अन्धकार १०५९ विजयघोष का संशयरहित होना सुखस्थान २०६२ तथा मुनि की स्तुति करना ११३४ केशिकुमार जी का भगवान् महावीर मुनि को भिक्षा का निमन्त्रण और - के शासन में सम्मिलित होना १०६७ मुनि का विजयघोष को धर्मोचौबीसवाँ अध्ययन पदेश देना ११३६ आठ प्रवचन माताओं के नाम १०७१ | कामभोग ही कर्मबन्ध का कारण है ११३८ ईर्या समिति का निरूपण १०७४ विजयघोष का जयघोष मुनि के पास भाषा समिति , , १०७८ दीक्षित होना और दोनों का एषणा समिति, " १०८० संयमाराधन कर मोक्षपद को आदान समिति, " १०८२ प्राप्त करना १०३४ | वेदों में पशुवधPage Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 644