Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 02
Author(s): Atmaramji Maharaj, Shiv Muni
Publisher: Jain Shastramala Karyalay

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Page 7
________________ उत्तराध्ययनसूत्रम् [ विषय-सूची परिषह सहन तथा संयमासेवन की । पिहुंड नगर के एक प्रसिद्ध व्यापारी दुष्करता का सविस्तर वर्णन ७९८ | की कन्या से पालित का विवाह ९२७ मृगापुत्र का प्रत्युत्तर-शारीरिक वापसी पर समुद्र में पुत्रोत्पत्ति ९२८ तथा मानसिक वेदनाओं का 'समुद्रपाल' नामकरण। ९२८ वर्णन और नरक के दुःखों का समुद्रपाल का ७२ कलाओं को अत्यन्त सविस्तर वर्णन ८१० सीखना तथा यौवनावस्था में मांस मद्य का सेवन करने वालों को विवाह ९२९ नरक प्राप्ति और वहाँ के दुःखों | वध्यस्थान को ले जाए जाते हुए एक का वर्णन ८३३ चोर को देखकर समुद्रपाल के मातापिता का मृगापुत्र को दीक्षा के मन में वैराग्य भाव का उत्पन्न लिए आशा देना और संयमवृत्ति होना और तदनन्तर उसका '' में चिकित्सा के निषेध का कथन ८३९ दीक्षित होना ९३१ उक्त विषय में मृगापुत्र का युक्तिपूर्वक परिषहों को समभावसे सहन करते प्रतिवचन __ हुए दृढ़तापूर्वक संयम का पालन मृगापुत्र का मृगचर्यासमान साधु- कर समुद्रपाल का मोक्षगमन ९३४ वृत्ति ग्रहण कर निर्वाण प्राप्त करना . बाईसवाँ अध्ययन बीसवाँ अध्ययन | कृष्ण और बलभद्र के मातापिता और श्रेणिक राजा का मंडीकुक्षी उद्यान में .. जन्म स्थान का निर्देश ९५२ __जाना । उद्यान का वर्णन ... ८६५ भगवान् अरिष्टनेमि के मातापिता उद्यान में एक शान्त दान्त निग्रंथ का ____ और जन्म नगर का निर्देश ९५४ दर्शन कर राजा का विस्मित हो | भगवान् अरिष्टनेमि के शरीर का । जाना वर्णन ९५५ नाथ और अनाथ के विषय में राजा नमिता और राजीमती के विवाह और मुनि का संवाद ८७० ८७० | . की तैय्यारी. ९५७ मनि का राजा के प्रति आत्मा के बाड़ों और पिञ्जरों में बंधे हुए पशु विषय में सुन्दर उपदेश ८९६ पक्षियों को दया भाव से मुक्त अनाथता के लक्षण ___कराना और स्वयं दीक्षा धारण राजा का धर्म में दृढ़ होकर वापस करना ९६२ आना ९२१ | नेमिनाथ जी को दीक्षित हुए सुन इक्कीसवाँ अध्ययन कर अपनी सखियों के साथ चम्पा निवासी पालित श्रावक का राजीमती का भी दीक्षित होना ९७६ . जहाज को लेकर पिहुंड नगर वर्षा के कारण राजीमती का रैवत- . को जाना ९२५ | गिरि की गुहा में प्रवेश करना ८९८

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