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तीसरा अध्याय राज्यवंशी कुटम्बों में जैन धम
(ई.पू. 800 से ई.पू. 200 तक)
पार्श्व का समय पावं के समय के लिए जैन साहित्य एकमात्र साधन पार्श्व के समय में राज्य प्राश्रय पार्श्व से नहावीर तक के समय का अज्ञान 250 वर्ष का अंधकार महावीर का समय उनका पिता सिद्धार्थ विदेह, लिच्छवियो, ज्ञात्रिको, वज्जि या लिच्छवी संघ के वज्जि मल्लकी जाति और काशीकोसल के गणराजानों के साथ उनके सम्बन्ध ये सब वंश एक या दूसरी रीति से महावीर के उपदेश के प्रभाव में पाए विदेही लिण्छवी ज्ञात्रिक
वज्जि
मल्लकी काशो कोसल के गणराज
)
( 2 जैन धर्म और सोलह महाजनपद मगध का साम्राज्य और जैन इतिहास में उसकी विशिष्टता मगध पर शासन करने वाले पृथक पृथक वंश और जैन धर्म शेशुनागवशं नन्दवंश मौर्य वंश
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चौथा अध्याय-कलिग-देश में जैन धर्म
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कलिंगदेश में जैन धर्म अर्थात् खारवेल के समय का जैन धर्म हाथी गुफा के शिलालेख ही खारवेल के एक ऐतिहासिक साधन हैं जैन इतिहास की दृष्टि से उड़ीसा का महत्व हाथीगुफा के शिलालेख के आस-पास के अवशेष उदयगिरि और खण्डगिरि के पर्वत ई.पू. दूसरी और तीसरी सदी की गुहाओं से व्याप्त है सत्धर, नवमुनि और अनन्त गुफा बारभुजा, त्रिशूल और लालटेण्डु-केशरी गुफा
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