Book Title: Upmiti Bhav Prapanch Katha Part 01 Author(s): Publisher: View full book textPage 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपमितिभवप्रपञ्चा कथा। कामोपादानगर्भार्था वयोदाक्षिण्यसूचिका / अनुरागेङ्गिताद्युत्था कथा कामस्य वर्णिता // 28 // मा मलीममकामेषु रागोत्कर्षविधायिका / विपर्यासकरौ तेन हेतुभूतैव दुर्गः // 28 // दयादानक्षमाद्येषु धर्माङ्गेषु प्रतिष्ठिता / धर्मापादेयतागर्भा बुधैर्धर्मकथोच्यते // 30 // मा शुद्धचित्तहेतुत्वात्पुण्यकर्मविनिर्जरे / विधत्ते तेन विज्ञेया कारणं नाकमोक्षयोः // 31 // त्रिवर्गसाधनोपायप्रतिपादनतत्परा / यानेकरसमारार्था मा संकीर्णकथोच्यते // 32 // चित्राभिप्रायहेतुत्वादनेकफलदायिका / विदग्धताविधाने च मा हेतुरिव वर्तते // 33 // श्रोतारोऽपि चतुर्भेदास्तामा मन्तीह मानवाः / तेषां संक्षेपतो वक्ष्ये लक्षणं तन्निबोधत // 34 // मायाशोकभयक्रोधलोभमोहमदान्विताः / ये वाञ्छन्ति कथामाथी ताममास्ते नराधमाः // 35 // थे रागग्रस्तमनमो विवेकविकला नराः / कथामिच्छन्ति कामम्य राजमास्ते विमध्यमाः // 36 // मोक्षकांकतानेन चेतसाभिलषन्ति थे / शुद्धां धर्मकथामेव सात्विकास्ते नरोत्तमाः // 20 // ये लोकदयमापेक्षाः किञ्चित्मत्त्वयुता नराः / कथामिच्छन्ति संकीणों ज्ञेयास्ते वरमध्यमाः // 38 // For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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