Book Title: Upkesh Vansh Author(s): Unknown Publisher: Ratnaprabhakar GyanpushapmalaPage 14
________________ .. उपफेरा वंश wmmmmmmmmmmmm आदर्श वीरपुत्र । (सङ्कलन कर्ता-श्रीनाथ मोदी "जैन" जोधपुर ।) देख कर जो विघ्न वाधाओं को घबराते नहीं । भाग पर रह करके जो पीछे हैं पछताते नहीं । काम कितना ही कठिन हो पर जो उकताते नहीं । भीड़ पड़ने पर भी जो चञ्चल हैं दिखलाते नहीं ॥१॥ श्राज जो करना है कर देते हैं उसको आज ही । सोचते कहते हैं जो कुछ कर दिखाते हैं वही । मानते जी की हैं सुनते हैं सदा सबकी कही । जो मदद करते हैं अपनी इस जगत में प्रापही ॥२॥ भूल कर वे दूसरे का मुँह कभी तकते नहीं। कौन ऐसा काम है वे कर जिसे सकते नहीं। आज कल करते हुए जो दिन गंवाते हैं नहीं। यत्न करने में कभी जो जी चुराते हैं नहीं ॥३॥ चिल चिलाती धूप को जो चाँदनी देवें बना । काम पड़ने पर करें जो शेर का भी सामना । हँसते हँसते जो चबा लेते हैं लोहे का चना । "है कठिन कुछ भी नहीं" जिनके है जी में यह ठना ॥४ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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