Book Title: Updeshsapttika Navya Author(s): Kshemrajmuni, Jinendrasuri Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala View full book textPage 2
________________ उपदेश ॥२॥ प्रकाशिका : हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला (लाखाबावल) मनिकाः C/o. श्रुत ज्ञान भवन ४५ दिग्विजय प्लोट, जामनगर वीर सं. २५१७ : विक्रम सं. २०४७ : सन् १९९१ : प्रथमावृत्तिः प्रतयः ७५० आभार दर्शन अमारी ग्रन्थमाला तरफथी प्राचीन साहित्य प्रकाशन योजना द्वारा आ उपदेशसप्ततिका ग्रन्थ प्रकागित करना आनंद अमुभवीए छीए. आ ग्रन्थ संपादन पू. आ. श्री विजय जिनेन्द्रसूरीश्वरजी महाराजे कर्यु छे. आ ग्रन्थ माटे प. पू. आचार्यदेवेश श्रीमद् विजय शांतिचन्द्रसूरीश्वरजी म. नी कृपाथी पू. आ. श्री विजयसोमचन्द्रसूरीश्वर निश्रावर्ती पू. मुनिराज श्री देवचंद्रविजयजी महाराजना उपदेशथी श्री श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघ साचोर (राजस्थान) तथा परम शासन प्रभावक व्या. बा. पूज्यपादाचार्यदेवेश श्रीमद् विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजाना परम विनेयी शिष्य नपस्वी रन पूज्य पन्यास श्री भद्रशीलविजयजी गणिवरना सदुपदेशथी घाटकोपर | मुंबइ] नवरोजलेन श्री श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघे सहकार आप्यो छे. लेमनो आ माटे खूब खूब आभार मानीए छीए.. ता. १-९-९१ लि. महेता मगनलाल चत्रभूज शाक मारकेट सामे, जामनगर व्यवस्थापक : श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला 1101Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 ... 486