Book Title: Updeshmala Balavbodha Purvardha
Author(s): Kantilal B Shah
Publisher: Saurashtra Kesari Pranguru Jain Philosophical and Literary Research Centre

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Page 10
________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org नमः श्रीमज्ञाय।। श्री वर्धमान जिनवर। मानम्यन ने मिबालो धान्याप्राकदवानपि। विवरणमुपदेशमालामा ।।श्न मिऊनिया शिंदा दन रिंचिएला एक माल मियामा बुद्धा मिगुरु व सांजिनवारं श्रीनी किराद दान मिऊ एक दीइ नमस्करीमा उपदेश माली अणि हामि गुरु गुरुश्रीती किर। गणधरा दिकातदन उपाद सिई मनुआपण बुद्धि श्री जिनवरिंड कि स्याब 51 इदन रिदचिए। ई६६४ नारंच कवर्तिवासुदवप्रमुखाश्व तादा निप्पू जितवन्तीं । वली किस्पा तिला मालरूपविनिलाक दिनागुरु मम्यकामा मार्गत उपसारब ई॥२ एप दिलीगा घा.पा बिलाचा चार्यनीकी भी संबंध जाणिवाणी ॥ अथ श्री धर्मदास शिशा न धुरिमंगलीकसणी पदि लाखनवी समानी कि दवन नमस्कार कढई|| जगचूडामणिन्नू । उस सोवीरा तिलाच सिरिनिलजे । एग्लागाईचा । एगारकूति स्म।।२ उमसेोकही श्रीदिनाघात कि सिउल जगचूडामणिन जगरणी इचकदरक्षात्मक दिन इंडामणि. मृत सुकट मानवाभुतिपदस्टितली अनश्वी श्री मदावी किसिउर तिला मिरि तिल शिलाकी बिन मलीनने तिलकसी तिल किड्रंकर जिम सुख शास इतिमपरमश्वरश्रीमदावी बिक्री विसुनाना एयो लागाइच।। एकश्री च्या दिनाघाला कुहरे या दित्यसमानछ । जिममता तन इसमादित्य शंकरी सकल क्रिया मार्गघयत्र । तिमसु गनइरिश्राम दिनाधिकारी सकलालाकावदार अ धर्मवदारप्रवर्तियां। नयागावरकृति एक महान वाचनसमानबई | जिमालाचे नकसिकलपदार्धप्रकाशतिम श्रमदावीरा बालिनाथ सिद्धानीका सकलतातच नवका राजश्व | श्री आदिनाथ आगइये घकार उहूरिया । तदमणी श्री आदिनाघनश्ज्जूड । म निशदित्यना उपमान दी थी। ઉપદેશમાલા બાલાવબોધ'ની સં.૧૪૯૯માં લખાયેલી હસ્તપ્રત (ક)નું પ્રથમ પાનું.

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