Book Title: Updeshmala
Author(s): Dharmdas Gani, Dinanath Sharma
Publisher: Shardaben Chimanbhai Educational Research Centre

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Page 10
________________ भूमिका हस्तप्रत परिचय वैसे तो भारत के विभिन्न ग्रन्थ भण्डारों में उपदेश-माला की ताड़पत्र और कागज की बहुत-सी प्रतें हैं लेकिन प्रस्तुत सम्पादन के लिए उनमें से आठ ही प्रतें चुनी गई हैं जिनमें सात ताड़पत्र की और एक कागज की प्रत है । इनमें सर्वाधिक प्राचीन जैसलमेर (वि. सं. ११९२) की एकमात्र ताड़पत्रीय हस्तप्रत है । इन सभी हस्तप्रतों का परिचय उनके कालक्रमानुसार नीचे दिया जा रहा है - ताड़पत्र की प्रतियाँ १. जै : केटलोग ऑफ संस्कृत एण्ड प्राकृत मेन्युस्क्रीप्ट्स, जैसलमेर कलेक्शन । प्रकाशक : एल. डी. इन्स्टीट्यूट ऑफ इण्डोलोजी, अहमदाबाद । ग्रन्थ सं० ३६, सन् १९७२, पृ. ५८, प्रति नं. १५६(४१). लम्बाई : साढ़े पन्द्रह इंच, चौड़ाई: सवा दो इंच । प्रत्येक पत्र में ६-७ पंक्तियाँ, प्रत्येक पंक्ति में ३४ अक्षर । लेखन समय वि० सं० ११९२, पत्र संख्या ३१, गाथा संख्या ५४१ । प्रति में मंगलाचरण की पहली गाथा और छठा पत्र गायब है अतएव १६ गाथाएँ (३७-५२) नहीं हैं । इसके अक्षर स्पष्ट एवं सुवाच्य हैं । पूरी प्रति एक ही व्यक्ति द्वारा लिखित है । इस सम्पादन में प्रयुक्त ताड़पत्रों में यह सर्वाधिक प्राचीन है । अन्य प्रतों की तुलना में जहाँ छन्द की मात्रा त्रुटित मिलती है वहाँ इसके पाठ उसकी पूर्ति करते हैं । इसके पाठ भाषा की दृष्टि से प्राचीन और मौलिक हैं । इसमें मध्यवर्ती अल्प-प्राण व्यंजनों का लोप कम है । इसमें पुंलिंग Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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