Book Title: Updesh Pushpamala
Author(s): Hemchandracharya, 
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 2
________________ प्रत्यक्ष प्रभावी दादा गुरुदेव dood दादा दादा श्री जिनदत्तसूरिजी मणिधारी दादा श्री जिनचन्द्रसूरिजी दादा श्री जिनकुशलसूरिजी श्री जिनचन्द्रसूरिजी सादर समर्पण जिनका हृदय दूसरों का कष्ट देखने से सदा पिघल जाता था दूसरों के उपकार के लिये अपना सर्वस्व देने में जो कभी हिचकते नहीं थे। ऐसी दयार्णव आगम ज्योति आशु कवयित्री प्रवर्तिनी श्री सज्जन श्री जी म. सा. के जन्म शताब्दी वर्ष पर सादर समर्पित पू. सज्जनश्रीजी म. सा. प्रेरणा स्रोत संघ रत्ना पू.शशिप्रभाश्रीजी म. सा. Jain Education international FOTPvalePersumausy

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