Book Title: Upasakadasanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Somji Rishi
Publisher: Surat

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Page 4
________________ सलिसुधर्मस्वामिकहे नशासम वाणिज्य ग्रामनगरपूर्वि नेहनगरंनुवर्ण। वाणिग्राम। बनातेणिकाला! वन कहातिहा उपास बातणकालेगातेणसमएणवाणियगामनयरहोबावान तस्यगवाणियागा कसूत नगरनई बाहिरिनशनतरपूर्वना विचालाई शान क्वणितपलासं तेवाणिज्य ग्रामनगर दिसिता गहवक्षनामिवनमान विष मस्सानयरस्सबहियानतरपुरविमेऽपलासएनामचेतनवाणियगा जिताउ एहव नामरामारा विणिवाणिऊया। आएंद एहवश्नामि गृहपति रश्नवसन ज्यकरमनशतेराजानु वाकि। मनगरन विषई। मोजियसवरायावानातवणवाणियगाामयागादनामंगाहावीपरिवसाय महाकवि जावतंपरिसूत। तेहाद गृहपति न चारिसुवलना कोहि निधान व्यब वतब कोई गंजानसका मातालनविष। हमावाअपरिनुएतस्मात्राणंदस्स गाहावश्स्साचतारिहिरनकोडानगनिहाण सोता। च्यारिकोमि सुवासी चहियाप्तकहाच्याजन च्यारिकोनिसुवम प्रविस्तरप्राप्तघरवापर कंटेब ब विषझवधतिमत्त घरचे सर्वघ १२ को कि पतानाचतारिहिरमकोडानवहिपतानाचतारिहिरमाकोडानपविबरपताना

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