Book Title: Upasakadasanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Somji Rishi
Publisher: Surat
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नपासग
बाजासर्व रजता सु वर्ण यच्चखाण विकारमबीचचय्यदननयरिमाण
रुपन पनत्राहि वसेस हिरणसुवणीविहिपच्चरकामि तदाणतरचणचनपदविहि करने त लानपरिनहा च्याशिवधिजससहश्र गाई एकच ग्रएरुवायज धाकताचउम्पदगा परिमाणकरतिनिनबचनहिवएहिं दस गो साहस्सिएणवएणे यवसेसंसच्चे मञ्च खाण६ निफारपबा केन। वस्सुने परिमाण एतलिचमिनुपरिमाणघ
रहारषेत्र एतलाऊपेहरुंनकल्प. मादाबा चनपदविहिंपचरवाति तयाणतरेचणारिक्तावविहिंपरिमाणकरेति रसय पाचसहलवानमिएतला निवर्तनकहा। दसहाघ१० एकवासारवासेवास) अनूमिमोकलाचशेषघाकंनके १२५०
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नन्नवपंचहिहिलसएहि नियन्त्रणसतिहिणाहलेण यवसेसं सच्चखित वसुनु पच्चरकाण विकारपबासगडगामलान परिमाणका न न करता नकल्प
पांचस५००गामला वजविहिपचरका मितियाग तरचणसगड विहे परिमाणकरेशननपेच

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