Book Title: Upasakadasanga Sutra
Author(s): Sudharmaswami, Somji Rishi
Publisher: Surat
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स्वासू
वाह
तिवारपबालमोटुंअदिनादन पच्चरकूऋणापुनलेन मनिकरावनिकरात्र कुरूंनही करताप के नाचोरानकरूं नकरात
कामाईकरावोसरावतिअनमोनहा तदाणातरचणचूलादिन्नादाणपञ्चरखारविहतिविहानकरेमि नकारते
तिकारमबाखदारासंतोषयरि मांग करूं मैघुननाचरेबाजापर निमणसावयसा कायसावतयाणतरचणं सदार संतोसिपरिमागां करेति एकसिवनंदासायी पोताना । अष्टादसत्तेदते देवतानो मैघुनन कदारिककाधाकराच्या अनअनुमोया मनेवच तेरुविनासर्व मितनगरि नेकामांइकराए पनेददेवना मैथुन अनउदारिकतिर्यचमनुष्यनाय नेपए
कस्व खादिनोसर्व यज.खा ननबकायासिवादाएनारियाऐवसेंस सवामिण विहपच्चरकाधितदा निफारमबायोच, ईलापरिमाणपरिग्रनुमान। हिरणातरजतजाणि, तह परिमाणकरूं। नहीच्यारि करा.
सुवी-विध णेतरचनापरिमाणकरेमाणे हिरणसुवाल विहिपरिमाणकारतिरननध हिरण कोमा सू मिनिक्षननूमिमधे चारिपिघल च्यापारन२) च्यारिविस्तरपवतच्या रवा
पारजलवटनविषज्ञ चाहि हिरणकोडाहिनिहाण यनताहि चहिवडश्यनताहि चनहि पविबरे
रुयो
विष

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