Book Title: Two Unpublished Caitya Paripatis on Citod Tirtha Author(s): Jitendra B Shah Publisher: Z_Nirgranth_Aetihasik_Lekh_Samucchay_Part_1_002105.pdf and Nirgranth_Aetihasik_Lekh_Samucchay_Part_2Page 20
________________ Two Unpiblished Chaitya Pariptis on Citod-tirtha 433 वस्तु गोयम गणहर गोयम गणहर समरि सरसत्ति, सुगुरू पसाय लही करी रचिसु चेत्रप्रवाडि सारीअ, चित्रकोट नयरह तणा गुण थुणई बहु नरह नारीय, गढ मढ मंदिर झगमगई वाजई ढोल नीसाण, राज करई रायमल्ल राण तेजि दीपइ भाण. भाषा ८. स्वर्गपुरी लंका अवतार, व्यवहारिआ तणा नही पार, सारसिंगार करंति तु जयु जयु, राजई राजकुली छत्रीस, वासि वसई वर्ण छत्रीस, बत्रीस जिण पूजंति. चालउ चेत्रप्रवाडि करीजई, माणसजन्म तणउं फल लीजइ, कीजइ निरमल काय, रंगि सहिअ समाणी आवु, चाउल अक्षित चुक पूरावु, गावु श्री जिनराउ. ९ पहिलं श्री श्रेयंस नमीजई, त्रिणि काल जिणभगति करीजइ, असी बिंब पूजंति तु जयु जयु, आगलि सोम चिंतामणि पास, सुमति सहित त्रिणि सई पंचास, आस पूरइ एकंति १० थंभणि थाप्या वीर जिणंद, पय सेवई नरनारीवृंद, दंद सवे टालंति तु, चउपन्न बिंब-सिउं आदि जिणेसर, हरखिइं थाप्या संघपति इसरि, केसरि पूज करंति तु. ११. मुगति-भगतिदायक बईठा प्रभु, एकसउ त्रीस-सिउं चंद्रप्रभ, चउमुख भुवण मझारि, नाभिराय-कुल-कमल-दिणंद, दस मूरति-सिउं आदि जिणिंद, वंदई बहु नरनारि. १२ संकट पास जिणेसर चूरइ, आकु-सामी प्रत्या पूरइ, पंत्रीसा सुबिंब, भवण देखी ऊपन्नी सुमति, तेर बिंब-स्युं भे[व]द्या सुमति, कुमति हरइ अविलंब. १३ वस्तु संघ चउविह मली मनरंगि, चत्र-प्रवाडि चालिआ आदि देव वंदउं श्रेयांस, चंद्रप्रभ आदिल जाणीइ, चिंतामणि पूरवइ आस, पास जिणेसर जागतु, आका-भुवण मझारि, सुमतिनाथ पूजी करी, रास रमई नरनारि. वीर-विहार पुहुत्त जाम पावडिआं साठि, चडतां करम विषम तणीअ तिहां छूटई गांठि, कोसीसां कोरणिअ बारि मूलइ नही माठि, दीठे मागउं सामि पासि सेवानी पाठि, बालई साहिं ऊधरिउ ए विजयमंदिर प्रासाद, उंचपणइ दीसइ सिउ ए निरमालडी ए रवि-सिंउं मंडइ वाद; मणोर हीए. १५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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