Book Title: Two Unpublished Caitya Paripatis on Citod Tirtha Author(s): Jitendra B Shah Publisher: Z_Nirgranth_Aetihasik_Lekh_Samucchay_Part_1_002105.pdf and Nirgranth_Aetihasik_Lekh_Samucchay_Part_2Page 22
________________ Two Unpiblished Chaitya Pariptis on Citod-tirtha 435 चंद्रप्रभ दोइ अति भला, आदिदेव अर्बुदसामीअ, सूराणइ पूजा करी समरिआ सुमति जिणंद, पारेवु जिणि राखिउ, शरणइ शांति जिणिद. २१ भाषा हिव नागोरइ देहरइ तु, भमइरूली श्री मुनिसुव्रत सामि तु, एकसउ पंचवीस पूजीजइ तु, भ० नवनिधि लीधई नामि तु. २२ शीतल-सामी अंचलीई तु, भ० त्रिणि सई बिंब अट्ठतीस तु, नाणावालइ अठ्तीस तु, भ० मुनिसुव्रत जगदीस तु. २३ चउवीस बिंब पल्लीवालइ, भ० सीमंधर जयवंत तु, चित्रावालई च्यालीसइ तु, भ० पास जिणंद दयवंत तु. २४ कुमतिहरण श्री सुमति जिण तु, भ० पूनमीइ बावीस तु, खरतर वसही शांति जिण तु, भ० मूरति पंचतालीस तु. पास जिणेसर सामल तु, भ० सत्तरिसा दोइ सार तु, पंच सइ पनरोत्तर बिंब तु, भ० शत्तुंजय गिरनार तु. आदि जिणंद आराहीई तु, भ० मालवीई प्रासाद तुं, देहरी दीसई दीपती तु, भ० घंटा पडह निनादि तु. चउमुख च्यारि मूरति भली तु, अष्टापद अवतार तु, आठ सईं सतहुत्तरि बिंब तु, भ० पूजीजइ सविचार तु. मुनिसुव्रत महिमा घणउ भ० सुकोसल गुफा मझारि तु, कीरतिधर बाधिणि सहीइ तु, भ० गिरूआ इणि संसारि तु. २९ आगलि गोमुख वाघमुख तु, भ० वारि झरइ अनिवार तु, कुंभई कुंभिगि थापीई तु, भ० कीरतिथंभ उदार तु.. नव भुई चडीइ निहालीइ तु, भ० सरोवर वन अभिराम तु, केलि खजूरी निंबूइ तु, भ० चंपक केतकि नाम तु. ३१ वस्तु आदि जिणवर आदि जिणवर मुनिसुव्रत, शीतल सीमंधर सुमति शांति देव सोलमु अनुदिन, कामित तीरथ दीपतु, पास सामि वामानंदन, मुनिसुव्रत महिमा घणउ, सुक्कोसल अति सार, वाडी वन पेखी करी, हीयडइ हरख अपार. ३२. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 20 21 22 23